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केरल राज्य पर निबंध | Essay On Kerala In Hindi

 नमस्कार प्यारे दोस्तों केरल राज्य पर निबंध | Essay On Kerala In Hindi आज का यह निबंध भारत के एक नेचुरल ब्यूटी (प्राकृतिक सुन्दरता) से युक्त दक्षिणी पश्चिमी सीमाप्रांत केरल राज्य पर दिया हैं. आज के निबंध, भाषण, स्पीच अनुच्छेद पैराग्राफ को पढ़ने के बाद हम राज्य के भूगोल, इतिहास, संस्कृति आदि को समझ सकेगे.

केरल राज्य पर निबंध | Essay On Kerala In Hindi

केरल राज्य पर निबंध | Essay On Kerala In Hindi
केरल भारत का एक महत्वपूर्ण राज्य हा, जिसे प्राचीनकाल में चेरलम नाम से जाना जाता था. इस राज्य की राजधानी तिरुवंतपुरम है. इस राज्य का सबसे सुन्दर शहर भी यह है.

यह भारत का एक दक्षिणी राज्य है, जिसका वैदिककाल में भी वर्णन मिलता है. मद्रास इसी राज्य में हुआ करता था. इस राज्य की राजभाषा मलयालम है, जो यहाँ की स्थानीय भाषा भी है.

यह राज्य अरब सागर के साथ भी सीमाए साझा करता है. केरल राज्य हिन्दू धर्म बाहुल्य क्षेत्र है. यहाँ मुस्लिम और इसाई धर्म के लोग भी रहते है. भारतीय क्रिकेट टीम के महान खिलाडी संजू सेमसन केरल राज्य के तिरुवंतपुरम से ही है.

केरल भारत का एक महत्वपूर्ण प्रान्त है जो पूर्व में मद्रास राज्य का हिस्सा हुआ करता था. इसे चेरलम भी कहा जाता था. इसकी राजधानी तिरुवनन्तपुरम (त्रिवेन्द्रम) हैं. मलयालम यहाँ की स्थानीय भाषा हैं.

धार्मिक आबादी की बात की जाए तो हिन्दुओं एवं मुसलमानों के अलावा यहाँ ईसाई समुदाय भी बड़ी तादाद में हैं. भारत के चार अहम दक्षिणी राज्यों में से एक केरल अरब सागर व सह्याद्री पर्वत के साथ अपनी सीमाएं बनाता हैं. 

राज्य का क्षेत्रफल 38863 वर्ग किलोमीटर है, केरल की संस्कृति विशिष्ट है जिसकी छाप पांडिचेरी और लक्षद्वीप में भी देखी जा सकती हैं. स्वतंत्रता पूर्व यहाँ भी देशी राज्य थे.

जुलाई 1949 में तिरुवितांकूर व कोच्चिन रियासतों को जोड़कर 'तिरुकोच्चि' राज्य बनाया गया था. वर्ष 1956 में तिरुकोच्चि के साथ मलाबार क्षेत्र को जोड़ने के साथ ही केरल राज्य का जन्म हुआ.

राज्य को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा बेबी फ्रेडली स्टेट का दर्जा प्राप्त हैं, देश में सबसे अधिक लिंगानुपात एवं सबसे कम शिशु मृत्यु दर केरल की ही हैं.

देश के प्राकृतिक रम्य स्थलों में से एक केरल, पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र सदैव से रहा हैं, यहाँ देश विदेश से लाखों पर्यटक आते रहते हैं. राज्य की ख़ूबसूरती के चर्चे दुनियाभर में हैं.

वैसे तो केरल खुशबूदार मसालों के लिए जाना जाता हैं, जहाँ इनकी बहुतायत कृषि एवं निर्यात सदियों से होता रहा हैं. मालाबार क्षेत्र मसालों के साथ साथ औषधियों का भी भंडार रहा हैं. देश का सबसे बड़ा औषधि केंद्र भी यही हैं. दुनियाभर से लोग आयुर्वेदिक इलाज के लिए यहाँ आते हैं.

यहाँ समुद्र के किनारे स्थित बेकल फोर्ट विशिष्ट आकर्षण का केंद्र हैं, सुंदर प्राकृतिक परिवेश में स्थित किले के चारो और नारियल के पेड़ इसकी शोभा को बढाते हैं. छोटे छोटे जलद्वीपों में स्थित किले को देखकर हर किसी का मन खुश हो जाता हैं.

यहाँ का कोवलम समुद्री तट का किनारा लाइट हाउस विश्व विख्यात हैं. तट अर्धचन्द्राकार आकार में हैं, चारो और की घनी हरियाली पर्यटकों का मन मोह लेती हैं. राज्य में पर्यटन उद्योग बड़े स्तर पर हैं जिससे लाखों निवासियों की रोजी रोटी चलती हैं.

राज्य के जाने माने गंतव्यों में एक प्रसिद्ध पार्क भी हैं जिन्हें पेरियार पार्क कहा जाता हैं. यह राष्ट्रीय पार्क केरल के पश्चिम में स्थित हैं. वर्ष 1895 में अंग्रेजों ने बाघों के संरक्षण के लिए इसे बनाया था.

राज्य के अन्य मनोहारी स्थलों में एक वायनाड भी हैं. यहाँ की घाटियों, झरनों और हरियाली के सुंदर नजारे का आनन्द अनुपम हैं.मुन्नार केरल का प्रसिद्ध स्थान हैं जहाँ मट्टुपेट्टी झील और बांध अच्छे पिकनिक स्पॉट हैं, यहाँ से चाय के बागानों के सुंदर नजारों को कैद किया जा सकता हैं.

विद्वान केरल शब्द की उत्पत्ति के सम्बन्ध एक राय नहीं हैं. मगर अधिकतर का मानना है कि चेरलम से केरल शब्द अस्तित्व में आया हैं. कहा जाता है "चेर - स्थल", 'कीचड़' और "अलम-प्रदेश" से चेरलम बना और बाद में इसे केरल के रूप में जाना जाने लगा.

केरल शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है जमीन का वह भाग जो समुद्र से निकला हो. इसके अलावा पर्वत और समुद्र के मिलन को भी केरल कहा जाता हैं. विदेशी यात्रियों ने इस भूमि को मलबार का नाम दिया. यहाँ लम्बे समय तक चेरा वंश के शासकों का शासन रहा, इसी कारण ये चेरलम और बाद में केरलम के रूप में जाना जाने लगा.

केरल के बारें में एक पौराणिक कथा भी प्रचलन में हैं जिसके अनुसार भगवान परशुराम ने अपना प्रशा समुद्र में फेका था इस कारण वह भूमि समुद्र से बाहर निकली और केरल भूमि बनी. इस सम्बन्ध में जो भी कहानी रही हो यहाँ मानव का इतिहास सदियों पुराना रहा हैं. एतिहासिक साक्ष्यो की माने तो दसवीं सदी ईसा पूर्व से ही यहाँ पर मानव बस्तियां हुआ करती थी.

यहाँ की संस्कृति देश की प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक हैं. पर्वतीय क्षेत्रों से प्राप्त स्मारिकाओं से ज्ञात होता हैं कि 1000 ईं. पूर्व से 300 ईस्वी तक यहाँ मनुष्य का वास था.

यहाँ की संगम संस्कृति और साहित्य आज भी देखने को मिलते हैं. इतिहास अध्ययन की दृष्टि से केरल को प्राचीन, मध्य और आधुनिककालीन इतिहास के रूप में पढ़ा जाता हैं.

तटीय प्रदेश होने के कारण केरल प्राकृतिक आपदाओं का साक्षी रहा हैं. अगस्त 2018 में यहाँ भयंकर बारिश के कारण बाढ़ आई थी. ये राज्य की विगत एक शताब्दी में आई सबसे वीभत्स आपदा थी, जिसमें पौने चार सौ लोग मारे गये थे.

वही दो लाख अस्सी हजार से अधिक लोग बेघर हो गये थे, राज्य की कुल आबादी का छठवां भाग इस आपदा के कारण बुरी तरह प्रभावित हो गया था. राज्य के कई क्षेत्रों का सम्पर्क पूरी तरह से कट गया था. राज्य के 42 बंधों में से 35 के द्वार खोल दिए गये जिनमें सबसे अधिक प्रभाव मुल्लापेरियार बांध के गेट खोलने के कारण पड़ा था.

किसी भी प्रदेश की संस्कृति का स्वरूप उसके पर्व त्योहारों में परिलक्षित होता हैं. राज्य का मुख्य त्यौहार ओणम हैं इसे थिरुवोनम भी कहा जाता हैं. यह सभी केरलवासियों द्वारा धूमधाम से मनाया जाता हैं.

चाहे मत, मजहब कोई हो सभी नागरिक इसमें समान रूप से भागीदारी करते हैं. मलयालम माह के चिंगोम महीने में मनाते है इस दिन घरों को फूलों से सजाया जाता हैं. मन्दिरों में भी बड़े बड़े पांडाल सजाए जाते है नोका दौड़ व अन्य प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं.

सांस्कृतिक विविधताओं के प्रदेश में सभी धर्मों के अनुयायी अपनी अपनी मान्यताओं के अनुसार पर्व मनाते हैं, हिन्दुओं द्वारा विषु, नवरात्रि, दीपावली, शिवरात्रि, तिरुवातिरा, मुसलमान रमज़ान, बकरीद, मुहरम, मिलाद-ए-शरीफ आदि मनाते हैं तो ईसाई क्रिसमस, ईस्टर मनाते हैं. राज्य के अन्य स्थानीय राज्योत्सव भी अपनी पहचान रखते हैं. 

भगवान शिव के सम्मान में दो सौ वर्ष पुराना त्रिशुर पूरम उत्सव अप्रैल माह में वडकुंकनाथ मन्दिर में मनाया जाता हैं. इस दिन छत्तीस घंटे की लम्बी पूजा अर्चना की जाती है. यहाँ के लोगों को नौका सवारी बेहद प्रिय होती हैं. इसी पर आधारित बोट प्रतियोगिता का भी आयोजन होता हैं जिसमें भाग लेने कई विदेशी पर्यटक भी आते हैं.

अतीत से आज तक भारत राष्ट्र के लिए केरल का अद्वितीय योगदान रहा हैं. यह क्षेत्र सदैव भारत के साथ न केवल भौगोलिक रूप से बल्कि बौद्धिक एवं आध्यात्मिक रूप से भी जुड़ा रहा.

जब उत्तर भारत में विदेशी हमले हो रहे थे तब भी देश का यह कोना अपनी संस्कृति को बचाने में सफल रहा था. सनातन, बौद्ध एवं जैन धर्म के कई महान मनीषियों ने इस पवित्र भूमि पर जन्म लिया, जिनमें आदि शंकराचार्य जी एक थे.

उन्होंने भारत के चारो कोनो में चार मठों की स्थापना की तथा वेदों का प्रचार प्रसार किया. श्रीनारायण गुरु की जन्मस्थली होने का भी सौभाग्य केरल राज्य को प्राप्त हैं.

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