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यदि मैं भारत का शिक्षा मंत्री होता पर निबंध Essay on If I were the Education Minister in Hindi

यदि मैं भारत का शिक्षा मंत्री होता पर निबंध Essay on If I were the Education Minister in Hindi: हेलो दोस्तों आज के निबंध में आपका स्वागत हैं. यदि मैं शिक्षा मंत्री होता (If I were the Education Minister) पर यहाँ सरल भाषा में निबंध, भाषण स्पीच, अनुच्छेद पैराग्राफ दिया हैं. यदि आपकों यह आर्टिकल अच्छा लगे तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें.

Essay on If I were the Education Minister in Hindi

लक्ष्य में ऊंचे होने चाहिए सपने देखने चाहिए मेरा भी सपना है लक्ष्य है उद्देश्य है कि मैं बड़ा होकर शिक्षा मंत्री बनूंगा मेरी बचपन से ही नेतृत्व करने की रुचि रही है.

मुझे मंत्रिमंडल में जगह मिलती है तो मैं शिक्षा मंत्री बनना चाहूंगा राष्ट्रपति महोदय के समक्ष पद एवं गोपनीयता की शपथ लेकर कर्तव्यों के प्रति निष्ठा पूर्वक कार्य करूंगा.

शिक्षा मंत्री जिसे वर्तमान में मानव संसाधन विकास मंत्री कहते हैं शिक्षा से जुड़े अहम मुद्दों तथा उससे संबंधित परिवर्तनों के संदर्भ में महत्वपूर्ण शक्तियां शिक्षा मंत्री के अधीन होती है.

वर्तमान समय में बदलते वैश्विक परि दृश्य के मध्य नजर परिवर्तनशील तथा समय अनुकूल शिक्षा ही देश के भविष्य का निर्धारण करती है. तो आज हम बात करेंगे कि अगर भविष्य में मुझे शिक्षा मंत्री बनने का स्वर्णिम अवसर मिलता है 

तो कौन से कदम उठाऊंगा या वे कौन से कार्य हैं जिन्हें पूरा करने की हर संभव कोशिश की जाएगी की विस्तृत चर्चा इस लेख के माध्यम से करने का प्रयास किया जाएगा.

शिक्षा मंत्री बनते ही मैं वर्तमान में शिक्षा के समक्ष प्रमुख चुनौतियों का गहनता से अध्ययन करूंगा स्कूल तथा कॉलेजों के प्रोफेसरों से प्रमुख समस्याओं से संबंधित निदान के सुझाव मांगूंगा आवश्यकता पड़ने पर विशेष टीम का गठन कर सर्वोत्तम उपाय ढूंढने के प्रयास किए जाते.

अनुशासन के बिना शिक्षा और शिक्षा के बिना अनुशासन संभव नहीं है इस कारण मेरा यह कर्तव्य होगा कि मैं अनुशासन को बढ़ाने के लिए उपाय करूंगा. शिक्षक देश का भविष्य निर्माता होता है पिछले कुछ समय से शिक्षकों के प्रति सम्मान में जो कमी आ रही है उसको दूर करने का प्रयास करूंगा.

पहला सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है शिक्षा के उद्देश्य कैसे होने चाहिए तो निसंदेह शिक्षा के उद्देश्य समाज और देश के हित में होने जरूरी है हालांकि समय के साथ परिवर्तन शाश्वत सत्य है.

इसलिए शिक्षा के उद्देश्य थी समय अनुरूप बदलते रहने चाहिये जिस प्रकार प्राचीन काल में शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य चरित्र का निर्माण सामाजिक कर्तव्यों का पालन संस्कृति का संरक्षण इत्यादि थे.

जो वर्तमान में बदलकर उपरोक्त उद्देश्यों के साथ तकनीकी ज्ञान तथा व्यवसायिक शिक्षा पर बल भी रहा है जैसे-जैसे तकनीकी का प्रयोग बढ़ता जा रहा है उसके साथ ही कंप्यूटर शिक्षा का एक अभिन्न अंग बन गया है वर्तमान में सैद्धांतिक शिक्षा के साथ ही व्यवहारिक शिक्षा का महत्व बढ़ा है.

शिक्षा मंत्री होने के नाते दूसरा प्रयास में यह करूंगा कि प्रौढ़ शिक्षा यथासंभव प्रदान की जाए और उसका प्रमुख उद्देश्य नाम लिखना जानना ही ना होकर सामाजिक तथा बौद्धिक विकास भी करना रहेगा.

जिससे प्रत्येक नागरिक अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो सकें अन्याय का सामना करने के लिए कमरकस सके तथा शिक्षा के स्तर को बढ़ावा देने में अपना अहम योगदान दे सकें.

विश्व के कई देशों में आज भी महिला शिक्षा का स्तर कम है भारत में भी स्त्री शिक्षा का प्राचीन काल से ही विरोध होता रहा है और यही कारण है कि आज तक महिला साक्षरता की दर कम है.

जब तक महिला शिक्षित नहीं होगी देश की प्रगति नहीं हो सकती क्योंकि महिला दो परिवारों को शिक्षित बना सकती हैं इसलिए मैं महिला शिक्षा की समुचित व्यवस्था करने पर जोर देता.

शिक्षा का पहला उद्देश्य सामाजिक आवश्यकताओं की पूर्ति होता है समाज का उत्थान ही देश की प्रगति का मार्ग है राष्ट्रीय एकता और अखंडता बढ़ाने में सामाजिक विकास जरूरी है

शिक्षा सामाजिक विकास का महत्वपूर्ण साधन है इसलिए शिक्षा के द्वारा सामाजिक प्रगति उत्थान कर कुशल नागरिकों की अवधारणा प्राप्त की जा सकती है इसलिए इस पर भी जोर देता.

कहा जाता है वह शिक्षा भी क्या जो परिवार का पेट न भर सकें इसलिए शिक्षा ज्ञानार्जन के साथ-साथ आर्थिक मजबूती का साधन भी होना चाहिए 

कार्यकुशलता के अभाव में सुखी जीवन की अभिलाषा व्यर्थ होती है इसलिए कार्यकुशलता को बढ़ाने के लिए व्यवसायिक शिक्षा का होना आवश्यक है मैं शिक्षा मंत्री होता तो आर्थिक विकास का साधन शिक्षा को बनाता.

हमारे देश में शिक्षा की पहुंच समाज के अंतिम व्यक्ति तक सुनिश्चित नहीं हो पाई है आज भी घुमक्कड़ जातियों के लोग तथा जनजातीय क्षेत्रों में शिक्षा नहीं पहुंची है कुछ अन्य वर्गों में भी शिक्षा का स्तर निम्न है ऐसे में उनको शिक्षित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का प्रयास करता.

राष्ट्रीय एकता में बाधक प्रमुख तत्व सांप्रदायिकता क्षेत्रीयता जातिवाद भाषावाद इत्यादि ने शिक्षा के प्रमुख उद्देश्य राष्ट्रीय एकता को साकार होने से दूर रखा है 

परंतु धर्मनिरपेक्षता सामाजिक सौहार्द और शिक्षा के द्वारा इन सभी प्रवृत्तियों से निपटकर राष्ट्रीय एकता स्थापित की जा सकती है  हालांकि लंबे समय तक पराधीनता के कारण जिस मानसिकता का विकास हो रखा है उसको दूर करने में शिक्षा ने अहम भूमिका निभाई हैं.

वर्तमान में अध्ययन तथा अध्यापन जिस तेज गति से व्यवसायिक रूप ले रहा है जिससे प्राइवेट शिक्षण संस्थाओं ने बिजनेस के तौर पर अपना कर विद्यार्थियों तथा अभिभावकों का शोषण शुरू किया है यह शिक्षा के लिए घातक सिद्ध हो सकता है इसलिए मैं शिक्षा मंत्री होने के नाते निजी शिक्षण संस्थाओं की मनमानी पर अंकुश लगाने का प्रयास करता.

1 अप्रैल 2010 से लागू किए गए शिक्षा के अधिकार अधिनियम के प्रावधानों की पालना सुनिश्चित करना मेरा पहला कर्तव्य होता जिसके तहत6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को मुफ्त आधारभूत  शिक्षा उपलब्ध करवाना अनिवार्य है.

निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के अंतर्गत यह प्रावधान है कि 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को शिक्षित करने का कार्य सरकार करेगी नई व्यवस्था के तहत बच्चों को निकट के स्कूल में प्रवेश का अधिकार होगा.

इसके साथ ही छात्र को विद्यालय में प्रवेश देने से मना नहीं किया जा सकता है तथा 40 छात्रों पर एक शिक्षक की व्यवस्था होगी बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को सुनिश्चित करने के लिए तथा उनका सर्वांगीण विकास करने हेतु विद्यालयों के कुछ कर्तव्य निर्धारित किए गए हैं.

जिनमें 5 वर्ष के भीतर शिक्षकों को प्रशिक्षित करें तथा 3 वर्षों के मध्य तक की सुविधाएं जैसे कक्षा कक्ष खेल मैदान विज्ञान प्रयोगशाला शौचालय पेयजल आदि की व्यवस्था हो.

इस अधिनियम के अंतर्गत निजी विद्यालयों के लिए भी यह जरूरी किया गया है कि वे अपने विद्यालय की निचली कक्षाओं में 25% स्थान गरीब व पिछड़े वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षित रखें तथा उन्हें निशुल्क प्रवेश दें.

इस अधिनियम में 14 से 18 वर्ष के बालक के लिए उचित शिक्षा की व्यवस्था नहीं की गई है तथा ना ही स्कूल में प्रवेश से पहले की गतिविधियों से संबंधित स्पष्ट उल्लेख है इसलिए शिक्षा मंत्री होने के नाते मैं उपरोक्त सभी खामियों को दूर करने का प्रयास करता.

उम्मीद करता हूँ दोस्तों यदि मैं भारत का शिक्षा मंत्री होता पर निबंध Essay on If I were the Education Minister in Hindi का यह निबंध आपकों पसंद आया होगा, यदि आपकों यहाँ दी गई जानकारी पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.