मकर संक्रांति पर निबंध | Essay on Makar Sankranti In Hindi
भारत त्योहारों का देश है यहां हर दिन कोई ना कोई त्यौहार मनाया जाता है रक्षाबंधन से लेकर कई तीज त्योहारों के बाद गणगौर तक विभिन्न त्योहार भारतीय संस्कृति की विविधता की अनोखी झलक अभिव्यक्त करते हैं देश के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न समुदायों के द्वारा अनेकों तरीकों से आपसी मेलजोल बढ़ाते हुए त्योहारों का आनंद उठाया जाता है
मकर संक्रांति का त्यौहार प्रत्येक वर्ष 14 जनवरी को देश के संपूर्ण हिस्से में धूमधाम से मनाया जाता है इसे देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है तमिलनाडु में इसे पोंगल कहते हैं तो केरल और कर्नाटक में सक्रांति के नाम से जाना जाता है वहीं असम में बिहू , हरियाणा व पंजाब में नई फसल के आगमन की खुशी में गुड़ी पड़वा नाम से जाना जाता है
मकर संक्रांति के दिन गुड़ तथा तिल का विशेष महत्व है इसके अलावा बहुत सारे पकवान भी बनाए जाते हैं पतंगबाजी का विशेष त्योहार मकर सक्रांति को माना जाता है इस दिन बच्चों से लेकर बूढ़े लोग भी पतंग उड़ाने का भरपूर आनंद लेते हैं दिन भर लोग अपनी छतों पर रंग बिरंगे पतंग उड़ाते हैं जिससे आकाश का विहंगम दृश्य देखने लायक और मनमोहक होता है
मकर संक्रांति का त्यौहार आपसी भाईचारे को बढ़ावा देने के साथ ही हमारी संस्कृति की जीवंतता को बनाए हुए हैं त्योहारों के द्वारा ही हमारी संस्कृति तथा इस के मूलभूत तत्व को टेक्नोलॉजी के युग में नवीन पहचान मिली है विश्व के कई देशों में भारतीय त्योहारों को मनाया जाने लगा है बहुत सारे पर्यटक भी त्योहारों को देखने के लिए अथवा त्योहारों के दौरान आयोजित होने वाले मेलों में भ्रमण के लिए भारत आते हैं तथा खूब लुफ्त उठाते हैं
शास्त्रों के पक्ष को देखें तो इस दिन से मकर राशि मे सूर्य चक्र का प्रवेश माना जाता है तथा मकर राशि के लोगों के लिए शुभ कार्यों का आरंभ होना स्वीकार किया गया है
मकर संक्रांति का त्यौहार सूर्य चक्र के अनुसार 13 जनवरी या 15 जनवरी को भी मनाया जा सकता है इस दिन पतंग उड़ाने का लोग खूब आनंद लेते हैं तिल तथा गुड़ का विशेष महत्व होता है तिलों के लड्डू भी बनाए जाते हैं तथा अधिकांश पकवानों में तिलों का प्रयोग किया जाता है देश के सभी हिस्सों में धूमधाम के साथ यह त्यौहार मनाया जाता है
मकर संक्रांति के दिन से सूर्य उत्तरायण की ओर मकर रेखा से आने लगता है जिससे उत्तरी गोलार्ध में दिन बड़े तथा रातें छोटी होने लगती है.