कालिदास पर निबंध | Essay on Kalidas in Hindi- संस्कृत प्राचीनतम भाषाओ में से एक है. इसके अनेक कवि हुए, उनमे से एक है, आदिकवि कालिदास जी जो अपने लेखन तथा कार्यशक्ति के लिए सबसे प्रसिद्ध कवियों में से एक है. आज के आर्टिकल में हम कालिदास के बारे में जानेंगे.
कालिदास पर निबंध | Essay on Kalidasa in Hindi
कालिदास संस्कृत भाष के महान कवि लेखक तथा एक कुशल नाटककार भी थे. कालिदास जी के लिखने का ढंग तथा भाषा शैली हमें बहुत अच्छी लगती है. इनकी अनेक रचनाए प्रसिद्ध है, जिसमे अभिज्ञानशाकुन्तल सबसे प्रमुख है.
कालिदास जी का जन्म 1 पहली शताब्दी से 3 शताब्दी के मध्य माना जाता है. इनके जन्म से लेकर अनेक मत है. कई मान्यताए इनका जन्म उज्जैन में कई मान्यताए उत्तराखंड में इनका जन्म बताती है. माना जाता है, कि कालिदास चन्द्रगुप्त के समकालीन थे.
कालिदास एक श्रेष्ठ गायक भी थे. ये अपनी लेखनी को गेय ले के हिसाब से लिखते थे. इनकी रचनाओ को एक बार पढने वाला मनमुग्ध हो जाता है. इनकी भाषा में श्रेष्ठता दिखती है. जिस कारण इन्हें कई लोग राष्ट्रीय कवि बनाने की मांग भी कर रहे है.
राजा चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के दरबारी नौ रत्नों में से कालिदास प्रमुख थे. ये एक संगीतकार, नाटककार और महाकाव्य रचयिता भी थे. इन्होने संस्कृत भाषा में लेखन का कार्य किया.
इनकी लेखनी का साहित्य में विशेष स्थान है. इनका मेघदूत सबसे उत्कृष्ट कथा मानी जाती है. जिसे पठने वाले लोग प्रकृति प्रेम और प्यार की अभिव्यक्ति से मन मोहित करते है.
कालिदास संस्कृत भाषा के ज्ञानी और प्रखंड ज्ञाता थे. अभिज्ञान शाकुन्तलम्, मालविकाग्निमित्र, रितु समहारा, रघु वंस, कुमारसंभवम् और मेघदूत आदि ने इन्हें खूब लोकप्रियता दिलाई.थी.
कालिदास, भारतीय साहित्य का एक महत्वपूर्ण कवि है, जिन्होंने अपनी अत्यंत कुशलता और कला के साथ संस्कृत साहित्य को नया आयाम दिया। उनका जीवन और काव्य ग्रंथों के माध्यम से उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को समझने के लिए हम विस्तार से विचार करेंगे।
कालिदास का जन्म और काव्य: कालिदास का जन्म और निधन के बारे में सटीक जानकारी नहीं है, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार उनका जन्म 4वीं या 5वीं सदी के आस-पास हुआ था। उनका उल्लेख गुप्त राजवंश के समय के राजा चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के दरबार में मिलता है। वे महान शिक्षाविद् और कवि थे और संस्कृत काव्य शास्त्र के माहिर थे।
कालिदास के प्रमुख काव्य ग्रंथ हैं "कुमारसम्भव," "रघुवंश," "मेघदूत," "ऋतुसंहार," और "शाकुन्तला"। "कुमारसम्भव" में वे हिंदू देवी-देवताओं के जन्म कथाओं को सुंदरता के साथ प्रस्तुत करते हैं। "रघुवंश" में वे भगवान राम के वंश की महाकाव्यिका कथा को लिखते हैं।
कालिदास जी ने जीवनभर अनेक रचनाए की जिसमे श्यामा दंडकम् , श्रंगार रसाशतम् , श्रुतबोधम् , कपूरमंजरी , पुष्पवाण विलासम् , ज्योति विद्याभरणम् , सेतु काव्यम् , श्रृंगार तिलकम् आदि प्रमुख रही.
"मेघदूत" में एक मेघ (बादल) द्वारा दूर के प्रेमी को उसकी प्रेमिका के पास भेजने की कथा है, जो अत्यंत सुंदर विवरण के साथ प्रस्तुत की गई है। "ऋतुसंहार" में उन्होंने ऋतुओं की सुंदरता और उनके प्रकृति असर को वर्णन किया है। "शाकुन्तला" उनके सबसे प्रसिद्ध नाटक है, जिसमें उन्होंने एक प्रेम कथा को रचनात्मक रूप से प्रस्तुत किया है।
कालिदास की कला: कालिदास के काव्य ग्रंथों में उनकी अत्यंत कला और रसभावना का प्रतीक्षा मिलता है। उनकी भाषा और छंद छंदविद्या की श्रेष्ठ उदाहरण हैं और उन्होंने संस्कृत काव्य शास्त्र के सिद्धांतों का पालन किया। उनके काव्य ग्रंथों में प्रेम, प्राकृतिक सौंदर्य, और भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को चित्रित किया गया है।
महाकवि कालिदास की रचनाओ में प्रकृति का एक सुन्दर दृश्य की अनुभूति होती है. इनकी रचनाओ में हमें प्रकृति की जीवन्तता नजर आती है. जब भी संस्कृत के कवियों की बात की जाएगी तो सबसे पहला नाम कालिदास का लिया जाएगा.
कालिदास की प्रसिद्धि: कालिदास को विश्वभर में महान कवि के रूप में माना जाता है और उनका काव्य साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान है। उनके ग्रंथों का अनुवाद और अध्ययन आज भी चर्चा का विषय है और उनका काव्य भाषा का आदर्श माना जाता है।
समापन: कालिदास ने अपने काव्य ग्रंथों के माध्यम से संस्कृत साहित्य को नया दिशा देने का काम किया और उन्होंने भारतीय साहित्य के महाकवि के रूप में अपनी अमूल्य योगदान दिया। उनकी कला और काव्यशैली का महत्व आज भी अत्यधिक है और उन्हें भारतीय साहित्य का महान कवि के रूप में स्वीकार किया जाता है।
इनकी लेखनी विश्वभर में बहुत प्रसिद्ध हुई. पर इनका सबसे लोकप्रिय नाटक विश्वभर में कई भाषाओ में अनुवाद किया गया और आज भी उनका नाटक अभिज्ञान शाकुन्तलम् बहुत ही प्रसिद्ध है. ये इनका सबसे सर्वश्रेष्ठ नाटक था.
ये भी पढ़ें