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अजंता की गुफा पर निबंध | Essay on Ajanta Caves In Hindi

Essay on Ajanta Caves In Hindi अजंता की गुफा पर निबंध: महाराष्ट्र के ओरंगाबाद शहर के पास प्राचीन प्रसिद्ध अजंता-एलोरा की गुफाएँ बनी हुई हैं. पहाड़ को काटकर बनाई गयी इन गुफाओं के चित्र उत्कृष्ट श्रेणी के हैं. आज के अजंता की गुफा निबंध में हम इनके इतिहास कहानी विशेषता के बारे में जानकारी प्राप्त करेगे.

अजंता की गुफा पर निबंध Essay on Ajanta Caves In Hindi

अजंता की गुफा पर निबंध Essay on Ajanta Caves In Hindi

भगवान बुद्ध का मंदिर २९ चट्टानों को काटकर बनाया गया है, जो भारत के महाराष्ट्र राज्य में स्थित है. यह स्मारक ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी में बनाया गया था. 

इस मंदिर के साथ ही यहाँ बौध धर्म के धार्मिक ग्रन्थ तथा उनका स्वर्णिम इतिहास और कला संस्कृति यहाँ देखने को मिलती है.

भगवान् के स्मारक वाली ये गुफाए अजन्ता गाँव में स्थित है. यहाँ लाखो सैलानी दर्शन करने के लिए आते है. इसका निर्माण काफी प्राचीन समय में किया गया था. पर १९८३ में इसे यूनस्को विश्व धरोहर में शामिल किया गया.

ये गुफाए घाटियों में बीच में स्थित है. जो अजन्ता गाँव से लगभग ३ किलोमीटर की दुरी पर स्थित है. यह गुफाए घोड़े के नाल की आकृति की बनाई गई है. जहा संकरी जगह है.यहाँ भगवान् बुद्ध की पत्थर को खोदकर बेहतरीन मुर्तिया बनाई गई है.

अजंता की गुफाएँ महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद जिले में औरंगाबाद से लगभग 100 किलोमीटर दूर और जल गांव रेलवे स्टेशन से 60 किलोमीटर दूर हैं. 

एक पहाड़ी घाटी में पहाड़ की ओर के एक भाग में अर्द्ध चंद्राकार पर्वत में से चट्टानों को काटकर यहाँ 30 गुफाएँ बनाई गयी.

इन गुफाओं को खोदने और काटने और बनाने का काम ईसा पूर्व की दूसरी सदी से लेकर ईस्वी सन की सातवीं सदी तक चलता रहा. 

अजंता की तीस गुफाओं में से केवल गुफा क्रमांक १,२,९,१०, १६, १७ और १९ में ही अब चित्र अवशेष हैं.

ये चित्र वाकाटक, गुप्त और चालुक्य काल के हैं. इनमें गुफा क्रमांक 9 और 10 के चित्र ईसा पूर्व दूसरी और पहली सदी के हैं. 

परन्तु गुफा क्रमांक 10 के स्तम्भों पर मिलने वाले चित्र प्रारम्भिक गुप्त काल के सन 350 के आस पास की अवधि के हैं. 

गुफा क्रमांक 16, 17 और 19 के चित्र उत्तर गुप्त काल अर्थात सन 500 से 600 की अवधि के हैं. गुफा क्रमांक 1 और 2 के भित्ति चित्र गुप्त काल के बाद के हैं. 

इस प्रकार गुफा क्रमांक 10 के स्तम्भों के चित्र और गुफा क्रमांक 16, 17 और 19 के भित्ति चित्र गुप्त युग के हैं. इनकी आकृतियों तथा वस्त्र की शैली गुप्त काल की विशेषताएँ स्पष्ट रूप से दिखाई देती हैं.

गुफा क्रमांक 1 और 2 के चित्र सब चित्रों के बाद में बनाये गये. गुफा क्रमांक 1 बौद्ध विहार हैं. इस गुफा में राजा शिवि के दान की कथा, बुद्ध के भाई नन्द का राज्य त्याग, शेखपाल जातक के नागराज की कथा, चंपेय जातक की कथा तथा बुद्ध के जीवन की घटनाओं के चित्र हैं.

इस गुफा का सबसे महत्वपूर्ण चित्र बोधिसत्व का हैं. छाया में अधखुली आँखें, पंखुड़ियों से पकड़ा हुआ सुकुमार पदम् किरीट की सुकुमारता और एकावलि की मुक्ताओं के बीच इंद्र नील का वैभव मुखमंडल पर शांत भाव सभी आश्चर्य उत्पन्न करने वाले हैं.

ऐसा प्रतीत होता है जैसे ये सब जादू की तुलिका से चित्रित हुए हैं. इसी गुफा में वज्रपाणी का भी सुंदर चित्र हैं. गुफा नम्बर 2 में बरामदे में, छत और दीवारों पर अनेक आकर्षक चित्र हैं.

इसी गुफा में बुद्ध की माता के स्वप्न, उनकी जन्म कथा, बुद्ध का चमत्कार तथा दो अन्य जातक कथाओं के चित्र चित्रित हैं. एक अन्य चित्र में जहाज में चित्रित हैं. 

दूसरे में नर्तकी भी हैं. इसके अतिरिक्त इसमें राजप्रसाद, इन्द्रलोक आदि के चित्र भी हैं. इन चित्रों में मानव आकृति के अंकन में अनूठे भाव भंगिमाओं का संयोजन किया गया हैं.

गुफा न 6 व 9 के चित्र धूमिल हो गये हैं. गुफा न 10 की दीवार पर बुद्ध के जीवन प्रसंग और एक जातक कथा चित्रित हैं. गुफा क्रमांक 11 के चित्र भी अब धूमिल अवस्था में हैं.

गुफा क्रमांक 16 के चित्र- इस गुफा की दीवारों पर जातक कथाएँ और बुद्ध के जीवन की अनेक घटनाओं के दृश्य चित्रित किये गये हैं. ये चित्र अपनी कला और सौन्दर्य के लिए विश्वविख्यात हैं.

इन चित्रों में राजा नन्द का राज्य त्याग और बौद्ध संघ में प्रवेश का चित्र, बुद्ध के आठ अवतारों के चित्र, बुद्ध के विद्याअध्ययन के चित्र, उनकी माता महामाया और शुद्धोदन के चित्र, सुजाता द्वारा बुद्ध को खीर पिलाने का चित्र, हस्ति जातक और सुतसोम जातक के चित्र विशेष उल्लेखनीय हैं. इनमें एक मरणासन्न राजकुमारी का भी चित्र हैं जिसमें करुणा की अद्वितीय अभिव्यक्ति हुई हैं.

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