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अंटार्कटिका महाद्वीप पर निबंध | Essay on Antarctica Continent In Hindi

अंटार्कटिका महाद्वीप पर निबंध | Essay on Antarctica Continent In Hindi- नमस्कार साथियों स्वागत है, आपका आज के हमारे इस लेख में आज के इस आर्टिकल में हम अंटार्कटिका महाद्वीप जो कि दुनिया का पांचवा सबसे बड़ा महाद्वीप है, इसके विस्तार, स्थिति, जलवायु तथा इसकी सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे.

अंटार्कटिका महाद्वीप पर निबंध | Essay on Antarctica Continent In Hindi

अंटार्कटिका महाद्वीप पर निबंध | Essay on Antarctica Continent In Hindi

अंटार्कटिका 140 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाला विश्व का पांचवा सबसे बड़ा महाद्वीप है यह पूर्ण रूप से बर्फ से ढका होने के कारण इसे श्वेत महाद्वीप भी कहा जाता है. 

अंटार्कटिका महाद्वीप का लगभग 97% भाग बर्फ से ढका रहता है यहां बर्फ की मोटाई 2 से 5 किलोमीटर के आसपास रहती है गर्मी की ऋतु में बर्फ पिघलने के कारण तथा सर्दियों में जमने के कारण इसके आकार में परिवर्तन होता है इसलिए इसे गतिशील महाद्वीप की संज्ञा भी दी जाती है.

अंटार्कटिका महाद्वीप को जन शुन्य  महाद्वीप भी कहा जाता है क्योंकि यहां मानव निवास नहीं करता इसके साथ ही इसे शीत मरुस्थल धड़कता हुआ महाद्वीप तथा विज्ञान को समर्पित महाद्वीप भी कहा जाता है.

अंटार्कटिका महाद्वीप की स्थिति 75 डिग्री दक्षिणी अक्षांश दक्षिणी धुव्र तक है इस महाद्वीप के अस्तित्व की सर्वप्रथम कल्पना टॉलेमी ने की अंटार्कटिका महाद्वीप की मुख्य भूमि पर सर्वप्रथम फेबियन वेलिंगटन पहुंचा इससे पहले जेम्स को ने भी इसकी खोज का प्रयास किया परंतु वह 66 डिग्री दक्षिणी अक्षांश तक ही पहुंच सका दक्षिणी ध्रुव पर सर्वप्रथम कदम एमण्डसन ने रखा.

अंटार्कटिका महाद्वीप की मुख्य भूमि पर पहुंचने वाले पहले भारतीय रामशरण जी है जो 1960 में पहुंचे वही दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला भारतीय डॉ गिरिराज सिरोही है. अंटार्कटिका की भूमि हिंद महासागर प्रशांत महासागर तथा अटलांटिक महासागर से गिरी हुई है.

यहां पर सूर्य के उत्तरायण होने पर 6 माह की रात्रि होती है तथा वापस सूर्य के दक्षिणायन होने पर 6माह का दिन होता है परंतु इस समय सूर्य की किरणें इतनी तिरसी पड़ती है कि यहां पर वायु भी गरम नहीं हो पाती. पोलर मैन के नाम से प्रसिद्ध प्रकाश खावरकर ने अंटार्कटिका की मुख्य भूमि पर 14 महीने बिताए जबकि हेमलता अग्रवाल यहां 9 महीने  बिताए.

जेड आर कासिम के नेतृत्व में सन 1981 में भारत का पहला अंटार्कटिका अभियान दल पहुंचा भारत नेअंटार्कटिका पर तीन अनुसंधान केंद्र स्थापित किए हैं. पहला दक्षिण गंगोत्री 1984 में स्थापित, दूसरा मैत्री 1993 में स्थापित
तीसरा भारती 2009 में स्थापित यह स्थाई अनुसंधान केंद्र है भारत स्थाई अनुसंधान केंद्र स्थापित करने वाला दुनिया का नौवा देश बन गया.

भारतीय अंटार्कटिका अनुसंधान परिषद का मुख्यालय गोवा में स्थित है. माउंट एर्बुश अंटार्कटिका महाद्वीप का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी है. अंटार्कटिका संधि 1959 के अनुसार इस महाद्वीप का उपयोग शांतिपूर्ण कार्यों के लिए ही किया जा सकता है. 

अंटार्कटिका महाद्वीप की सबसे ऊंची पर्वत चोटी सेंट्रल विंसन मैसिफ है यह एलसवर्थ पर्वत में स्थित है इसकी ऊंचाई 5138 मीटर है.

इस महाद्वीप पर विश्व का सबसे बड़ा हिमग्लेशियर लैंबर्ट है. इस महाद्वीप पर विश्व का सबसे ठंडा स्थान वॉस्टक है जिसका न्यूनतम तापमान 95 डिग्री सेल्सियस माइनस में रहता है यह रूस का अनुसंधान केंद्र भी है
यहां पर लाइकेन तथा मॉस प्रमुख वनस्पति है अल्बेट्रॉस व पेटरेल उड़ने वाले पक्षी समुद्री तटों पर पाए जाते हैं पेंग्विन इस महाद्वीप की अपनी पहचान है.

सन 1985 में इस महाद्वीप पर ओजोन परत में छेद हो गया प्रतिवर्ष 16 सितंबर को ओजोन संरक्षण दिवस मनाया जाता है ओजोन परत के संरक्षण के लिए सन 1987 में मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल हुआ.

इस प्रोटोकॉल के द्वारा क्लोरोफ्लोरोकार्बन को प्रतिबंधित करते हुए विकल्प के तौर पर एसएफसी का उपयोग करने की बात कही गई.

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