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इस्लाम धर्म पर निबंध Essay on Islam in Hindi

इस्लाम धर्म पर निबंध Essay on Islam in Hindi- नमस्कार साथियों आज हम दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले तथा अधिकतर देशो में अपनी बहुलता वाले संप्रदाय इस्लाम धर्म के इतिहास तथा उससे जुड़े सम्पूर्ण तथ्यों को इस लेख के माध्यम से उजागर करेंगे.

इस्लाम धर्म पर निबंध Essay on Islam in Hindi

संसार में कई मंत एवं मजहबों को मानने वाले हैं, जैसे पारसी, यहूदी, ईसाई की भांति इस्लाम भी एक मजहब हैं. इस्लाम सात सौ वर्ष प्राचीन मजहब है. जिसमें एकेश्वरवाद, निराकार ईश्वर की मान्यता को माना जाता हैं. 

अल्लाह एक है हजरत मोहम्मद उसके पैगम्बर है, पाक ग्रन्थ कुरआन है सृष्टि की रचना अल्लाह ने की तथा यही उनका भरण पोषण करता हैं. मानवता के प्रसार और बुराई का अंत करके समूचे संसार का इस्लामीकरण प्रमुख ध्येय हैं.

इस्लाम की शुरुआत पैगम्बर मुहम्मद साहब से हुई जिन्हें सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मुहम्मद साहब कहा जाता हैं. 570 ईसवीं में मक्का के कुरैशी कबीले में इनका जन्म हुआ था. 

बालपन में ही इनके माता पिता का देहांत हो जाने पर इनका लालन पोषण रिश्तेदारों ने किया था. इनका विवाह अधेड़ आयु की एक महिला व्यापारी खदीजा के साथ सम्पन्न हुआ, ये इनका पहला विवाह (निकाह) था. पैगम्बर साहब की दस से अधिक बीबियाँ एवं कुछ गुलाम भी थी.

खदीजा विधवा थी, मुहम्मद से निकाह के बाद इनके एक बेटी का जन्म हुआ जिसे बीबी फातिमा नाम दिया गया. आगे चलकर इनका निकाह अली के साथ हुआ, तथा हसन व हुसैन इनकी संताने थी. 

करीब चालीस वर्ष की आयु में इन्हें जिब्राइल नामक फरिस्ते ने एक गुफा में ईश्वरीय संदेश दिया तब से इन्होने स्वयं को पैगम्बर कहकर सभी मक्कावासियों को उनका अनुसरण करने को कहते रहे.

मुहम्मद साहब का सम्पूर्ण जीवन लड़ाई झगड़ों, लूट मार और काफ़िरो के कत्ल में व्यतीत हुआ. कई वर्षों तक मक्का में रहने के मदीना गये तथा अपने अनुयायियों की संख्या बढ़ाकर पुनः मक्का पर आक्रमण करते हैं, हज की परम्परा अरब में पहले से थी.मुहम्मद के बाद इसे इस्लाम के मुख्य अंग के रूप में अपना लिया गया.

632 ई में इनका देहांत हो गया तथा मदीना में इन्हें दफनाया गया, इनकी मृत्यु के बाद इस्लाम को मानने वाले दो फिरको में बंट गये. जो शिया और सुन्नी कहलाए. 

इस तरह आज भी इस्लाम में सैकंडों फिरके है इन सभी की मान्यताएं एवं विश्वास अलग हैं. दुनियां के दूसरे सबसे बड़े मजहब इस्लाम के दो बड़े वर्गों में जो लोग मोहम्मद के उपदेशों एवं कार्यों (सुन्ना) में विश्वास करते है.

 वे सुन्नी मुस्लिम कहलाते हैं, तथा जो अली की शिक्षाओं को मानते हैं उन्हें शिया मुस्लिम कहते हैं. जैसा कि पूर्व में बताया गया अली पैगम्बर की पहली पत्नी की बेटी खदीजा का पति था.

इस्लाम की धार्मिक पुस्तक कुरआन, हदीस और मुहम्मद साहब की जीवनी हैं. कुरआन में अल्लाह की आयते जो मुहम्मद साहब पर उतरी थी वे संग्रहित है. 

इसके 114 अध्याय है जिन्हें सूरा कहा जाता हैं. एक सूरा में कई सारी आयते हैं. कुरान की भाषा अरबी है तथा वर्तमान में यह विश्व की सभी भाषाओं में उपलब्ध हैं.

प्रत्येक मोमिन को किस तरह का जीवन जीना चाहिए, किन नियमों कानूनों (शरीयत) का पालन करना चाहिए इनका वर्णन कुरान और हदीसो में देखने को मिलता हैं. 

कुरान का पहला सूरा कहता हैं. अल्लाह एक है उसके सिवाय और कोई नहीं है वह बड़ा मेहरबान और सब पर दया करने वाला हैं वह सृष्टि का रचयिता है और सभी को सही राह दिखाता हैं.

इस्लाम को एक जीवन पद्धति बताया जाता हैं, जिसमें जीवन जीने के तौर तरीके, कानून, दंड आदि का प्रावधान हैं. कुरान के अनुसार 28 नबी अर्थात अल्लाह के संदेश को धरती पर पहुचाने वाले हैं. 

नबी आते रहेगे उनकी मदद से वो आपकी सुनेगा और हर मन की इच्छा पूरी करेगा. जो मुसलमान अल्लाह के बताए मार्ग पर नहीं चलता है वो दोजख की आग में जलेगा तथा जो अल्लाह पर ईमान लाएगा वह 72 हूरो के पास स्वर्ग को प्राप्त करेगा.

इस्लाम की पुस्तक कुरान के अनुसार अल्लाह ने ही इस कायनात को बनाया है तथा वह ही कयामत का दिन लाएगा. जिस दिन सब कुछ समाप्त हो जाएगा और कब्र में दबें हर मोमिन का हिसाब किताब अल्लाह करेगे. 

कुरान के अनुसार धरती चपटी है जो उड़ न जाए इस कारण उस पर पहाड़ नाजिल किये गये हैं. उसने ही सूरज, रौशनी, जल पेड़ पौधों को बनाया और मनुष्य को बनाया. 

उसने मनुष्य को इतनी शक्ति दी की वह कुरान की रोशनी में अल्लाह को थोडा बहुत जान सके. उसने मनुष्य के जीवन यापन की सहूलियत के लिए हर सुख सुविधा की चीज बनाई हैं.

इस्लाम में मुसलमानों और उनमें भी सुन्नत और अल्लाह पर ईमान लाने वालों को श्रेष्ठ और जन्नत का हकदार बनाया हैं. कुरान कहती हैं कि गैर मुस्लिम/ काफिर शैतान द्वारा भ्रमित किये लोग हैं, 

जिनका स्थान मौत के बाद दोजख है. हरेक मोनिन का यह फर्ज है कि वह काफ़िरो को मुसलमान बनाए और अल्लाह की राह में जिहाद करें.

इस्लाम में पांच प्रतीक माने गये है जो प्रत्येक सच्चे मुसलामन को अपने दैनिक जीवन में इन सिद्धांतों को अमल में लाना चाहिए. जिनमें पहला है नमाज. नमाज का आशय प्रार्थना है.

विधिपूर्वक प्रत्येक मोमिन को दिन में पांच वक्त की नमाज (मक्का की तरफ मुहं करके) अदा करनी चाहिए. दूसरा है रोजा, इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार मुहर्रम माह में रोजा यानी व्रत रखना आवश्यक हैं. तीसरा सिद्धांत है जकात यानी दान का.

हरेक मोमिन को अपनी कुल कमाई का दस प्रतिशत भाग जकात में देना चाहिए. अल्लाह की सेवा में यह दान गरीबों को देना चाहिए. 

एक सच्चे मुसलमान का चौथा फर्ज है हज, यानी मक्के की यात्रा जीवन में कम से एक बार काबा की यात्रा करनी चाहिए. माना जाता है कि हज करने भर से अल्लाह जीवन में किये गये सारे अपराधों एवं पापों से मुक्त कर देता हैं.

पांचवा है ईद. यह इस्लाम का सबसे बड़ा त्यौहार भी माना जाता हैं. दो प्रकार की ईद होती है ईद उल अजहा और ईद उल फ़ित्र. इस दिन किसी जानवर को काटकर अल्लाह के लिए कुर्बानी दी जाती हैं. मीनाद उल नबी भी एक पर्व है.

 इस दिन को पैगम्बर के जन्म दिन के रूप में मनाया जाता हैं. यदि हम भारत में इस्लाम के आगमन की बात करें तो 712 ई में सिंध के राजा दाहिर पर आक्रमण करके मुहम्मद बिन कासिम ने भारतीय उपमहाद्वीप में शुरुआत की. 

मुगलों के शासन में भारत में इस्लाम को फलने फूलने का अवसर मिला. कई सैकड़ों सालों तक कट्टर मुस्लिम शासकों ने भारत पर हमलें किये तथा शासन भी किया. 

इस्लाम के नाम पर लाखों गैर मुसलमानों को मारा गया औरतों और बच्चों को खरीदा बेचा अथवा गुलाम बनाया गया. लाखों लोगों को तलवार के दम पर मुसलमान बनाया गया.

भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में रहने वाले 50 करोड़ मुसलमान जबरन धर्म परिवर्तन के गवाह हैं. भारत में इस्लाम के मानवीय स्वरूप के दर्शन का नसीब नहीं मिला. 

मगर इस्लाम के नाम पर यहाँ की शिक्षा, संस्कृति को तहस नहस किया गया. सदियों पुराने मन्दिरों को लूटा और तोडा गया. 1947 में भारत का विभाजन का कारण भी इस्लाम बना. 

ऐसा नहीं था कि इस्लाम के नाम पर लोगों के कत्ल का सिलसिला विभाजन के साथ ही थम गया, बल्कि 1980 और 90 के दशक से जिहाद को हथियार बनाकर कश्मीर और शेष भारत पर जिहादी हमलें किये जाते रहे. 

जम्मू कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के साथ संहार की कहानी सदियों तक गवाही देती रहेगी. दुनियाभर में इस्लाम को आज एक आतंक का टूल बनाकर लोगों को डराया जाता रहा हैं. अफ्रीका के देशों में बोको हराम जैसे संगठनों द्वारा हाल ही में सौ लोगों का सामूहिक नरसंहार ज्वलंत प्रमाण हैं.

इस्लाम में मानवता और भलाई की बात कही गई हैं. अल्लाह के दीन को अपनाएं बिना अपने ढंग से  परिभाषित करके कट्टरपंथी ताकते मजहब के मानवीय चेहरे को विभित्स कर रही हैं. 

यदि हरेक मोमिन कुरआन की बातों को अपने जीवन में उतारे तो निश्चय ही यह मानवता के हित में होगा तथा इस्लाम की सच्ची जीत होगी.

उम्मीद करता हूँ दोस्तों इस्लाम धर्म पर निबंध Essay on Islam in Hindi का यह निबंध, भाषण, स्पीच, अनुच्छेद, पैराग्राफ आपकों पसंद आया होगा, यदि आपको इस्लाम के बारे में जानकारी पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.