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कारगिल विजय दिवस पर निबंध Essay On Kargil Vijay Diwas In Hindi

कारगिल विजय दिवस पर निबंध Essay On Kargil Vijay Diwas In Hindi- नमस्कार दोस्तों आप सभी का स्वागत है, आज के हमारे आर्टिकल में जिसमे हम कारगिल विजय दिवस कब, कैसे और क्यों मनाया जाता है? कारगिल विजय दिवस पर निबंध कैसे लिखें जानिए? आदि के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे.

कारगिल विजय दिवस पर निबंध Essay On Kargil Vijay Diwas In Hindi

कारगिल विजय दिवस पर निबंध Essay On Kargil Vijay Diwas In Hindi

कारगिल दिवस दिवस यानि भारत द्वारा कारगिल पर फतह करने की ख़ुशी में इस दिवस को मनाया जाता है. आप सभी देशवासियों को इस दिवस की शुभकामनाएं और खूब सारी बधाईयाँ.


भारत और पाकिस्तान के बीच समय समय पर युद्ध और बहसे होती रहती है. पाकिस्तान कई बार देश में हमले करवाता रहता है. उसी कड़ी में 1999 में पाकिस्तान के कुछ सैनिको ने भारत की कारगिल घाटी पर छुपके से अपना स्थान बना लिया.


भारत पकिसत्न एक समझौते के अनुसार इस जगह पर से सेनाओ को हटा दिया गया था, पर पाकिस्तान की इस हरकत के बाद भारत ने इस गलती का सबक सिखाया तथा पाकिस्तान के साथ युद्ध कर उन्हें यहाँ से भगा दिया.


भारतीय सेना के द्वारा कारगिल युद्ध के दरमियान चलाए गए ऑपरेशन विजय को सफलतापूर्वक 6 जुलाई 1999 में पूर्ण कर लिया गया था और घुसपैठियों के चंगुल से भारत भूमि को आजाद कराया गया था। 


इसी की याद में हर साल कारगिल दिवस को 26 जुलाई के दिन धूमधाम के साथ मनाया जाता है जो शौर्य का दिन भी कहा जाता है। कारगिल विजय दिवस के दिन हंसते-हंसते भारत माता के लिए अपने प्राणों की आहुति कुर्बान कर चुके वीर योद्धाओं को याद किया जाता है और उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया जाता है।


कारगिल युद्ध को कारगिल संघर्ष के नाम से भी जाना जाता है। कारगिल युद्ध पाकिस्तान और भारत के बीच साल 1999 के मई के महीने में कश्मीर के कारगिल जिले से शुरू हुआ था। 


इस युद्ध की शुरुआत पाकिस्तानी सेना के द्वारा की गई थी क्योंकि पाकिस्तानी सेना के द्वारा और पाकिस्तानी सेना के द्वारा समर्थित आतंकवादियों ने लाइन ऑफ कंट्रोल अर्थात एलओसी को कैप्चर कर लिया था साथ ही भारत की कई चेक पोस्ट पर भी कब्जा कर लिया था और भारत की राष्ट्रीय अस्मिता को कमजोर करने का काम किया था।


कारगिल युद्ध 2 महीने से भी अधिक समय तक चला था। इस युद्ध में भारतीय थलसेना और वायुसेना ने लाइन ऑफ कंट्रोल को पार ना करने के आदेश के बावजूद पाकिस्तानी सेना को मार मार कर भगाया और उनके द्वारा कब्जा की गई सभी चेक पोस्ट को भी आजाद करवाया।


कारगिल युद्ध में भारतीय जवानों ने अद्भुत वीरता का परिचय दिया था और अपनी वीरता के दम पर उन्होंने पाकिस्तानी सेना को पीछे खदेड़ दिया। 


इस युद्ध में भारत के तकरीबन 527 से भी ज्यादा वीर योद्धा शहीद हुए थे और 1300 से भी अधिक सैनिक घायल हुए थे जिनमें से अधिकांश सैनिक 30 साल से कम उम्र के ही थे। इन्हीं शहीदों ने भारतीय सेना की लाज रखते हुए बलिदान की सर्वोच्च परंपरा का निर्वहन किया।

 

कारगिल युद्ध में ऐसे कई सैनिक भी शहीद हो गए थे जिन्होंने अपने घर वालों से यह वादा किया था कि वह युद्ध से वापस लौट कर अवश्य आएंगे परंतु यही युद्ध उनके जीवन का अंतिम युद्ध बन गया। 


हालांकि वीर शहीदों के परिवार वालों ने कभी भी अपने बेटे की कुर्बानी पर सरकार को नहीं कोसा बल्कि उनका यही कहना है कि वह अपने बेटे की वीरता पर फक्र करते हैं और वह भगवान से प्रार्थना करते हैं कि हर बार भगवान उनके परिवार में भारत माता के लिए कुर्बान होने की इच्छा रखने वाला बेटा दे।


कारगिल युद्ध में कैप्टन विक्रम बत्रा, मनोज पांडे, सौरभ कालिया, अनुज नायर जैसे सैनिकों ने अपने शौर्य का पराक्रम बताया था। कारगिल युद्ध जिस जगह पर लड़ा गया था.


वह ऊंचाई पर लड़े जाने वाले दुनिया के प्रमुख लड़ाइयो में से एक था और सबसे बड़ी बात यह थी कि दोनों ही देश परमाणु शक्ति से संपन्न थे परंतु कोई भी युद्ध हथियारों के दम पर नहीं बल्कि साहस, बलिदान, राष्ट्रप्रेम के दम पर लड़ा जाता है और जीता जाता है और इस चीज की कमी भारतीय सैनिकों में बिल्कुल भी नहीं है। 


भारतीय सैनिक हमेशा अपने भारत माता की रक्षा के लिए मरने और मारने का दम रखते हैंल इसलिए कोई भी हमारे भारत देश की तरफ आंख उठा कर नहीं देखता।