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जीवन में खेलों का महत्व निबंध | Essay on Importance of Games in Life In Hindi

जीवन में खेलों का महत्व निबंध | Essay on Importance of Games in Life In Hindi: नमस्कार दोस्तों इस निबंध में आपका स्वागत हैं आज हम खेलों के महत्व के बारे में निबंध बता रहे हैं. इस निबंध, अनुच्छेद, भाषण का उपयोग स्टूडेंट्स परीक्षा के लिए भी कर सकते हैं.

जीवन में खेलों का महत्व निबंध | Essay on Importance of Games in Life In Hindi

जीवन में खेलों का महत्व निबंध | Essay on Importance of Games in Life In Hindi
खेलों का महत्व 300 Words

भारत हमेशा वीरो की भूमि रही है. हमारा इतिहास हमें बताता है, कि एक व्यक्ति का स्वास्थ्य उसके जीवन में किस प्रकार सहयोग करता है. धार्मिक ग्रंथो से लेकर देश की ऐतिहासिक किताबो में स्वास्थ्य को जीवन का सबसे महत्वपूर्ण भाग बताया गया है.

आजकल हम अपनी पढाई, जॉब या व्यवसाय के के कारण अपने स्वास्थ्य से सम्बंधित व्यायाम नहीं कर पाते है. स्वास्थ्य का व्यायाम या मरम्मत खेलकूद द्वारा की जा सकती है. इसलिए खेलकूद कर हमें अपने स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते है.

जो व्यक्ति शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होता है, वो किसी न किसी प्रकार का खेल खेलता है. और जो खेल खेलता है, वो हमेशा फ्रेस मुड में रहता है. हमेशा खुश रहता है. शांति और साहस की भावना और अनुसाशन दिखता है.

नियमित खेलकूद करने से हमारे शरीर की शारीरिक और मानसिक मरम्मत हो जाती है. जिससे दिमाक शांत और स्थर रहता है. जिस कारण जो खेलकूद में अच्छा होता है, वो शिक्षा से लेकर बिजनेश तक सभी में श्रेष्ठ होता है, क्योकि सर्वगीन विकास होता है.

यदि हमें जीवन में सबकुछ अपने स्वास्थ्य के लिए त्यागना पड़े तो भी हमारे लिए यह सही सौदा होता है, क्योकि एक स्वस्थ व्यक्ति सबकुछ कमा सकता है. किसी ने कहा है, यदि आपने धन खोया है, तो आपने कुछ नहीं खोया है. यह हाथ का मैल है. कल कमा लेंगे.

यदि आपने स्वास्थ्य खोया है, तो लगभग आपने सबकुछ खो दिया है, पर आप इसे समय के साथ सही कर सकते है. लेकिन समय खो दिया तो आपने सबकुछ खो दिया है. इसलिए समय के अनुसार अपने स्वास्थ्य पर ध्यान दें.

सांसारिक मोह माया जीवन में कभी साथ नहीं देती है. जब हम समय पर अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखते है, तो हमें जीवन में बीमारियों से झुंझना नहीं पड़ता है. एक बेहतर और खुशनुमा जीवन जीने को मिलता है.

यदि हम धन के स्वार्थ में या पढाई के स्वार्थ में नहीं खेलते है, या व्यायाम करते है, तो आप लाभ से ज्यादा हानि भुगत रहे हो इसलिए जीवन में स्वास्थ्य को पहली प्राथमिकता देनी चाहिए. इसे ही पहला सुख बताया गया है.

स्वस्थ शरीर का महत्व

जीवन में आनन्द, ख़ुशी एवं हर्ष तभी है जब हमारा शरीर शारीरिक एवं मानसिक रूप से पूर्ण स्वस्थ हो. शरीर किसी व्याधि से ग्रस्त है तो व्यक्ति के लिए अन्य सभी सुख सुविधाओं में किसी प्रकार का आनन्द एवं उसकी अनुभूति नहीं होगी.

जीवन की अनुभूति तथा सुख की प्राप्ति के लिए आवश्यक है कि हमारा तन मन पूरी तरह से स्वस्थ व तन्दुरस्त हो. अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्यायाम एवं खेलकूद का बड़ा महत्व हैं. खेल व्यक्ति को शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ रहने में मदद करते हैं. 

खेलों का महत्व- पुराने जमाने से हमारी शिक्षण पद्धति में खेलों को भी पाठ्यचर्या का अंग माना गया हैं. विद्यार्थी के जीवन एवं समुचित विकास में खेलों को उपयोगी माना गया हैं. खेल ही शारीरिक शक्ति के विपुल भंडार हैं. नित्य खेलकूद में भाग लेने से शरीर स्वस्थ एवं मजबूत बनता हैं.

पाचन शक्ति बढ़ती है मासपेशीया मजबूत होती है स्फूर्ति तथा शक्ति आती है शरीर में चफलता आती है तथा मानसिक विकास एवं निर्णय लेने की शक्ति का परिष्कार होता हैं.

खेल खेलने से शरीर से पसीना निकलता है व्यर्थ जल पानी के रूप में निकल आता हैं. मन, मस्तिष्क व शरीर तीनों एकाग्र होकर कार्य करते है, मानसिक तनाव भी कम होता है तथा शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती हैं.

खेल से व्यक्तित्व का निर्माण- भारतीय शिक्षण व्यवस्था में प्राथमिक विद्यालयों से लेकर उच्च शिक्षा के संस्थान तक खेलों की उचित व्यवस्था एवं प्रबन्धन किया गया हैं. ताकि समस्त स्तर के विद्यार्थी खेल के माध्यम से अपने व्यक्तित्व का निर्माण कर सके.

खेलकूद से युवक व युवतियों में आशा, स्फूर्ति एवं नवीन उर्जा का संचार होता हैं. प्रचलित कहावत है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ आत्मा का वास होता है, खेलों के माध्यम से शरीर को स्वस्थ बनाया जा सकता हैं.

खेल खेलने से शारीरिक ताकत के साथ ही साथ चारित्रिक एवं व्यक्तित्व का विकास भी होता हैं. मानसिक रूप से दुर्बलता के निदान में खेलकूद कारगर उपाय हैं.

अन्याय, शोषण, उत्पीडन का पूर्ण सामर्थ्य से प्रतिकार करने में खेल मदद करते हैं. भारत के जितने भी महापुरुष हुए है स्वामी विवेकान्द, भगवान राम, कृष्ण, राणा प्रताप आदि किसी न किसी शारीरिक कौशल में दक्ष थे इसी कारण वे शक्तिशाली तथा यशस्वी भी बने.

शारीरिक या मानसिक अस्वस्थता रुग्णता की जनक होती है जो व्यक्ति के लिए बोझ साबित होती हैं. व्यक्तित्व एवं चरित्र के निर्माण में खेलों की महत्वपूर्ण भूमिका हैं.

खेल भावना का विकास- खेल न केवल व्यक्ति में शारीरिक क्षमता एवं स्फूर्ति का संचार करते है बल्कि ये व्यक्ति को भावनात्मक रूप से भी सशक्त बनाते हैं. खेलों में हार जीत सामान्य बात है.

एक अच्छा खिलाड़ी अनुकूल व विपरीत परिस्थितियों में धैर्य से सामना करने की क्षमता को अर्जित करता है जो जीवन में सुख दुःख की स्थतियों में सदा एक सा रहने में मददगार साबित होती हैं.

जिस तरह खेल भावना में हार या जीत को सहजता एवं सम्मान के साथ स्वीकार किया जाता है इससे मित्रता एवं धैर्य के गुणों का विकास होता हैं. खेल व्यक्ति में उदारता, ओज, शांत चित्त की प्रवृत्ति को जन्म देते हैं. एक तरफ खेलों में प्रतिस्पर्धा एवं जीत का जूनून सिर चढकर बोलता है वही खेल भावना उन्हें मित्रता, स्वीकार्यता, द्रढ़ता को जन्म देती हैं.

उपसंहार- प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में खेल बड़ी भूमिका निभाते हैं. व्यक्ति के संतुलित विकास मानसिक, शारीरिक एवं भावनात्मक संतुलन में खेल मजबूती प्रदान करने वाले होते हैं.

खेलों के महत्व को ध्यान में रखते हुए विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में बच्चों को विभिन्न तरह के खेलों एवं स्पर्धाओं का प्रशिक्षण दिया जाता हैं. व्यक्तिगत एवं राष्ट्रीय स्तर तक के जीवन में खेलों की जो इसकी भूमिका है इससे खेलों का वर्तमान समय में महत्व एवं प्रासंगिकता को समझा जा सकता हैं.

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