Essay on Ramayana in Hindi रामायण पर निबंध: दोस्तों आपका हार्दिक स्वागत करते हैं आज हम हिन्दुओं के प्राचीन ग्रंथ रामायण का निबंध पढेगे. वाल्मीकि रचित रामायण में राम की कथा का वर्णन मिलता हैं इसका महत्व प्रभाव, कहानी, आदि को इस Ramayana के Essay में संक्षिप्त (Short) रूप में समझने का प्रयास करेगे.
Short Essay on Ramayana in Hindi Language
महाकाव्य के रूप में- रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि थे. इसके वर्तमान में 24, 000 श्लोक तथा सात काण्ड हैं. रामायण एक उत्कृष्ट महाकाव्य हैं. सम्भवतः रामायण को ही आदर्श मानकर आचार्यों ने महाकाव्य की परिभाषा बनाई.
रामायण में भाषा की परिपक्वता तथा सौन्दर्य, छन्दों, का विलक्षण प्रयोग, अलंकारों का चमत्कारपूर्ण विन्यास तथा रसों का पूर्ण परिपाक मिलता हैं. श्रृंगार, वीर तथा करुण इन तीन प्रधान रसों का इस महाकाव्य में पूर्ण समावेश हैं.
इसमें प्रकृति वर्णन तथा चरित्र चित्रण आकर्षक तथा स्वाभाविक हैं. रामायण का काव्य रूप महाभारत से तुलना करने पर और अधिक स्पष्ट हो जाता हैं. रामायण अपने वर्तमान रूप में भी वीर काव्य हैं, किन्तु महाभारत का काव्य रूप बहुत कुछ लुप्त हो चूका हैं.
महाभारत की अपेक्षा रामायण में सौन्दर्य, चेतना तथा चरित्र चित्रण अधिक चमत्कारपूर्ण तथा प्रभावोत्पादक हैं. रामायण में उपमा, रूपक एवं उत्प्रेक्षा अलंकारों का सुंदर प्रयोग किया गया हैं. वाल्मीकि की उपमा औचित्य पूर्ण तथा रसानुकूल हैं.
इनकी उपमा में अपनी विशिष्टता व चमत्कार शैली है जो अन्यत्र उप्ल्ब्धन्हीं होती, वाल्मीकि को अनुष्टुप छंद का जनक माना जाता हैं. वाल्मीकि की उपमाएं भी सुंदर तथा अनूठी हैं. अशोक वाटिका में नियम परायण तापसी सी, शोक जाल से ढकी हुई, धूम समूह में लिपटी अग्नि शिखा सी, सीता शब्द चित्र उसकी करुणा जनक दशा को दर्शाने में सक्षम हैं.
कवि ने प्रकृति वर्णन के माध्यम से उद्दीप्नात्मक वर्णन करने में भी अपनी अद्भुत प्रतिभा का परिचय दिया हैं. यथा शरद ऋतु की नदियाँ धीरे धीरे जल के हटने से अपने नग्न तटों को देखती हैं. ठीक उसी प्रकार जैसे प्रथम समागम के समय लजीली युवतियां शनै शनै अपने जघन स्थल को दिखाती हैं.
रस व अलंकारों का प्रयोग कुशलतापूर्वक किया गया हैं. लंकाकाण्ड में भयानक व रौद्ररस का द्रष्टान्त मिलता हैं उदाहरणार्थ कुंभकर्ण के हाथ पैर काट दिए गये. इस पर भी निशाचर रौद्र रूप धारण कर अपना मुहं फैलाता हुआ राम की ओर दौड़ता हैं. रामायण की भाषा की परिपक्वता, सौन्दर्य तथा छंदों का कुशल प्रयोग भी दर्शनीय हैं.
त्रेतायुग में रामायण की रचना की गई. महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित यह विश्व का पहला काव्य माना जाता है मगर आज 300 प्रकार की रामायण विद्यमान हैं. जिनमें वाल्मीकि रामायण, कंब रामायण, अध्यात्म रामायण, आनंद रामायण तथा रामचरितमानस प्रमुख हैं.
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