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शहरी जीवन के फायदे नुकसान | Essay on Advantage And Disadvantage of Metropolis in Hindi

Essay on Advantage And Disadvantage of Metropolis in Hindi: प्रिय दोस्तों यहाँ महानगरीय अभिशाप या वरदान पर निबंध आपकों बता रहे हैं. Class 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10 के स्टूडेंट्स के लिए Metropolis के जीवन व Advantage And Disadvantage के बारे में निबंध दिया गया हैं.

शहरी जीवन के फायदे नुकसान | Essay on Advantage And Disadvantage of Metropolis in Hindi

शहरी जीवन के फायदे नुकसान | Essay on Advantage And Disadvantage of Metropolis in Hindi

नगरो के महानगर बनने की प्रक्रिया में नगरों के विकास के साथ-साथ उनमें प्रत्येक दृष्टिकोण से विस्तार हुआ है। हमारे देश में दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, चेन्नई, इन चार प्रमुख महानगरों का क्षेत्रफल में बहुत अधिक विस्तार हुआ है।

इस विस्तार में निकटवर्ती कृषि योग्य भूमि और अन्य क्षेत्रों को भी सम्मिलित करके वहाँ ऊँची-ऊँची इमारतों, कल-कारखानों आदि का निर्माण किया गया है। महानगरों के विकास की इस प्रक्रिया में जहाँ एक ओर रोजगार की सम्भावनाओं में वृद्धि हुई है, वहीं दूसरी ओर महानगरों का वातावरण दूषित हुआ है। 

आज रोजगार की आशा में दूर-दराज के गाँव-कस्बों के लोग भी महानगरों की ओर बढ़ रहे हैं और बढ़ती भीड़ के कारण महानगरों के दमघोटू वातावरण में लोगों का जीवन दूभर हो गया है। महानगरों की ओर लोगों के आकर्षित होने का प्रमुख कारण रोजगार है।

गाँव-कस्बों और छोटे नगरों की तुलना में महानगरों लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। इस कारण महानगरों के लोगों को अपनी आय का अधिकांश धन चिकित्सा पर खर्च करना पड़ रहा है।महानगरीय जीवन में अनेक सुविधाएँ उपलब्ध हैं, तो यहाँ कठिनाईयाँ भी कम नहीं हैं।

इसी कारण महानगरीय जीवन वरदान समान है, तो उसमें अभिशाप भी हैं। परन्तु मनुष्य की विवशता है, रोजगार और उन्नति की चाह में वह महानगरों की ओर बढ़ रहा है। आज आधुनिक युग में महानगरों से मनुष्य का मोहभंग होना सरल नहीं रहा है।

आज के समय में यदि हम शहर और गाँव की तुलनात्मक रूप से व्याख्या करे, तो हम पाएंगे कि शहर गाँवों की तुलना में बहुत तेजी से विकास कर रहा है. वही देहात के लोग आज बहुत पिछड़े हुए है.

गाँव में आज भी साक्षरता दर, लिंगानुपात और सामाजिक कुरुतिया जीवन को प्रभावित कर रही है. शिक्षा व्यवस्था में कमी नजर आती है. लडकियों की अपेक्षा लडको को अधिक तव्वजो दिया जाता है.

आज हमारे देश में ऐसे कई कानून है, जिनका पालन केवल गाँवों में नही होता है. गाँवों में आज भी सामाजिक रीतिया चलती है, दहेज़, सतीप्रथा और पुनर्विवाह जैसी अनेक समस्याओ का गाँवों में आज भी किसी प्रकार का निवारण नही है.

शहर आज शिक्षा के क्षेत्र में बहुत तेजी से उन्नति कर रहा है. पर शहर के अपने ही कुछ नुकसान है. जिसमे वो अपने शुद्ध वातावरण और प्रकृति को खो रहा है. जिसमे यह गाँवों से पिछड़ रहा है.

शहरो में अपनत्व, भाईचारा, रिश्ते नाते और संस्कृति, पहनावा और अपनी परम्पराओ का कोई सुराग नही मिलता है, जो हमारे स्वर्णिम इतिहास को छिपाता है, जो एक नकारात्मक पहलु है.

गाँवो की तुलना में शहरो में प्रदुषण, गन्दगी और रोग तेजी से बढ़ रहे है. शहरो में स्वच्छता अभियान सक्रीय होने के बावजूद भी गंदगी हावी नजर आती है. लोगो की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बहुत कम है. इसके आलावा यहाँ वाहनों और उद्योगों द्वारा प्रदुषण फैलाया जाता है. जो शहरी लोगो को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है.

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