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श्री हनुमान पर निबंध Essay on Lord Hanuman in Hindi

श्री हनुमान पर निबंध Essay on Lord Hanuman in Hindi- नमस्कार दोस्तों आप सभी का स्वागत है, आज के हमारे इस आर्टिकल में आज हम पवन पुत्र हनुमान जी के बारे में विस्तृत जानकारी इस लेख के माध्यम से आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे है. भगवान हनुमान जी की जीवनी उनकी भक्ति और उनसे जुड़े सभी तथ्य आपके साथ साझा करेंगे.

श्री हनुमान पर निबंध Essay on Lord Hanuman in Hindi

भगवान् हनुमान अपनी असीम शक्ति और राम की भक्ति के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है, यह हिन्दू देवी देवताओ में प्रमुख देवताओ में से एक है. इन्हें हर हिन्दू अनुनाई पूजता है. हनुमान जी को सभी दुःख भंजक के लिए सभी धर्म के लोग मानते है.

हनुमान जी को हनुमत, दुखभंजन, मारुतिनंदन तथा केशरी नंदन के नाम से जानते है. ये भगवान राम के अनन्य भक्त थे. इनकी माता का नाम अंजना तथा पिताजी का नाम केसरी था. इन्हें पवन पुत्र के नाम से भी जानते है. 

हनुमान जी को राम का सबसे बड़ा भक्त माना जाता है. इन्होने रामायण में भगवन राम की सहायता कर माता सीता को रावण से बचाने में मदद की, इन्हें भगवान शिव का अवतार माना जाता है.

हनुमान जी को सबसे ताकतवर देव माना जाता है. यह उड़ने की कला जानते थे. तथा इनकी शक्ति का कोई जवाब नही था. जिस कारण आज भी पहलवान सबसे अधिक भगवान् हनुमान जी की पूजा करते है.

हमने सुना है कि इस युग मे कोई ईश्वर इस धरती पर है तो वह भगवान श्री राम के परम सेवक श्री हनुमान है श्री हनुमान जी को पवन  पुत्र के नाम से जाना जाता  है क्योकि वह वायु के वेग से भी ज्यादा तेज थे।

निबंध – 1 (600 शब्द)
परिचय
“हे दुख भंजन, मारुति नंदन

सुन लो मेरी पुकार, पवन सुत विनती बारंबार।”
इसमे लेखक कहते है। कि हे दुखो को भगाने वाले मारुति नन्दन भगवान हनुमान जी का बचपन मे उनका नाम मारुति था जिसका यहा पर उपयोग किया गया है। सुनो मेरी पुकार मेरे कष्टो को दूर करो आपसे हम ये विनती करते है।

हिन्दुओ के कई देवता है। जिसमे सबसे लोगप्रिय हनुमान जी माने जाते है।हनुमान जी के पिता का नाम केशरी (हनुमान जी को केशरी नंदन के नाम से जानते  है।) तथा माता का नाम अंजना था। 

भक्ति के प्रतीक

हनुमान जी दुनिया मे एक ऐसे ईश्वर है। भगवान विष्णु ने हनुमान के रूप मे श्री राम की मदद माता सीता को रावण से बचाकर श्री राम की मदद की तथा समाज के सामने उदाहरण पेश कर समाज मे शांति का माहौल बना कर शक्ति -भक्ति के प्रतीक बने। हनुमान जी भक्ति का उदाहरण है। वह हर समय सरी राम की सेवा किया करते थे। 
श्री हनुमान का जन्म

हनुमान जी का जन्म पूर्व के वेदो के अनुसार हनुमान उनका त्रेता युग मे चैत्र सुदी पुर्णिमा को मंगलवार के दिन  हुआ था हनुमान जी का जन्म वर्तमान झारखंड के गोमला गाँव मे हुआ।   हम सभी को ये तो जानते है कि हनुमान जी भारतवाशी हैं। 
 हनुमान जी को आंजनेय के नाम से जाना जाता है। उनकी माता का नाम अंजना होने के कारण हनुमान जी को आंजनेय के नाम से भी जानते है। उनके पिता का नाम केसरी है होने के कारण उन्हे केशरी नंदन के नाम से भी जानते है। हनुमान जी के पिता को कपिराज कहा जाता था क्योकि वह कपि गाँव के राजा थे। 

सूर्य को समझ लिया लाल फल

एक बार भगवान हनुमान जी जब मात्र छः मास के थे। तभी उन्हे बहुत ज़ोर की भूख लगी। हनुमान की माता अंजना फल लाने गई तभी हनुमान जी ने बाहर जाकर देखा तो उन्हे सूर्य दिखाई दिया हनुमान जी ने इस लाल फल मानकर आकाश मे गई तथा सूर्य को मुंह मे डाल दिया था।

पवनपुत्र हनुमान

माना जाता है कि हनुमान की माता अंजनी पिछले जन्म मे शिव की बहुत बड़ी भक्त हुआ करती थी। कहा जाता है कि शिव ने खुश होकर वरदान अंजनी को अपने पुत्र के रूप मे अवतार आपके घर मे जन्म लेने का वादा किया था। पवन देव खुद ने भगवान शिव के अंश को अंजनी कि कोख मे पहुंचाया था।इसी कारण हनुमान को पवन पुत्र के नाम से जाना जाता है।  

 बचपन में मिला श्राप

हनुमान जी बचपन मे बहुत बदमाशी करते थे। वे हर व्यक्ति से हर समय मज़ाक कर लिया करते थे। एक बार उन्होने एक ऋषि कि तपस्या भंग कर दी ऋषि गुस्से मे आकार  हनुमान जी को श्राप दे देते है कि तू तेरी सम्पूर्ण शक्ति को भूल जाएगा। कोई तुझे याद दिलाएगा तो तेरी शक्ति तुझे वापस मिल सकती है।          

हनुमान जयंती

हमारे देश मे समय-समय पर कई त्योहार मनाए जाते है। जिसमे हनुमान जयंती भी शामिल है। हनुमान जयंती एक महत्वपूर्ण उत्सव है। ये भगवान हनुमान जी के जन्म दिन पर मनाई जाती है। ये चैत्र मास मे आती है। इस त्योहार के पावन पर्व के दिन भक्त दिन उद्य अच्छाई कि जीत व राम भगवान की कथाए सुनते है। 

जन्म से जुड़े कई रहस्य

हनुमान जी एक श्रपित माता के पुत्र थे।जिनको एक ऋषि द्वारा वानर कुल के होने का श्राप मिला था।इसलिए हनुमान जी जन्म से वानर रूप मे थे। श्राप के कारण अंजना वानर बन गई तथा केसरी वानरो के राजा केसरी ने एक शक्तिशाली हाथी को मार कर ऋषियों को बचाया वह हाथी रोज ऋषियों को परेशान करता था। इसलिए हनुमान जी के पिता का नाम केसरी था। 
 
निष्कर्ष

हम कितने भी डरे हुए क्यो न हो हमे हनुमान जी के भजन तथा हनुमान चालीसा का झप करने से हमारे सारे दुख दूर हो जाते है। हनुमान श्री राम के बहुत बड़े भक्त एव सेवक थे। वे श्री राम की रामलीला सुनने दौड़ आते थे। उनके बिना रामलीला अधूरी मानी जाती थी। 

तो मेरे दोस्तो आपको कभी भी डर लगे या कोई समस्या आपके सामने हो तो आप इस मंत्र को बार-बार पढे जिससे आपकी हर समस्या का समाधान हो जाएगा। 

“जय हनुमान ज्ञान गुन सागर, जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।”

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