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कचरे से होने वाले दुष्प्रभाव पर निबंध Essay on Side Effects of Waste In Hindi

कचरे से होने वाले दुष्प्रभाव पर निबंध- आधुनिक युग में प्रकृति के लिए सबसे बड़ा खतरा कचरा है.वे वस्तुए जिनकी उपयोगिता खत्म हो गई हो इन्हें हम कचरे की श्रेणी में शामिल करते है.आज के इस आर्टिकल में हम कचरे से होने वाले दुष्प्रभाव तथा इसके प्रबंधन के बारे में विस्तार से पढेंगे.

कचरे से होने वाले दुष्प्रभाव पर निबंध Essay on Side Effects of Waste In Hindi

कचरे से होने वाले दुष्प्रभाव पर निबंध Essay on Side Effects of Waste In Hindi

आज के ज़माने के लोग किसी की नहीं है.सुनते है.और अपनी मनमानी करते हुए.कचरे को फैलाते है.जिससे गन्दगी फैलती है.कचरा वह वस्तु होती है.जो हमारे लिए उपयोगी नहीं रहती है.आज के लोग कचरे को जगह जगह पर फेंक देते है.


जगह जगह पर कचरे के होने से अनेक बीमारिया जन्म लेती है.इसलिए सरकार ने कचरे के निस्तारण के लिए कचरा प्रबंध भी किया है.पर लोगो की जागरूकता के अभाव में कचरा नाम मात्र ही है.लोग को जागरूक करने के लिए अनेक कार्यक्रम चलाए जा रहे है.

कचरे से प्रकृति को भारी नुकसान होता है.और जब प्रकृति को हानि होती है.तो हमें इसका भुगतान भी करना पड़ता है.प्रकृति हमारे लिए एक सुन्दर परिवेश है.ये हमें अनेक सुविधाए देती है.इसलिए इसका सुरक्षा करना हमारा कर्तव्य है.कचरा हमारे लिए जहर के सामान है.


प्रकृति को प्रभावित करने में कचरा प्रमुख है.लोगो को समझाने के बाद भी इसका महत्व नहीं समझ रहे है.इसके अनपढ़ के साथ साथ कई शिक्षित लोग भी होते है.जो किसी की बिना सुने कचरा फ़ैलाने में लगे रहते है.इसलिए हमें ऐसे लोगो को कचरा प्रबंध के लिए जागरुक करना होगा.


हमारे घरेलु कचरे को हमें जगह जगह पर नहीं फैलाना चाहिए.हमें अपने घर में एक कचरा पात्र रखना चाहिए.जिसमे कचरे को डालना चाहिए.हर शहर तथा गाँवो में कचरे के निस्तारण के लिए गाड़िया लगाई गई है.जो घर घर सभी के कचरे को ले जाती है.


कचरे के इदर उदर डालने से कचरे पर अनेक जीवाणु तथा विषाणु पनपते है.जिससे अनेक बीमारियों से खतरा रहता है.तथा प्लास्टिक जैसे व्यर्थ कचरे को खुली जगह पर फैंक देने से उसे आवारा पशु खा जाते है.जिससे पशुओ की मौत भी हो सकती है.


कई लोग अपनी समझदारी को बताने के लिए कचरे को जलाते है.जिससे हानिकारक गैस निकलती है.जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है.इसलिए हमें कचरे को न जलना है.और न फैलाना है हमें कचरे को कचरा पात्र में ही डालना है.जिससे उसका निस्तारण किया जा सकें.


सरकार द्वारा प्लास्टिक बैग पर रोक लगा दी गई है.तो हमें सरकार के इस नियम का पालन करते हुए.प्लास्टिक का प्रयोग नहीं करना चाहिए.तथा प्लास्टिक का प्रयोग करने वालो को भी इसके लिए प्रेरित करना चाहिए.


हमें कचरे प्रबंध के प्रति लोगो की जागरूकता बढ़ाने के लिए लोगो को इसके नुकसान तथा होने वाले दुष्प्रभाव के बारे में समझाना चाहिए.कचरे से हमारा वातावरण भी गन्दा रहता है.यदि हम सब मिलकर कचरा प्रबंधन के लिए एकजुट होकर साफ सफाई को बढ़ावा दें.तथा गन्दगी को दूर भगाए तो हम निसंदेह रूप से अपने जीवन को आसानी से व्यापन कर सकते है.


कचरे से होने वाले दुष्प्रभाव :- Demerits Of Garbage

  1. कचरे से हमारा वातावरण दूषित होता है.जिससे गन्दगी को बढ़ावा मिलता है.और बीमारियों से खतरा बना रहता है.दूषित वातावरण से स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
  2. कचरे के निस्तारण के लिए लोग घरेलु उपाय के रूप में कचरे को जलाते है.जिससे वायु प्रदुषण बढ़ता है.तथा वातावरण में जहरीली गैस फ़ैल जाने के कारण हमें अनेक बीमारियों का शिकार होना पड़ सकता है.
  3. प्लास्टिक को जलाने से हानिकारक गैस कार्बन उत्पन्न होती है.जिससे हमारी प्रकृति तथा ओजोन परत को भारी नुकसान हो रहा है.ओजोन परत को ज्यादा क्षति पहुँचाने से सूर्य से आने वाली हानिकारक पैराबंगनी किरणे सीधे हमारे वातावरण में प्रवेश करेगी.जिससे हमें तथा हमारे पर्यावरण को अनेक कष्ट सहने पड़ेंगे.
  4. कचरे से फैलने वाली कार्बन से हमें कैंसर, जेनेटिक डिजीज, चर्म रोग, सांस की बीमारी, एनिमिया, दांत, दमा, टीबी जैसी अनेक जानलेवा बीमारियों का शिकार होना पड़ सकता है.
  5. एक जगह कचरे को इकठ्ठा रखने से उसमे बैक्टीरिया,जीवाणु विषाणु तथा न जाने अनेक जीव बैठते है.जिससे हमें मलेरिया,डेंगू,जॉन्डिस तथा डायरिया आदि अनेक घातक बीमारियों से खतरा रहता है.इसलिए कचरे को इकठ्ठा न होने दें.
  6. सड़े कचरे से नई बीमारियों का जन्म हो सकता है.
  7. कचरे से पारिस्थितिकी तंत्र और स्वास्थ्य प्रभावित होते है.
  8. कांच या कांच के टुकडे को जगह जगह पर नहीं फेंके.कांच की वस्तुओ के लिए कचरा पात्र बनाया गया है.उसमे कांच की वस्तुओ को डाले.
  9. कचरे को नदियों में डालने से बचाए.कचरे से नदियों का जल दूषित होता है.तथा इससे जलीय जीवो पर संकट मडराता है.
  10. कूड़ा कचरा भूजल तथा मृदा को विषाक्त बनाता है.
कचरा प्रबंधन के उपाय Waste Management Measures
  1. प्लास्टिक का प्रयोग कम करें.तथा जहाँ तक संभव हो इसका प्रयोग न करें.
  2. प्लास्टिक का पुनः प्रयोग करें.
  3. कूड़े कचरे को इदर उदर नहीं फैलाए कचरे को कचरा पात्र में ही डाले.
  4. कचरे के निस्तारण के लिए उसे न जलाए.हमेशा कचरे को कचरे वाली गाड़ी में डाले.
  5. कचरा प्रबंधन के लिए सरकार द्वारा बनाए गए नियमो का पालन करें.
  6. सभी नागरिको को कचरा प्रबंधन के लिए जागरूक बनाए.
  7. अपने आस-पास की नदिया नालो को साफ रखे.जिससे जल इकठ्ठा ना हो.
  8. कचरे से उर्जा प्रदान करने वाले सयंत्रो का ज्यादा उपयोग किया जाए.
  9. ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाए.
  10. हमारे लिए परेशानी बन रहे कचरे को सयंत्रो की सहायता से मूल्यवान चीजो में बदला जाए.
अपशिष्ट प्रबंधन की विधियाँ

लैंडफिल- इस प्रक्रिया के दौरान कचरे के निस्तारण के लिए उसे इकठ्ठा कर शहर या गाँव से दूर किसी सुनसान जगह पर बड़े गढ्ढे में डालकर रखा जाता है.लोगो को मानना है.कि कचरे को सुरक्षित रखकर नए सयंत्रो के अविष्कार के बाद इसी कचरे से उपयोगी वस्तुओ का निर्माण किया जाएगा.

इंसीनरेशन- आज कचरे निस्तारण के लिए सबसे ज्यादा उपयोगी विधि इंसीनरेशन को माना जाता है.इस विधि के दौरान कचरे को तेज ज्वाला में डालकर जला दिया जाता है.जिससे कचरा हमेशा-हमेशा के लिए पूर्ण हो जाता है.पर इससे अनेक विषैली गैसे उत्पन्न होती है.जो हमारे लिए हानिकारक है.

यरोलिसिस- इस विधि के द्वारा कांच,लोहे की वस्तुए तथा अन्य ठोस पदार्थ जो कभी ख़त्म नहीं होते है.ऐसे पदार्थो के निस्तारण के लिए यरोलिसिस विधि उपयोगी है.इस विधि के दौरान पदार्थो को विघटित किया जाता है.जो कि सबसे श्रेष्ठ उपाय है.

प्लास्टिक से सड़क का निर्माण करना- प्लास्टिक का सही उपयोग कर हम इसे उपयोगी बना सकते है.आज सड़को की जरुरत बढ़ती जा रही है.इसलिए अनेक जगहों पर सडको का कार्य प्रगति में है.सड़क निर्माण में डामर की जगह यदि प्लास्टिक का प्रयोग किया जाए तो भी सड़क का निर्माण किया जा सकता है.

प्लास्टिक से सड़क बनाना हर किसी को आश्चर्य में डाल देता है.पर हमारे देश में भी प्लस्टिक द्वारा सड़क का निर्माण किया जा चूका है. पहली बार प्लस्टिक से 30 नवंबर 2011 को बाग जमशेद स्कूल से जुबली पार्क तक सड़क का निर्माण किया गया था.आज भी हमें इस प्रकार से प्लास्टिक का सदुपयोग करना है.

कंपोस्टिंग -ग्रामीण किसानो द्वारा अपने खेत में खाद की जरुरत होने पर किसान एक बड़ा गढ्ढा खोदकर उसमे कूड़ा कचरा डालते है.कुछ महीनो की अवधि के बाद जब खाद की जरुरत होती है.

तब इस गढ्ढे को खोला जाता है.और तब तक कचरा एक खाद का रूप ले चुकी होती है.इससे हमें दो लाभ होते है.कचरे का निस्तारण भी होता है.तथा खाद की आपूर्ति भी हो जाती है

हमारे देश में कचरे को लेकर जागरूकता बहुत कम है.लोग कचरे को जहाँ मर्जी डाल देते है.और हमारे सरकार के भी इतने कठोर नियम नहीं है.और व्यवस्था का अभाव होने के कारण कचरे का फैलाव एक पहाड़ की तरह बड़ा हो जाता है.और इस पर लोग कचरा जमा करते जाते है.और इस प्रकार कचरे का बड़ा धब्बा बन जाता है.

कचरे का पहाड़ खड़ा होने पर उस पर अनेक कीड़े मकोड़े जीवाणु बैठते है.जिससे अनेक बीमारियों के फैलने का डर बना रहता है.सरकार तथा सभी नागरिको की सामान सक्रियता के बिना कचरे का निस्तारण नहीं किया जा सकता है.इसलिए सभी मिलकर कचरे की इस समस्या का समाधान करें.

हमारे देश की सबसे पवित्र नदी गंगा आज कचरे के कारण सबसे गन्दी नदी बन गई है.कचरे का नदी में डालने से ही आज गंगा की सफाई के लिए अभियान चलाने की जरुरत पद रही है.नदिया हमारे लिए जल का सबसे बड़ा स्रोत है.इसलिए इसे कचरे से मत भरें.

कचरे को हमेशा कचरे पात्र में ही डाले तथा प्लास्टिक जैसी वस्तुओ को न खरीदी कचरा हो कचरा पात्र में सभी में जागरूकता फैलाए.कचरा ही सबसे बड़ी समस्या है.इसका निवारण ही समस्त बीमारियों का निवारण है.

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