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परिवार का महत्व पर निबंध Essay on Importance of Family in Hindi

परिवार का महत्व पर निबंध Essay on Importance of Family in Hindi- नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत है, आज के आर्टिकल में हम परिवार के हमारे जीवन में महत्व तथा परिवार से जुडी जानकारियों के इस लेख के माध्यम से प्राप्त करेंगे. 

परिवार का महत्व पर निबंध Essay on Importance of Family in Hindi

परिवार का महत्व पर निबंध Essay on Importance of Family in Hindi

परिवार के व्यक्ति के जीवन में उतना ही महत्व होता है, जितना एक मछली का समुद्र से. क्योकि मनुष्य के लिए परिवार का होना सबसे जरुरी होता है. जो उसे संवारे तथा उसके सुख दुःख हमेशा उसके साथ रहे.

परिवार के ज़्यादातर सदस्यो का रिश्ता खून का होता है। परिवार सार्वभौमिक होते हैं और इसमें विवाहित पुरूष, महिला व उनके बच्चे शामिल होते हैं। समाज मे परिवार का बहुत ज्यादा महत्व माना जाता है।  हम जिस देश के वासी है उस देश मे एक समाज है इस समाज मे परिवार होते है।

 परिवार के लोग एक दूसरे की सहायता करते है तथा प्रेम करते है। मनुष्य के जीवन का सबसे बड़ा समाज परिवार ही होता है। हर व्यक्ति के लिए परिवार का होना जरूरी होता है। किसी ने सही लिखा है कि “परिवार के अभाव में समाज की कल्पना नहीं कर सकते, परिवार ही समाज की अधारभूत इकाई है”।

निबंध – 1 (600 शब्द)
परिचय

 परिवार वह होता है जो एक ही छत के नीचे बैठकर एक ही चूल्हे पर खाना बनाया जाता है इसे परिवार कहते है। व्यक्ति का परिवार ही उसका संसार होता है। कुछ बदनसीब लोग भी होते है जिनका कोई परिवार नहीं है। हमारा परिवार बहुत बड़ा परिवार है। मेरा परिवार संयुक्त परिवार मे आता है।

 मेरे परिवार से मुझे हर समय सहयोग तथा प्यार मिलता रहता है। हमारा पहला समाज परिवार होता है। मेरा परिवार बहुत बड़ा परिवार है। मेरे परिवार मे हम 20 लोग रहते है हम एक साथ बैठकर प्यार से खाना खाते है। हमारा परिवार बहुत सुखी और स्वस्थ है हम सभी शांति पूर्ण तरीके से रहते है। तथा बड़ो का आदर तथा उनके निर्देशों का पालन करते है। मेरे परिवार  बहुत    अच्छा परिवार है। इसमे रहकर मे बहुत खुशी  महसूस करता हूँ।   

व्यक्ति के जीवन में परिवार की भूमिका

हम अपने परिवार मे रहकर नागरिकता का पहला पाठ पढ़ते है। हमारे माता पिता बचपन से हमारा पालन पोषण करते है। हमे पढ़ा लिखा के हमे एक वयस्क तथा शिक्षित वयस्क बनाते है। वो हमारा हर काम पूरा करते है। जिस व्यक्ति का परिवार नहीं होता है।तो उसे अनाथ माना जाता है।

 किसी भी देश के निर्माण के लिए परिवार का होना जरूरी है। वैसे देखे तो संसार मे परिवार बहुत छोटी इकाई है। परंतु परिवार मिलकर समाज तथा समाज मिलकर राष्ट्र तथा राष्ट्र मिलकर संसार का निर्माण कर सकते है। 

इसलिए कहा जाता है। कि ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ कहने का भाव ये है। कि सम्पूर्ण संसार ही हमारा परिवार है। सरकार ने परिवार के महत्व को समझते हुए। प्रतिवर्ष 15 मई को 'अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस' मनाया जाता है। इससे हम अंदाजा लगा सकते है कि परिवार का कितना महत्व होता है। व्यक्ति का संसार अपना परिवार होता है।     

जीवन के विभिन्न पढ़ाव पर हमारे परिवार का सहयोग

बचपन -हमे हमारी माँ जन्म देती है बाद मे परिवार वाले पालन पोषण करते है।  हमारे परिवार के लोग हमे चलना,बोलना सिखाते है। तथा वह हमारा बहुत ख्याल रखते है। परिवार हमारी पहली पहचान होते है। 

बचपन मे हमे स्नान कराना तथा हमारे कपड़े धोने तक का हर काम करते है। हमे विद्यालय तक पहुंचाने जाते है तथा वापस  लाने आते है।  हमे चॉकलेट-बिस्कुट जो मांगे वो हमारे लिए लाते है। अपने परिवार से हम अपनी भाषा सिखते है। 

किशोरावस्था- किशोर अवस्था वो अवस्था होती है। जिसमे किशोर बालक को हम बच्चा बोलते है। ये अवस्था 13-18 वर्ष तक होती है। इस अवस्था मे परिवार वाले बच्चे को उच्च शिक्षा ग्रहण कराते है और उन्हे रोज नियमित विद्यालय जाने तथा मन लगाकर पढ़ने को सिखाते है। किशोर को अपने दैनिक क्रियाकलाप को समय पर करने को सिखाते है। 

युवावस्था - युवा अवस्था वो अवस्था होती है। जिसमे हम जवान तथा वयस्क बन जाते है। इस अवस्था मे हमारे परिवार वाले हमारी शादी करते है तथा हमे कॉलेज मे अच्छी पढ़ाई के लिए भेज देते है। हमारी पढ़ाई के लिए परिवार वाले बहुत खर्चा करते है। फिर भी वो हमे पढ़ाते है। 

समाज पर परिवार का प्रभाव

समाज पर परिवार का बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। आजकल बाल  अपराध बहुत ज्यादा बढ़ता जा रहा है। ऐसे अपराध अब परिवारों मे होने लगे है जिससे समाज मे बुरा प्रभाव पड़ने के कारण समाज को भारी नुकसान हो रहा इसलिए बच्चो कि सही देखभाल तथा सही मार्ग-दर्शन परिवार के लिए ही नहीं बल्कि समाज के लिए भी जरूरी है।एक अच्छे परिवार का बच्चा अनुशासित होता है। यदि हर परिवार सदस्यो का समाजीकरण करे तथा सामाजिक नियंत्रण को बनाये रखे तो हमारे समाज को इससे लाभ होगा।  

परिवार के प्रति हमारा दायित्व

हम अपने माता-पिता का ऋण कभी नहीं उतार सकते है। इसलिए हम उनके ऋणी है। हमे बड़ो का हमेशा मान-सम्मान कराना चाहिए तथा उनकी आज्ञा का पालन करना चाहिए कभी भी बड़ो से हठ नहीं करनी चाहिए परिवार वालो कि उम्मीद को कभी तोड़ना नहीं चाहिए। परिवार वालो को गर्व होना चाहिए कि ये हमारा लाडला बेटा है। जिस बात पर परिवार वाले सहमत नहीं है तो उस बात को दिल ओर दिमाक से भूल जाना चाहिए। तथा परिवार वालो से प्रेमपूर्वक बात करनी चाहिए ।  

निष्कर्ष

हम स्वतंत्र होते हुए भी हमारे ऊपर परिवार कि जिम्मेदारिया होती है। हमें उन जिम्मेदारियो पर खरा उतरना चाहिए। जिस प्रकार समाज मे परिवार कि जितनी महता होती है उतनी महता परिवार मे एक सदस्य के रूप मे होती है। समाज मे हमारी पहचान पिता के पीछे होती है। अतः परिवार बिना हमारा कोई अस्तित्व नहीं है। हमारे लिए परिवार सबसे महत्वपूर्ण है।

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