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पर्यावरण की रक्षा कैसे करें पर निबंध | How to Protect the Environment Essay in Hindi

पर्यावरण की रक्षा कैसे करें पर निबंध | How to Protect the Environment Essay in Hindi- पर्यावरण हमारे जीवन का अभिन्न अंग है, हमारे जीवन में सबसे महत्वपूर्ण घटन पर्यावरण ही है. इसलिए इसकी रक्षा करना हमारा दायित्व है, आज के आर्टिकल में हम How to Protect the Environment के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे.

पर्यावरण की रक्षा कैसे करें पर निबंध | How to Protect the Environment Essay in Hindi

पर्यावरण की रक्षा कैसे करें पर निबंध | How to Protect the Environment Essay in Hindi

हमारे चारो ओर स्थिति हर वो चीज जो पृथ्वी पर स्थित है. पर्यावरण कहलाती है. हम पर्यावरण से घिरे हुए है. पेड़ पौधों से लेकर जीव-जंतु और नदिया झरने तथा पहाड़ भी एक पर्यावरण का ही भाग है. प्राकृतिक पर्यावरण वास्तविक जीवन्तता को बढ़ावा देती है.

नदियां मुझ से कर रहीं, चुभता एक सवाल
कहाँ गया पर्यावरण ,जीना हुआ मुहाल।

तान कुल्हाड़ी है खड़ा ,मानव जंगलखोर
मिटा रहा पर्यावरण ,चोर मचाये शोर।

जैसा की उक्त पंक्तियों से ज्ञात है, हमारे पर्यावरण को दूषित करने वाले, अपने पर्यावरण को नुकसान देने वाले ही ढिंढोरा पिट रहे है, पर्यवरण बचाओ-पर्यावरण बचाओ.

हम सभी जीव-जन्तुओ पेड़-पौधों ओर सभी जिन्हें हम अपने आस पास पाते है. सभी का संरक्षण पर्यावरण द्वारा किया जाता है. पर्यावरण यानि परि+ आवरण यानि चारो और का घेरा. हमारी रक्षा करने वाले पर्यावरण के प्रति सजग होने की आवश्यकता है. 

हमारा आश्रय ही प्रकृति है, तथा इसके साथ हमारे द्वारा किया जाने वाला दुर्व्यवहार किसी भी तरह से तर्कसंगत सिंद्ध साबित नही होगा. आज भौतिकता की बढती चकचौंध ने मानवीय जीवन को इस कद्र प्रभावित किया है, जिससे वो इस सदमे से बहार नही निकल पाया है.

स्ट्रेस तथा तनावपूर्ण स्थिति में प्रकृति की गोद हमें अपना लेती है, तथा अपने शुद्ध वातावरण रूपी जड़ा बूटी से हमारे तनाव से अवमुक्त करा देती है. 

आज हम सभी के लिए पर्यावरण प्रदुषण एक बड़ी समस्या बनी हुई है. इससे हमारा पर्यावरण प्रदूषित होता जा रहा है. इसका बचाव किया जाना चाहिए. 

जिसके लिए हमें प्रयास करने चाहिए. आज के इस लेख में हम पर्यावरण की रक्षा हम कैसे करे? के बारे में बताएँगे. वे तरीके जिनके द्वारा हम पर्यावरण को सुरक्षित तथा संरक्षित रख सकते है.

पर्यावरण की रक्षा कैसे करें पर निबंध 10 पंक्तियाँ (100 - 150 शब्द)

1) प्लास्टिक की पोलीथिन उपयोग कम करके हम पर्यावरण को बचा सकते हैं।

2) प्रकृति द्वारा दिए गए प्राकृतिक संसधानो की रक्षा करके हम पर्यावरण की रक्षा कर सकते है।

3)कृषि क्षेत्रो में उपयोग में ली जाने वाली रासायनिक खाद को बंद करके उसकी जगह जैविक खाद का चयन करना पर्यावरण के लिए हितकारी होगा.

4) लोगो द्वारा की जा रही वनों की अंधाधुंध कटाई पर रोक लगाकर हम पर्यावरण को बचाने में अपना योगदान दें सकते है.

5) बढ़ते वायु प्रदुषण को कम करने के लिए प्रदुषण रहित वाहनों का प्रयोग कर सकते है, जिसमे साइकिल तथा इलेक्ट्रिक वाहन का प्रयोग कर सकते है.

6) उचित कचरा तथा  सीवेज का उपचार पर्यावरण के लिए सहायक सिद्ध होता है।

7) हम 3R की योजना के द्वारा पर्यावरण को बचा सकते है. 3 R अर्थात रीसायकल, रिड्यूस और रीसायकल इनके माध्यम से पर्यावरण को सुरक्षित किया जा सकता है.

8) राजकीय स्तर पर या अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर जन जागरूकता अभियान चलाकर लोगो में जागरूकता फैला कर पर्यावरण की सुरक्षा को सुनिश्चित करने में अपना योगदान दें सकते है.

9) सार्वजानिक वाहनों का प्रयोग तथा नवीकरणीय संसाधनों को प्रयोग में लाकर हम पर्यावरण को सुरक्षित बना सकते है।

10) बिजली निर्माण में होने वाली जल की खपत तथा प्रदुषण को हम बिजली का सही से प्रयोग करके तथा प्राकृतिक संसाधनों से बिजली का निर्माण करने वाले संसाधन जैसे सौर उर्जा का प्रयोग करके पर्यावरण को बचाने में योगदान दें सकते है।

पर्यावरण की रक्षा कैसे करें पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द)

प्रस्तावना

हमारे जीवन तथा सभी प्रजातियों के जीवन की रक्षा करने के लिए तथा मनाव जीवन का स्वस्थ और स्वच्छ होने के लिए पर्यावरण का साफ सुथरा होना सबसे महत्वपूर्ण है. स्वार्थी स्वभाव के कारण मानव जिस पर्यावरण में रहता है, उसे ही अपने कार्यो द्वारा क्षतिग्रस्त करता है.

पर्यावरण संरक्षण के तरीके

पर्यावरण को हम बचाने के लिए हमें कोई बलिदान देने की आवश्यकता नही है. हमें अपनी कुछ उन मानवीय क्रियाओ को बंद करना होगा, जिससे पर्यावरण दूषित हो रहा है. जिसमे प्लास्टिक बैग तथा उसके उपयोग , उतपाद पर रोक लगाकर हम पर्यावरण को बचा सकते है.

अपने आस पास साफ सफाई रखे सभी को इसके प्रति सजग करें. किसानो भाइयो से निवेदन करें, कि जैविक पदार्थों का प्रयोग करे. रासायनिक खाद तथा कीटनाशक का प्रयोग खेत में ना करें.

हम सभी अपने आप को बड़ा साबित करने के लिए परसनल गाड़ी से यात्रा करते है. जिससे प्रदुषण होता है. हम कम तथा सार्वजानिक गाडियों को यात्रा का साधन बनाकर प्रदुषण को काफी हद तक कम कर सकते है. आज दिल्ली जैसी बड़ी सिटी में प्रदुषण अपने चरम पर है.

सभी समस्याओ का एक ही हल वृक्षारोपण है. पेड़ पौधों अधिक से अधिक लगाकर हम अपनी प्रकृति को उजड़ने से बचा सकते है. लगातार वनों की हो रही कटाई को रोककर नए वृक्ष लगाकर हम अपने पर्यावरण को सुरक्षित करने में अपना योगदान दें सकते है.

पर्यावरण संरक्षण में छात्रों की भूमिका

यदि आप एक विद्यार्थी है, तो आप इस विषय को सही ढंग से समझकर इसमे अपना बहुमुल्यी योगदान दें सकते है. एक विद्यार्थी पर्यावरण के प्रति तथा उसके संरक्षण की पद्धति के प्रति विवेक के लिए बहुत संवेदनशील और ग्रहणशील होते है.

मानवीय गतिविधियों द्वारा पर्यावरण को ही रही क्षति तथा इसे कम करने के उपाय को एक विद्यार्थी के समक्ष रखने में आसानी होती है. तथा आज का विद्यार्थी कल का युवा बनेगा. इसलिए उर्जावान विद्यार्थी इसमे अपना योगदान दे सकते है.

निष्कर्ष

आज हमें जरुरत है, कि हम सभी मिलकर यह संकल्प लें, कि पर्यावरण को दूषित होने से बचायेंगे. इसके लिए हम सभी को सक्रिय कार्य करने होंगे. जन जाग्रति के द्वारा सभी को पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी को तैयार करना होगा. 

पर्यावरण सुरक्षा पर निबंध { 500 शब्द } 


परिचय:

प्रकृति के द्वारा दिया गया पर्यावरण एक अनमोल उपहार है, जिसके बदलौत पृथ्वी पर जीवन कायम है. हमारी सुरक्षा करने वाला पर्यावरण के हम दुश्मन बन रहे है. अपनी मानवीय क्रियाकलापों से इसे हम कमजोर बना रहे है. 

हमारे द्वारा इस प्रकृति में फैलाए जा रहे प्रदूषण, वनों की कटाई, जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक संसाधनों की कमी आदि कार्यो से हम अपनी भावी पीढियों से एक स्वच्छ पर्यावरण छीन रहे है. आज हम सभी का दायित्व बनता है, कि हम सभी मिलकर कुछ ऐसे कदम उठाए जिससे हमारा पर्यावरण बच सकें.

पर्यावरण की सुरक्षा कैसे करे?

जागरूकता बढ़ाएं:- आज किसी भी कार्य को पूरा करने में जनजागरूकता पहला कदम होता है. सोशल मिडिया के द्वारा, शिक्षा अभियान के द्वारा , मीडिया कवरेज और सामुदायिक पहल करके पर्यावरण के लिए  मानवीय गतिविधियों के दुष्प्रभाव के बारे में लोगो को जागृत करें. 

इस समस्या का उचित हल निकालने के लिए जनजागरूकता का सहारा ले सकते है. इस समस्या की जड़ कोई एक समुदाय या समाज नही है. सभी नागरिक किसी न किसी तरह से इसमे योगदान दे रहे है, तो सभी का दायित्व बनता है, कि वे इसकी रक्षा में भी अपना योगदान दें.

Reduce, Reuse, and Recycle:- हमारे द्वारा पर्यावरणीय क्षति का एक कारण संसाधनों की अत्यधिक खपत और अपशिष्ट उत्पादन भी है. इसे हम कम करके अपने पर्यावरण को बचा सकते है. 

कुछ ऐसे पदार्थ जो पर्यवरण को प्रदूषित करते है, पर उनका प्रयोग पूर्णत बंद नही किया जा सकता है. उन्हें "कम करें, पुन: उपयोग करें और पुनर्चक्रण करें" इस मन्त्र से काफी हद तक हम सामग्रियों के पुनः प्रयोग से अपशिष्ट को कम कर सकते है. तथा अपने संसाधनों को संरक्षित कर सकते है.

ऊर्जा संरक्षण:-  ग्रीन हाउस गैसें उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन में ऊर्जा उत्पादन मैं मुख्य योगदान देता है ऊर्जा संरक्षण के द्वारा न केवल पर्यावरण की सुरक्षा में मदद मिलती है बल्कि इसके द्वारा जीवाश्म ईंधन पर हमारी निर्भरता में भी कमी देखने को मिलती है.

उपयोग में न होने के कारण रोशनी के उपकरणों को बंद करना ऊर्जा कुशल प्रकाश बल्बों का प्रयोग करना और सूर्या पवन ऊर्जा जैसे नवीनीकरण ऊर्जा के संसाधनों को चुनना हमारे लिए फायदेमंद विकल्प को बढ़ाता है। 

जल का संरक्षण करें:- जल एक महत्वपूर्ण संसाधन है जिसके बिना जीवन संभव नहीं है जल की रक्षा के लिए हमें जल स्रोतों की रक्षा करनी होगी। 

जल संरक्षण विधियों द्वारा जल को एकत्रित करके उसको उपयोग में लाकर तथा दूषित किए जा रहे जल को बचाकर हम जल संरक्षण में अपना योगदान देकर पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं।

जल से ही जंगल तथा जंगली जीव का अस्तित्व रह सकता है. जल जीवन के लिए जरुरी है. इसलिए इसका साफ होना सबसे जरुरी है. जल को दूषित होने से बचाकर हम कई जलीय प्रजातियों तथा प्रकृति को बचा सकते है. 

सतत परिवहन को बढ़ावा देना:- पर्यावरण की रक्षा के लिए हम सार्वजनिक वाहनों का यूज करके इसमें अपना योगदान दे सकते हैं सार्वजनिक परिवहन कार पुलिंग तथा साइकिल जैसे संसाधनों का प्रयोग करके हम पर्यावरण को दूषित होने से बचा सकते हैं.

इससे यातायात साधनों में कमी के साथ ही वायु की गुणवत्ता में भी सुधार देखने को मिलता है सार्वजनिक वाहन प्रणाली की नीतियों को बढ़ावा देकर हम परिवहन के सार्वजनिक विकल्पों को प्रोत्साहित कर सकते हैं। 

प्राकृतिक आवासों का संरक्षण करें:- मानव अपने स्वार्थवश वन और जंगलों की कटाई करने में कोई कसर नहीं छोड़ता इससे उनमें रहने वाले जीवो के लिए प्राकृतिक आवास समाप्त हो जाता है जो पारिस्थितिकी तंत्र के लिए खतरनाक है.

हम सभी को मिलकर इन क्षेत्रों को संरक्षित क्षेत्र घोषित करके इनमें कटाई या शिकार करने पर प्रतिबंध लगाना चाहिए जिससे प्राकृतिक पेड़ पौधों के साथ-सथ जंगली जीवो की जीवन की रक्षा भी की जा सके। 

पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं का समर्थन करें:- हमारा देश रीती और परम्पराओ में विश्वास रखता है. ऐसे में कई ऐसे समाज है, जहा आज कई प्रकार की रीतिया प्रचलित है. जिसमे कई समाज पर्यावरण संरक्षण को तवज्जो देते है. तो कई समाज जानवरों की रक्षा को लेकर जागरूक रहते है.

ऐसे में हम सभी का यह कर्तव्य बनता है, कि हम उन सभी रीतियों को अपनाए जिससे हमें तथा हमारे पर्यावरण को फायदा हो रहा है. 

जो समाज जीवो की रक्षा या प्रकृति की रक्षा की बात करता है. उसका समर्थन करके हम उससे उत्साहित कर सकते है. तथा अन्य लोगो को भी इसके लिए प्रेरित कर सकते है.

व्यवसायों और उद्योगों में पर्यावरण अनुकूल विधियों को उपयोग में लाकर हम पर्यावरण को दूषित होने से बचा सकते है. हम व्यवसायों और उद्योगों में पर्यावरण मित्र विधियों का प्रयोग से एक सकारात्मक बदलाब देख सकते है. इसके लिए हम कम्पनी को प्रोत्साहित कर सकते है.

नीति परिवर्तन के पक्षधर:- पर्यावरण की रक्षा अपने आप में एक बड़ा विषय है, यह अंतराष्ट्रीय मुद्दा है. इसलिए एक व्यक्ति या एक समाज इसे सोल्व नही कर सकता है. इसलिए सरकारी हस्तक्षेप आवश्यक है. तथा एक संगठन की जरुरत है, जो इसके लिए हमेशा तैयार रहे.

सरकार पर्यावरण से सम्बंधित मामलों को प्राथमिकता दें. तथा पर्यावरण रक्षा की बात करने वालो का समर्थन करें. तथा लोगो को पर्यावरण रक्षा के लिए प्रोत्साहित करें. विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम द्वारा इस मामलो को सबके समक्ष प्रस्तुत करें.

निष्कर्ष:- पर्यावरण की रक्षा करना हम सभी की जिम्मेदारी है. इसके हम सभी को व्यक्तिगत प्रतिबद्धता, सामुदायिक भागीदारी और सरकारी कार्रवाई की जरुरत रहती है. 

हम अपने समाज में जागरूकता बढ़ाकर, टिकाऊ प्रथाओं को अपनाकर, संसाधनों का संरक्षण करके और नीतिगत बदलावों की वकालत करके पर्यावरण की रक्षा में अपना योगदान दें सकते है.

निबंध 3 (600 शब्द) – पर्यावरण को संरक्षित करने के कारण और तरीके

परिचय

हमारे चारो ओर के पेड, पौधे, जंगल नदियाँ और सभी प्राकृतिक चीजो को हम पर्यावरण कहते है. हम जिस आवरण से घिरे हुए है. उसे हम पर्यावरण कहते है. हमारे लिए यह एक उपहार की तरह होता है. पर हम अपने लाभों के लिए इसे बर्बाद कर रहे है.

मानवीय गतिविधियों से पर्यावरण दूषित होता जा रहा है.  इसलिए पर्यावरण की रक्षा करने के लिए हमें ठोस कदम उठाने होंगे, तथा कुछ ऐसे नियम लागू करने होंगे, जो पर्यावरण को दूषित होने से बचाए. पर्यावरण की रक्षा की आवश्यकता क्यों? हम इस लेख में जानेंगे.

हमें पर्यावरण की रक्षा करने की आवश्यकता क्यों है?

पर्यावरण ही हमारा घर है। यह वही जगह है जहां हम रहते है। वास्तव में यह जीवन के लिए बहुत ही आवश्यक होता है। नीचे कुछ मुख्य कारणों को दर्षाया गया है कि हमें पर्यावरण की रक्षा क्यों करनी चाहिए।

ये हमें भोजन देते है

हमारा पर्यावरण हमारे भोजन का प्रमुख श्रोत है जो हम खाते है। सभी तरह के अनाज से लेकर फल, सब्जीयां, इत्यादि हमें सबकुछ पर्यावरण से ही मिलता है। 

क्या इतनी बड़ी आबादी के लिए प्रचुर मात्रा में खाद्य आपूर्ति के बिना जीवित रहना संभव होगा? पर्यावरण को नुकसान कर हम अपने ही खाद्य आपूर्ति में बाधा डाल रहे है।

 पर्यावरण हमारा आवास है और अपने आवास की सुरक्षा करना हमारा कर्तव्य होता है पर्यावरण हमें भोजन प्रदान करता है यह भोजन का एक प्रमुख स्रोत है। पर्यावरण में उपस्थित पेड़ पौधों से हमें फल फ्रूट सब्जियां प्राप्त होती है वही अनाज भी प्राप्त होता है। 

पर्यावरण को हम दूषित करके हम पर्यावरण से मिल रहे खाद्य पदार्थों को रहे हैं खाद्य आपूर्ति के बिना एक व्यक्ति के जीवन का अस्तित्व संभव नहीं है। मानव की साथ ही यह जंगली जीव जंतुओं के लिए आवास और उनके भोजन का मुख्य स्रोत है.

इसके द्वारा ही जंगली जानवरों को आहार प्राप्त होता है। लोगों के द्वारा लगातार काटे जा रहे वनों के कारण जंगली जीव के घर उजड़ रहे हैं इसलिए पर्यावरण रक्षा आवास की दृष्टि से भी आवश्यक है।

आवश्यक जीवन तत्वों की आपूर्ति (प्राकृतिक संसाधन)- यदि मानव जीवन के लिए सबसे जरुरी दो तत्वों की बात की जाए तो वो जल और हवा है. ये दोनों हमें पर्यावरण ही प्रदान करता है. ऐसे में हमें इन तत्वों को सुरक्षित रखने के लिए पर्यावरण की रक्षा करनी होगी.

हमारे द्वारा की जा रही पेड़ पौधों की अंधाधुंध कटाई से बढ़ता प्रदुषण बढ़ रहा है. तथा हवा की गुणवता में कमी आ रही है. शुद्ध हवा के अभाव में हमारा जीवन संभव नही है. इसलिए अपने लिए ही सही पर्यावरण को बचाने में अपना योगदान दें.

जल जो हमारे लिए सबसे जरुरी पेय पदार्थ है. इसके बिना जीवन संभव नही है. जल के बिना जीव-जन्तु हो, या पेड़ पौधों हो या जलीय जीव किसी का भी जीवन संभव नही है. यानी पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने के बजाय हम अपने संसाधनों को खोखला बना रहे है.

आजीविका बनाए रखती है

पर्यावरण न केवल हमे जीवन उपयोगी संसाधन प्रदान करता है, बल्कि यह हमें आजीविका के कई स्रोत प्रदान करता है. जिसमे खेती , फल विक्रेता, मछुआरे, इत्यादि काम शामिल है. 

इसके साथ ही कई प्रकार के व्यापार तथा वन की कटाई करके लकड़ी की बिक्री करना जैसे अनेक व्यवसाय इन पर निर्भर रहते है.

पूर्ण रूप से इकोसिस्टम का समर्थन करता है

पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने के लिए पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलित होना आवश्यक है. पर्यावरण में उपस्थित सभी तत्व जब संतुलित रहते है, तो यह हमारे लिए सबसे लाभदयक होता है. तथा पर्यावरण की सबसे बेहतर स्थिति पारस्थितिकी संतुलन में ही रहती है.

हम पर्यावरण का संरक्षण कैसे कर सकते है – 5 सरल तरीके?

1. अपशिष्ट नियंत्रण

बढती जनसख्या की बढती मांग के कारण कचरा लगातार बढ़ता जा रहा है. कचरे का अनुचुती तरीके से कोई निपटारा नही हो रहा है. प्लास्टिक और अन्य अनिम्निकरण पदार्थो का इर्द गिर्द फैला देने से प्रदुषण बढ़ता है. इससे वायु के साथ साथ मृदा को भी क्षति पहुँचती है.

नई तकनीको के द्वारा आज हमें कचरे का निपटारा करना चाहिए. शहरों में कचरे को एकत्रित करने के लिए अभियान चल रहा है. जहाँ कचरा वाहन के द्वारा शहर का कचरा एकीकृत किया जाता है. जिसमे सुखा तथा गीला कचरा अलग अलग रखा जाता है. जिसके बाद उसका उचित नियोजन किया जाता है. 

2. वर्षा जल संचयन

पानी पेड़ पौधों और जीव जन्तुओ के लिए बहुत जरुरी है. कई क्षेत्र जहाँ वर्षा बहुत कम होती है. वहा हम वर्षा जल का संचय कर पर्यावरण को सुरक्षित बना सकते है. जंगली एरिया जहाँ वर्षा का जल एकीकृत करने से जीव जन्तुओ को पीने के लिए उपलब्ध होता है. तथा आस पास की वनस्पति को भी जल उचित मात्रा में मिलता है.

3. इको-फ्रेंडली बनें

पर्यावरण को हम अपना मित्र बनाकर यदि इसकी सुरक्षा सुनिश्चित करें. तो हम प्रदुषण की समस्या से निपट सकते है. इसके लिए हमें कई त्याग करने पड़ेंगे पर पर्यावरण हमें कई प्रकार के लाभ देगा. पेड़ पौधों को लगाकर हम पर्यावरण के हित के लिए अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकते है.

4. रासायनों से दूर रहें

आज के समय में उपज ज्यादा करने के लिए तथा खेत की उर्वरक क्षमता बढाने के लिए किसान भाई रसायनों का प्रयोग करते है. जिसमे यूरिया जैसे खतरनाक रसायन भी शामिल है. जो मृदा को क्षतिग्रस्त कर देते है.

हम जहाँ तक संभव हो, खेती को जैविक खेती के रूप में ढालकर पर्यावरण तथा मृदा का बचाव कर सकते है. रसायनों खेत के साथ ही जमीनी जीवो की भी मौत का कारण बनते है.

5. ड्राइव कम करे और अधिक चलें

सबसे अधिक हमारा पर्यावरण प्रदुषण वाहन से निकलने वाले धुंए से हो रहा है. ऐसे में एक पर्यावरण प्रेमी होने के नाते हमारा कर्तव्य बनता है, कि हम सार्वजानिक वाहनों का अधिक प्रयोग करें. अपने प्राइवेट वाहनों की तुलना में. 

जहाँ तक संभव हो सकें. हम पैदल या साइकिल जैसे साधनों का प्रयोग कर सकते है, जो प्रदुषण नहीं करते है. वाहन प्रदुषण के कारण ही देश के बड़े बड़े शहर आज प्रदुषण की समस्या का सामना कर रहे है.

निष्कर्ष

पर्यावरण हमारा परिवार है, तथा हम इसके सदस्य है. यह हमारे लिए सुरक्षा सुनिश्चित करता है. हम अपने आप की सुरक्षा के लिए पर्यावरण को स्वच्छ रख सकते है. पर्यावरण के लिए जागरूक होना हमारा पहला कर्तव्य है. सभी को इसके लिए जागरूक करें.

पर्यावरण की रक्षा निबंध

परिचय:

हमारी संस्कृति में पर्यावरण की रक्षा करना सभ्यता का महत्वपूर्ण एवं अभिन्न अंग रहा है। पर्यावरण प्रकृति द्वारा भेंट किया गया एक अनमोल तोफा है. जो हमें जीवन में हमेशा खुश, स्वस्थ और प्रगतिशील रहने में सहायता करता है.

इन सभी तोफो के बावजूद भी आधुनिक युग की बढ़ती जनसंख्या, औद्योगीकरण, वाहनों के उपयोग, वनस्पतियों और जीवों के विनाश के कारण हमारे मित्र कहे जाने वाले पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही है. जो एक चिंता का विषय है. इस पर हमें अमल करने की जरुरत है.

पर्यावरण की रक्षा करना क्यों महत्वपूर्ण है:

स्वास्थ्य और कल्याण:- यदि हम सभी मिलकर एक स्वच्छ वातावरण का निर्माण करते है, तो इससे हम अनेक प्रकार की बीमारियों से बच सकते है. तथा एक स्वस्थ वतावरण में रहने से हमारे जीवन की गुणवता में सुधार देखने को मिलता है.

प्राकृतिक संतुलन: पर्यावरण की रक्षा के द्वारा हम पारिस्थितिक तंत्र को संतुलन रख सकते है. इससे वनस्पति, जल एवं वातावरण आदि को साफ सुथरा तथा संतुलित प्राप्त किया जा सकता है. वनस्पति कई जीवो का आवास है. वही शुद्ध जल कई जालियो जीवो को अपनी गोदी में पालता है.

जैव विविधता: आज यदि हम पर्यावरण का नाजर देख तो हमें जैव विविधता देखने को मिलती है. जो बीतते समय के साथ साथ अपनी स्थिति को कमजोर बना रही है. 

हम प्रकृति की सुरक्षा को सुनिश्चित करके प्रकृति में निवास करने वाले पौधों, जानवरों, पक्षियों, कीड़ों, सूक्ष्मजीवों आदि को संरक्षित रख सकते है.

प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा: प्रकृति में उपस्थिति नदी, झरने, वनस्पति, पहाड़, पर्वत, मिटटी, वायु, जल तथा जीव-जन्तुओ को हम प्राकृतिक संसाधन कहते है. 

पर्यावरण की सुरक्षा यानि इन सभी की सुरक्षा से ही है. ये सभी एक तंत्र का निर्माण कर एक दुसरे पर निर्भर रहते है. इसलिए प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षित होना पर्यावरण रक्षा का ही विषय है.
पर्यावरण की रक्षा कैसे करें पर निबंध | How to Protect the Environment Essay in Hindi

पर्यावरण की सुरक्षा कैसे करें:

प्रदूषण कम करें: हमें वायु, जल और पृथ्वी के दूषित हो रही इस भायक स्थिति को कम करने के लिए उचित उपायों का पालन करना चाहिए। 

हमें उचित जागरूकता और संगठन के साथ मिलकर बढ़ते प्रदुषण के जहर को कम करने के लिए नई तकनीको का विकास करना होगा.

वन्यजीव संरक्षण: वन्यजीव संरक्षण एक महत्वपूर्ण विषय है. पर्यावरण सुरक्षा की दृष्टि से हमें वन्यजीवों के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए उनकी रक्षा करने का जिम्मा उठाना चाहिए. तथा उनके संरक्षण के लिए नई योजनाओ को तैयार करके देशभर में क्रियान्वयन करने के लिए प्रयास करने चाहिए.


जल संरक्षण:- पर्यावरण रक्षा में जल एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है. जल संरक्षण हम जल को दूषित होने से बचाकर कर सकते है. तथा वर्षा जल को एकीकृत संचय करके कर सकते है. 

जिससे जल प्रबंधन किया जा सकें. जल संचयन की योजना बनाना,, जल बचत के उपाय अपनाना, जल संयंत्रों की उपयोगिता में सुधार लाना आदि कार्यो से हम जल की रक्षा कर सकते है.

स्वच्छता एवं सुरक्षा: हम सभी मिलकर अपने आस पास की साफ सफाई को बनाए रखते है, तो हमें स्वच्छ वातावरण मिलता है. जिससे स्वच्छता बनी रहती है. हम सभी यह निश्चय करें. कि सार्वजनिक स्थानों पर सामग्री नही फेकेंगे , पानी की बर्बादी नही करेंगे तथा प्लास्टिक का उपयोग नही करेंगे तो हम अपने पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रख सकते है।

जलवायु परिवर्तन के साथ अनुकूलन: जलवायु परिवर्तन तथा मौसम में होने वाला बदलाव पेड़ पौधों को काफी प्रभावित करता है. पर्यावरण की अनुकूलता के अनुसार जलवायु रहे इसलिए योजना तैयार करनी चाहिए.

ऊर्जा संरक्षण: इस विषय को हम वैकल्पिक स्रोतों के द्वारा बचा सकते है. उर्जा की खपत बढती जा रही है. ऐसे में हम प्राकृतिक स्रोतों का निर्माण कर तथा उसका प्रयोग कर विद्युत्ऊ निर्माण की प्रक्रिया को कम कराने में तथा प्रदुषण को कम तथा जल का बचाव कर सकते है. 

सूर्य से आने वाली किरणों की सहायता से हम सौर उर्जा का निर्माण कर सकते है. तथा पशुओ के गोबर से गोबर गैस का निर्माण कर इंधन की बचत भी कर सकते है.

हम सभी मिलकर पर्यावरण की रक्षा कर सकते है. इसके लिए सभी को राष्ट्रीय स्तर पर एकीकृत होना होगा. एक व्यक्ति या एक संस्था इस समस्या को निपटा नही सकती है. इसलिए हम सभी का दायित्व बनता है, कि सभी इसके प्रति जन जागरूकता को फैलाए.

देशभर में साक्षर तथा अनाक्षर सभी को इस विषय को समझकर इसके लिए उत्साहित करें. वृक्षारोपण को अधिक महत्व दें तथा प्रदुषण को कम करने के लिए अधिक से अधिक प्रयास करें.


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