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जातिवाद पर निबंध | Essay on racism In Hindi

जातिवाद पर निबंध | Essay on racism In Hindi: नमस्कार फ्रेड्स आज के कास्टिस्म के इस निबंध में आपका स्वागत हैं. यहाँ हम जाति, जातिवाद क्या है इसके प्रमुख कारण अर्थ परिभाषा, इतिहास, दुष्परिणाम आदि के बारे में विस्तारित हिंदी निबंध भाषण अनुच्छेद यहाँ बता रहे हैं.

जातिवाद पर निबंध | Essay on racism In Hindi

जातिवाद पर निबंध | Essay on racism In Hindi

हमारे देश में जातिगत भेदभाव बहुत तेजी से विकसित हो रहा है. देश में जाति के आधार पर भेदभाव तथा साम्प्रदायिकता के आधार पर भेदभाव चरम बिंदु पर है.

भारतीय सामाजिक व्यवस्था में जाति एक महत्वपूर्ण यथार्थ है, जातिवाद संकुचित धारणा है जो समाज या राष्ट्र के विशेष हितों को विशेष महत्व न देकर जातिहित को सर्वोपरि मानता है तथा अपनी ही जाति के स्वार्थ की दृष्टि से सोचता है व व्यवहार करता हैं.

के एम् पणिक्कर के अनुसार जातिवाद राजनीतिकता में रूपांतरित एक जाति के प्रति निष्ठां हैं. समाजशास्त्री काका कालेलकर के अनुसार जातिवाद अंध और परिमित समूह भक्ति है, जो न्याय के सामान्य मानदंडों के औचित्य, नैतिकता तथा सार्वभौमिक भ्रातत्व की उपेक्षा करती हैं.

डॉ के एन शर्मा ने अपनी कृति भारतीय समाज एवं संस्कृति में लिखा है जातिवाद या जाति भक्ति एक ही जाति के व्यक्तियों की वह भावना है जो देश के समाज के सामान्य हितों का ख्याल न करते हुए केवल अपनी जाति के सदस्यों के उत्थान, जातीय एकता और जाति की सामाजिक परिस्थिति को दृढ करने हेतु प्रेरित करती हैं.

जातिवाद के विकास के प्रमुख कारण (The main reasons for the development of casteism)

  • वैवाहिक प्रतिबन्ध
  • यातायात एवं संदेश वाहन के साधनों का विकास
  • जातीय स्थिति को ऊंचा उठाने की लालचा
  • जजमानी प्रथा की श्रंखला की कमजोरी
  • औद्योगीकरण
  • भूमंडलीकरण
  • नगरीकरण
  • भौतिकवादी मनोवृत्ति की जातीय अहंकार से गठबंधन
  • जातियों की विभेदीकृत विकास
  • संस्कृतिकरण
  • जातीय संगठन
  • जाति का राजनीतिकरण
  • राजनीति का जातीयकरण
  • चुनावों में जातीय नारों का प्रयोग
एम् एन श्रीनिवास के अनुसार संस्कृतिकरण करने वाली जाति में जातिवाद की भावना पैदा होती है क्योंकि वह अन्य निम्न जातियों से स्वयं को श्रेष्ठ मानने लगती हैं.

जातिवाद के दुष्परिणाम (Side effects of casteism)

  • जातिवाद प्रजातंत्र के लिए घातक हैं.
  • राष्ट्रीयता के लिए घातक हैं.
  • औद्योगिक कुशलता में बाधक हैं.
  • सामाजिक समरसता को विखंडित करता हैं. 
  • सामाजिक गतिशीलता में बाधक है.
  • नैतिक पतन के लिए उत्तरदायी हैं.
  • जातीय हित के कारण भ्रष्टाचार जैसी समस्याएं पैदा हो गई हैं.
  • जातीय हित राष्ट्रीय हित को क्षति पहुंचाती हैं.

जातिवाद को दूर करने के उपाय (Measures to remove casteism)

  1. अंतरजातीय विवाहों को प्रोत्साहन
  2. उचित शिक्षा की व्यवस्था
  3. वैकल्पिक समूहों का निर्माण
  4. राष्ट्रीयता की भावना का विकास
  5. मूल कर्तव्यों के सस्कार को डालना
  6. जातीय समरसता एवं समन्वय की भावना का विकास करना
  7. प्रजातंत्रीय मूल्यों को बढ़ावा देना
  8. चुनावों में जातियों नारों के दुरूपयोग पर प्रतिबन्ध
प्रो धुरीए ने जातिवाद के निराकरण हेतु अंतर्जातीय विवाहों की वकालत की. डॉ राव ने वैकल्पिक समूहों के निर्माण को जातिवादी समस्या के समाधान के रूप में प्रस्तुत किया. इरावती कर्वे ने सांस्कृतिक समानता को जातिवादिता से छुटकारा दिलाने में महत्वपूर्ण उपाय माना हैं.

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