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कबूतर पर निबंध | Essay on Pigeon in Hindi

कबूतर पर निबंध | Essay on Pigeon in Hindi:- कबूतर और इंसानों का रिश्ता नया नहीं है बल्कि यह तब से एक दूसरे के साथी है जब दुनिया में टेक्नोलॉजी क्षेत्र का विकास नहीं हुआ था और लोग अपने खत फोन पर उंगलियों से टाइपिंग करके नहीं बल्कि कबूतर के जरिए भेजा करते थे। 

अपने पहले प्रेम की पहली चिट्ठी साजन को देने के लिए कबूतर का ही इस्तेमाल किया जाता था, उस वक्त यह माध्यम ट्रेंड में था। कबूतर इसके लिए फीस नहीं लेता था यानी दुनिया की पहली फ्री मैसेजिंग सर्विस कबूतर की खास प्रजातियों ने ही शुरू की थी। 

कबूतर पर निबंध | Essay on Pigeon in Hindi

कबूतर पर निबंध | Essay on Pigeon in Hindi
Pigeon यानी की कबूतर विश्व के हर कोने में पाए जाने वाला पक्षी है। सवेरे की शांत माहौल में गुटुर्गु करते यह पक्षी के कई प्रजातियां दुनिया भर में अभी भी मौजूद है जिनके अलग अलग आकार हैं।

कबूतरों में रास्ता पहचानने की कला होती है जिसके कारण यह एक बार में ही अपने घर तक का रास्ता कभी नहीं भूलती। कबूतर आसमान में काफी ऊंचाई भर सकती है।

कबूतरों को अगर इंसानों से तुलना की जाए तो कबूतरों में सुनने की क्षमता काफी अधिक होती है यह कम फ्रीक्वेंसी वाली आवाजों को भांप जाती है ताकि आने वाले तूफान से खुद को बचा सकें। 

कबूतर के बारे में जानकारी 10 लाइन

1. पूरे विश्व भर में एक अनुमानित आंकड़ों के अनुसार कुल 40 करोड़ कबूतर मौजूद है।

2. कबूतर 6000 फीट ऊंची उड़ान भर सकते हैं।

3. कबूतर की स्पीड मापेंगे तो पाएंगे इसकी स्पीड 160 किलोमीटर प्रति घंटे की है। 

4. कबूतरों में सुनने और देखने की क्षमता इंसानों की तुलना में बेहद अधिक होती है। यह 26 मील दूर चीज को भी देख सकते हैं। दूर से आती आवाजों को भी समझ सकते है। 

5. कबूतरों का अमूमन जीवन काल मात्र 6 साल तक का ही होता है लेकिन सही तरीके इन्हें अपने बच्चों की तरह पाला जाए तो इनकी उम्र 10-15 वर्ष तक रहती है। 

6. कबूतर में एक अद्भुत शक्ति होती है यह 2000 किलोमीटर तक अपना रास्ता नहीं भूलता।

7. कबूतरों की प्रजाति में नर और मादा कबूतर दोनों ही चूजों को दूध देने में सक्षम हैं। इस दूध को क्रॉप मिल्क कहा जाता है। 

8. कबूतर और इंसानों का रिश्ता 5000 साल से भी ज्यादा पुराना है, यह इंसानों की शकल को काफी समय याद रख सकते हैं। 

9. कबूतरों की संख्या कम हो जाए तो वे बच्चे पैदा करके बराबर कर लेते हैं। 

10. कबूतर एक बार में दो अंडे दे सकते हैं। 

कबूतर के बारे में निबंध

प्रस्तावना

कबूतर आसमान में उड़ने वाली ऐसी प्रजाति है जो अपनी गुटरगु की आवाज से आसमान की रौनक को चकाचौंध कर देती है। इनकी गुटरगू कानों में एक मधुर संगीत के मुनासिव बेहद आरामदायक एहसास करवाती है।

दिखने में बेहद सुंदर कबूतर अक्सर एक गुट के साथ ही आसमान में उड़ती हैं। लोग इसको काफी समय से पालते भी आ रहे हैं। लेकिन यह कबूतर आजाद ही बेहतर लगते हैं। इंसानों से तो इसका इतना खास नाता है की हमारे कॉन्फिडेंशियल मैसेज पहले कबूतर के जरिए भेजे जाते थे। 

कबूतर के रंग

हर उड़ने वाली पक्षी को कबूतर नहीं कहा जाता। कबूतरों की कई तरह के प्रजाति हैं और हर प्रजाति के विभिन्न रंग। हर रंग में कबूतर बेहद ही खूबसूरत दिखते हैं। अमूमन कबूतर सफेद और स्लेटी रंग में ज्यादा पाए जाते हैं और यहीं रंग वाले कबूतरों की प्रजाति भारत में भी उपलब्ध हैं।

सफेद कबूतर ही ज्यादातर पिंजरों में घरों में पाए जाते हैं दरअसल इसकी वजह उनका सफेद रंग का होना भी है। सफेद रंग शांति का प्रतीक होता है सफेद कबूतर को भी शांति का प्रतीक कहा जाता है। स्लेटी रंग वाले कबूतर जंगल में ज्यादातर पाए जाते हैं।

निष्कर्ष 

हर अच्छी खूबसूरत वस्तु को पिंजरे में डालना उचित नहीं। कबूतर आसमान में उड़ते हुए बेहद बेहतरीन लगते हैं। अपने गुटरगुन की आवाज से सबका मन मोह लेना यह कबूतरों को बहुत अच्छे से आता है।

सफेद रंग और स्लेटी रंगों में कबूतर दुनिया भर में हर जगह मौजूद हैं। लेकिन इसके बावजूद हम इंसान इनकी प्रजातियों को होर सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं।

जैसे की इनके लिए हर इंसान को अपने घरों की छत पर पानी और कुछ दाने जरूर डालना चाहिए। इससे इंसान एक पुण्य का काम को अंजाम देगा। ऐसे कामों से इंसान को कभी भी किसी भी समय पीछे नहीं हटना चाहिए। 

Essay on Pigeon in Hindi

प्रस्तावना

कबूतर एक ऐसा आसमान में उड़ने वाला प्राणी है,जिसे देख हर इंसान चहक जाता था। सुबह की सूरज निकलने के साथ ही इनका जमावड़ा घरों की छतों पर होता है और इंसानों के हाथों में दाना डालने का आनंद।

लेकिन अब यह बात आज के समय की नहीं लगती जो सच भी है यह बातें आज के समय की नहीं बल्कि उस समय की हैं जब टेक्नोलॉजी से लोगों का मेल तो हुआ था लेकिन जुड़ाव नहीं। 

समय तेज दौड़ता है किंतु इतना भी तेज नहीं की कल की बात को आज भूल जाएं। आज के वक्त में लोगों के पास समय होने के बावजूद वह इन चीजों को अपने दिनचर्या से निकाल रहे हैं।

कबूतरों को दाना देना उनके लिए घरों की छतों पर पानी रखने का ट्रेंड यूं तो पुराना है किंतु अभी भी चलन में हैं लेकिन आज के समय में इसको हम निकाल रहे हैं। जिसके कारण कबूतरों की संख्या में भी गिरावट हो रहीं हैं किंतु इनकी करोड़ों में होने के कारण इनकी कमी का एहसास नहीं हो पाता।

कहां हो रही है गलती

सबसे बड़ी गलती हमसे यह हो रही है की हमने अपनी अच्छी आदतें बदल दी है। छत पर पानी और कुछ दाना न डालने से हम बेहद बड़ी गलती करते हैं। ग्लोबल वार्मिंग के कारण धरती के प्रत्येक जगहों का टेंपरेचर बढ़ गया है। 

ऐसे में कबूतर जैसे प्राणियों को भी प्यास लगती है उनके लिए पानी प्राप्त करने का साधन एक मात्र यही होता था किंतु अगर हम नहीं रखते हैं तो उनके लिए पानी और भोजन का साधन प्राप्त करना मुश्किल हो जाता है। 

दूसरी सबसे बड़ी गलती इंसान करता है टेक्नोलॉजी का हद से ज्यादा इस्तेमाल। इस बात को हालांकि गलत नहीं ठहराया जा सकता की मोबाइल फोन ने हमारी लाइफ को आसान कर दिया है किंतु इस छोटे से डिवाइस के अधिक इस्तेमाल से कबूतरों को जो नुकसान होता है उसको भी झुठलाया जाना मुमकिन नहीं। 

मोबाइल फोन के इस्तेमाल से निकलने वाला रेडिएशन सिर्फ इंसानों को ही नहीं बल्कि ज्यादातर यह आसमान में उड़ने वाले जीवों को काफी हानि पहुंचाती है, जिसमें कबूतर भी शामिल हैं। 

निष्कर्ष

कबूतर और इंसानों के बीच दोस्ती बेहद पुरानी है। कहा जाता है की कबूतर और इंसान एक दूसरे के जितने करीब आज हैं उतने ही करीब 5000 साल पहले भी थे हालांकि कुछ तो इस रिश्ते की नींव को 10,000 साल पूर्व का भी बताते हैं।

कबूतर ने तो अपनी दोस्ती बखूबी निभाई है चिट्ठियां जब भेजनी होती थी तब कबूतरों का ही इस्तेमाल होता था। लेकिन कबूतर बदले में कुछ नहीं चाहती तो हम इंसान उनके लिए छत पर पानी और दाने डाल कर अपने हिस्से की दोस्ती निभा सकते हैं। 

साथ ही साथ मोबाइल फोन वहीं लें जो सरकारी मापदंडों को फॉलो करते हों। जो रेडिएशन कम छोड़ते हो, वही फोन अपनाएं। मोबाइल फोन में *#07# डायल करने से फोन की SAR value बताई जाएगी अगर आपके फोन की SAR value 1.6w/kg से ज्यादा है तो उसे तुरंत बदलें। यह भारतीय सरकार द्वारा रेडिएशन का तय मापदंड है। 

कबूतर पर निबंध | Essay on Pigeon in Hindi

प्रस्तावना

कबूतर एक ऐसा आजाद पंछी है जो आसमान में पंख फैलाए उड़ता तो खुद के लिए हैं लेकिन यह इंसानों को बहुत बड़ी सीख दे जाते हैं। कबूतर कभी भी उड़ते समय आसमान में अकेला नहीं दिखेंगे वे गुट में ही उड़ते हुए मिलते हैं। 
हम इंसान यह कभी नहीं समझ पाए की "एकता में बल हैं" लेकिन यह कबूतर बिना पढ़ें यह सब बातें जानते हैं। सुबह के समय खुले आसमान में गुट में गुटार्गुन करते यह कबूतर सभी इंसानों के भीतर अपनी तरह बनने की ओर अग्रसर करती हैं। 

इन्हें देखकर यह इच्छा होती है की बस हम भी कबूतर बन जाएं उड़ते रहें गाते रहें। अपने सपनों के आसमान को छू सकें। किन्तु जितना दिखता है उतनी आसान लाइफ कबूतरों की भी नहीं होती।

मात्र 6 साल तक जीवित रहने वाले कबूतरों को अपने बच्चों के लिए अपने परिवार के लिए और स्वयं के लिए बेहद चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। पुराने समय में इंसानों के संदेहवाहक कबूतर के ढेरों प्रजातियां विश्व भर में मौजूद हैं। जिनकी कुल संख्या करोड़ों में आंकी गई है। 

कबूतरों की कुछ खास प्रजातियां

यूं तो हर कबूतर अपने आप में खास हैं और इनकी प्रजातियां ढेरों मौजूद है। लेकिन कुछ प्रजातियों के बारे में सभी को जानकारी प्राप्त होना जरूर बेहतर है। 

Pink necked Green Pigeon 

यह कबूतर मीडियम साइज का होता है। अपने नाम की तरह यह कबूतर पिंक रंग के गर्दन और हरे रंग के पंख के साथ आता है। इसका वजन 105 से 160 ग्राम के मध्य रहता है। 

Voorburg Shield Cropper

यह बेहद ही फैंसी कबूतर है जो की नीदरलैंड देश में पाए जाते हैं। यह कबूतर यूं तो मीडियम साइज का ही रहते हैं लेकिन इनके अपीयरेंस की वजह से बाकी कबूतरों से थोड़े बड़े लगते हैं। 

Homing Pigeons

फिल्म मैंने प्यार किया का गाना 'कबूतर जा जा जा' में इसी तरह के कबूतर ने भाग्यश्री और सलमान खान को मिलाया होगा ऐसा प्रतीत होता है। दरअसल एक वक्त सभी कबूतरों और कई प्रजातियों पर अध्ययन किया गया था जिसमें पाया गया कि homing Pigeons अपने घर का रास्ता कभी नहीं भूलती थी। 

Victoria Crowned

इस कबूतर की पहचान इसके सर पर बना मुकुट है तभी इसको विक्टोरिया क्राउन कहा जाता है। अमूमन इस कबूतर का साइज 73 से 75 सेंटीमीटर होता है। वजन इसका 3.5 किलो का होता है। 

Lahore Pigeon

यह कबूतर लाहौर से अब ईरान में ले जाया गया। साल 1880 के करीब इस कबूतर को जर्मनी ले जाया गया। यह लाहौर में मिलते बाकी कबूतरों के मुकाबले काफी बड़ी है। यह 26 सेंटीमीटर टॉल है तो 29 सेंटीमीटर लॉन्ग है। 

वैसे तो कबूतरों की अन्य कई प्रजातियां हैं लेकिन यह कुछ पांच प्रजाति बेहद पॉपुलर हैं। आगे हम जानेंगे कबूतरों की हिस्ट्री। 

कबूतरों का इतिहास

कबूतरों और इंसानों का रिश्ता कहा जाता है बेहद ही पुराना है किंतु इन दोस्ती या रिश्ता का पैमाना सिद्ध करना चाहेंगे तो उसके लिए मिस्त्र जाना होगा। कबूतर को पालतू बनाए जाने का सबसे पुराना उल्लेख मिस्त्र में ही हुआ है। मिस्त्र के पांचवे राजवंश ने कबूतर को पालतू पक्षी के तौर पर रखा था। 

इसके अलावा बगदाद के सुल्तान ने 1150 ईसवी में कबूतरों के जरिए संचालित डाक सेवा का प्रारंभ किया था। 1848 की क्रांति के दौरान यूरोप में लेटर भेजने का कार्य कबूतरों को ही सौंपा गया था.

1849 में बर्लिन व ब्रूसेल्स के बीच टेलीग्राफ़ सेवा खत्म होने पर कबूतरों को ही एक दूसरे को संदेश भेजने के रुप में इस्तेमाल किया गया था। 20 वीं शताब्दी में भी युद्धों के दौरान कबूतरों को इमरजेंसी खत या यूं कहें अलर्ट करने के लिए लिखे हुए खत ले जाने के लिए इस्तेमाल किया गया।

निष्कर्ष

कबूतर में कई तरह की प्रजाति हैं और हर प्रजातियों की खासियत भिन्न हैं। लेकिन सभी में एक चीज बेहद आम हैं वह है इनकी सुंदरता। बेहद ही सुंदरता और शांति का प्रतीक कबूतर काफी समय से इंसानों का साथ निभाते आई है।

संदेश भेजने में सबसे बड़ा योगदान कबूतरों का ही है। कबूतर ही एक मात्र पक्षी है जिसने मिरर टेस्ट पास किया हुआ है यानी शीशे में खुद को देखकर पहचान जाना। कबूतर ठंडे इलाको को छोड़ हर जगह पाई जाती हैं। सभी जगह भिन्न भिन्न आकार में इनका वास होता है। 

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