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विद्यार्थी जीवन में माता-पिता की भूमिका पर निबंध Essay On Role Of Parents In Students Life In Hindi

बच्चो को शुरुआती जीवन मे शिक्षा से आवागत करवाना तथा एक श्रेष्ठ विद्यार्थी के गुण और संस्कार देकर माता पिता अपने बच्चे को एक योग्य विद्यार्थी बनाते है। और शिक्षक  ज्ञान देकर इस संसार की भाषा सिखाते है। आज के इस आर्टिकल मे हम विद्यार्थी जीवन मे माता पिता की भूमिका के बारे मे पढ़ेंगे।

विद्यार्थी जीवन में माता-पिता की भूमिका पर निबंध

विद्यार्थी जीवन में माता-पिता की भूमिका पर निबंध Essay On Role Of Parents In Students Life In Hindi

माता-पिता को बच्चे के भगवान होते है। बच्चे के प्रथम दोस्त प्रथम शिक्षक भी वही होते है। तथा उन्हे अच्छी शिक्षा प्रदान कराते है। एक बच्चे के लिए सबसे ज्यादा उनके माता पिता ही उनके भविष्य के बारे मे सोचते है।

किसी ने सही कहा है। कि पिता ही एकमात्र ऐसा इंसान होता है। जो कि अपने बच्चे को खुद से भी बड़ा बनाना चाहते है। एक बच्चे के लिए उनके माता-पिता प्रथम स्थान होते है।

विद्यार्थी जीवन अर्थात वो जीवन जहाँ हम अपने जीवन में कुछ न कुछ सिख रहे होते है, उसमे माता-पिता और शिक्षक की अहम भूमिका होती है, खासकर जहाँ हम जीवन की बुनियादी स्टेज में खुद को देखते है.

अनुशासन तथा संस्कार और जीवनशैली जैसे गुण ही नहीं बल्कि यह गुणवत्ता है, जो जीवन को जीने का एक सलीका देती है, ऐसे में माता-पिता की भूमिका और बढ़ जाती है.

एक पेरेंट्स के नाते भी हमारा यह कर्तव्य होता है, कि अपने बच्चो की गतिविधियों की देखभाल करें तथा उसका अवलोकन करें, वो किस दिशा तथा दशा में अपने आप की धकेल रहा है, उसकी सीमाए क्या है?

जरुरी नही है, केवल अभिभावक अवहेलना करने पर मना ही करें, उनका यह भी दायित्व है, कि अच्छे कार्यो के लिए प्रोत्साहन दें तथा बुरे कार्य पर समझाइश कर उन्हें वास्तविकता से अवगत करवाए.

विद्यार्थी के जीवन में माता-पिता का सहयोग

माता- पिता बच्चे के प्रथम शिक्षक या गुरु होते है। माता-पिता बच्चे को जन्म ही नहीं देते बल्कि वे उन्हे पाल-पोषकर बड़ा करते है।माता-पिता एक बच्चे को बोलना, चलना, तथा उन्हे सभी संस्कार सिखाते है।

हमे अपने माता पिता द्वारा बताये गये रास्ते पर चलना चाहिए। क्योकि माता-पिता कभी-भी अपने बच्चे को गलत रास्ता नहीं बताते है। एक बालक के लिए उनकी माता उनका पहला शिक्षक होती है। वही उनका परिवार उनका प्रथम पाठशाला होता है।

हमे अपने माता-पिता कि तरह साहसी तथा ताकतवर बनकर मुसीबतों से लड़कर आगे बढ़ना चाहिए। हमे अपने माता-पिता तथा अपने परिवार वालो की आज्ञा का पालन करना चाहिए। क्योकि बड़ो की आज्ञा का पालन करना बच्चे का सबसे बड़ा संस्कार होता है।

अपने बच्चे के भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए उस बच्चे के माता-पिता रात-दिन सोचते है। उनकी छोटी-सी उम्र मे वे उसके भविष्य कि चिंता करने लगते है। यही उनकी मुख्य परीक्षा मानी जाती है। उनके दिमाग मे कई विचारधाराएँ उत्पन होती है। उन विचारधाराओ मे से सबसे श्रेष्ठ को चयन करते है।

इंसान के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण समय बाल्यावस्था होता है। यदि इस अवस्था मे बालक द्वारा अच्छे संस्कारो को ग्रहण कर लिया जाता है। तथा उस बालक की रुचि पढ़ाई मे लग जाए तो उस बालक के जीवन का सबसे प्रशिक्षण बिंदु होता है। इस अवस्था मे बालक को खुद के भले-बुरे की उन्हे समझ नहीं होती है।

विद्यार्थी के जीवन में शिक्षक का सहयोग

माता-पिता के बाद हमारे जीवन को सँवारने वाले हमारे शिक्षक होते है। तथा हमारा साथ देने वाले हमारे दोस्त होते है। यही समय हमारे जीवन का महत्वपूर्ण समय होता है। इस समय यदि हम शिक्षक की आज्ञा का पालन करते है।

शिक्षक को माता-पिता मानकर उनसे ज्ञान प्राप्त करते है। तथा हम एक अच्छे दोस्त को चयन कर लेते है। और हमारे दोस्त हमारा अच्छा साथ देते है। तो हमे आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता है। तो हमारे जीवन मे सफलता को कोई नहीं रोक सकता है।

शिक्षक हमे ज्ञान देकर एक अच्छा इंसान बनाते है। हमे बातचीत करना सिखाते है। हर बच्चे को सफल होने की पीछे उनके गुरु का हाथ होता है। गुरु के बिना बच्चे जीवन मे कुछ भी नहीं कर सकते है। शिक्षक एक बालक के लिए नहीं बल्कि पूरे समाज की रीड की हड्डी होते है।

विद्यार्थी के जीवन माता-पिता का महत्व

एक बच्चे के जीवन मे माता-पिता उनके विकास करने मे महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते है। माता-पिता के बिना हमारा होना असंभव था। हर बच्चे को अपनी जरूरतों को पूरा करने के वे अपने माता-पिता से आग्रह करते है।

अपने बच्चे को खुश रखने के लिए वे हर संभव प्रयास करते है। बच्चे के जीवन को विकसित बनाने के लिए उस बच्चे के माता-पिता का सपोर्ट होना सबसे आवश्यक होता है। वे अपने बच्चे को उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए बड़े-बड़े स्कूलो मे पढ़ाते है। तथा जरूरत पड़ने पर उन्हे पैसे भी देते है।

निष्कर्ष
माता-पिता हमारे भगवान होते है। हमे हमारी माता जन्म देती है। तथा पिता हमे शिक्षा ग्रहण कराते है। तथा हमारा लालन-पालन करते है। हम हमारे पूरे जीवन मे अपने माता-पिता का कर्ज नहीं उतार सकते है।

ज़्यादातर लोग ऐसे होते है। जिन्हे आपे माता-पिता यानी हमे जन्म देने वाले, हमारा पालन-पोषण करने वाले माता-पिता को घर से निकाल देते है।

हमारे ईश्वर होते है। ये माता-पिता हमे इनकी पुजा करनी चाहिए। इसके बजाय लोग इन्ही माता-पिता को घर से निकालते है। हमे अपने माता-पिता की सेवा करने का एकमात्र मौका मिलता है। हमे इनकी सेवा करके अपना उद्धार करना चाहिए।

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