देश प्रेम पर निबंध Desh Prem Essay in Hindi
देश प्रेम शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है. जिसका अर्थ होता है. देश के प्रति प्रेम. अर्थात स्वदेश के प्रति प्रेम ही देश प्रेम होता है. हमारे राष्ट्र के प्रति प्रेमभाव हमारा कर्तव्य है. हमें अपनी मातृभूमि से प्रेम होना चाहिए.देश प्रेम स्वाभाविक रूप से होना चाहिए.
देश-प्रेम में त्याग – अपने देश के प्रति प्रेम बनाये रखने का सबसे श्रेष्ठ उदहारण देश की रक्षा करना होता है. एक सच्चा देश भक्त अपनी जान की प्रवाह किये बिना देश की सेवा में हर समय तत्पर रहता है. अपने देश प्रेम के लिए अपना घर,अपना परिवार तथा अपनी जान तक न्योछार करनी पड़ती है. यही देश के लिए एक व्यक्ति का श्रेष्ठ त्याग होता है.
लोग अपने स्वार्थो को पूरा करने के लिए जीवन भर मेहनत करते है. लेकिन वे हर समय अपने लालच को बढ़ाते जाते है. और सिर्फ अपने लालच में ही मग्न रहते है. एक लालची व्यक्ति जो अपने स्वार्थ के लिए कार्य करता है. और राष्ट्र भक्त जो सच्चे दिल से देश की सेवा करता है.
दोनों ही अपना जीवन व्यतीत करते है. देश की सेवा करने वाला कभी भूखा नहीं रह सकता है. उस पर मातृभूमि खुद मेहरबान होती है. जो मातृभूमि का कदर करता है.उसकी कदर भारत माता करती है.
एक पवित्र भावना – हम एक भारतीय नागरिक होने के नाते हमें देश की रक्षा करनी चाहिए. तथा देश के प्रति प्रेम एवं राष्ट्र भक्ति को बढ़ावा देना चाहिए.देश के प्रति पवित्र भावना को उज्जवल करना चाहिए. हमें अपने देश के लिए कुर्बान होने का मौका मिले तो हमें उसे नहीं ठुकराना चाहिए.
देश के लिए शहीद होना खुद के लिए गर्व की बात होनी चाहिए. देश के लिए शहीद होना देश प्रेम की निशानी है. प्रत्येक व्यक्ति के लिए उसका राष्ट्र ही गौरव होता है.अपने गौरव को बनाये रखने के लिए हमें देश के लिए सब-कुछ अर्पित कर देना चाहिए.
प्रेमी का जीवन– एक से परिवार बनता है. परिवार मिलकर समाज बनता है. समाज मिलकर एक राष्ट्र की नीव रखते है. इसलिए एक व्यक्ति का राष्ट्र निर्माण में अहम योगदान होता है. देश प्रेम की पहचान हम देश प्रेम और निजी प्रेम से टकराव से कर सकते है.
यदि देश प्रेम जीता तो वह व्यक्ति सच्चा देश भक्त है. वरना खुद की रक्षा तो कुत्ते भी करते है.अपने राष्ट्र के लिए जीवन तक का त्याग कर देना सच्ची देशभक्ति तथा देश प्रेम होता है.
शाली विरासत व परम्परा- जब हमारा देश गुलाम हुआ करता था. तब हमारे देश को आजद कराने के लिए हमारे देश के कई अनगिनत महापुरुषों ने आजादी के लिए अपनी जान अर्पित कर दी थी. हमारे की सेवा हमारी परम्परा है.आज हम एक स्वतंत्र देश में जी रहे है. तो हमें गुलामी हो नहीं करनी पड़ती है. पर देश की सेवा के अनेक तरीके भी होते है.
देश के बोर्डर पर जाकर देश की रक्षा करना,देश की आंतरिक व्यवस्था को बनाये रखना,देश में वस्तुओ का निर्माण करना,खेती-बाड़ी कर देश का पेट भरना आदि ये सभी उदहारण देश के सेवा के है. भारतीय नागरिक होते हुए हमें अपने दायित्व को भली-भांति निभाना चाहिए.
देश के लिए अपना जीवन अर्पित कर देना ही देश भक्ति नहीं है. किसी भी क्षेत्र से देश की सेवा करना देश भक्ति की निशानी है. देश के लिए वरदान बनकर देश का नाम रोशन करना देशभक्ति है.
देश-प्रेम-सर्वोच्च भावना – एक भारतीय के लिए धरती माता सबसे श्रेष्ठ होती है. देश प्रेम धन,दौलत से भी बढ़कर होना चाहिए. हमारे देश की भूमि हमारी मातृभूमि है. इसे माता का दर्जा दिया जाता है.
ये हमारी रक्षा अपने बेटे की तरह करती है. इसलिए हमें इसका रक्षा अपनी माता की तरह करनी चाहिए. हमारे राष्ट्र की सुन्दरता तथा संस्कृति को बनाये रखना का हमारा प्रथम कर्तव्य है.
आज देश प्रेम की आवश्यकता – आज हमारे देश को सच्चे प्रेम की आवश्यकता है. हमारे देश में बचने वाले गद्दार लोग पैसो के लालच में आकर अपनी माता यानि मातृभूमि को धोखा देते है. उन लोगो से देश को बचाने के लिए हमें आज देश प्रेम की शक्त जरुरत है. आज हमारे देश में प्रेम का स्तर काफी अच्छा है.
देश में जब भी कोई गद्दर द्वारा हमला किया जाता है. तब पूरा देश बदले की चाहत में रो उठता है. और देश तब तक शांत नहीं होता जब तक देश उनका बदला न लें. हमारी देश में जो प्रेम अभी बना हुआ है. वह प्रेम सदा बना रहे यही हम अपने देशवासियों से उम्मीद करते है.
हमारे देश में बचने वाले गद्दारों से बचने के लिए देश को एकता तथा अखंडा की शक्त जरुरत है. इसके बदोलत हमारे देश का विकास संभव है.देश के प्रति प्रेमभाव को बढ़ावा देने के लिए आचार्य शुक्ल जी स्नेह ने लिखा है-
बहती जिसमें रसधार नहीं
वह हृदय नहीं है पत्थर है
जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं''
अपना देश अपना जतन
ना देखना मुहरत
बस देश की सेवा ही है अपनी शौहरत