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भारतीय नारी पर निबंध | Essay on Indian Women in Hindi

आज की भारतीय नारी पर निबंध | Essay on Indian Women in Hindi: नमस्कार दोस्तों आज के निबंध में आपका स्वागत है आज हम भारतीय नारी के बारे में जानेगे. इस निबंध, भाषण, अनुच्छेद में भारत की नारी कल और आज प्राचीन काल बनाम वर्तमान की स्थिति के सम्बन्ध में विस्तार से चर्चा करेगे.

भारतीय नारी पर निबंध Essay on Indian Women in Hindi

भारतीय नारी पर निबंध | Essay on Indian Women in Hindi
आदिकाल से भारत के समाज में नारी को विशिष्ट स्थान दिया गया हैं. हिन्दू धर्म के ग्रंथों में स्त्री को देवी का रूप मानकर उनकी पूजा की जाती हैं. हमारे साहित्य में भी नारी के गुणगान किये गये हैं.

मान्यता है कि जहाँ नारी शक्ति का वास होता है वही देव निवास करते हैं. इस तरह सम्पूर्ण परिपेक्ष्य में नारी का स्थान सम्मानीय एवं पूजनीय था.

प्राचीन ग्रंथों की यह उक्ति आज भी महत्वपूर्ण हैं. जितनी प्रासंगिकता उस दौर में थी आज भी हैं. क्योंकि नारी के बिना नर का अस्तित्व संभव नहीं हैं. समाज की इस आधी आबादी को नजरअंदाज करके कोई भी देश या समाज आगे नहीं बढ़ सकता हैं. नारी के प्रति हीन एवं निरादर के भाव समाज को गर्त में ही ले जाते हैं.

वैदिक काल से भारतीय नारी को समाज में उच्च स्थान प्राप्त था. प्राचीन काल की विदुषी महिलाओं में सीता, सती-सावित्री, अनसूया, गायत्री आदि सैकड़ों नारियो का नाम आज भी बड़े सम्मान के साथ लिया जाता हैं. उस समय के समाज में पूजा से लेकर प्रत्येक कार्य में नारी की उपस्थिति को अनिवार्य माना गया था.

भारत में विदेशी आक्रमणों के बाद नारी स्थिति में बड़ी गिरावट आई. नारी की दशा का यह सबसे भयानक दौर था. देवी के रूप में पूज्य स्त्री को हीन एवं भोग की वस्तु समझा जाने लगा.

भारत में ब्रिटिश काल के आते आते यह स्थिति और खराब हो गई और इसी दौर में भारतीय नारी के साथ अबला का विशेषण जोड़ दिया गया, एक पराश्रित प्राणी की तरह उनके सम्मान को धूमिल किया जाता रहा.

”अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी । आँचल में है दूध और आँखों में पानी ।” इन पंक्तियों के माध्यम से कवि मैथिलीशरण गुप्त ने आधुनिक भारतीय नारी की संवेदना को ठीक ठीक व्यक्त किया था.

भारत में हुए विदेशी आक्रमणों के चलते समाज में कई कुरीतियों ने जन्म लिया. इसका सबसे बुरा असर नारी पर पड़ा. हमेशा इन आक्रमणकारियों की गंदी नजर नारी अस्मिता पर रही.

एक स्वतंत्र पक्षी के पर काटने पर जिस तरह वह आश्रित जीवन व्यतीत करने लगता हैं, ठीक ये ही मध्यकालीन नारी की स्थिति थी. उन्हें पुरुष पर पूर्ण आश्रित बना दिया तथा बाल विवाह, दहेज़, सती इन प्रथाओं में बांधकर उनका जीवन घर की चहारदीवारी तक ही सिमित कर दिया.

पुरुष प्रधान समाज की इस मानसिकता ने जन जन के मन मस्तिष्क में इस कदर घर कर दिया नारी को पुरुष की अनुचर स्वीकार कर लिया गया.

रानी लक्ष्मीबाई, चाँद बीबी कुछ ऐसे नाम है जिन्होंने तत्कालीन पुरुष प्रधान समाज की संकीर्ण मान्यताओं का त्याग कर इतिहास में अपना नाम दर्ज करवाया था.

पुनर्जागरण के बाद स्त्री शिक्षा में तेजी से बढ़ोतरी हुई और इसका असर भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में देखा जा सकता हैं जिसमें बड़ी संख्या में नारी शक्ति की सहभागिता थी.

21 वीं सदी का यह युग नारी की प्रगति एवं उनके सम्मान व अधिकारों की प्राप्ति का युग हैं. आज की नारी ने सभी क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति को दर्ज करवाया हैं.

उनके इस संघर्ष में कई समाज सुधारकों सरकारों का अहम योगदान था. समाज तथा देश के समुचित विकास के `-+लिए नारी की प्रगति का बड़ा महत्व हैं.

नारी के अधिकार प्राप्ति एवं बराबर के हक की लड़ाई का ही नतीजा है कि आज प्रत्येक क्षेत्र में नारी पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर समाज व देश की प्रगति में अपनी भूमिका अदा कर रही हैं. उन्होंने अपनी शक्ति व कौशल के माध्यम से यह साबित कर दिखाया है कि वह अबला नहीं बल्कि सबला हैं.

भारत में वर्तमान में नारी की स्थिति में हुए अभूतपूर्व बदलावों से देश के सामाजिक विकास का परिचायक कहा जा सकता हैं. यदि इसी तरह स्त्री पुरुष मिलकर लोगों के उत्थान के लिए कार्य करते रहे तो इसमें कोई शक नहीं कि हमारा भारत एक बार पुनः शिखर तक की सफल यात्रा कर सकेगा.
भारतीय नारी पर निबंध हिंदी में | Essay on Indian Women in Hindi
भारतीय नारी पर निबंध | Indian Women Essay in Hindi
भारतीय समाज में प्राचीन समय से महिलाओ को महत्व दिया जाता है. आज अपने कार्यो के लिए प्रसिद्ध महापुरुष तथा देवता सभी को जन्म एक महिला ने दिया था. यानी एक महिला का हमारे जीवन में विशेष महत्व होता है. 

भारतीय नारी को देवियों के समान माना जाता है. और वास्तव में ये देविया ही होती है. नारी हमारे सर्वगिन विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.

हमारे ग्रंथो में भी महिलाओ का विशेष महत्व दिया गया है. जहा महिलाओ की पूजा होती है. वहा देवता निवास करते है. यानी देवता महिलाओ को खुद से बढाकर मानते है.

महिलाओ की स्थिति में लगातार बदलाव नजर आ रहा है. एक तरफ जहा हमारे देश में आजादी से पूर्व महिलाओ की स्थिति काफी दयनीय थी. तथा सभी महिलाए अशिक्षित थी, लेकिन आज आधे से ज्यादा महिलाए शिक्षित हो चुकी है.

ग्रामीण इलाको में आज भी शिक्षा का अभाव है. महिलाओ के प्रति हो रहे अपराध आज भी कम नहीं हो रहे है. पर सरकार की जाग्रति और महिलाओ की आत्मनिर्भरता अपनी समस्याओ का निपटारा कर रही है. आज की महिलाओ को पुरुषो से विशेष अवसर दिए जा रहे है.

दहेज़ प्रथा, बाल विवाह तथा उत्पीडन जैसे अनेक समस्याओ का समाधान किया जा रहा है. भारतीय नारी आज भी अनुशासित जीवन जी रही है. महिलाओ की घूँघट प्रथा को खत्म कर देने के बाद भी महिलाए घूँघट में दिखती है, जो उनके स्वभाव को प्रदर्शित करती है.

नारी घर का सारा कामकाज करती है. तथा बच्चो को भोजन करवाना सभी के लिए भोजन बनाना सभी को खिलाना सुबह सबसे पहले उठाना घर का काम करना शाम को सबसे बाद में सोना ये महिलाओ के प्रमुख काम होते है.

प्राचीन समय की महिला अशिक्षित होने के कारण वे आत्मनिर्भर नहीं थी. जिस कारण तलाक जैसे अपराध लगातार होते रहते थे. महिलाओ को आर्थिक रूप से उत्पादित किया जाता था.

आधुनिक नारियो को देखा जाए तो इनमे काफी बदलाव आया है. आज की महिलाए शिक्षा में पुरुषो से बेहतर कर रही है. तथा आत्मनिर्भर जीवन जी रही है. जिस कारण अनेक अपराध अपने आप ही कम हो गए है. 

पर आज की महिलाए शिक्षा से परिपूर्ण है. इसलिए वे रात दिन कार्य करने की बजाय अपनी शिक्षा पर ध्यान भी देती है. जिस कारण आज की महिलाए शिक्षित बन सकी है.

नारी खुद से अधिक दूसरो का सोचती है. वह अपनी संतान और परिवार के लिए अनेक यातनाए सहन को तैयार रहती है. महिला शिर झुकाकर परिवार में घुल मिलकर रहती है.

महिला ही हमारे जीवन का आधार है. राष्ट्रकवि मैथिलीशरण ने नारी के लिए पंक्ति प्रस्तुत की है-

अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी,
आंचल में है दूध और आँखों में पानी।”

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