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बीरबल पर निबंध Essay on Birbal in hindi

नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत करता हूँ आज हम बीरबल पर निबंध Essay on Birbal in hindi पढेगे. हमने बचपन में कई बार अकबर बीरबल की कहानियां किस्से सुने होंगे. उसी बीरबल का जीवन परिचय जीवनी इतिहास इस निबंध के जरिये जानने का प्रयास करेगे.

बीरबल पर निबंध Short Essay on Birbal in hindi Language


किंग बीरबल के बचपन का नाम महेश दास था, इनका जन्म वर्ष 1528 में कलपी के निकट हुआ था वर्तमान में यह स्थल यूपी में हैं. कुछ लोग इनका जन्म स्थल टिकवनपुर मानते है यह यूपी में यमुना के किनारे स्थित हैं.

बीरबल एक प्रसिद्ध और चतुर दरबारी थे जो मुग़ल सम्राट अकबर के दरबार में नवरत्नों में से एक थे। उनके बुद्धिमत्ता और विवेकपूर्ण निर्णयों के कारण वे अकबर के सबसे आपके सलाहकार बन गए। इस निबंध में, हम बीरबल के जीवन, कृतियाँ, और महत्व के बारे में विस्तार से जानेंगे।

बीरबल का जन्म केरला के काननूर नामक स्थान पर हुआ था। वे अपने जीवन में एक बड़े विद्वान और बुद्धिमत्ता के व्यक्ति बने। उन्होंने विभिन्न कला और विज्ञान क्षेत्र में अपनी शिक्षा पूरी की और मुग़ल सम्राट अकबर के दरबार में बड़े योग्दान के साथ काम किया। उन्होंने अकबर के दरबार में बहुत समय बिताया और अपनी बुद्धिमत्ता और विद्वत्ता के साथ सम्राट की मदद की।

हिन्दू ब्राह्मण परिवार में जन्में बीरबल के पिताजी का नाम गंगा दास एवं माँ का नाम अन्भा देवी था. उनके पिता गंगा दास भी साहित्यकार थे, ये इनकी तीसरी सन्तान थे.

राजा बीरबल ने बचपन में ही हिंदी, संस्कृत और पर्शियन भाषा में विद्वता हासिल कर ली थी, ये बेहद कम आयु से ही कविता लेखन करने लगे. इनका रचनाए स्थानीय ब्रज भाषा में हुआ करती थी, जिन्हें लोगों की खूब सराहना मिलती थी.

वर्ष 1556 में इनकी नियुक्ति अकबर के दरबार में कवि के रूप में की गई. अपनी बुद्धिमता एवं ज्ञान के बल ये अकबर के सबसे नजदीकी विश्वासपात्र बन गये. इनकी चतुराई और कूटनीति के चर्चे दूर दूर तक विख्यात थे. वे अकबर की बड़ी से बड़ी समस्याओं का पल भर में हल निकाल देते थे.

इस तरह वे अकबर के नौ रत्नों में शीर्ष पर स्थापित किये गये. मुगल शासकों के साथ इनका गहरा नाता जुड़ गया. इन्होने कई सैनिक अभियानों का नेतृत्व भी किया. वर्ष 1586 में अकबर के दक्षिण भारतीय अभियान के दौरान ही इनकी मृत्यु हो गई थी. 

इतिहास में अकबर बीरबल की कहानियों तथा उनके किस्सों से जुड़ा कोई प्रमाणिक साक्ष्य नहीं मिलता हैं. बताते हैं कि स्थानीय लोगों ने अकबर के शासन के अंतिम समय में इस तरह की कथाओं को गढ़ा जो बाद में सम्पूर्ण भारत में बड़ी लोकप्रिय हुई. 

मगर यह स्पष्ट हैं कि बीरबल एक महान राजा थे अकबर के सबसे नजदीकी विशवासपात्र की भूमिका उन्होंने जीवन भर निभाई वे अपने दानशीलता के लिए भी जाने जाते थे. उनके गाने, दोहे, कहावतें तथा लतीफे आज भी विख्यात हैं.

चातुर्य और बुद्धिबल के मालिक बीरबल की मृत्यु 1586 में एक सैन्य अभियान के दौरान हो गई थी. अफगानिस्तान के युसुफजई कबिले को दबाने के लिए अकबर ने खान कोका के नेतृत्व में एक सैनिक टुकड़ी भेजी जिसकी सहायता के लिए बीरबल को भेजा.

8000 सैनिक टुकड़ी के साथ बीरबल जब इस विद्रोह को दबाने के लिए स्वात घाटी पहुंचा. कोका ने बीरबल का साथ छोड़ दिया तथा घाटी में उंचाई पर बैठे अफगानों के बीच पूरी तरह फंस गये.

पहाड़ी पर घात लगाकर बैठे सैनिकों ने बीरबल की टुकड़ी पर गोलों और बड़े पत्थरों से धावा बोल दिया. आक्रमण इतना भयानक था कि बीरबल तथा उनके साथियों को जान बचाने का भी मौका नहीं मिला. इस तरह राजा बीरबल इस सैन्य अभियान में मारे गये तथा उनका मृत शरीर भी बरामद नहीं हो सका था.

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