राजस्थान का राज्य पक्षी तथा ग्रेट इंडियन बर्ड के नाम से विख्यात पक्षी गोडावण अपनी शारीरिक बनावट और अपने विचार शरीर और रंग रूप के लिए प्रसिद्ध है आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम राजस्थान के राज्य पक्षी गोडावण के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे।
गोडावण पर निबंध | Essay on Godavan In Hindi
गोडावण एक विशाल पक्षी है यह राजस्थान के प्रमुख पक्षियों में से एक है। गोडावण का रंग पूरा होता है तथा इसके गर्दन पर सफेद रंग के धब्बे होते हैं।
सामान्यत गोडावण की लंबाई 4 फीट से लेकर 5 फीट तक होती है। देश में मादा गोडावण की लंबाई कम होती है और नर गोडावण की लंबाई ज्यादा होती है.
गोडावण का वजन 20 किलोग्राम होता है.ये भारत की सबसे भारी-भरकम पक्षी है.जो उड़ती है.ये उड़ान के साथ-साथ जमीन पर भी चलती है.गोडावण के हंस की भांति पैर तथा गर्दन लम्बी होती है.मादा तथा नर गोडावण में काफी अंतर पाया जाता है.
गोडावण को सोने की चिड़िया के नाम से जाना जाता है.ये समय-समय पर हुक-हुक आवाज निकालती है.इसलिए इसे स्थानीय भाषा में हुकना भी कहते है.गोडावण अपना घोंसला जमीन पर घास में ही बनाती है.गोडावण एक बार में एक ही अंडा देती है.जिसका लेरंग रंग सफ़ेद होता है.
हमारे राजस्थान का राज्य पक्षी गोडावण हैं। गोडावण की प्रजाति संकटापन जातियों में शामिल है गोडावण विलुप्त होते जा रहे हैं गोडावण की निरंतर घटती संख्या को मध्य नजर रखते हुए इसके संरक्षण के लिए प्रावधान किए गए हैं।
गोडावण की शारीरिक बनावट के कारण यह उड़ने वाले पक्षियों तथा चलने वाले पक्षियों दोनों में शामिल है गोडावण गोरा गगनभेदी स्वर के साथ अपना संकट में चिल्लाती है।
गोडावण ज्यादातर समय काश में रहती है 1981 में गोडावण को राजस्थान सरकार ने राज्य पक्षी का दर्जा दिया। वन संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत गोडावण संरक्षण को महत्व दिया गया है और अपराधियों के लिए सजा का प्रावधान भी किया गया है।
कानूनी तौर पर यदि कोई व्यक्ति गोडाउन को मारते पकड़ा गया तो उसे 10 साल की सजा और ₹25000 का जुर्माना चुकाना पड़ेगा। इस प्रकार की कठोर सजा का प्रावधान होने के बाद भी लोग इन दुर्लभ जीवो को मारते हैं। इसी कारण गोडावण पर संकट मंडरा रहा है।
गोडावण एकमात्र ऐसा पक्षी है जो ऊंट की भांति बिना पानी पिए कई दिनों तक रह सकता है तथा हर परिस्थिति में अनुकूल रहता है।
गोडावण एक सर्वाहारी पक्षी है यह कभी-कभी अनाज का कर अपना पेट भरता है तथा कभी-कभी सांप और कीड़े मकोड़ों को खाकर अपना पेट भरता है।
राजस्थान के मरुस्थल के सबसे बड़े पार्क डेजर्ट नेशनल पार्क मैं सर्वाधिक संख्या गोडावण की है और इसी कारण मरुस्थल में अन्य जिलों की तुलना में गोडावण अधिक पाई जाती है।
राजस्थान के राज्य पक्षी गोडावण के संरक्षण के लिए राजस्थान सरकार नए नियम कानून कायदे बना रही है और इनके प्रजनन को बढ़ावा देने के लिए भी प्रदान किए जा रहे हैं। हमारी सरकार के प्रयासों के बदौलत आज गोडावन की प्रजाति देखने को मिल रही है।
गोडावण ही नहीं बल्कि हमें आज के समय में सभी जीव जंतु और पशु पक्षियों के संरक्षण की जरूरत है। तथा पक्षियों के घर वन का सरक्षण भी जरुरी है.इसके लिए हम सब को जागरूक होना जरुरी है.