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परिश्रम का सम्मान पर निबंध Essay on Dignity of Labour in Hindi

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परिश्रम का सम्मान पर निबंध Essay on Dignity of Labour in Hindi

परिश्रम का सम्मान पर निबंध Essay on Dignity of Labour in Hindi
भूमिका:- हमारे भारत की संस्कृति ने परिश्रम को सदैव उच्च महत्व दिया हैं. जीवन का मूल आधार ही कर्म को माना गया हैं. अकर्मण्यता को पृथ्वी के बोझ तरह समझा जाता हैं.

परिश्रम अर्थात मेहनत करने से जी चुराने वाला व्यक्ति किसी और का क्या भला करेगा, जब वह स्वयं भी कार्य न करने के लिए बहानेबाजी करता हैं. हमारे देश में यह मान्यता हैं कि परिश्रम ही सफलता की कुंजी हैं.

स्वरूप:- परिश्रम का सामान्य तौर पर अर्थ शारीरिक श्रम से ही लिया जाता हैं जबकि मानसिक परिश्रम भी इसका एक अहम पहलू हैं. लम्बे वक्त तक जब हमारा देश पराधीनता के दौर से गुजर रहा था तब अधिकतर लोग परिश्रम को छोड़कर आलस्य और चापलूसी का सहारा लेने लगे.

देश भर में ऐसी परिस्थितियाँ निर्मित हो गई थी कि कोई भी परिश्रम कर खाने की बजाय एक दूसरे के विरुद्ध गुट्बाजी कर छल कपट या लूटमार के जरिये अपने जीवन को जीना एक बड़े समुदाय ने अपना ध्येय बना लिया था, जिसका असर भारतीय समाज पर भी पड़ा.

अठाहरवीं सदी के दौर में समाज के जनजागरण आन्दोलन के चलते हर वर्ग के लोगों ने यह समझ लिया कि आखिर जीवन में स्वतंत्रता का उजाला देखना हैं तो स्वयं पर विश्वास कर तथा परिश्रम के बल पर ही देश को ब्रिटिश सत्ता से आजाद करवाया जा सकता हैं और इसी को अपना मूलमंत्र बनाकर राष्ट्र को नई दिशा दी.

महत्त्व:- आधुनिक दौर में कुछ कथित बुद्धिमान लोगों के समूह द्वारा कठिन परिश्रम करने वाले लोगों को हीन समझने की परिपाटी चल पड़ी हैं. अपनी मेहनत के दम पर कृषि, वानिकी, मजदूरी करने वाले लोगों को छोटा समझने की विचारधारा ने हमारे देश में परिश्रम की महत्ता को कम किया हैं.

मेहनतकश लोगों के जीवन को दीन हीन समझने वाले वर्ग की सच्चाई यह हैं कि वह स्वयं अपना गुजारा करने के लिए चापलूसी, मुनाफाखोरी तथा दलाली का काम करते हैं. तथा स्वयं को बड़ा मानते हैं.

इन्ही चंद लोगों के विचारों के चलते आज आम आदमी को मेहनत कर कमाता हैं उनके मन में एक कुंठा को इन्ही लोगों ने पनपाया हैं. हमारा देश उतनी तरक्की नहीं कर पाया जितनी करनी चाहिए थी, इसका मुख्य कारण भी ये लोग हैं जो स्वयं परिश्रम करने से भागते हैं तथा परिश्रम करने वालों को उचित सम्मान नहीं देते हैं.

उपसंहार:- “कर्म प्रधान विश्व करि राखा”, जो जस करहिं सो तस फल चाखा' हमारे तुलसी बाबा ने रामचरित में लिखा हैं कि कर्म करने वाले को ही फल मिलता हैं, हमारी धार्मिक पुस्तक गीता का सार भी तो कर्म ही हैं. कृष्ण ने कर्म करते रहने का संदेश दिया हैं.

परिश्रम का सम्मान निबंध (300 शब्द)

हमारे देश भारत में प्राचीन समय से ही परिश्रम का अत्यधिक महत्व रहा है और वर्तमान में भी विश्व के
दूसरे देशों की अपेक्षा भारत के लोग अधिक मेहनती और परिश्रमी है।

अगर आपको जीवन में सफलता प्राप्त करनी है तो आपको मेहनती होना सबसे ज्यादा जरूरी है क्योंकि हम ऐसे कई लोगों को देख सकते
हैं जो मानसिक रूप से अत्यधिक तेज है लेकिन परिश्रमी नहीं होने से जीवन में सफल नहीं होते हैं वहीं
दूसरी तरफ ऐसे बहुत से लोग मिल जाएंगे जो बहुत ज्यादा मानसिक बुद्धि नहीं रखते हैं फिर भी अपने
परिश्रम और मेहनत के दम पर जीवन में उन लोगों से बहुत आगे निकल जाते हैं.

जो अपने दिमाग की शक्ति का घमंड करके परिश्रम नहीं करते हैं। वैसे देखा जाए तो परिश्रम मानसिक और शारीरिक दोनों प्रकार से किया जाता है, ‌ हम वर्तमान में हार्ड वर्क से ज्यादा स्मार्ट वर्क को महत्व देते हैं लेकिन सच्चाई तो यह है की स्मार्ट वर्क में भी व्यक्ति को परिश्रम करने की आवश्यकता होती है उससे मानसिक और
शारीरिक रूप से परिश्रम करना पड़ता है।

हमें हमारे समाज में जितने भी परिश्रमी लोग होते हैं उनका सम्मान करना चाहिए क्योंकि वह बहुत मेहनत से अपनी आजीविका चलाते हैं। ‌ हमें किसानों और मजदूरों का सम्मान करना चाहिए।

जो लोग परिश्रम से अपना जीवन निर्वाह करते हैं उनके जीवन में सच्चाई होती है। परिश्रमी लोग कभी भी सफलता का शॉर्टकट पाने के लिए बेईमानी तरीके नहीं अपनाते हैं और जीवन में कभी भी चुनौतियों का सामना करने से नहीं डरते हैं। इस दुनिया में जितने भी बड़े कार्य हो रहे हैं उनमें ऐसे परिश्रमी लोगों का ही हाथ होता है।

हमें ऐसे परिश्रमी लोगों के कार्य को कभी भी छोटा नहीं समझना चाहिए और उनके साथ कभी भी बदतमीजी से बात नहीं करनी चाहिए और उनका सदैव सम्मान करना चाहिए।

परिश्रम का सम्मान निबंध 500 शब्द

हम देखते हैं कि अधिकतर लोग परिश्रम का अर्थ शारीरिक श्रम से लेते हैं और जब परिश्रम की बात करते
हैं तो उनके दिमाग में एक मजदूर आता है। लेकिन परिश्रम शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से किया
जाता है।

जो लोग जीवन में अत्यधिक सफल होते हैं, वह लोग भी बहुत ज्यादा परिश्रम करते हैं लेकिन
उनका परिश्रम आम लोगों को लिख नहीं पाता है और उन लोगों के परिश्रम के बजाय उनकी सुख
सुविधाएं और जीवन शैली पर ध्यान अधिक जाता है, लेकिन सच्चाई तो यह है कि उसने भी इस मुकाम
पर पहुंचने के लिए अत्यधिक परिश्रम किया है.

और वह लोग आज भी परिश्रम कर रहे हैं। परिश्रम से ही जीवन में सफलता पाई जा सकती है। परिश्रम से पाई की सफलता का व्यक्ति आनंद उठा सकता है

जबकि बेईमानी और चापलूसी से प्राप्त की सफलता लंबे समय तक नहीं रहती है और इससे व्यक्ति
कभी खुश नहीं रह सकता है।

जब व्यक्ति परिश्रम करना छोड़ देता है तो वह गुलामी की और चला जाता है । वह सोशल मीडिया और
मोबाइल फोन के जाल में फंस जाता है और उसे पता भी नहीं चलता है कि वह इन चीजों का गुलाम हो
चुका है।

प्राचीन समय से देखे तो भारतीय समाज में लोग अत्यधिक परिश्रमी थे लेकिन जब धीरे-धीरे लोगों ने
परिश्रम करना छोड़ा तो आलस्य की प्रवृत्ति बढ़ गई इसी का कारण रहा कि हमारा देश अंग्रेजों का गुलाम
हो गया।

हमारे देश के महान विद्वानों जैसे राजा राममोहन राय स्वामी दयानंद सरस्वती स्वामी विवेकानंद
जैसे लोगों ने देश की जनता को वापिस जागृत किया। भारत अपने लंबे संघर्ष के बाद अंग्रेजों से आजाद
हो पाया।

वर्तमान में हम देखते हैं कि समाज में अमीर वर्ग के लोग परिश्रमी लोगों को तुच्छ समझते हैं, और उनका
अपमान करते हैं। हम आए दिन सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो देखने को मिल जाते हैं जिनमें
अमीर पिता की लड़की किसी सिक्योरिटी गार्ड को गाली देती है और थप्पड़ मारती है।

इससे पूरे परिश्रमी समुदाय को ठेस पहुंचता है। देश के विकास में परिश्रमी लोगों का अत्यधिक योगदान होता है। जितने भी जमीन से जुड़े कार्य होते हैं यह लोग बहुत परिश्रम करते हैं। हमें ड्राइवर, मैकेनिक, होटल वेटर, चपरासी ,मजदूर जैसे लोगों का कभी अपमान नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह लोग सच्चे तरीकों से पैसा कमाते हैं।


वर्तमान में दुनिया की के बहुराष्ट्रीय कंपनियों के ceo भारतीय है । इसका बहुत बड़ा कारण यह है भारतीय
मेहनती होते हैं ।और इसी कारणवश मुकाम तक पहुंचते हैं। अगर आपको जीवन में किसी भी क्षेत्र में
सफल होना है तो इसके लिए आपको निरंतर परिश्रम करना ही पड़ेगा ।

व्यक्ति को यदि स्वाभिमान के साथ जीवन जीना है तो उसे परिश्रमी बनना ही पड़ेगा। परिश्रम से ही व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में कुशलता
प्राप्त कर सकता है। हमे हमेशा परिश्रमी व्यक्ति का समाज में सम्मान करना चाहिए क्योंकि यदि हम

उनका सम्मान नही करेगे तो लोग परिश्रम का रास्ता छोड़कर छल कपट से पैसे कमाने के रास्ते खोजेंगे,
जो समाज के लिए ठीक नहीं होगा।

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