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रावण पर निबंध Essay On Ravan In Hindi

लंकाधिश रावण पर निबंध Essay On Ravan In Hindi- नमस्कार दोस्तों आज हम लंकापति रावण जिसने अपने प्रकोप और तपस्या से इस संसार को हिला दिया. आज हम रावण के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे.

रावण पर निबंध Essay On Ravan In Hindi

रावण पर निबंध Essay On Ravan In Hindi
रामायण के अध्ययन के अनुसार रावण लंकाधीश था। तथा विश्रवा का पुत्र था। उनकी माता का नाम वरवर्णिनी था। रावण भगवान शिव का सबसे बड़ा भक्त था। रावण अपने अहंकार के लिए जितना बदनाम हुए है, उतने ही ये अपने ज्ञान और भक्तिभाव के लिए प्रसिद्ध तथा शक्तिशाली थे.

भगवान शिव के सबसे अनन्य तथा परम भक्त रावण अपने समय में सबसे शक्तिशाली तथा तीनो लोको पर राज करने वाला था, रावण से देवता-दानव से लेकर सभी डरते थे, उनकी पूजा तक की जाती थी. पर कहते है, कि अधिक अहंकार से बड़ी से बड़ी हस्ती डूब जाती है. यही हुआ लंकाधिश तथा दुनिया के सबसे ताकतवर राजा रावण के साथ.

भगवान शिव की लगातार 12 वर्ष कठोर तपस्या करने के बाद शिव जी ने रावण को वरदान दिया। रावण इन वरदानो का दुरुपयोग करने लगा। रावण बहुत ही अहंकारी तथा शक्तिशाली था।

इस कारण अन्य देवता तथा दानव रावण से डरते थे। सभी रावण के अनुसार चलते थे। रावण की बहन की लक्ष्मण जी ने नाक काट दी। 

लंकाधीश रावण की बहन की नाक काटने पर रावण को गुस्सा आया और उन्होने बदला लेने के लिए माता सीता चल करके अपहरण कर दिया।

तथा भगवान राम को ललकारा की वो मुझसे युद्ध करके मुझे हराकर सीता को ले जाये। भगवान राम ने रावण से युद्ध करने का निश्चिय कर दिया।

कैसे हुआ रावण का जन्म

रावण का जन्म ग्रंथो मे भिन्न-भिन्न बताया जा रहा है। रामायण, महाकाव्य, पद्मपुराण तथा श्रीमद्‍भागवत पुराण ग्रंथो के अनुरूप रावण तथा कुंभकर्ण हिरण्याक्ष एवं हिरण्यकशिपु के रूप मे पुनः जन्म लिया था।

ग्रथों के अनुसार रावण पुलस्त्य का पोता तथा विश्वश्रवा का पुत्र था। रावण के पिता के दो रानिया थी। वरवर्णिनी और कैकसी थी।

भगवान विष्णु जी ने हिरण्याक्ष का वध किया तथा हिरण्याक्ष के भाई हिरण्यकशिपु ने इसका विरोध किया। तथा विष्णु भक्त प्रहलाद को अनगिनत कष्ट दिये। परंतु प्रहलाद को विष्णु जीने बचाया तथा हिरण्यकशिपु को मारकर पृथ्वी पर बढ़ते पाप को कम किया। 

अगले जन्म मे हिरण्याक्ष तथा हिरण्यकशिपु ने रावण तथा कुंभकर्ण के रूप मे पुनः जन्म लिया। ये दोनों बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली तथा अहंकारी थे। तथा खुद को भगवान से भी बड़ा समझते थे। 

रावण तथा कुंभकर्ण अहंकार मे अंधे हो गए थे। कहा जाता है। कि जब-जब पृथ्वी पर पाप ज्यादा बढ़ जाता है। तभी देवता किसी-न-किसी रूप मे पुनः जन्म लेकर पापियो को नष्ट करते है।

भगवान विष्णु जी ने इन पापो को दूर करने के लिए भगवान राम के रूप मे जन्म लिया था। तथा इन पापियो से पृथ्वी को मुक्त कराया था।  

रावण का विवाह

रावण ने भगवान शिव से वरदान पाकर वह बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली बन गया था। रावण को अपनी शक्ति पर इतना घमंड था। कि उन्होने सभी देवताओ के साथ युद्ध करने लगा।

उसकी शक्ति के आगे सभी देवताओ को हार का सामना करना पड़ा। देवताओ कि हर से सभी दानव खुश हुए कि अकेले रावण ने सभी देवताओ को परास्त कर दिया। 

रावण की जय-जयकार लगाने लागे। तथा सभी दनावों ने रावण को राजा बनाने की घोषणा कर दी। अहिल्या के सामन पतिव्रता नारी मंदोदरी की शादी रावण के साथ कर दी गई। रावण मंदोदरी के वर को पाकर बहुत ही ज्यादा खुश हुआ।

रावण के चरित्र 

रावण को रामायण का प्रमुख खलनायक माना जाता है। रावण लंका का राजा हुआ करता था। इसलिए इन्हे लंकेश कहा जाता है। लंका को सोने की नगरी भी कहा जाता है।

रावण के दस सिर हुआ करते थे। इसलिए इनके एक सिर काटने पर इसे कोई फर्क नहीं पड़ता था। तथा ये सिर वापस धड़ से जुड़ जाता था।
 
रावण के दस सिर होने के कारण इन्हे दशानन के नाम से भी जाना जाता है। रावण बचपन मे बहुत ही पराक्रमी था। रावण ने अपने बचपन मे ही चारो वेदो को पढ़ लिया था। रावण बहुत ही ज्ञानी तथा विद्वान थे।

भगवान राम और रावण का युद्ध 

वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण के अनुसार राम तथा रावण के बीच बहुत ही भयानक युद्ध हुआ था। भगवान राम के पास वानर सेना थी। जो की बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली थी।

रावण के पास विशाल सेना थी। वानर सेना पर रावण की सेना भरी पड़ने लगी। वही भगवान राम रावण के एक सिर को काटते तो दूसरा सिर प्रकट हो जाता है।

रावण की इस अदभूत शक्ति को देखकर सभी हैरान हो गए। तभी रावण के भाई विभीषण ने राम को एक बहुत ही बड़ा राज राम को बताया। वो राज था। रावण के नाभि पर उसका जीवन टीका हुआ है। राम ने रावण के नाभि पर तीर मारा और रावण को मार गिराया।

ये दिन था। नवरात्रि का इसे हम दशहरा के रूप मे मनाते है। ये त्योहार हिन्दुओ द्वारा मनाया जाता है। इस त्योहार को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप मे पूरे भारत मे मनाया जाता है। तथा इस दिन रावण के पुतले को जलाया जाता है।     

निष्कर्ष 

राम तथा रावण की शक्ति मे रात-दिन का अंतर था। रावण अहंकारी था। कहा जाता है। अहंकार करने वाला व्यक्ति ज्यादा समय तक नहीं टिकता है।

रावण ने अंहकार किया। और अपनी शक्ति से राम के कुछ भी नहीं कर पाये। एक कहावत है। ''घरके भेद बिना लंका को नहीं लूटा जा सकता है।'' रावण के भाई विभीषण के भेद राम के साथ होने के कारण राम ने रावण जैसे बड़े राक्षस को मार दिया था।

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