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मानव परिसंचरण तन्त्र | parisancharan tantra in hindi

मानव परिसंचरण तन्त्र | parisancharan tantra in Hindi: आज के इस अध्याय में हम function of heart in human body & body circulatory system के बारे में बात करने जा रहे हैं. मानव परिसंचरण तन्त्र का यह अध्याय CBSE Science Class 10,9 के विद्यार्थियों के लिए अति उपयोगी हैं.
मानव परिसंचरण तन्त्र | parisancharan tantra in hindi

मानव परिसंचरण तन्त्र क्या हैं अर्थ परिभाषा (human circulatory system in hindi)

सर विलियम हार्वेमारसेली मैल्पिजी ने सबसे पहले रुधिर परिसंचरण (Blood circulation) के बारे में बताया था. मनुष्य में बंद परिसंचरण तंत्र (Closed circulatory system) एवं कीटों में खुला परिसंचरण तंत्र  (Open circulatory system) पाया जाता हैं. मानव रुधिर का ph 7.3 से 7.4 होता हैं. यह हल्का क्षारीय होता हैं.

परिसंचरण तंत्र का अर्थ होता है, एक तत्व को एक स्थान से दुसरे स्थान तक परिवहन करना यानी परिसंचरण तंत्र यातयात का साधन है, जो रक्त का परिवहन करता है.

रक्त परिसंचरण तंत्र शरीर की सभी कोशिकाओ तक प्रयुक्त पोषक तत्व ऑक्सीजन जल तथा अन्य पदार्थो को पहुंचाता है. तथा हमारे शरीर की आंतरिक सुरक्षा करता है. ये हमारे शरीर के ph मान को संतुलित बनाए रखता है. ये गैसे से लेकर हार्मोन तक सभी का परिवहन करता है.

रुधिर वाहिकाएं (Hemodynamic vessels)

  • धमनियाँ (Arteries)- यह रक्त को ह्रदय से विभिन्न अंगों तक ले जाती हैं. इसमें शुद्ध रक्त का संचरण होता हैं. 
  • शिराएं (Veins)- ये अशुद्ध रक्त को अंगो से ह्रदय तक लाने का काम करती हैं.
  • केशिकाएं (Capillaries)- ये अति सूक्ष्म पतली भित्ति वाली नलिकाएं होती हैं और इनके कोशिकाओं के मध्य रुधिर द्वारा पदार्थों का विनिमय होता हैं.
  • ह्रदय (Heart)- मानव ह्रदय पेशी ऊतकों का बना होता हैं. यह हाथ की मुट्ठी के आकार का होता हैं. इसके चार कोष्ठक होते हैं.
  1. दायां आलिन्द (Right atrium)
  2. बाया आलिन्द (Left atrium)
  3. बायां निलय (Left ventricle)
  4. बायां निलय (Left ventricle)
मनुष्य का ह्रदय प्रति मिनट 72 बार धड़कता हैं नवजात में धडकन की यह गति 130 प्रति मिनट होती हैं.

ह्रदय में रक्त प्रवाह (circulation of blood in human body)

  • शुद्ध रक्त- फेफड़ों से ओक्सिकृत रक्त फुफ्फुस शिरा (Pulmonary vein) से बाएं आलिंद में आता हैं वहां से बाए निलय से होता हुआ महाधमनी (Aorta- शरीर की सबसे बड़ी धमनी) द्वारा शरीर में प्रवाहित होता हैं.
  • अशुद्ध रक्त: महाशिरा (Vena Cava) शरीर की सबसे बड़ी शिरा द्वारा अशुद्ध रक्त दाएं आलिंद में आता हैं फिर दाएं निलय में होता हुआ फुफ्फुस धमनी (Pulmonary artery) द्वारा फेफड़ों में ओक्सिकृत होने जाता हैं. तत्पश्चात फेफड़ों से ओक्सिकृत रक्त ह्रदय में आता हैं. 
  • रक्त दाब (BP) मापने के यंत्र को स्फिग्नोमैनोमीटर कहते हैं.
  • ह्रदय संकुचन के समय उत्पन्न होंने वाले विभव को नापने वाले यंत्र को इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफ (ECG) कहते हैं. ह्रदय रोगियों की सबसे पहले ECG जांच की जाती हैं जिससे उनके ह्रदय के किस भाग में खराबी हैं उसका पता लगाया जा सकता हैं. 

लसीका तंत्र (lymphatic system in hindi)

लसिका वाहिनियों में लसिका बहती हैं जिसका कार्य कोशिका एवं रुधिर के मध्य पदार्थों के विसरण में सहायता पहुचाना एवं रुधिर से विसरित प्रोटीन एवं श्वेत रक्त कणिकाओं को वापिस रुधिर तक ले जाना हैं. इनका संचरण हमेशा ऊतकों से ह्रदय की ओर ही होता हैं. लसिका वाहिनियाँ शिराओं में जाकर खुलती हैं. इन वाहिनियों के मार्ग में मुख्यतः गले, बगल, जांघ एवं पेट आदि में लसिका ग्रंथियां होती हैं इन ग्रंथियों में लिम्फोसाइटस एकत्रित रहती हैं. लसिका ग्रंथियां हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधकता में प्रमुख भूमिका निभाती हैं. 
  • ह्रदय की धड़कन को पेसमेकर नियंत्रित करता हैं.
  • एक स्वस्थ वयस्क का रक्त दाब लगभग 120/90 होता हैं ह्रदय के प्रकुचन (Systole) के समय दाब अधिकतम होता हैं और शिथिलन (Diastole) के समय निम्नतम रहता हैं.

ह्रदय व धमनी सम्बन्धी रोग (Heart and artery disease)

  • आस्टियो क्लोरोसिस- धमनी की दीवारों का अपेक्षाकृत कठोर हो जाना
  • उच्च रुधिर दाब
  • थम्बोसिस- इसमें रुधिर वाहिका के भीतर रुधिर का धक्का जम जाता हैं.
  • ह्रदय मरमर- कई बच्चों में ह्रदय सामान्य परिवर्धित नही होता हैं. और शुद्ध व अशुद्ध रुधिर मिल जाते हैं. या निलय से आलिंद में रुधिर टपकने लगता हैं. जिसे ह्रदय मरमर कहते हैं.
  • ह्रदयाघात- रुधिर वाहिका (धमनियों) में कोलिस्टरोल जम जाने से रक्त प्रवाह में रुकावट आ जाती हैं और ह्रदय के कार्य करने में रुकावट हो जाती हैं. इससे व्यक्ति की मृत्यु तक हो जाती हैं.
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