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राष्ट्रभाषा हिन्दी पर निबन्ध | Essay on Hindi : Our National Language in Hindi

हिन्दी पर निबन्ध | Essay on Hindi : Our National Language in Hindi- नमस्कार दोस्तों आज हम हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली तथा अधिकारिक भाषा जिसे राष्ट्रीय भाषा भी माना जाता है. आज हम हिंदी भाषा के बारे में पढेंगे.

राष्ट्रभाषा हिन्दी पर निबन्ध | Essay on Hindi : Our National Language in Hindi

राष्ट्रभाषा हिन्दी पर निबन्ध | Essay on Hindi : Our National Language in Hindi

प्रत्येक राष्ट्र की अपनी एक भाषा होती हैं जिसे राष्ट्रभाषा के रूप में जाना जाता हैं. वह भाषा उस देश की पहचान बन जाती हैं. अर्थात वो भाषा जो एक देश के सभी लोग आसानी से प्रयोग कर सके. बोल सके अथवा समझ सके. 

हिंदी भारत की एकमात्र राष्ट्रभाषा हैं, भले ही आजादी के भारत के शासन की सम्पर्क भाषा अंग्रेजी रही हो मगर देश के लोगों की सम्पर्क भाषा हिंदी ही हैं.

भारतीय उपमहाद्वीप की सभी भाषाओं की जननी हमारी संस्कृत भाषा हैं. राष्ट्रभाषा हिंदी भी संस्कृत की बेटी हैं. विश्व की मुख्य भाषाओं की तुलना में हिंदी सबसे अधिक सरल एवं वैज्ञानिक हैं. व्याकरण एवं शब्द भंडार की दृष्टि से सबसे अमीर हिंदी के नियम बेहद सरल भी हैं.

कोई भी बालक, युवा, वृद्ध सभी आयु के लोग बहुत कम समय व आसानी से हिंदी भाषा को लिखना व पढना सीख सकते हैं. सरलता हिंदी की सबसे बड़ी विशेषता हैं. हिंदी की लिपि देवनागरी है जिसकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसे जैसे लिखा जाता है इसे वैसा ही पढ़ा जाता हैं.

हिंदी का शब्दभंडार अंग्रेजी से भी बड़ा हैं. एक ही शब्द के लिए कई सारे शब्द है इसी समन्वय की भावना के कारण देशज, तत्सम, तदभव, फ़ारसी, अंग्रेजी के सैकड़ों शब्द स्वीकार कर अपने बना लिए हैं ऐसा करके न केवल हिंदी ने अपना शब्दकोश व्यापक बनाया बल्कि अपने लचीलेपन की प्रकृति को भी दिखाया हैं.

हिंदी भारत में तो हर राज्य के स्कूल के पढ़ाई जाती ही हैं साथ ही विश्व के कई बड़ी युनिवर्सिटी में इसका अध्यापन करवाया जाता है भाषा विभाग में हिंदी को भी प्रमुखता दी जा रही हैं. समृद्ध साहित्य होने के साथ ही साथ इसने देश में एकता बनाने में भी अहम भूमिका अदा की हैं.

भारत के लगभग सभी बड़े नेताओं और बुद्धि जीवियों ने देश की एकता और अखंडता को प्रगाढ़ रूप देने के लिए राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी की वकालत की हैं.

एक श्रेष्ठ एवं आधुनिक भाषा के गुणों से युक्त होने के उपरान्त भी आज हिंदी को हमारे देश में जो स्थान मिलना चाहिए था वह नहीं मिला हैं. पुरानी सरकारों के नेता अंग्रेजी के प्रतिनिधि बनकर सत्ता पर बैठे रहे.

पश्चिम मानसिकता के इन्ही लोगों की वजह से हिंदी का तिरस्कार किया जाता रहा, इन लोगों का दिमागी दिवालियापन इस कद्र है कि वे विकास का पैरामीटर अंग्रेजी को मानते हैं. दूसरी बाधा क्षेत्रीय भाषाएँ रही है मुख्य रूप से दक्षिणी राज्यों ने षडयंत्र बनाकर हिंदी को राष्ट्रभाषा बनने से रोका.

ये दोनों तरह के विचार पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं. आज दुनिया के सभी बड़े देशों की अपनी भाषाएँ है फ्रेंच, चीनी, अंग्रेजी, रूसी आदि फिर हम क्यों अपनी भाषा में बोलते शर्म महसूस करते हैं.

हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिंदी की जो सेवा की है वह सराहनीय हैं. साथ ही क्षेत्रीय भाषाओं के पक्षकारो को भी समझना चाहिए कि जब आज अंग्रेजी शासन की भाषा है तो स्थानीय भाषाओं की अस्मिता खतरे में नहीं पड़ी फिर हिंदी को राष्ट्र भाषा बना देने से अन्य भाषाओं को कैसे खतरा हैं.

हिंदी की प्रकृति अन्य को दबाकर पीछे रखने की बजाय उनके साथ मेलजोल करने की रही हैं. वाकई हिंदी के विकास से ही क्षेत्रीय भाषाओं का विकास सम्भव हैं.

हिन्दी पर निबन्ध Essay on National Language Hindi in Hindi

हिन्दी पर निबन्ध Essay on National Language Hindi in Hindi

मनुष्य जीवन का सबसे पहले धारण किया जाने वाला शब्द एक भाषा का ही अंश होता है. मनुष्य जिस समय ध्वनियो का उच्चारण करना आरम्भ कर देता है. उस समय से वह किसी न किसी भाषा को अपनाता है.

प्राचीन समय में भाषा को लिपि का रूप माना जाता था. जो बाद में धीरे धीरे भाषा का रूप बना. आज हमारे लिए शिक्षा का सबसे बड़ा स्रोत साहित्य भाषा की ही देन है. भाषा से ही धर्म कला और संस्कृति का विकास हुआ है.

हम एक ऐसे देश के वासी है. जिसमे विविधता है, जहां के जाति धर्म संस्कृति भाषा अलग अलग होती है. पर भारत की मुख्य भाषा सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा और सबसे सरल भाषा हिंदी है. जो सविंधान द्वारा अधिकारिक भाषा का दर्जा भी प्राप्त करती है.

भारतीय सविंधान में 22 भाषाओ को दर्जा दिया गया है. असमिया, उड़िया, उर्दू, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, गुजराती, डोगरी, तमिल, तेलुगू, नेपाली. पंजाबी, बांग्ला, बोड़ो, मणिपुरी, मराठी, मलयालम, मैथिली, संथाली, संस्कृत, सिंधी, हिंदी आदि भाषाओ को सविंधान सभा द्वारा मान्यता प्राप्त है.

भारत में अनेक भाषाए बोली जाती है. देश में लगभग 122 भाषाए बोली जाती है. जिसमे कुछ भाषाए बहुत सरल है, तो कुछ भाषाए बहुत मुश्किल है. सम्पूर्ण देश के लिए उचित भाषा वहीं होगी, जो सबसे सरल हो, और उसका उच्चारण आसानी से किया जा सकें.

राष्ट्र की भाषा होने के लिए उसका देश की संस्कृति से मिलाव होना आवश्यक है, जो हिंदी भाषा में काफी हद तक बैठता है, तथा हिंदी सबसे सरल भाषा है. जिसे सरलता से सिखा जा सकता है. और उसका उच्चारण किया जा सकता है.

हिंदी भाषा भारत में ही नहीं और भारतीयों द्वारा ही नहीं बल्कि ये भाषा भारत सहित अनेक देशो में सरलता से बोली जाती है. तथा इस भाषा का उच्चारण आसान होने के कारण इस भाषा को हर कोई अपनाता है. जिस कारण हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा बनने लायक है. और इसे हम राष्ट्रभाषा भी कह सकते है. पर अभी इसे राष्ट्रभाषा का दर्जा प्राप्त नहीं है.

वैसे हमारे देश में भाषाओ की कमी नहीं है. पर हमारे देश की सबसे सरल भाषा हिंदी है. हिंदी भाषा की कई विशेषताए है, जो इसे सबसे अधिक बोली जाने वाली और राष्ट्रीय भाषा बनाती है. संस्कृत सबसे प्राचीन भाषा है, पर हिंदी संस्कृत की भाँती सरल होने के कारण हिंदी आज संस्कृत से भी अधिक बोली जाती है. हिंदी पढने लिखने और बोलने में सबसे सरल भाषा है.

हर भाषा अपनी लिपि के अनुसार ही चलती है. जिस प्रकार हिंदी भाषा देवनागरी लिपि है. और जिस भाषा की लिपि सबसे सरल होती है, वो भाषा भी सरल होती है. हिंदी की देवनागरी लिपि सरल होने के कारण ये भाषा सबसे सरल है. यानी भाषा लिपि पर निर्भर होती है.

हिंदी भाषा केवल हिंदी के शब्दों से ही नहीं बनी है. इसमे अनेक भाषाओ के शब्द शामिल है. जो अन्य भाषाओ से लिए गए है. कुछ शब्द विदेशी भी होते है. इसी कारण हिंदी साहित्य श्रेष्ठ है. हमारा देश आज धर्म से अधिक अपनी भाषा की रक्षा क्र रहा है. यानी भारतीयों की पहली पहचान भाषा है. जो सभी नागरिको को एकत्रित करती है.

आज हमारे देश में हिंदी सबसे श्रेष्ठ भाषा है, पर कुछ लोग अंग्रेजी को हिंदी से बेहतर भाषा बताते है, जो हिंदी के विकास के लिए सबसे बड़ी बाधा है. हमारे देश के अंग्रेजी विद्वान हिंदी के ज्ञाता को गंवार समझते है. पर हकीकत ये है, कि वे गंवार है, क्योकि आज भी वे अंग्रेजो की गुलामी क्र रहे है. और उनकी भाषा को अपना रहे है. हिंदी देश की भाषा है. इसे अपनाना हमारा धर्म है.

हिंदी भाषा का विकास से क्षेत्रीय भाषाओ का विकास संभव है, क्योकि हिंदी में क्षेत्रीय भाषाए भी आती है, पर अंग्रेजी के विकास से क्षेत्रीय भाषाए नष्ट होगी, क्योकि अंग्रेजी में कोई भी क्षेत्रीय शब्द नहीं आता है. अतः हमें हिंदी भाषा को अपनाकर इसे सबसे श्रेष्ठ भाषा बनाना है.

हम सभी भारतीयों का कर्तव्य है, कि हम अपनी राष्ट्रीय भाषा हिंदी के विकास और कदम बढाए और हिंदी के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दें. हिंदी के अनुनायियो को जोड़कर ही हम हिंदी को राष्ट्रीय भाषा बना सकते है.

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