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तानसेन पर निबंध Essay on Tansen in hindi

तानसेन पर निबंध Essay on Tansen in Hindi- दोस्तों मैं उम्मीद करता हूँ आप बहुत अच्छे होंगे आज मैं आपके लिए Essay on Tansen in hindi तानसेन पर निबंध जीवनी इतिहास जीवन परिचय लेकर आया हूँ, आज के निबंध में हम संगीतकार तानसेन के बारे में विस्तार से जानेगे

तानसेन पर निबंध Essay on Tansen in hindi Language

तानसेन पर निबंध Essay on Tansen in hindi

तानसेन एक प्रमुख भारतीय सांद्र कवि थे, जिन्होंने अपने काव्य कौशल से संस्कृत साहित्य को योगदान किया। उन्होंने अपनी कविताओं में धर्म, दर्शन, और जीवन के महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार किए। इस निबंध में, हम तानसेन के जीवन, काव्य, और उनके योगदान के बारे में विस्तार से जानेंगे।

तानसेन के जीवन के बारे में बहुत कम जानकारी है, और उनका जन्म और जीवनकाल के बारे में निर्दिष्ट तिथियों का भी पता नहीं है। वे वाराणसी के निकट अन्धेरी गाँव के निवासी थे और संस्कृत के प्रमुख कवि माने जाते हैं।

तानसेन की कविताएँ वेदांत और धर्मिक दर्शन को प्रमोट करती हैं और उन्होंने अपने काव्य के माध्यम से ब्रह्मानंद की ओर प्रेरित किया। उनके प्रमुख काव्य संग्रह में "काव्यकांड" और "महाकाव्य" शामिल हैं, जिनमें वे वेदांत और भक्ति के महत्वपूर्ण तत्वों को प्रकट करते हैं।

जन्म और परिवार- शास्त्रीय गायन विद्या के उस्ताद एवं अकबर के नौ रत्नों में से एक तानसेन के जन्म के सम्बन्ध में कोई ऐतिहासिक साक्ष्य नहीं हैं, कहा जाता हैं कि इनका जन्म 1520 ई के आस पास हुआ था. इनके पिताजी मुकुंद मिश्रा स्वयं अच्छे कवि थे.

बचपन का जीवन- इन्हें बालपन से ही संगीत गायन के प्रति गहरा लगाव थे. इनके सम्बन्ध में बड़ी रोचक कहानी प्रचलित हैं. कहते हैं एक बार गुरु हरिदास जी वन गमन कर रहे थे.

तभी तानसेन उसी वन में थे तथा हरिदास जी को डराने के उद्देश्य से उन्होंने शेर की आवाज निकाली, जब हरिदास जी उनके सामने आए तो उनकी अद्भुत आवाज नकल से बेहद प्रभावित हुए थे.

उनकी गुर्र्हट और शेर की आवाज में कोई भेद नहीं था. गुरु हरिदास ही वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने तानसेन की प्रतिभा को पहचाना तथा उनके पिता मुकुंद जी ने उन्हें हरिदास जी के साथ वृन्दावन भेज दिया.

हरिदास जी के साथ वृन्दावन में रहते हुए ही तानसेन ने शास्त्रीय संगीत की शिक्षा पाई, उन्होंने कई राग गई और बेजोड़ गायक बनकर उभरे. उस समय उनकी आवाज का कोई सानी नहीं था.

जब इनके पिताजी मुकुंद जी मिश्रा की तबियत खराब होने लगी तो वे घर आए तथा कुछ दिनों बाद पिताजी का देहांत हो गया. वे माँ की सेवा करते रहे मगर थोड़े वक्त बाद माँ भी स्वर्ग सिधर गई.

मोहम्मद घौस जी से शिक्षा- ये हरिदास जी के बाद इनके दूसरे संगीत गुरु थे, घोष से संगीत की शिक्षा पाने के बाद वे गायकी में पूर्ण पारंगत बन गये तथा इन्हें अकबर के दरबार में शास्त्रीय गायक के रूप में स्थान मिला, बाद में अकबर तानसेन की प्रतिभा से प्रभावित होकर इन्हें अपने नवरत्नों में गिनती करता हैं.

वैवाहिक जीवन और परिवार- हिन्दू परिवार में जन्में तानसेन का विवाह प्रेम कुमारी के संग हुआ था, विवाह के कुछ वर्ष बाद ही यह मुस्लिम ही गया इसके पुत्रों के नाम इस प्रकार हैं. हमीर सेन, विलास खान, तान रस खान एवं पुत्री सरस्वती.

शास्त्रीय संगीत शैली के इतिहास प्रसिद्ध विद्वान् तानसेन ने कई रागे बनाई. उनके कई मार्मिक गीत जनता के बीच लोकप्रिय भी हुए. दीपक राग, मल्हार राग ये तानसेन की कुछ प्रसिद्ध राग रही हैं. 

मृत्यु- जीवन भर शास्त्रीय संगीत में महारत हासिल तानसेन को अकबर के दरबार में कई सम्मानित पद व पदवी मिली. ग्वालियर में तानसेन की मृत्यु के बाद इसे इस्लामिक रीति रिवाज से वहां दफना दिया आज भी इसकी कब्र ग्वालियर में बनी हुई हैं. इनके गीत तथा राग भारतीय संगीत परम्परा की अनुपम देन हैं.

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