बैसाखी पर निबंध | Essay On Baisakhi In Hindi- बैसाखी सिक्ख धर्म के लोगो का प्रमुख त्यौहार है. इसे हिन्दू धर्म के लोग भी मनाते है. ये पर्व हर साल 13 या 14 अप्रैल को मनाया जाता है. आज के आर्टिकल में हम बैसाखी पर्व के इतिहास, महत्व तथा इसके बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे.
बैसाखी पर निबंध | Essay On Baisakhi In Hindi
भारत को त्योहारों का देश कहा जाता हैं. यहाँ हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी धर्मों के लोग यहाँ निवास करते हैं. सभी के अपने अपने पर्व त्यौहार एवं रीति रिवाज हैं.
बैसाखी अर्थात वैसाखी सिख समुदाय का बड़ा त्यौहार है जो अंग्रेजी माह के अनुसार प्रतिवर्ष 13 या 14 अप्रैल के दिन मनाई जाती हैं. बैसाखी का पर्व एक मौसम आधारित पर्व हैं, जिसे देशभर में बसने वाले हिन्दू एवं सिख भाइयों द्वारा मनाया जाता हैं.
बैसाखी एक प्रमुख भारतीय त्योहार है, जो विभिन्न नामों पर विभिन्न भागों में मनाया जाता है, जैसे कि वैसाखी, बैसकी, पोह, नूबैसाख, बैसखी, और रोहीणी, आदि। बैसाखी, भारत के उत्तर और पंजाब राज्य के प्रमुख त्योहारों में से एक है, और इसे प्रतिवर्ष 13 या 14 अप्रैल को मनाया जाता है।
यह त्योहार भारतीय उपमहाद्वीप के विभिन्न हिस्सों में खुशी और उत्सव के साथ मनाया जाता है, और इसका महत्व विभिन्न धर्मों और समुदायों में अलग-अलग होता है।
भारत के दो राज्य पंजाब तथा हरियाणा में इसका विशेष महत्व हैं. सिख समुदाय के अलावा भारत के अन्य जातीय एवं मत मजहब के लोग भी बैसाखी का उत्सव मनाते हैं. यह एक कृषि आधारित उत्सव है जो किसानों की फसल की कटाई के समय मनाया जाता हैं.
बैसाखी, भारतीय उपमहाद्वीप में मनाई जाने वाली एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो पंजाब और हरियाणा राज्यों में विशेष रूप से मनाया जाता है, लेकिन यह पर्व दूसरे भागों में भी उत्सव के रूप में मनाया जाता है. इसे आमतौर पर 13 या 14 अप्रैल को मनाया जाता है, और यह एक समृद्धि और खुशियों का पर्व होता है.
बैसाखी मात्र एक कृषि पर्व नहीं हैं बल्कि इसकी आस्था एवं परम्परा की दृष्टि से सिख धर्म से जुड़ा हैं. यह भाई चारे तथा एकता के प्रतीक पर्व के रूप में मनाया जाता हैं.
बैसाखी एक प्रमुख भारतीय त्योहार है, जो विशेषकर उत्तर भारत में पन्जाब और हरियाणा राज्य में मनाया जाता है, लेकिन यह त्योहार भारत के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न नामों और पर्व-पर्वों के रूप में मनाया जाता है. बैसाखी को पन्जाब में वैसाखी के नाम से भी जाना जाता है.
बैसाखी को खेतों में खेती के मौसम की शुरुआत के रूप में मनाया जाता है, और लोग अपने फसलों की खेतों में खेती करने के बाद इसे मनाते हैं. यह एक साथी सोंग और नृत्य का मौका भी होता है, और लोग रंगीन साड़ियां पहनते हैं और बड़े धूमधाम से नाचते-गाते हैं.
बैसाखी का त्योहार गुरु गोविंद सिंह द्वारा सिख धर्म को संगठित करने की घटना के उपलक्ष्य में मनाया जाता हैं. 1699 से लगातार यह पर्व मनाया जाता हैं इस तरह बैसाखी का पर्व खालसा पंथ के प्रकट दिवस के रूप में मनाया जाता हैं.
उत्तर भारत में बैसाखी पर्व को रीति रिवाजों के अनुसार ही मनाया जाता हैं. इस अवसर पर पवित्र नदियों में स्नान करने की परम्परा हैं. इस अवसर पर धर्मावलम्बी नयें कपड़े धारण करते हैं तथा घर में पकवान तथा व्यंजन भी बनाए जाते हैं. इस दिन बैसाखी मेला आकर्षण का मुख्य केंद्र होता हैं.
बैसाखी पर्व का हिन्दू धर्म से भी गहरा रिश्ता हैं. इसी दिन से हिन्दू नववर्ष की शुरुआत मानी जाती हैं. इस अवसर पर लोग स्नान तथा भोग व पूजन लगाते हैं. सिखों के गुरुद्वारों में इस अवसर पर कई प्रकार के धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं. मन्दिर गुरुद्वारों में दर्शन के बाद पवित्र ग्रंथों का पाठ किया जाता हैं.
Essay On Baisakhi In Hindi 2024
वैसाखी का पर्व हमारे देशभर में बड़ी धूमधाम के साथ किसानो के द्वारा मनाया जाता है. ये पर्व सभी धर्म के लोग मनाते है. ये पंजाब और हरियाणा में विशेष रूप से देखा जाता है. सिख लोग इसे अपना जन्मदिन मानते है.
वैसाखी को बैसाखी भी कहा जाता है. ये सामान्यतया किसानो द्वारा फसल की कटाई करने के बाद मनाया जाता है. इस पर्व को लेकर एक ओर कहानी प्रचलित है, कि ये अंतिम गुरु गोविन्द सिंह की याद में मनाया जाता है. क्योकि इसी दिन गोविन्द सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी.
इस दिन लोग अपनी पवित्रता के लिए पवित्र नदियों में स्नान करने जाते है. तथा अपने पापो का नाश करते है. इस दिन लोग नए कपडे पहनकर नए नए व्यंजन बनाते है. और खुशिया बांटते है.
ये पर्व भाईचारे और एकता का पर्व है. इस पर्व के अवसर पर मेले का आयोजन किया जाता है. जिसमे लाखो लोगो की भीड़ देखी जा सकती है. ये मेला नदी के किनारे होता है. जहा लोग नदी में स्नान करते है.
इस मेले का दृश्य अपने आप में मनोहर होता है. इस मेले में अनेक मिठाई, चाट, खिलौनों, फलों की दुकाने, झूले, लोग तथा नाटककार होते है. जो लोगो का मनोरंजन करते है. ये मेला अपने आप में धार्मिक तथा भाईचारे का उत्साह होता है.
वैसाखी के अवसर पर पुरुष और महिलाए सामूहिक रूप से नृत्य करते है. तथा डंडिया खेल खेलते है. जिसमे डंडी को उछालते है. पकड़ते है. इस प्रकार इस दिन काफी मौज मस्ती की जाती है. तथा सारी गम को भुला दिया जाता है.
प्रमुख रूप से इस पर्व का आनंद किसानो द्वारा लिया जाता है, जो अपनी फसल पक जाने की ख़ुशी जाहिर करते है. तथा इस पर्व को और भी बेहतर बनाते है. किसानो की ख़ुशी को देखकर हर किसी का मन खुश हो जाता है.
इस पर्व पर नृत्य के साथ साथ लोगो द्वारा बैसाखी की ख़ुशी के गीत भी गाए जाते है, जो बहुत ही मधुर और अच्छे होते है. वैसाखी गीत की राग हर किसी को इस पर्व का आनंद उठाने के लिए मजबूर कर देती है.
बैसाखी के इस पावन पर्व पर गाँवों में सभा होती है. तथा सभी लोग हंसी मजाक करते है. तथा एक दुसरे से मिलकर बधाईयाँ देते है. इस प्रकार एकता और भाईचारे की एक मिशल देखने को मिलती है.
शाम के समय में सभी लोगो के घर नए नए पकवान बनाए जाते है. तथा सभी एक दुसरे को अपने घर बुलाकर प्यार बांटते है. तथा एक दुसरे के घर जाकर भोजन करते है. और कटाक्ष को दूर करते है.
रात के समय में कई धार्मिक कार्यक्रम होते है. जिसमे भगवान के भजन तथा उपदेश और शिक्षा की बाते बताई जाती है. जिसे लोग अपने जीवन में ग्रहण कर अपने जीवन का उद्धार करते है.
इस सभा के भजन कीर्तन को सुनकर व्यक्ति अपने आप को खुश अनुभव करता है. तथा जीवन के सम्पूर्ण वैभव को भूलकर जीवन का आनन्द लेते है. और भगवान से अच्छे जीवन की कामना करते है.
वैसाखी सिक्ख धर्म के लोगो का त्योहार माना जाता है. पर हम सभी को मिलकर इस त्योहार को मानना चाहिए. तथा खुशिया बाँटनी चाहिए. खुशिया ही जीवन का सबसे महत्वपूर्ण लम्हा होता है. इसे बाटने से बढती है.
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