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करत करत अभ्यास ते जड़मति होत सुजान पर निबंध | Karat Karat Abhyas Ke Jadmati Hot Sujan Essay In Hindi

करत करत अभ्यास ते जड़मति होत सुजान | Karat Karat Abhyas Ke Jadmati Hot Sujan- नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत है, आज के इस आर्टिकल में आज हम अभ्यास करने के महत्व को समझाते हुए करत करत अभ्यास ते जड़मति होत सुजान दोहे को समझेंगे.

करत करत अभ्यास ते जड़मति होत सुजान पर निबंध | Karat Karat Abhyas Ke Jadmati Hot Sujan Essay In Hindi

करत करत अभ्यास ते जड़मति होत सुजान पर निबंध | Karat Karat Abhyas Ke Jadmati Hot Sujan Essay In Hindi
अभ्यास एक ऐसा शब्द है, जो निरंतर चलता रहे तो यह असंभव को संभव बना देता है. इसी भाव के साथ कवि कहते है, कि निरंतर अभ्यास से मुश्किल से मुश्किल कार्य को आसानी से हल किया जा सकता है.

निरंतरता अयोग्य व्यक्ति को योग्य बना देती है. अभ्यास करने हर कार्य को करना संभव है. अभ्यास के अभाव में आसन कार्य को भी नहीं किया जा सकता है. लगातर अभ्यास से योग्यता की प्राप्ति की जा सकती है.

निरंतरता की शक्ति का एक उदाहरण यह है, कि किसी रस्सी के द्वारा एक बार से पत्थर को नहीं घिसा जा सकता है. यदि उसी रस्सी को निरन्तरता दी जाए तो वह रस्सी पत्थर को घिसने में सक्षम होती है.

ये उदहारण कुए का है. जहा वह पत्थर को घिस देता है. करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान; रसरी आवत जात ते सिल पर परत निसान" इस दोहे में इसी का वर्णन किया गया है.

इस दोहे के रचियता कवि वृंद इसके माध्यम से हमें ये सन्देश देना चाहते है, कि लगातार सार्थक प्रयास से एक मुर्ख व्यक्ति बुद्धिमान तथा एक असफल व्यक्ति सफल बन सकता है. हर प्रयास का प्रभाव पड़ता है.

हमें अपने जीवन में कभी भी निराशा को लेकर नहीं बैठना है. क्योकि प्रयास करने से हमारी निराशा हमारी ख़ुशी बन सकती है. किसी भी क्षेत्र में एक व्यक्ति के प्रयास उसे कमजोर से सर्वश्रेष्ठ बना सकते है. हमारी कमजोरी हमारा टेलेंट बन सकता है.

हमें जीवन की किसी भी परस्थिति में हार को स्वीकार नहीं करना चाहिए. हमेशा निरंतर प्रयास करने चाहिए. जिससे सफलता मिले या ना मिले लेकिन टेलेंट जरुर मिलता है. कई बार लोग अभ्यास करने से पहले ही हार मान लेते है.

एक छोटी सी रस्सी पत्थर से कठोर पदार्थ पर अपने निशान छोड़ देती है, तो हम अपना कार्य करके भी अपने जीवन को प्रभावित कर सकते है. हर प्रयास हमें मजबूत बनता है. और आख़िरकार सफलता हाथ लगती है.

कोशिश करने वालो की कभी हार नहीं होती इस कविता को सुना ही होगा. इसमें जिस प्रकार एक छोटी चींटी एक दाना लेकर दीवार पर चढ़ने का प्रयास करती है, पर वह बार बार फिसल जाती है. जिसका अर्थ है. वह असफल हो जाती है.

असफलता हाथ लगने से वह रूकती नहीं है. तथा प्रयास करती रहती है. जिसके परिणामस्वरूप कई प्रयासों से वह सफल हो जाती है. और दीवार पर चढ़ जाती है. अर्थात कोशिश करने वालो की कभी हार नहीं होती है.

हमें अपने जीवन को एक साइकिल की तरह मानना चाहिए. जिसे चढ़ान में मुश्किल का सामना करना पड़ता है. पर हर चढ़ान के बाद ढलान आती है. अर्थात हर असफलता के पीछे सफलता छिपी होती है.

हमारे जीवन में मुशिकले आएँगे. और असफलता भी मिलेगी. असफलता ही सफलता का मूल मन्त्र है. यदि हम असफल नहीं हो रहे है. तो इसका अर्थ है, हम कोई प्रयास ही नहीं कर रहे है.

प्रयास से ही असफलता और सफलता मिलती है. यदि हम प्रयास करना ही छोड़ दें. तो हमें असफलता या निराशा हाथ ही नहीं लगती है. पर सफलता भी नहीं मिल पाती है. अर्थात हमें लगातार प्रयास करना चाहिए. सफलता की ओर नहीं देखना चाहिए.

किसी ने कहा है, कर्म करो पर फल की इच्छा मत करो. इसलिए हमे लगातर संघर्ष करने रहना है. और सफलता या असफलता के बारे में नहीं सोचना है. हमारी मेहनत के आगे सफलता जरुर झुकेगी.

Karat Karat Abhyas Ke Jadmati Hot Sujan Story

एक गुरु के दस शिष्य से सभी शिष्य बुद्धिमान और शिक्षा में बहुत ही होनहार थे. पर उनमे से एक शिष्य मंदबुद्धि का था. जो किसी भी तरह के ज्ञान की प्राप्ति कर पाने में सक्षम नहीं था.

वो हमेशा खुद को कोसता रहता था. कि मै कुछ सीख नहीं सकता हूँ. इसके बुद्धिमान दोस्त उसे हमेशा खुद से तुलना करके शर्मिंदा करते थे. और मुर्ख कहते थे. वह सुनता रहा पर उसने कभी प्रयास ही नहीं किया.

लम्बे समय तक दोस्तों के ताने सुनने के बाद वह एक दिन अपने गुरु के पास जाकर उनसे कहता है. गुरूजी शिक्षा मेरे वस् की बात नहीं है. मै बुद्धिमान नहीं बन सकता हूँ. मै मुर्ख ही रहूँगा.

गुरूजी अपने शिष्य को मानसिक रूप से टुटा हुआ देककर उसे कुए के पास ले जाते है. और कुए के घिसे हुए पत्थर की ओर इशारा करके कहते है, यह कैसे घिस गया? शिष्य कहता है. गुरूजी इस रस्सी से.

गुरु कहते है. शिष्य यदि निरंतर चलने से यह कमजोर रस्सी इस पत्थर पर निशान बना सकती है. इस पत्थर को घिस सकती है. तो आप प्रयास करके कमजोर से बुद्धिमान क्यों नहीं बन सकते हो?

इस वाक्य को सुनकर शिष्य का जीवन बदल गया. इसकी मानसिकता बदल गई. और उसने प्रयास किया और एक साल के बाद वह शिष्य गुरु का सबसे श्रेष्ठ ज्ञानी शिष्य बना और गुरु को धन्यवाद दिया.

विद्यार्थी के जीवन में अभ्यास का क्या महत्व है?

एक विद्यार्थी के जीवन में अभ्यास का विशेष महत्व होता है. क्योकि सफलता की बुनियाद विद्यार्थी जीवन में ही बनती है. इसलिए हमें विद्यार्थी जीवन में इसकी महता को समझना चाहिए.

विद्यार्थी जीवन से यदि निरंतर अभ्यास किया जाए तो हम अवश्य ही सफल होते है. विद्यार्थी जीवन एक साइकिल सिखने की तरह होता है. जिसमे शुरूआती स्टेप बहुत ही जरुरी होते है.

साइकिल सीखते समय हम कई बार गिरते है. शुरुआत में हम साइकिल को पैरो की सहायता से चलाते है. और फिर ड्राईवर बन जाने के बाद हम सहारा छोडकर चला सकते है. इसलिए हमें चरणबद्ध रूप से प्रयास करना चाहिए.

अभ्यास की शुरुआत के समय हमें कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. तथा हम कई गलतिय भी करते है. पर हमें इन गलतियों को नजरअंदाज करने की बजाय इनमे सुधार करना बहुत ही आवश्यक है.

जिस प्रकार छोटा बच्चा अपने शुरुआत प्रयास में पेंसिल का प्रयोग करता है. क्योकि उसे मिटाया जा सकता है. और उसमे सुधार किया जा सकता है. पर जब सिख जाते है.

तो पेन का प्रयोग करते है. जिसमे सुधार की कोई गुंजाइश नहीं रहती है. इसलिए कार्य करने में गलतियों का होना जरुरी है. क्योकि हर गलती और हर भूल हमें सिखाती है. भूल गुरु के समान होती है. जो हर बार कुछ न कुछ सिखा देती है.

निरन्तरता हमारे जीवन के लिए सबसे बड़ा हथियार है. हमें हर समय प्रयास करते रहना चाहिए. हर  प्रयास हमें सिखाता है. हर प्रयास में हम अपनी गलतियों को पहचानकर उसमे सुधार कर सकते है. तथा अगले प्रयास में उसकी सहयता ले सकते है.

किसी भी कक्षा में सबसे अधिक अनुभवी विद्यार्थी फेलियर होता है. जो दुसरो से एक वर्ष अधिक अनुभवी होता है. इसलिए हमें असफलता के घुटने टेकने की बजाय उसका समान करना चाहिए. तथा अपनी असफलता को सफलता में बदलना चाहिए.

आज दुनिया के अधिकतर लोग जो सफल नजर आते है. उसने पीछे उनका कड़ा संघर्ष होता है. यदि हम क्रिकेट में देखे तो सचिन तेंदुलकर जो क्रिकेट के भगवान कहलाते है. पर जब उन्होंने शुरुआत की तब उन्हें कई बार चोट का सामना करना पड़ा.

पहले ही मैच में पाकिस्तान के खिलाफ सचिन को गेंद ने खून से रंग दिया था. पर यदि सचिन उस दिन हार मान लेते और क्रिकेट छोड़ देते तो आज हम उन्हें क्रिकेट का भगवान नहीं असफल व्यक्ति मानते.

कार्य चाहे कितना भी कठिन हो हमारा दृढ संकल्प और निरंतर प्रयास हर कार्य को संभव करता है. निरंतर अभ्यास ही सफलता की कुंजी है. इसलिए हमें सफलता की ओर नहीं अभ्यास की ओर ध्यान देना चाहिए.

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