मुर्गी पर निबंध Essay on Hen in Hindi- नमस्कार साथियों स्वागत है, आपका आज के हमारे इस लेख में आज के इस आर्टिकल में हम मुर्गी तथा मुर्गी पालन के तरीको तथा इससे जुड़े तथ्यों को जानने का प्रयास करेंगे. मुर्गी पालन किस प्रकार किया जाता है? तथा इससे जुडी जानकारी प्राप्त करेंगे.
मुर्गी पर निबंध Essay on Hen in Hindi
साथियों जब भी पालतू जानवरों की बात होती है, तो हम सभी अपने स्वार्थ सिद्धि के उद्देश्य की पूर्ति के लिए इनका लालन पालन करते है. इन पालतू जानवरों तथा पक्षियों के अपने अलग अलग कार्य होते है. कुत्ते-बिल्ली तथा टाइगर जैसे जानवरों को रखने का उद्देश्य वफ़ादारी होती है.
वहीँ कई पक्षियों को अन्डो के लिए या मॉस के लिए तथा कई पक्षियों को देखने के लिए उनकी देखभाल की जाती है. मुर्गी एक ऐसा पक्षी है, जिसका पालन हम मांस तथा अंडे की प्राप्ति के लिए करते है.
मानवीय सभ्यता के विकास की राह बढ़ने के साथ ही इन जीवधारियो की आवश्यकता में बढ़ोतरी भी देखने को मिली. मुर्गी हमें अंडे और मांस जैसे स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ देने के साथ ही यह पारिस्थितिक तंत्र को भी नियंत्रित रखने में सहायता करती है.
मुर्गी एक पक्षी है, जिसके अंडे तथा मांस भारत में मछली के मांस के बाद दूसरा सबसे अधिक बिकने वाला खाद्य सामग्री है, तो आप समझ ही सकते है, कि मुर्गी पालन की आवश्यकता कितनी है?
मुर्गी पालन पहले शौक हुआ करता था, पर आज के समय में मछली पालन तथा मत्स्य पालन एक व्यापर बन चूका है. मुर्गी को कृत्रिम तरीको से फर्टिलाइज कर दिया जाता है, जिससे मुर्गी रोज अंडा दे देती है. जिससे स्वामी का उल्लू सीधा हो जाता है.
मुर्गी के सामान्य परिचय की बात की जाए तो यह एक सामान्य पक्षी है, जो राज्जुकी श्रेणी के पक्षियों की प्रजाति है. मुर्गी मादा तथा नर को मुर्गा कहा जाता है. इसे विज्ञान की भाषा में या इसका वैज्ञानिक नाम गैलस गैलस डोमेस्टिकस (Gallus Gallus Domesticus) है.
इनकी प्रजाति जंगलो में निवासित करती है, पर आज के वाणिज्यक उद्देश्यों से इनका पालन किया जाता है. जिससे प्राकृतिक आवस छुट चूका है.
मुर्गी एक अंडज पक्षी है. यह अंडे के रूप में प्रजनन करती है. जो आजकल लोगो द्वारा बड़े चाव से खाया जाता है. अंडे की बिक्री सबसे ज्यादा होती है.
मुर्गी के अंडे को प्रोटीन का अच्छा स्रोत माना गया है. इसलिए इसका सेवन किया जाता है. इसके साथ मुर्गी के मांस का सेवन भी किया जाता है. इसका मांस काफी स्वादिष्ट होता है.
मुर्गी कई रंगों से मिलकर बनी होती है, जिसमे लाल सफ़ेद तथा भूरा होता है. इसके शिर पर कलंगी होती है, जो उसको अन्य पक्षियों से अलग बनाती है. यह सुन्दरता में चार चाँद लगाता है. यह उड़ने में समर्थ होती है, पर कम ऊंचाई तक ही उड़ पाती है. ये पैरो पर चलना पसंद करती है.
मुर्गी का आकर अन्य पक्षियों से बड़ा होता है. यह मोर पक्षी के लगभग जितनी बड़ी हो सकती है. इसके दो पैर तथा पंख उड़ने व् चलने में सहायता प्रदान करते है. मुर्गी पालन आज के समय में व्यवसाय का रूप ले चूका है. मुर्गी का पालन देहात क्षेत्रो में अत्यधिक किया जाता है. जिससे मांस तथा अन्डो की आपूर्ति हो पाती है.
मुर्गी के मांस तथा अंडे में प्रोटीन की प्रचुर मात्रा का होना इसके सेवन का मुख्य कारण है. अंडे सस्ते दाम में बेचे जाते है, जिस कारण हर कोई इसे खरीदकर खाना पसंद करता है. मुर्गी अलार्म की तरह कार्य करती है. सुबह के समय यह बांग मारती है. जिससे की नींद खुल जाती है.
वाणिज्यक उद्देश्य से कृत्रिम गर्भाधान के कारण मुर्गी रोज 1 से 2 अंडे देती है. जिससे सालाना 400 से 500 अंडे देती है. वही प्राकृतिक रूप से 10-20 अंडे ही देती है. निवेश की दृष्टि से सबसे सस्ता तथा अच्छा व्यवसाय आज के समय में मुर्गी पालन को माना गया है.
मुर्गी एक ऐसा पक्षी है, जिसका उपयोग सर्कस में भी किया जाता है. मुर्गी का उपयोग कुश्ती प्रतियोगिता में भी किया जाता है, जिसे लोग बहुत पसंद करते है. मुर्गी अपने अंडे को देने के बाद उस पर बैठकर उसका सेक करती है. जिसे चूजे कहा जाता है.
मुर्गी का सामान्य जीवन काल 5 से 12 साल तक का होता है. इसकी प्रजातियों के अनुसार अलग अलग होता है. मुर्गी का भोजन दाना पानी तथा कीड़े मकोड़े होते है. मुर्गी तथा मुर्गे की पहचान उनके सिर पर कंल्गी के द्वारा अलग किया जा सकता है. मुर्गी के सिर पर कंलंगी छोटी होती है, वहीँ मुर्गे पर बड़ी कलंगी होती है.
मुर्गी पालन आज के समय में सबसे सस्ता तथा अच्छा व्यवसाय बन चूका है. यह अन्य जानवरों के पालन से कई गुना अधिक लाभदायक है. इससे मिलने वाला मांस अंडे तथा बीट बिकती है, आज भारत देशभर में ३० लाख से अधिक लोगो के लिए रोजगार का साधन बन रही है, मुर्गिया.
भारत में सालाना कई बिलियन अन्डो की बिक्री की जाती है. भारत में 1 बिलियन मुर्गिया है, जो विश्व की मुर्गियों की 3 फीसदी संख्या है. यहाँ लेयर तथा ब्रायर दो प्रकार की मुर्गिया अधिक पाली जाती है, जिसमे लेअर मुर्गी अन्डो के लिए तथा ब्रालर मुर्गी मांस उतपादन की दृष्टि से सर्वोत्तम होती है.
मुर्गियों की देसी नसलों में लाल जंगली मुर्गा, असील, चटगाँव, कड़कनाथ एवं घोघस प्रमुख है, जो मांस की सर्वोत्त्तम स्रोतक मानी जाती है. इसके अलावा विदेशी नसलें रोड आइलैंड रेड, प्लाईमाउथ रॉक, ब्रह्मा, लेग हॉर्न, व्हाईट लेग हॉर्न, कार्निश, सिल्की आदि नस्लों को शामिल किया जाता है. यह अण्डोत्सर्ग की दृष्टि से उत्तम मानी जाती है.
मुर्गी के अंडे में से निकलने वाले बच्चे को चूजे कहा जाता है. यह दो विधियों के द्वारा पालित किया जाता है, जिसमे मुर्गी के द्वारा पंख फैलाकर प्राकृतिक गर्मी के द्वारा पकाया जाना प्राकृतिक विधि के अंतर्गत आता है. इसमे तक़रीबन 20 दिन का समय लग जाता है. इस प्रकार बने चूजे को ब्रुडिंग कहा जाता है.
इसकी दूसरी विधि जो काफी प्रचलित है, तथा उससे व्यवसाय में बढ़ोतरी होती है, वो है, कृत्रिम विधि जिससे ब्रुडिंग हाउस में कृत्रिम तरीको से गर्मी प्रदान की जाती है. इस प्रक्रिया या विधि को हम आर्टिफिशियल ब्रूडिंग के नाम से जानते है.
साथियों मुर्गी पालन आज के समय में एक अच्छा व्यवसाय का तरीका है, इसे अपनाकर हम रोजगार के साधन जुटा सकते है. आशा है, आज का लेख आपके लिए ज्ञानवर्धक रहा होगा.