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हेलेन केलर की जीवनी | Helen Keller Biography In Hindi

हेलेन केलर की जीवनी Helen Keller Biography In Hindi

हेलेन केलर की जीवनी Helen Keller Biography In Hindi

हेलेन केलर वह अमेरिकन महिला थी, जो आज भी अनेक अपाहिजों का सहारा और प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है. हेलेन केलर मात्र 19 माह की उम्र में आपहिज हो चुकी थी. लेकिन संघर्ष जारी रखा.

हेलेन केलर के पिता एक समाचार पत्र संपादक थे, ओर वे अपनी पुत्री को शिक्षित बनाना चाहते थे, लेकिन बालपन में ही आपहिज हो जाने के कारण इनके जीवन में बाधा आई.

हुआ यूँ, कि उस समय अमेरिका में एक भयंकर बिमारी चल रही थे, इस बिमारी के रोगी लगातर मरते जा रहे थे, ये बिमारी हेलेन केलर को भी लग गई. लम्बी तस्क्त के बाद इनका जीवन बचा लिया गया.

इस बिमारी से हेलेन केलर अपना जीवन बचाने में समर्थ रही लेकिन इस बिमारी ने हेलेन केलर को अँधा व् बेहरा बना दिया. और इस प्रकार हेलेन केलर के शुरूआती जीवन में अनेक संघर्ष देखने को मिले.

संघर्षो से भरे इस दौर से गुजरी हेलेन केलर अपनी शिक्षिका एनी के कारण शिक्षा प्राप्त करना सिख गई. और उसे शिक्षा प्राप्त करने के लिए संस्था में भेज दिया गया.

हेलेन केलर का दिमाक बहुत तेज था, वह बहुत जल्द ही हर कार्य को सिख जाती थी. लगातार कड़ी मेहनत के बाद हेलेन अनेक भाषाए सिख गई. और स्नातक तक की शिक्षा प्राप्त की.

मुश्किलों से भरे इस जीवन में अपाहिज होने के बाद भी हेलेन ने संघर्ष नहीं छोड़ा. और वे एक कुशल लेखक तथा एक राजनेता भी बनी. इनकी सबसे प्रसिद्ध पुस्तक इनके जीवन पर आधारित है.

अपने जीवन की सभी घटनाओ और जीवन के सभी पडावो को इन्होने अपनी पुस्तक The Story Of My Life में लिखा इस पुस्तक की आय से हेलेन ने एक आलिशान घर बनाया.

अधिकांश लोग अपाहिज होने पर अपने जीवन को समाप्त कर देते है. तथा अपना कोई महत्व नहीं मानते है. उन लोगो को हेलेन केलर जैसा उदहारण नहीं मिल सकता है.

हम सभी को इस विदुषी से सीखकर प्रेरणा लेनी चाहिए. तथा हमें जीवन में कभी संघर्ष नहीं छोड़ना चाहिए. प्रगति से जीवन का विकास होता है.

Helen Keller Biography In Hindi

अमूमन लोग जीवन में साधारण की परिस्थतियों से ही हार मान जाते हैं. मगर इतिहास के कुछ नाम एक नया आयाम स्थापित कर जाते हैं, उन्ही में से एक नाम हैं.

अमेरिकी विदुषी हेलेन केलर का हैं. जिसने अपने जीवन में मुशिकल से मुश्किल संकटों का सामना किया, और एक मिसाल के रूप में जीवन जिया जो सदियों तक प्रेरणा देता रहेगा.

27 जून 1880 को अलाबामा संयुक्त राज्य अमेरिका में जन्मी हेलेन केलर ने ईमानदारी, दृढ संकप और कठोर तप की बदौलत वह कर दिखाया जो सभी विशेषताओं से युक्त साधारण इंसान भी नहीं कर पाते हैं.

हेलन केलर का पूरा नाम हेलेन ऐडम्स केलर था, इनके पिता का नाम आर्थर एच केलर एवं माँ का नाम कैथ रीन एडम्स केलर था. एक साधारण बच्चें की तरह ही हेलन का जन्म हुआ और डेढ़ वर्ष तक वह बिलकुल स्वस्थ थी.

एक दिन आए भयंकर बुखार की जद में आने के बाद इसे अस्पताल ले जाया गया, ईलाज से वह ठीक तो हो गई मगर हेलन अपनी सुनने, बोलने और देखने की क्षमता को खो चुकी थी. अर्थात उसके आँख, कान और मुंह ने काम करना बंद कर दिया था.

अपनी बच्ची की ऐसी हालत हो जाने पर हेलन के माता पिता के लिए उनकी शिक्षा और परवरिश में बहुत सी कठिनाइयाँ आने लगी. एक साधारण बच्चें की तरह न तो वह खा पी सकती और न ही स्कूल में आम बच्चों के साथ पढ़ सकती थी.

एक अच्छे शिक्षक की तलाश वर्षों तक रही. एक दिन जब हेलन की माँ डो अनेग्रस से मिलने गई तो उनकी मुलाक़ात एक कुशल शिक्षिका से हुई जिनका नाम एनी सुलिव्हान था, इन्होने ही हेलन को प्रशिक्षित किया.

जब तक ऐनी हेलन केलर को पढ़ाने के लिए उनके घर जाती, उसने एक बात नियमित रूप से देखी वह था, हेलन की माँ का गुस्सा, वह जिन हालातों के बीच जी रही थी यह स्वाभाविक था.

एनी ने इसका बुरा न मानते हुए हेलन को घर से दूर ले जाने के लिए उनके माता पिता से बात की और किसी तरह आश्वस्त कर उनको एना के साथ अपनी बेटी भेजने के लिए राजी कर दिया.

एनी ने हेलन केलर को शिक्षा देने के लिए एक सुंदर बगीचे में बना घर चुना, जहाँ वह हेलन के साथ मित्रवत रहकर उसे प्रशिक्षित करने लगी. एनी ने कुछ ही समय बाद पाया कि एक जिद्दी लड़की अब विनम्र और हंस मुख रहने लगी हैं.

एक तरह से यह शिक्षिका को अपने प्रयासों में मिल रही सफलता का संकेत दिखा और वह हेलन केलर को शिक्षित करने के और नयें नयें तरीके आजमाने लगी. एनी ने मैनुअली एल्फाबेट पद्धति से उसे पढाया.

इसके पश्चात शिक्षिका एनी हेलन के माता पिता को सुझाव देती हैं कि वे बच्ची को नेत्रहीनों बच्चों के लिए बनाए गये विशेष संस्थान पार्किन संस्थान में भेजे.

एनी की सलाह मानते हुए हेलन केलर को वहां भेजा गया, उसने छहः वर्षों तक संस्थान में रहते हुए ब्रेल लिपि का ज्ञान प्राप्त किया और अब वह पहले से अधिक स्वयं को समर्थ अनुभव करने लगी.

जब हेलन 12 साल की हुई तब वह फिर से बोलने लगी. साथ ही कहते है न भगवान जिसके एक हाथ छीन लेता है उसे दूसरे हाथ में दुगुनी शक्ति देता हैं,

वैसे ही हेलन में अब चीजों को समझने का एक विशेष गुण विकसित हो चूका था. उन्होंने कुछ समय बाद न्यूयोर्क से संकेत भाषा का भी ज्ञान प्राप्त किया.

तथा 1904 में रेड्किल्फ़ महाविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की. हेलन कॉलेज में सामान्य बच्चों के साथ पढ़ने लगी, इसी समय उन्हें लिखने का शौक हुआ और वह लिखने लगी.

हेलन केलर ने कठिन परिश्रम की बदौलत फ्रेंच, अंग्रेजी, लैटिन, ग्रीक व जर्मन भाषाओं को सीखा तो उसका लिखने का शौक अधिक होता गया, उन्होंने ब्रेल लिपि में अनेकों पुस्तकों को लिखा.

तथा कई का अनुवाद भी किया. हेलन की सर्वाधिक लोकप्रिय पुस्तकों में से एक दी स्टोरी ऑफ़ माय लाइफ थी, पुस्तक के प्रकाशन के बाद इतना रेवन्यू मिला कि वह उससे अपना एक आशियाना भी बना सकी.

हेलन दृढ निश्चय और मजबूत इच्छा शक्ति का प्रतिनिधित्व करने वाली एक महिला प्रतीक बन चुकी थी, उसने जीवन में संघर्षों का मुकाबले करते करते वह कर दिखाया,

जो समाज के अन्य मूक बधिर लोगों को अपने कष्टों के उपरान्त भी लड़ने का जज्बा पैदा करेगा. लोगों को प्रेरित करने के लिए वह अपनी कहानी भी उन्हें सुनाया करती थी.

उसने महिला अधिकारों को लेकर भी आन्दोलन किये, वर्ष 1936 में इन्हें थियोडोर रूजवेल्ट सम्मान से नवाजा गया. वर्ष 1964 में फ्रीडम एवार्ड तथा 1965 में वीमन हाल ऑफ़ फेम का खिताब भी इन्हें मिला. 

हेलन केलर ने ग्लास्को, बर्लिन और दिल्ली युनिवर्सिटी से मानद डाक्टरेट की उपाधि भी अर्जित की. इस महान अमेरिकी लेखक, शिक्षिका का 1 जून 1968 को ईस्टन (कनेक्टिकट) में देहांत हो गया था.