ईस्टर पर निबंध Essay On Easter Festival In Hindi- ईसाई धर्म के भगवान ईसा मसीह की याद में हर साल ईस्टर सन्डे मनाया जाता है. ये पर्व भारत सहित पुरे विश्व में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है. आज के आर्टिकल में हम ईस्टर के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे.
ईस्टर पर निबंध Essay On Easter Festival In Hindi
ईसाई धर्म के लोग अनेक त्योहार पर्व मनाते है। परंतु ईसाइयो के प्रभु ईसा मसीहा का ये पर्व ईस्टर ईसाइयो का सबसे महत्वपूर्ण तथा सबसे बड़ा पर्व है। ये पर्व गुड फ्राइडे के तीन दिन मनाया जाता है।
ईस्टर पर्व, यूनानी: Πάσχα ईसाई पूजन-वर्ष में सबसे महत्वपूर्ण वार्षिक धार्मिक त्योहारों में से एक है। ईसाई धार्मिक ग्रन्थ के अनुसार, इस दिन ईसा मसीह को सूली पर लटकाए जाने के तीसरे दिन यीशु मसीह पुनर्जीवित हुए थे। इसी दिन को वे ईस्टर सन्डे के रूप में मानते है.
गुड फ्राइडे के दिन प्रभु ईसा को सूली पर चढ़ा दिया था। जिसके तीन दिन बाद यानि संडे को भगवान ईसा ने पुनर्जन्म लिया इस खुशी मे इसाई लोग ईस्टर का पर्व मनाते है।
ये पर्व बड़ी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। ईसा मसीहा एक बहुत ही दयालु तथा परोपकारी व्यक्ति थे। वे हर समय लोगो की सहायता करते रहते थे। वे हर व्यक्ति के दिल मे बचे हुए थे।
सभी उनकी बात मनाते थे। ईसा को भगवान मानते थे। जो ईसा कहते सभी वही करते थे। ये बात सरकार को अच्छी नहीं लगी और सरकार ने ईसा को मानवता के शत्रु के जुर्म मे ईसा मसीहा को फांसी की सजा सुनाई गई।
इस पर सभी इसाई अनुनायी बहुत दुखी हुए। परंतु उनके वश मे कुछ न होने के कारण वे कुछ भी नहीं कर सके। और सरकार की हुकूमत के चलते शुक्रवार के दिन ईसाइयो के भगवान माने जाने वाले ईसा मसीहा को सूली पर चढ़ा दिया गया।
ईसाइयो ने इसका विरोध भी किया पर वे कुछ भी नहीं कर पाये। इसाई लोग बहुत अपने जीवन को भयावह के साथ जी रहे थे। उन्हे सरकार के अगले मुद्दे से डर लग रहा था। एक तो उनके भगवान तुल्य ईसा मसीहा को बिना जुर्म के सूली पर चढ़ाया और दूसरा अपने जीवन पर संकट को देखकर इसाई लोग बहुत दुखी थे।
वे अपने भगवान तुल्य ईसा मसीहा से बार-बार यही प्रार्थना कर रहे थे। कि आप ही कुछ करो। नहीं तो ये हमारा प्राण निकाल लेंगे। ये घड़िया ईसाइयो के लिए बहुत ही दुखद रही वे सरकार के खोफ से सभी एक जगह इकठ्ठा होकर रहने लगे।
ईसा मसीहा के मोती समान शब्दो को कई वर्षो तक के उन शब्दो को याद कर इसाई लोग बहुत ही खराब हालत मे हो गए। यहा तक ही उन्होने कई दिन तक भोजन भी छोड़ दिया। इतना लगाव तथा स्नेह रखते थे।अमृतवाणी बरसाने वाले ईसा मसीहा आज उनके समक्ष नहीं थे।
वे खड़े होने की काबिल मे भी नहीं थे। तभी एक महिला ने दरवाजे को खटखटाया एक व्यक्ति ने दरवाजा खोला और एक महिला आई कमरे के अंदर प्रवेश किया और वह बोली कि मै दो महिलाओ के साथ गाँव जा रही थी।
तभी हमारी नजर ईसा के अभिषिक्त शव पर गई। हमने देखा कि समाधि के पत्थर खिसके हुए थे। हमने हिम्मत की और समाधि के पास गई। तो हमने पाया कि समाधि रिक्त थी।
वहा पर हमने दो यमदूतो को देखा जो कि समाधि के भीतर खड़े थे। उस यमदूत ने कहा तुम यहा ईसा मसीहा को ढूँढने आई हो वो यहा नहीं है। आप पागल है। यहा पर मारे हुए व्यक्ति होते है।
ईसा तो जिंदा व्यक्ति है। जाओ और सभी को ईसा जिंदा है। ये खबर सभी को सुना दो ये कहकर यमदूत फस्म हो गए। तीनों महिला वही बैठकर रोने लगी। तभी वहा पर उन्हे किसी के आने कि आवाज सुनाई दी। उन्होने देखा आने वाला कोई और नहीं प्रभु ईसा ही थे।
ईसा ने कहा मैंने पुनर्जीवित हो गया हूँ। आप जाओ मेरे सभी शिष्यो को शुभ संदेश दो कि भगवान ईसा पुनर्जीवित हो गए है। और वे शीघ्र ही मिलेंगे। ये बात सुनकर लोग सभी आचर्यचकित हो गए।
कुछ समझ मे भी नहीं आ रहा था। एक ही सवाल मन मे आ रहा था। क्या मरा हुआ व्यक्ति जिंदा हो सकता है? ये बात हमे भी असंभव लगती है। परंतु ये बात बिल्कूल सत्य थी।
जब पहली बार महाप्रभु ईसा ने अपने शिष्यो को दर्शन दिये उस खुशी मे इसाई लोगो ने 'ईस्टर' त्योहार मनाकर अपनी खुशी प्रकट की उस दिन के बाद हर वर्ष इसाई लोग ईसा के प्रतीक के रूप मे इस त्योहार को मनाते है।
ये उत्सव गुड फ्राइडे के तीन दिन बाद आता है। ये उत्सव अप्रैल मे बड़ी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन के बाद ईसा अपने शिष्यो को हर रोज दर्शन देने आते थे। और वे हर रोज अपने शिष्यो के पास आते और अपने शुभ विचार तथा उपदेश देते थे।
ईसा अपनी वाणी के प्रारंभ मे कहते ''तुम्हें जीवन मे शांति मिले'' यही कथनो के साथ ईसा ने अपने शिष्यो के साथ कुछ दिन तक समय बिताया था। ईसा पुनर्जीवित होने के बाद अपने शिष्यो के साथ चालीस दिन तक रहे थे।
उसके बाद इसाई लोगो मे से भय बाहर निकल गया और वे आजादी से रहने लगे। इसाई लोग आज भी ईसा मे विश्वास रखते है। कि वे आज भी जिंदा है। और जो भी इसाई व्यक्ति मारता है।
तो सभी ईसा की तरह उससे पुनर्जीवित होने की आश रखते है। इसी कारण ईस्टर को पुनर्जीवित पर्व के रूप मे मनाते है। और इसे आनंददायक पर्व के रूप मे मनाते है.
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