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चिंता नहीं, चिंतन करें पर निबंध | Chinta Nahi Chintan Karo Essay In hindi

चिंता नहीं, चिंतन करें पर निबंध | Chinta Nahi Chintan Karo Essay In hindi- नमस्कार साथियों स्वागत है, आपका. दोस्तों आज हम जीवन में चिंता की बजाय चिंतन करने की आदत बनाए जिससे जीवन में प्रगति की राह पर गमन किया जा सकें. 

चिंता नहीं, चिंतन करें पर निबंध | Chinta Nahi Chintan Karo Essay In hindi

चिंता नहीं, चिंतन करें पर निबंध | Chinta Nahi Chintan Karo Essay In hindi

चिंता व्यक्ति की बौद्धिकता और चतुराई को खा जाता है, तो चिंता क्यों करें. हमें जीवन में चिंता की बजाय जीवन में चिंतन करना चाहिए? जो जीवन में उन्नति की राह पर चलने के लिए उत्साहित करता है. चिंतन से बुद्धि और मस्तिष्क का विकास होता है.

चिंता व्यक्ति की ज्ञान को नष्ट कर देती है चिंता से व्यक्ति के बल बुद्धि का विनाश और शारीरिक बाधाओ का जन्म होता है. यदि चिंता और चिंतन को वर्तनी की दृष्टि से देखा जाए तो उसमें बिंदु मात्र सही अंतर प्रतीत होता है लेकिन इसके अर्थ में विरोधाभास की स्थिति नजर आती है चिंता प्राण रहित होती है।

चिंता एक मानव के लिए उसमें ही समाहित एक शैतान होता है जो जीवन के के प्रत्येक मोड पर उसे दुख देता है। बचपन में बड़े होने की चिंता, बड़ा होने पर बीते बचपन के लम्हों को जीने की चिंता तरुण मानव को कम की चिंता मध्यम वर्गीय व्यक्ति को आर्थिक धन की चिंता और बूढ़े व्यक्ति को मृत्यु अर्थात मोक्ष प्राप्ति की चिंता रहती है जो एक सामान्य नियम है।

हर मनुष्य अपने भविष्य के निर्माण में अपने आप को पूर्ण रूप से झौक देता है। अपने भविष्य की दर्पण रूपी सुख को देखने के लिए अपने वर्तमान की खुशी को त्याग कर भविष्य की चिंता करने लगता है.

वह भूल जाता है कि वह आने वाली सुख का अनुभव नहीं कर पायेगा जो आज हमारे पास है वह हमारे लिए पर्याप्त है। वर्तमान में खुश रह पाना एक चुनौती बन चुकी है।

अपने पास जो है, उसकी ख़ुशी तो त्यागकर आने वाले कल की ख़ुशी के लिए उत्साहित रहता है, इसलिए चिंता का मानवीय जीवन में कोई अस्तित्व नही है, पर हम उसे रोग की भांति ठो  रहे है.

अध्यात्म के गौरवशाली इतिहास में पले-बड़े हम भारतीयों के लिए चिंतन या ध्यान एक पारम्परिक औषधि की भांति घोटकर पिने योग्य पेय होनी चाहिए, जो अपनी संस्कृति तथा अपने अतीत से अवगत करवाती है.

चिंतन का विषय केवल मोक्ष या ज्ञान की प्राप्ति के लिए नहीं बल्कि जीवन रूपी यात्रा में आने वाली तमाम समस्याओ का एक अनूठा तथा देशी इलाज है, चिंतन यह अपनी मानसिकता तथा अपनी आवश्यकता का सामंजस्य के द्वारा एक गठजोड़ बनाकर हर समस्या से उबार सकती है.

हर चिंता जिसका निराकरण किया जाना अतिआवश्यक होता है, उस पर गहन मन द्वारा चिंतन कर लेना चाहिए, जिससे हम अपनी आवश्यकता के अनुसार अपनी क्षमता तथा कौशल के आधार का संज्ञान लेते हुए फैसला लेने में सक्षम हो सकें.

चिंतन के द्वारा एक सामान्य व्यक्ति अपनी पहुँच को बड़ा कर सकता है. एक व्यक्ति जो जीवन की कठिनाइयों से लड़ रहा है, वो मुक्ति पाकर सुखद जीवन की अनुभूति कर सकता है.

सुख, शांति, संपन्नता, सफलता, धन. दौलत, मिल्कियत की चाह को जीवन में पालता है. मानव जीवन आधुनिकता की चकाचौंध में धंस सा गया है. 

जीवन रूपी राह में चल रहे राहगीर के लिए कुछ समस्याओ सदा के लिए तैयार रहती है, जिनका निरारण संभव नहीं है. ऐसे में क्यों न चिंतन के द्वारा इन समस्याओ को नजरअंदाज किया जाए, चिंता के द्वारा जलती आग में घी डालने की बजाय. 

मानव जीवन की अनेकार्थ विशिष्टताओ में से एक संघर्ष भी है, जो सदा जीवन को चारदीवार की भांति घेरकर रखता है, ऐसे में अपने चंचल मन को तथा अपनी मानसिकता को मजबूत करके हम अपनी इन आजीवन संचलित चिन्ताओ से लड़ने के लिए अपने आप को परिपूर्ण बना सकेंगे.