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छत्रपति शिवाजी पर निबंध | Essay on Chhatrapati Shivaji in Hindi

छत्रपति शिवाजी पर निबंध | Essay on Chhatrapati Shivaji in Hindi- नमस्कार दोस्तों आज के आर्टिकल में हम महान योद्धा, साहसी, पराक्रमी सेनानायक शिवाजी के बारे में जानेंगे. जिन्होंने मुगलों के खिलाफ संघर्ष कर मातृभूमि की रक्षा की.

छत्रपति शिवाजी पर निबंध | Essay on Chhatrapati Shivaji in Hindi

छत्रपति शिवाजी पर निबंध | Essay on Chhatrapati Shivaji in Hindi
छत्रपति शिवाजी हिन्दू धर्म के प्रमुख शासन थे.छत्रपति शिवाजी एक महान योद्धा तथा साहसी पुरुष थे.वे भय को समझते भी नहीं थे.इसलिए तो उन्होंने अपनी छोटी सी सेना के साथ मुगलों से संघर्ष किया और विजय भी प्राप्त की.शिवाजी स्वभाव से धार्मिक थे. वे अपनी माता का अनुसरण करते थे.वे एक सच्चे देश भक्त तथा सेनानायक भी थे.

छत्रपति शिवाजी राजे भोसले एक महान shasak और रणनीतिकार थे ,जिन्होंने 1674 ई. में पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी। इसके लिए उन्होंने मुगल साम्राज्य के शासक औरंगज़ेब से संघर्ष किया। सन् 1674 में रायगढ़ में उनका राज्याभिषेक हुआ और वह "छत्रपति" बने।

मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी थे। शिवाजी का जन्म 10 अप्रैल1627 में शिवनेरी किले में एक हिन्दू परिवार में हुआ.शिवाजी के पिता का नाम शाहजी भोंसले था.तथा माता का नाम जीजाबाई था.शिवाजी के जन्म के कुछ समाय पश्चात् शाहजी भोंसले ने दूसरी शादी कर ली पर जीजाबाई भी वापस आ गई.

शिवाजी का बचपन उनकी माता जीजाबाई के साथ बिता जीजाबाई धार्मिक महिला थी.जो कि धर्म में आस्था रखती थी.वे हमेशा अपने धर्म की रक्षा करती थी.तथा दुसरे धर्मो का सम्मान करती थी.शिवाजी ने ये गुण अपनी माता जीजाबाई से ही प्राप्त किये थे.

शिवाजी भी अपनी माता की धर्म एक धर्म रक्षक के रूप में सामने आए.पर इस समय देश पर मुगलों का साम्राज्य था.जो कि हिन्दू धर्म के लोगो को इसाई बनाने के लिए उनके साथ काफी जुल्म कर रहे थे.इसे शिवाजी सहन नहीं कर सकें. और मराठा सम्राज्य की स्थापना कर दी.

शिवाजी ने हिन्दुओ के साथ हो रहे अपराधो का बदला लेने की ठान ली.और मुगलों को देश से भागने का प्रण ले लिया.और अपनी छोटी से सेना के साथ शिवाजी ने मुगलों पर आक्रमण की योजना बनाई.

शिवाजी ने मुगलों की विशाल सेना से पूर्व छोटे-छोटे किलो को अपने वश में किया.शिवाजी के प्रभुत्व को देखकर मुग़ल सेना भी युद्ध के लिए तैयार हो गई.शिवाजी से चल करने के कई लोगो ने प्रयास किये पर सभी असफल ही रहे.

पर आख़िरकार शिवाजी को छाल में फंसना पड़ा और एक सेनानायक शिवाजी के पास चल के इरादे से आया था.पर शिवाजी ने इसकी छाल को समझ लिया और उसे मार डाला.

मामला या से खत्म नहीं होता है.इस बार मुग़ल दूसरी योजना बनाकर शिवाजी को फंसाने का प्रयास कर रहे थे.पर इस समय शान्ति संधि की गई थी.
 
इसके कुछ समय पश्चात मुग़ल शासन औरंगजेब ने शिवाजी को बंदी बनाने का आदेश दिया पर शिवाजी को बंदी कौन बना सकता था.सभी सेनानायको को मौत के घात उतार डाला.अब औरंगजेब ने नई तकनीक का सहारा लिया और शिवाजी के साथ चल कर उन्हें बंदी बनाया.पर कुछ समय तक बंदी रहने के बाद शिवाजी औरंगजेब की छपेट से भाग निकले.अब युध्द तो होना ही था.

मुगलों की कैद से निकलने के बाद उन्होंने दुबारा मुगलों पर आक्रमण करने की योजना बनाई.और तुरंत सेना तैयार की इसके बाद शिवाजी अपनी सेना के साथ जोश और नई उमंग के साथ मुगलों के किले की तरफ आगे बढ़े.

इसके बाद शिवाजी ने एक के बाद एक आक्रमण कर मुगलों को भागने के लिए मजबूर कर दिया.और एक बार फिर कई सालो बाद हिन्दू धर्म का सम्राज्य चलाया.शिवाजी रायगढ़ के शासक बने.

छत्रपति शिवाजी के हौसले तथा बल को आज भी प्रणाम किया जाता है.शिवाजी से बढाकर हमारे पुरे देश में कोई शासक नहीं हुआ.शिवाजी ने अपने साहस तथा अपनी सत्य के बल पर युद्ध लडे. और शिवाजी ने सबसे लम्बे अन्तराल बाद अपने साम्राज्य को प्राप्त किया था.

हमारे देश को मुगलों से मुक्त कराने में शिवाजी को श्रेय जाता है.शिवाजी ने मुगलों से जंग लड़कर उन्हें भागने के लिए मजबूर बनाया.इसी कारण आज तक शिवाजी को याद किया जाता है.

शिवाजी महाराज की वीरता- शिवाजी बचपन से ही वीर पुरुष तथा साहसी थे.उन्होंने अपनी शुरूआती जीवन में ही आदर्शवाद का अनुसरण किया. और मात्र 17 वर्ष की आयु में तोरण के किले पर हमला बोला और उसमे विजय पाने के बाद एक के बाद एक आक्रमण कर शिवाजी ने सन 1654 तक कोंकण तट पर कोंडाना, रायगढ़ किला और पश्चिमी घाटों पर अपना शासन स्थापित कर दिया.

इसके बाद शिवाजी के पिता को छल के माध्यम से बंदी बना दिया गया और शिवाजी के भाई संभाजी के विरुद्ध सेना भेज दी.पर शिवाजी और बीजापुर के सैनिको के बीच प्रतापगढ़ का महायुद्ध हुआ.इस युद्ध में शिवाजी ने विजय प्राप्त की.

इसके बाद 1674 में मुगलों के खिलाफ युद्ध जीतकर शिवाजी ने रायगढ़ के किले को  जीत लिया और इसके बाद शिवाजी ने अपने नाम के साथ में छत्रपति का उपाधि जो जोड़ दिया था.कई सालो के इंतजार के बाद शिवाजी ने एक बार फिर मुगलों को हारकर शासन बने और 6 वर्ष पश्चात 1680 में शिवाजी की मौत हो गई.

छत्रपति शिवाजी जयंती- छत्रपति शिवाजी के जन्म दिन के उपलक्ष में हर साल 19 फरवरी को महाराष्ट्र राज्य में परेड निकालकर छत्रपति शिवाजी की जयंती मनाई जाती है.

शिवाजी हिन्दू धर्म के अनुनायी थे.पर उनके धर्म सम्मान के चलते सभी धर्म के लोग इस जयंती में भाग लेते है.और शिवाजी को जन्मदिन की बधाईयाँ देते है.इस दिन अनेक कार्यकर्मो का आयोजन किया जाता है.तथा शिवाजी के गीतों का गान किया जाता है.

Essay on Chhatrapati Shivaji in Hindi

भारत के महान योद्धा सूर वीर शिवाजी महाराज ने अपने पराक्रम से सम्पूर्ण देश में अपना नाम कमाया तथा मुगलों को झुकने के लिए मजबूर किया. शिवाजी वे व्यक्ति थे, जिसके नाम से ही मुग़ल सैनिक काँप उठते थे.

शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1627 को मराठा परिवार में महाराष्ट्र राज्य के शिवनेरी में हुआ था. इनके पिताजी का नाम शाहजी तथा माता का नाम जीजाबाई था. जो धार्मिक पवृति की महिला थी.

शूरवीर शिवाजी के पिताजी नौकरी पर जाते थे, जिस कारण उनका प्रभाव कम पड़ा लेकिन हमेशा वे अपनी माता के पास रहा करते थे. जिससे उनमे भी माता की तरह ही धार्मिक गुण उत्पन्न हुए.

शिवाजी अध्यात्मिक शिक्षा तो अल्प ही कर पाए पर उनकी माता द्वारा उन्हें संस्कार और मानवता के वे सभी गुण सीखा दिए जो व्यक्ति के जीवन को महान बनाते है. शिवाजी में माता के माध्यम से वे सभी गुण बचपन में ही दिखने लगे जो एक व्यक्ति में होने चाहिए.

माता जीजाबाई ने एक गुरु तथा दोस्त की भाँती व्यवहार कर शिवाजी में बहादुर, दयालु, बुद्धिमान, शौर्यवीर, करुणा, प्रेम, त्याग, बलिदान तथा मानवता के संस्कार दिए. और उन्हें एक आदर्श व्यक्ति बनाया. जिस कारण वे अपने जीवन में अटल हिमालय की तरह रहे.

शिवाजी में बचपन से ही पराक्रम की कोई कमी नहीं थी, वे हमेशा से ही युद्ध के खेल खेला करते थे. वे अपने दोस्तों को शत्रु बनाकर खुद आक्रमण करते थे. इस प्रकार वे बचपन में ही इन कार्यो के बारे में जानते थे.

अपने लड़कपन में शिवाजी को कहानियाँ सुनना बहुत अच्छा लगता था, खासकर वे अपनी माता से रामायण तथा महाभारत की कहानिया सुना करते थे. तथा खुद को राम की तरह कृष्ण की तरह बनाने चाहते थे.

शिवाजी के मन में बचपन से ही देशभक्ति की एक झलक उत्पन्न होनी लगी. वे हमेशा अपने देश के बारे में सोचते थे. उन्होंने हमेशा अपनी मातृभूमि की रक्षा का प्रण लिया था. जिसे उन्होंने बखूबी निभाया.

शिवाजी को भारतीय स्वाधीनता संग्राम का नायक कहा जाता है. बाल गंगाधर तिलक ने शिवाजी के जन्म को मनाने की बात कही जिससे राष्ट्रीयता को जिन्दा रखा जा सके हर वर्ष शिवाजी की जयंती का आयोजन होता है.

14 मई सन 1640 को  साईबाई निबालकर के साथ शिवाजी का विवाह संपन्न हुआ. जिससे इन्हें संभाजी बेटे की प्राप्ति हुई. शिवाजी का राजतिलक 1674 को रायगढ़ में किया गया. वे एक श्रेष्ठ प्रशासक के रूप में राजा बने.

शिवाजी हिन्दू धर्म संस्कृति के प्रचारक रहे. शिवाजी ने अपने युद्ध कौशल का प्रयोग करते हुए. बीजापुर किले पर हमला किया तथा उसे जीत लिया. जिस कारण बीजापुर के शासक आदिलशाह ने शिवाजी को बंदी बनाने के असफल प्रयास किये.

आदिलशाह अपने गम को भुला न सका. वह जानता था, कि शिवाजी को युद्ध के माध्यम से हराकर किला वापस प्राप्त नहीं किया जा सकता है. इसलिए उसने कूटनीति का प्रयोग किया पर उसे विफलता हाथ लगी.

राजा आदिलशाह ने अपने सैनिक को भेजा तथा शिवाजी को धोखे से मारने का षड्यंत्र रचा जिसमे सैनिक को दोस्त बनकर रहने के लिए सलाह दी. राजा का सबसे श्रेष्ठ सैनिक शिवाजी के पास गया और अपने षडयत्र को अंजाम देने लगा. लेकिन शिवाजी न केवल युद्ध भूमि के पराक्रमी थे, वे मानसिक तथा बौद्धिक रूप से भी श्रेष्ठ थे.

राजा के सैनिक को मारकर वापस भेज दिया गया. और चेतवनी दी. पर आदिलशाह ने उनके पिताजी को गिरफ्तार कर दिया. जिस कारण शिवाजी को दुबारा हमला कर अपने पिताजी को बचाना पड़ा.

मुगलों में शिवाजी का खोप देखने को मिलता था. एक बार जब मुगलों ने हमले से शिवाजी को पकड लिया तो शिवाजी टोकरी में बैठकर भाग गए. जिस कारण मुगल इन्हें पहाड़ी चूहा कहा करते थे. वे पहाड़ो पर किसी को भी हमारे में समर्थ थे.

सन 1680 में महान योद्धा शिवाजी का स्वर्गवास हो गया. पर आज भी ये हमारे दिलो बचे हुए है. हमारे लिए एक प्रेरणा का साधन बने हुए है. इन्हें आज भी सम्मान की नजर से देखा जाता है.

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