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प्रदूषण पर निबंध Essay on Pollution in Hindi

प्रदूषण पर निबंध- हमारी प्रकृति में प्रदूषक तत्वों का मिल जाना प्रदूषण कहलाता है प्रदूषण मानव संसाधनों द्वारा ही होता है प्रदूषण मानवीय गतिविधियों द्वारा ही होता है। आज के इस आर्टिकल में हम प्रदूषण पर निबंध लेकर आए हैं इस लेख के माध्यम से प्रदूषण के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे।

प्रदूषण पर निबंध Essay on Pollution in Hindi

प्रदूषण पर निबंध Essay on Pollution in Hindi
प्रदुषण आज के समय की सबसे बड़ी समस्या है, जो लगातार बढ़ता ही जा रहा है. प्रदुषण के कारण आज हमें अनेक बीमारियों का सामना करना पड़ता है. इसलिए इसका निवारण आवश्यक है.

ओद्योगिक दृष्टि से तथा वाहनों से निकलने वाला धुँआ आज हमारे पर्यावरण को दूषित कर रहा है. प्रदुषण से न केवल हमें बीमारियों होती है, बल्कि ये मानसिकता को भी ठेस पहुंचाता है.

लोग अपने स्वार्थ के लिए तथा अपनी सुविधा के लिए अनेक ऐसे संसाधनों का प्रयोग कर रहे है, जो प्रदुषण को बढ़ावा दे रहे है. तथा हमारी पृथ्वी को नुकसानदायक बन रहे है.

प्रदुषण को कम करने के कई तरीके है, जिनसे हम इस समस्या से उभर सकते है. उन्ही में से एक है, सार्वजानिक परिवहन का अधिकाधिक प्रयोग करना तथा निजी संसाधनों का सिमित उपयोग करना.

पेड़ पौधे प्रदुषण से निकलने वाली हानिकारक वायु को ग्रहण करना अपना भोजन बनाते है. तथा हमें शुद्ध वायु प्रदान करते है. इस प्रकार पेड़ पौधे हमारे लिए वरदान साबित हो सकते है.

Essay on Pollution in Hindi

हमारी स्वच्छ प्रकृति को प्रदूषित करने वाले पदार्थों  के मिलने को हम प्रदूषण कहते हैं प्रदूषण प्रदूषण द्वारा फैलता है और प्रदूषक मानव गतिविधियों द्वारा उत्पन्न होता है।

प्रदूषण के कारण आज मानव जीवन संकट में है प्रदूषण से मानव के स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है. साथ ही प्रकृति और ग्लोबल वार्मिंग को भी प्रदूषण से नुकसान झेलना पड़ता है।

यदि ग्लोबल वार्मिंग को इसी प्रकार नुकसान होता रहा तो आने वाले कुछ ही समय में प्रकृति का संतुलन बिगड़ जाएगा.तथा सूर्य से आने वाली पराबैगनी किरणे सीधे हमारे पर्यायवरण में प्रवेश करेगी.जो कि हमारे लिए नुकसानदायक साबित होगा.

प्रदूषण जैसी समस्याओं के समाधान के लिए हमें सख्त से सख्त कदम उठाने होंगे वरना आने वाले समय में प्रदूषण मानव जीवन के अस्तित्व को हमेशा हमेशा के लिए समाप्त कर देगा।

इसलिए हमें प्रदूषण को काम करने की जरूरत है।आज जिस प्रकार की प्रकृति हम देख रहे हैं चारों तरफ पौधे ही पौधे पशु पक्षी तथा स्वच्छ वातावरण  तथा बाग बगीचे जंगल झाड़ियां वन आदि पर प्रदूषण के कारण संकट के बादल मंडरा रहे हैं।

यदि स्थिति यही रही तो आने वाले कुछ ही दशकों में मानव जीवन पेड़ पौधे पशु पक्षी वन नदियां आदि का अस्तित्व संभव होगा। जिस प्रकार से पिछले कुछ सालों में प्रदूषण बड़ा है यह हमारे लिए तथा संपूर्ण पृथ्वी के लिए बुरा संकेत है।

आज जिस वातावरण में हम जी रहे हैं जिन पेड़ पौधों की छांव में अपना जीवन यापन कर रहे हैं आने वाले कुछ ही सालों में यह प्रकृति और यह वातावरण मात्र चित्रों में ही सीमित रहेंगे। लोग मात्र कल्पना ही करेंगे की वृक्ष होते थे। 
हमारा पर्यावरण जैन पंच तत्वों से मिलकर बना है। इन पांच तत्वों का संरक्षण ही हमारा संरक्षण है। अतः हमारे जीवन में पर्यावरण का विशेष महत्व है।

जल प्रदूषण हो ध्वनि प्रदूषण हो पर्यावरण प्रदूषण इन सभी प्रदूषण पर पर्यावरण द्वारा नियंत्रण बनाया जा सकता है पेड़ पौधों को लगाकर प्रदूषण को दूर भगाया जा सकता है पर इसके विपरीत लोग वनों और पेड़ पौधों की कटाई कर रहे हैं.

अपने स्वार्थों को सिद्ध करने के लिए पर्यावरण के संतुलन को बिगाड़ रहे हैं पेड़ पौधों की कटाई ही पर्यावरण के असंतुलन का कारण है और जब पर्यावरण असंतुलन होगा तो प्रदूषण पर काबू पाना संभव होगा।

मानव जीवन के जीवित रहने के लिए पंचतत्व में प्रदूषक तत्व मिलकर प्रकृति के संतुलन को बिगाड़ने मैं समर्थ रहते हैं आज के जमाने में देखा जाए तो अधिकांश लोग पेड़ पौधों को काटने में लगे हैं.

उन्हें पेड़ पौधों के महत्व तथा इसके उपयोग की समझ ना होने के कारण पेड़ पौधों की अंधाधुंध कटाई कर रहे हैं इसलिए हमें जरूरत है कि देश के प्रत्येक नागरिक को पेड़ पौधों के महत्व के बारे में जानकारी दी जाए तथा इसके प्रति जागरूक किया जाए।

प्रदूषण से मुक्ति के लिए जागरूकता सबसे बड़ा हथियार है। कुछ ऐसे नियम बनाए जाने चाहिए जिनसे पेड़ पौधों में वृद्धि की जाए तथा आप पेड़ पौधों को काटने वालों के विरुद्ध सजा का प्रावधान किया जाए।

जिस प्रकार हमारे देश मैं पिपलांत्री गांव पर्यावरण के प्रति जागरूक हुआ है उसी प्रकार हमें भी जागरूक होने की जरूरत है जिस प्रकार के नियम उस गांव में है बेटी का जन्म होने पर 111 वृक्ष लगाए जाते हैं.

ऐसा ही नियम हमारे संपूर्ण देश में चलाया जाए तो निसंदेह रूप से हम प्रदूषण से मुक्ति पा सकते हैं और हमारे भविष्य और हमारी आने वाली पीढ़ियों के जीवन को आरामदायक बना सकते हैं।

प्रदूषण को रोकने के लिए पहले हमें यह ज्ञात करना जरूरी है कि किन किन कारणों से प्रदूषण को बढ़ावा मिलता है तथा इसके बचाव के क्या-क्या उपाय हो सकते हैं।

प्रदूषण के प्रकार

1. जल प्रदूषण-  जल का दुरुपयोग करना तथा जल को दूषित जल को अपेय बनाना ही जल प्रदूषण है। हमें सबसे ज्यादा जल नदियों से मिलता है.तथा फेक्टरियो और घरो के कचरे को डालकर लोग जल को प्रदूषित बनाते है.

कई लोग अपने खेतो में उर्वरक का प्रयोग करते है.जिससे नहरों और नदिया का जल जहरीला हो जाता है.कई लोग मृत जानवर की नदियों में फेंकते है.जिससे मृत जानवर पर मच्छर और पक्खिया और न जाने अनेक विषाक्त जीव नदियों में प्रवेश करते है.

हमारे देश की सबसे पवित्र कही जाने वाली गंगा नदी का जल भी प्रदूषित किया जा रहा है.आज गंगा का जल पीने योग्य नहीं बचा है.गंगा नदी में लोग अपना कचरा,मल-मूत्र तथा मृत जीवो को डालकर गंगा को प्रदूषित कर दिया है.पर सरकार गंगा सफाई अभियान चलाकर प्रदूषित नदी को स्वच्छ बनाने का प्रयास कर रही है.

यदि इसी प्रकार नदिया प्रदूषित होती रही तो आने वाले कुछ दशको में सभी नदिया प्रदूषित हो जाएगी.तथा जल के संकट के कारण जीवन का रहना असंभव होगा.इसलिए अभी भी हमारे पास समय है.हमें जल्द से जल्द प्रदुषण को रोकना चाहिए.

2. वायु प्रदुषण- हम जिस वायु का प्रयोग श्वसन प्रक्रिया के दौरान करते हैं उस वायु को प्रदूषित करना वायु प्रदूषण है। वायु प्रदूषण के अनेक संसाधन है जिसमें फैक्ट्रियों का धुआं वाहनों द्वारा प्रदूषण आदि से वायु प्रदूषण बढ़ता है।

वायु प्रदूषण को कम करने वाले संसाधन पेड़ पौधे हैं नादान लोग पर्यावरण को प्रदूषित भी करते हैं तथा प्रदूषण को कम करने वाले पेड़ पौधों को काटकर प्रदूषण को बढ़ावा देते हैं।

3. खाद्य प्रदूषण- खाद्य प्रदूषण वह प्रदूषण होता है जो खाद्य पदार्थों को प्रदूषित कर जगह जगह पर फेंक दिया जाता है जिससे पर्यावरण को काफी नुकसान होता है हर जगह कूड़े कचरे तथा खाद्य पदार्थों के झूठे को फेंकने से प्रदूषण बढ़ता है इसलिए तो सरकार ने कचरा पात्र को जगह जगह पर स्थापित किया है 

इसलिए हमें कूड़े को कचरा पात्र  मैं ही डालना चाहिए जिससे गंदगी कम हो। दूषित भोजन पर जहरीले कीड़े मकोड़े बैठते हैं तथा जहर छोड़ते हैं और वायु प्रदूषण के कारण घातक जैसे उस भोजन में समाहित हो जाती है।

फिर इस पर दूषित भोजन को पशु अपने भोजन के रूप में खा जाते हैं जिससे पशु पक्षियों को बीमारियों से खतरा बना रहता है।

4. ध्वनि प्रदूषण-  अत्यधिक ध्वनि के कारण होने वाले प्रदूषण को ध्वनि प्रदूषण कहते हैं। ध्वनि  प्रदूषण करने के अनेक प्रदूषक है जिसमें हवाई जहाज वाद्य यंत्र शोर शराबा तथा डीजे जैसे अत्यधिक ध्वनि भरे संसाधनों के कारण हमें ध्वनि प्रदुषण का शिकार होना पड़ता जिससे कई लोग बहरे हो जाते हैं।

इससे से बचाव के लिए हमें जहां तक सीमित हो अत्यधिक ध्वनि युक्त  संसाधनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। तथा वाद्य यंत्र और डीजे जैसे ध्वनि युक्त संसाधनों को कम ध्वनि में  बजाएं जिससे कानों की सुरक्षा की जा सके।  तथा ध्वनि प्रदूषण से मुक्ति पाई जा सके।

5. मृदा प्रदुषण- मिट्टी में उर्वरक तथा कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग कर भूमि को प्रदूषित करना ही मृदा प्रदुषण है.जिस मिट्टी में हम धान की उपज करते है.

उसी मिटटी पर हम कीटनाशक जैसी जहरीली दवाइयों का छिड़काव करते है.जिससे उपजे धान पर बुरा असर देखने को मिलता है.तथा धान का सेवन से हमारे स्वास्थ्य पर भी इसका असर पड़ेगा.और चारा खाने पर पशुओ को भी नुकसान उठाना पड़ेगा.

अत्यधिक रासायनिक दवाईयो के छिड़काव से जमीन भी बंजर बन जाती है.इसलिए हमें अपने खेत को बचाने खुद को बचाने तथा अपने पशुओ को सुरक्षित रखने के लिए रासायनिक खाद का प्रयोग न करें.तथा प्राकृतिक खाद का प्रयोग करें.

6. प्रकाश प्रदूषण- किसी भी स्थान पर जरुरत से ज्यादा प्रकाश का प्रयोग करना हर समय प्रकाश के संसाधनों को शुरू रखने से ऊर्जा ज्यादा खत्म होती है.प्रकाश का दुरुपयोग करना ही प्रकाश प्रदूषण कहलाता है.प्रकाश का दुरुपयोग तथा प्रदुषण शहरी इलाको में ज्यादा होता है.

बाजारों में हमेशा प्रकाश फ़ैलाने के साधन शुरू रहते है.जिससे प्रकाश का फैलाव होता है.प्रकाश की ज्यादा उपयोग से ज्यादा बिजली की जरुरत पड़ती है.तथा बिजली का अत्यधिक निर्यात होने के कारण अधिक बिजली का निर्माण करना होगा.जिसमे जल की जरुरत होती है.

7.रेडियोएक्टिव प्रदूषण- ये प्रदुषण प्रकृति के द्वारा ही होता है.तथा इस पर मानव नियंत्रण नहीं बना सकते है.रेडियोएक्टिव प्रदुषण बम तथा खतरनाक वस्तुओ से फटने से फैलता है.परमाणु बिजली से होने वाला प्रदुषण भ रेडियोएक्टिव प्रदुषण के अंतर्गत आता है.

8. थर्मल प्रदूषण- थर्मल प्रदुषण से जलीय जीवो को सबसे ज्यादा संकट होता है.थर्मल प्रदूषण से जल में वायु की कमी आने लगती है.और जल में वायु के अभाव के कारण जलीय जीवो को इससे नुकसान हो रहा है.इसी कारण जलीय जीव विलुप्त की कगार पर है.इसलिए हमें जल को स्वच्छ रखना होगा.

प्रदूषण के मुख्य कारण

1. वनों की कटाई- लोगो द्वारा अपने स्वार्थो को सिद्ध करने के लिए वनों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है.प्रदुषण का मुख्य कारक पेड़-पौधे नहीं है.पर जब तक प्रकृति में पेड़-पौधे होंगे जब तक ये प्रदुषण को नियंत्रण  में ला सकते है.पर लोग प्रदुषण भी बहुयात फैला रहे है.

तथा इसे रोकने वाले एकमात्र संसाधन पेड़-पौधों को भी काट रहे है.पेड़ पौधे हमारे द्वारा छोड़ी गई.कार्बन को ग्रहण कर वातावरण को शुध्द बनाते है.प्रदुषण का प्रभाव ग्लोबल वार्मिंग पर भी देखा जाता है.

2. बढ़ती जनसंख्या- बढ़ती जनसँख्या के कारण लोगो को अत्यधिक संसाधनों की जरुरत पड़ती है.लोगो के घरो से लेकर दरवाजे तक सभी लकड़ी द्वारा बनाये जाते है.यही कारण है.कि लकड़ी का सबसे ज्यादा निर्यात हो रहा है.अधिक जनसँख्या से अधिक वस्तुओ की मांग होती है.जिसमे पेड़-पौधे प्रमुख है.

3. उद्योग-धंधे- सबसे ज्यादा प्रदुषण उद्योग धंधो द्वारा फैलता है.कई ऐसे उदहारण है.जिसमे कारखानों के धुंए के कारण अनेक बीमारियों ने जन्म लिया तथा जहरीली गैसों के कारण कई लोगो की जान भी जा चुकी है.ऐसी घटनाएँ हमारे देश में भी हो चुकी है.

इस घटना में 3 हजार लोगो ने जहरीली गैस का शिकार होने के कारण अपनी जान दी.तथा तक़रीबन 2 हजार से ज्यादा लोग घायल भी हुए. घायल लोग ठीक भी हुए पर उनके स्वास्थ्य पर इसका गहरा प्रभाव देखा जा सकता था.

इस घटना को हम भोपाल गैस त्रासदी के नाम से जानते है.ये घटना 1984 में घटित हुई और ये आज तक की भारत की सबसे बड़ी गैस त्रासदी है.

4. बम अटैक- बम के हमले से सबसे ज्यादा प्रदुषण फैलता है.साथ ही ये प्रदुषण लम्बे समय तक सरंक्षित भी रहता है.तथा लम्बे समय तक लोगो के लिए खतरे की घंटी बना रहता है.

ऐसी घटना जापान के साथ हुई. कई देशो ने जापान पर बम से अटैक किया जिससे जन हानि के साथ-साथ वातावरण को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा.

पूरा जापान तहस-नहस हो गया.तथा इस घटना के बाद से आज भी जापान में कभी-कभी वह प्रदुषण देखने को मिलता है.पर जापान की जागरूकता के चलते जापान सबसे स्वच्छ वातावरण रख रहा है.यही कारण है.कि बम अटैक होने के बाद भी वहां के लोग सुरक्षित है.

हमारे जीवन में आने वाली सभी प्राकृतिक आपदाओ का मुख्य जड़ प्रदुषण है.प्रदुषण से ही मौसम में बदलाव आता है.कभी सुनामी की लहरे कभी तूफान तो कभी भूकंप के झटके कभी अम्लीय वर्षा तो कभी ग्लेशियर का पिघलना सभी प्रदुषण के कारण ही हो रहा है.

औद्योगिक और तकनीकी विकास :- विज्ञान की प्रगति के कारण अनेक कार्यो से प्रदुषण फैलता है.जैसे विज्ञान की सबसे बड़ी उपलब्धि के रूप में वाहनों का निर्माण किया.और आज सबसे ज्यादा प्रदुषण का कारण वाहन ही बन रहे है.वाहनों तथा अन्य नई तकनीको से प्रदुषण बढ़ रहा है.

प्रदूषण कम करने के उपाय

1. वनों की कटाई न करें.तथा नए पेड़-पौधे लगाए और अपने वातावरण को हरा-भरा बनाए रखे.
इस पृथ्वी पर प्रदुषण को कम करने के लिए हमारे पास पेड़-पौधे एकमात्र साधन है.जिनसे बढ़ते प्रदुषण को कम किया जा सकता है.इसलिए अपने वातावरण में ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाए.तथा इसके लिए सभी को जागरूक करें.

2. पर्यायवरण के प्रति लोगो को जागरूक करें.
प्रदुषण पर नियंत्रण में ही नहीं बल्कि हर कार्य को सफल करने के लिए सभी नागरिको की सहभागिता का होना आवश्यक है.जब तक देश का बच्चा-बच्चा पर्यायवरण के लिए जागरूक नहीं होगा.तब तक प्रदुषण को कम नहीं किया जा सकता है.इसलिए सभी को इसके लिए जागरूक करें.

3. जल का सरंक्षण करें
जल का उपयोग करने के बाद उसे पेड़-पौधे में डाल दें.जल का पुनप्रयोग से हमें अनेक फायदे होते है.जिसमे जल का बचाव भी होता है.तथा पेड़ पौधों को भी जल मिल जाता है.

जल अब सिमित ही रहा है.इसलिए जल का सरंक्षण जरुरी है.जल का सरंक्षण नहीं किया गया तो प्रदुषण के साथ-साथ इस समस्या का सामना भी करना पड़ेगा.

4.खेतो में रासायनिक खाद का प्रयोग सीमित ही करें.
घरेलु खाद का प्रयोग करें.आज के किसान अपने खेत में उपज कम होने के कारण रासायनिक खाद का सहारा लेकर अपनी उपज बढ़ाते है.तथा अपने फायदे के लिए सभी किसान इसका प्रयोग करते है

जो कि मृदा के लिए हानिकारक है.इससे मृदा बंजर भी हो सकती है.तथा वर्षा जल रासायनिक खाद में मिलकर विषाक्त बन जाता है.इसलिए रासायनिक खाद का प्रयोग कम करें. तथा घरेलु खाद/प्राकृतिक खाद को बढ़ावा देंवे.

5. कूड़े कचरे को कचरा पात्र में ही डाले इदर उदर नहीं फैलाए.
हमारे देश में कूड़े कचरे से परेशानी बढती जा रही है.एक तरफ लोग इसका ज्यादा उपयोग करते है.तथा दूसरी तरफ इसे कचरा पात्र में भी नहीं रखते है.जिससे प्लास्टिक की थैलिया हवा के साथ वातावरण में फ़ैल जाती है.

जिससे वातावरण भी दूषित होता है.तथा साथ ही इसे पशु खा जाने पर उनकी मौत भी हो सकती है.इसलिए उचित यही है.कि इसका प्रयोग कम करें.तथा दुबारा प्रयोग करें.और कचरे को कचरा पात्र में ही डालें.

6.प्रकाश का जरुरत अनुसार ही प्रयोग करें.
क्योकि प्रकाश बनाने में अत्यधिक प्रदुषण फैलता है.वैसे प्रकाश से कोई प्रदुषण नहीं फैलता है.पर प्रकाश का निर्माण करते समय प्रदुषण फैलता है.इसलिए प्रकाश का उपयोग जरुरत तक ही करें. जिससे प्रकाश और प्रदुषण दोनों कम हो.

7.रेडियोएक्टिव पदार्थों पर रोक लगा दी जाए.तथा इसके निर्माण प्रिक्रिया पर रोक लगाई जाए.
ये प्रदुषण सबसे खतरनाक होता है.इसके कारण लोगो की मौत भी हो सकती है.ये प्रदुषण बम तथा कारदूतो के प्रयोग तथा बिजली के तार के शोर्ट हो जाने पर फैलता है.इस प्रदुषण का पूरा श्रेय विज्ञान तथा प्रयोग करने वाले व्यक्ति को जाता है.इसलिए ऐसे पदार्थो पर रोक लगाई जाए.

8.उद्योग धंधो में प्रदुषण कम फैलाए.
आपने कई बार फैक्ट्रियो से निकलते धुंए को देखा होगा.पर आपने कभी गोर किया है.कि ये हमारे वातावरण तथा हमारे लिए कितना नुकसानदायक है.इस धंधे को बंद भी नहीं किया जा सकता है.क्योकि जब ये कार्य बंद होंगे तो लोग बेरोजगार हो जायेंगे.इसलिए हमें इससे यथासंभव कम करने का प्रयास करना चाहिए.यही हमारे लिए उचित साबित होगा.

9.थर्मनल प्रदुषण जल में अवाछिंत पदार्थो के मिलने से होता है.
इसके लिए जल में किसी प्रकार का पदार्थ नहीं डाले.ये प्रदुषण जल को प्रदूषित करता है.साथ ही इससे जलीय जीवो को भी नुकसान होता है.और ऐसे जल का सेवन करने से व्यक्ति की मौत तक हो सकती है.इसलिए इस प्रदुषण को कम करने के प्रयास करें.

10.प्लास्टिक का यथासंभव प्रयोग न करें.
प्लास्टिक का ज्यादा से ज्यादा उसका पुनःप्रयोग करें.आज हमारा वातावरण प्लास्टिक के बैग का आवरण बन चूका है.हर जगह नई-नई प्लास्टिक की थैलिय देखने को मिलती है.इसलिए हमें इनका पुनप्रयोग करना चाहिए.जिससे प्लास्टिक का निर्यात कम हो सकें.

11.प्रदुषण को कम करने के लिए सरकार को शक्त कदम उठाने चाहिए.
बढ़ते प्रदुषण पर रोक लगाने के लिए सरकार कई अहम कदम उठा चुकी है.पर इससे अभी तक कोई खास फर्क देखने को नहीं मिला है.इसलिए हमारी सरकार को अभी-भी शक्त नियम बनाने की जरुरत है.जिससे प्रदुषण पर मुहर लगाई जा सकें.

12.पटाके जैसे प्रदूषको पर रोक लगाई जाए.
आज अनेक त्यौहार ऐसे है.जिस पर पटाके तथा फुलझड़िया का प्रयोग किया जाता है.जिसमे दीपावली प्रमुख है.बिना पटाके इस त्यौहार को अधुरा माना जाता है.पर पटाको के प्रदुषण को देखते हुए हमें इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए.दीपक जलाकर ही त्योहारों को मनाया जाना चाहिए.

13. सरकार द्वारा बनाए गए.दिशा-निर्देश का पालन करें.
सरकार कई सालो से प्लास्टिक पर रोक लगाने के लिए प्रयास कर रही है.रोक भी लगा चुकी है.पर सरकार द्वारा बनाए गए नियमो का पालन करना जरुरी है.जब तक हम सब सरकार का साथ नहीं देंगे तथा नियमो का पालन नहीं करेंगे तब तक प्रदुषण बढ़ता ही रहेगा.

14. कार पुलिंग को बढ़ावा देना.कार पुलिंग वह व्यवस्था होती है.
कार पुलिंग पद्धति में एक ही गाड़ी में सभी यात्रा करें. यदि सभी अलग-अलग वाहनों का प्रयोग करेंगे तो पेट्रोल या डीजल का खर्चा भी ज्यादा आयेगा तथा प्रदुषण भी बढेगा.

इसलिए यात्रा के दौरान कम वाहनों के प्रयोग करें तथा जितने लोग वाहन में बैठ सकते है.सभी बैठे और एक ही वाहन में यात्रा करें. जिससे खर्चा कम प्रदुषण भी कम होगा.

15.जल के संसाधनों को स्वच्छ बनाए.
आज पीने योग्य जल का सबसे प्रमुख संसाधन नदिया है.तथा आज सबसे ज्यादा नदीया ही प्रदूषित हो रही है.नदियों को प्रदूषित कर लोग खुद के पैरो पर कुलाड़ी मार रहे है.कम से कम नदियों को प्रदूषित नहीं करें.जिससे स्वच्छ जल की प्राप्ति की जा सकें.

प्रदूषणों के दुष्परिणाम:- प्रदुषण मानव का सबसे बड़ा शत्रु बन चूका है.और इस शत्रु को खुद मानव जाति बुलावा दे रही है.प्रदुषण से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है.तथा अस्वच्छ वातावरण के कारण शुद्ध हवाएं भी नहीं मिल पाती है.प्रदुषण से मानव जाति के साथ-साथ पशु-पक्षी तथा पेड़-पौधों पर भी इसका असर देखा जाता है.

हमारे वातावरण के साथ-साथ प्रदुषण का प्रभाव ग्लोबल वार्मिंग पर भी देखा जाता है.जिससे ग्लोबल वार्मिंग को काफी नुकसान होता है.तथा प्रदुषण ग्लोबल वार्मिंग की परत को कमजोर बना रहा है.

जिससे मानव जाति तथा प्रकृति पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है.सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणे हमारे पृथ्वी पर आने से ग्लोबल वार्मिंग रोक रही है.पर जब ये परत कमजोर हो गई तो इन पराबैंगनी किरणे से बचना असंभव होगा.

हर दिन नई प्राकृतिक आपदा का समाना करना पड़ेगा.जिस प्रकार आज हम अम्लीय वर्षा समुद्री तूफान तथा भूकंप जैसी अनेक आपदाओ का कारण प्रकृति का असंतुलन होने से होता है.इस संतुलन को बनाए रखने के लिए हमें हमारे देश ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण पृथ्वी को प्रदुषण से मुक्त कराना होगा.

वैसे प्रदुषण हमें सामान्य लगता है.पर जब ये हमारे लिए संकट बन जाती है.तभी-भी लोगो को समझ में नहीं आती है.आज जिस प्रकार प्रदुषण बढ़ रहा है.उसे रोकने की जरुरत है.देश के प्रत्येक नागरिक को इसके लिए जागरूक बनाना होगा.जागरूकता ही प्रदुषण को कम कर सकती है.

प्रदूषण के स्त्रोत
  1. जमा पानी तथा अपशिष्ट पदार्थो का इर्द-गिर्द जमा होना.
  2. उद्योगिक फैक्ट्रिया तथा उनसे निकलने वाला धुआं.
  3. प्लास्टिक के बैग.
  4. रासायनिक खाद यूरिया.
  5. ध्वनि के स्पीकर तथा वाद्ययंत्र.
  6. वाहनों का धुंआ.
  7. थर्मनल प्रदूषण का बढ़ना.
  8. गोला बारूद तथा हथियार
  9. मृत पशु
  10. पटाके तथा फुलझड़िया
आज के ज़माने में प्रदुषण एक बड़ी समस्या बन चुकी है.और इससे पार पाना नामुमकिन हो गया है.हमारे देश में पिछले कई सालो से प्रदुषण मुक्ति के कार्यक्रम चल रहे है.

अनेक योजनाओ की शुरुआत की गई है.परआज तक कोई अभियान या प्रयास सफल नहीं हुआ है.और सरकार के प्रयासों से बावजूद प्रदुषण बढ़ रहा है.पर प्रदुषण को रोकने के लिए सभी नागरिको की सहभागिता की जरुरत है.

सभी मिलकर इसके प्रति जागरूक होकर देश को इस अभिशाप से बचा सकते है.इसलिए हमें जरुरत है.कि प्रदुषण मुक्ति के प्रति जागरूकता बढाई जाए.

हमारे चारो और के परिवेश के साथ-साथ हमें जलाशयों की ओर ध्यान देना भी जरुरी है.नदियों को प्रदूषित होने से बचाए तथा प्रदूषित नदिया तथा अन्य जलाशयों के स्वच्छता के लिए कदम उठाए तथा जल को स्वच्छ बनाए.

प्रदुषण को कम करने के प्रयासों के साथ ही हमें पेड़-पौधे के सरंक्षण तथा नए पेड़-पौधे लगाने के लिए जागरूक होना होगा.पेड़-पौधे प्रदुषण को कम करने का प्रयास करते है.

इसलिए प्रदुषण से मुक्ति के लिए हमें अधिकाधिक वृक्ष लगाने चाहिए.तथा उनके सरंक्षण का जिम्मा लेना चाहिए.पेड़ पौधे प्रदुषण के दुश्मन होते है.जहाँ वृक्ष नहीं होते है.वहा पर प्रदुषण होता है.तथा जहाँ पेड़-पौधे होते है वहां प्रदुषण नहीं होता है.

अतः हम निसंदेह रूप से कह सकते है.कि हमारी जागरूकता ही इस अभिशाप से बचा सकती है.जो लोग अनपढ़ है.तथा प्रदुषण जैसी अभिशाप को नहीं समझते है.

उन्हें पेड़-पौधों के महत्व के बारे में समझाए तथा प्रदुषण से हमारे स्वास्थ्य और प्रकृति पर पड़ने वाले असर के बारे में जानकारी दें.तथा देश के प्रत्येक नागरिक को इस समस्या का समाधान के लिए प्रेरित करें.तथा जागरूकता फैलाएँ.

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