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अंतरिक्ष यात्रा पर निबंध | Essay On Space travel In Hindi

अंतरिक्ष यात्रा पर निबंध- पृथ्वी  की बाहरी आवरण में यात्रा को अंतरिक्ष यात्रा कहते हैं यह यात्रा वायुमंडल की बाहरी यात्रा होती है। आज के इस आर्टिकल में हम अंतरिक्ष यात्रा पर निबंध लेकर आए हैं। इस निबंध के माध्यम से अंतरिक्ष यात्रा के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे।

अंतरिक्ष यात्रा पर निबंध | Essay On Space travel In Hindi

अंतरिक्ष वह स्थान है जिसकी ना तो शुरुआत है और ना ही अंत पर अंतरिक्ष पृथ्वी का बाहरी आवरण है। अंतरिक्ष यात्रा करना लोगों के लिए एक शौक है लोग अपने शौक को पूरा करने के लिए तथा अपने स्वपन को साकार करने के लिए प्रौद्योगिकी की साधनों के माध्यम से अंतरिक्ष यात्रा करते हैं और अंतरिक्ष यात्रा करने वाले व्यक्ति को अंतरिक्ष यात्री कहते हैं।


अंतरिक्ष यात्रा करने के लिए रॉकेट का निर्माण प्रथम सफलता थी। इसके बाद बढ़ती तकनीकों के चलते अंतरिक्ष यात्रा के लिए अनेक इलेक्ट्रॉनिक साधना का निर्माण किया गया और आज तक कई लोग अंतरिक्ष की यात्रा कर चुके हैं।


मूल रूप से हमारी पृथ्वी से बाहर अंतरिक्ष में यात्रा को अंतरिक्ष यात्रा कहा जाता है अंतरिक्ष सौरमंडल होता है जिसमें हमें ग्रह तारे सितारे सूर्य चंद्रमा आदि होते हैं। अंतरिक्ष की यात्रा का मूल उद्देश्य ग्रह उपग्रह चंद्रमा तथा अन्य अंतरिक्ष में स्थित पिंड के बारे में जानकारी एकत्रित करना है.इसी कारण अंतरिक्ष यात्रा की जाती है।


हमारे इतिहास में कई ऐसे अंतरिक्ष यात्री हुए हैं जिन्होंने अपनी यात्रा के दौरान खोज कर अपने देश का नाम कमाया है। अंतरिक्ष यात्रा की शुरुआत रूस द्वारा 1957 में की गई इस अंतरिक्ष यात्रा में रूस ने कोई इंसान नहीं भेजा बल्कि एक रोबोट को भेजकर  प्रथम अंतरिक्ष यात्रा की। इस यात्रा में सफलता पाने के बाद रूस ने मानव को अन्तरिक्ष में भेजा और इसके बाद सभी देशो ने अपने-अपने देशो के अन्तरिक्ष यात्री भेजे और अन्तरिक्ष में कदम रखा.


1957 में पहले अंतरिक्ष यात्रा करने के बाद 12 अप्रैल 1961 को रूस की ओर से अंतरिक्ष यात्रा की गई इस यात्रा में रूस ने अपनी ओर से अंतरिक्ष पर जाने वाला पहला व्यक्ति भेजा। अंतरिक्ष में जाने वाला व्यक्ति यूरी गागरिन सोवियत संघ से था। यूरी गागरिन ने इस दौरान तकरीबन डेढ़ घंटे तक अंतरिक्ष में समय बिताया और सुरक्षित रूप से वापस पहुंचे। यह अंतरिक्ष यान की पहली सफलता थी।


इसके बाद अन्य देशों ने भी अपनी ओर से अंतरिक्ष यात्रियों को भेजना शुरू किया और एक के बाद एक अनेक अंतरिक्ष  यात्रियों ने अंतरिक्ष में कदम रखा। जिसमें नील आर्म स्ट्रांग तथा हमारे देश की ओर से कल्पना चावला प्रमुख है।


अंतरिक्ष में जाने वाला पहला देश सोवियत संघ था.पर चंद्रमा पर जाने वाला पहला देश अमेरिका बना.रूस ने तीन बार चंद्रमा पर जाने का प्रयास किया. पर इसमे रूस असफल रहा.और अमेरिका ने अपना कदम चंद्रमा पर रखा.  इसके साथ ही अमेरिका ने अन्य ग्रहों पर भी अपने अंतरिक्ष यात्रियों को भेजकर अंतरिक्ष ज्ञान को बढ़ावा दिया.जैसे जैसे बड़े-बड़े देश अंतरिक्ष यात्रा की ओर अग्रसर हुए और अनेक की यात्राएं शुरू की।


रूस और अमेरिका की सफल यात्राओं को देखते हुए हमारे देश ने भी अंतरिक्ष यात्रा की अपना ध्यान केंद्रित किया अंतरिक्ष यात्राओं के दौरान भारत का सहयोग रूस ने किया। भारत का प्रथम अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा थे जो कि सोवियत संघ के अंतरिक्ष यान 80  सुयोज-T द्वारा अंतरिक्ष में जाने में सफल रहे।


इस दुनिया की सबसे कठिन यात्रा अंतरिक्ष यात्रा है इस यात्रा में जीवित  रहने  की कम ही उम्मीद रहती है। क्योंकि अंतरिक्ष में व्यक्ति के रहने के अनुकूल वातावरण नहीं होता है अंतरिक्ष में विज्ञान के कारण अनेक उपग्रह को अंतरिक्ष में स्थापित किया गया है और साथ ही कई नई खोजें भी की गई है.


अंतरिक्ष की यात्रा से हमें अंतरिक्ष  के बारे में विस्तार से जानने को मिलता है तथा पृथ्वी की वर्तमान स्थिति और पृथ्वी पर आने वाले संकट का पता अंतरिक्ष यात्रा द्वारा लगाया जा सकता है। नई तकनीको द्वारा अन्तरिक्ष में खोज की जा सकती है. आज हम विज्ञान के सबसे बड़े मित्र इन्टनेट का प्रयोग भी उपग्रहों द्वारा करते है.अंतरिक्ष यात्रा से हमें अनगिनत लाभ होते हैं पर कई बार नुकसान भी होता है जैसे कल्पना चावला की मौत तथा अन्य उपग्रहों का बेकार हो जाना इस प्रकार के कुछ नुकसान भी होते हैं।


20वीं शाताब्दी के बाद से अन्तरिक्ष में अनेक खोजे हुई है.नई तकनीको के चलते आज मनुष्य चाँद पर भी पहुँचने में भी सफल रहे है.आज मनुष्य द्वारा ऐसे संसाधनों का निर्माण किया गया है.जिससे मानव अन्य ग्रहों पर जाने में सक्षम है.और वर्तमान में जिस प्रकार अंतरिक्ष की सफल यात्राओ और जिस प्रकार अन्तरिक्ष में जाने के संसाधनों में विकास हुआ है.इस प्रकार अगले कुछ समय तक चलता रहा तो आने वाले समय में मानव अन्य ग्रहों पर भी कदम रख सकते है.


आन्तरिक यात्रा के अमीर लोग अपनी ख्याइश को पूरा करने के लिए करते है.जिसमे कई बार सफलता तो कई बार असफलता का मुह भी देखना पड़ता है.लेकिन अन्तरिक्ष के विकास के चलते अगले कुछ ही दशको में अन्तरिक्ष को रहने योग्य बनाया जा सकता है.कई लोगो ने चन्द्रमा पर प्लोट भी खरीद लिए है.जिसमे राजीव बागड़ी सबसे प्रमुख है.इन्होने चंद्रमा पर जमीन खरीदी है.


भारत ने अपनी ओर से अनेक प्रक्षेपण यान को अन्तरिक्ष में भेजा ओर अन्तरिक्ष में अपना नाम स्थापित करने में सफलता प्राप्त की.ये भारत के लिए बड़ी उपलब्धि है.भारत की ओर से अब तक 70 से ज्यादा उपग्रहों को अन्तरिक्ष में भेजे गए है.भारत ने अपना पहला उपग्रह रूस की सहयता से 19 अप्रैल 1975 को भेजा गया.भारत के पहले कृत्रिम उपग्रह का नाम भारत के महान खगोलविज्ञ तथा गणितज्ञ आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया.इस उपग्रह दवारा पांच दिन तक ही कार्य किया.


अपने शुरूआती उपग्रहों को भारत ने रूस की सहायता के अन्तरिक्ष में स्थापित किये जिसमे भारत को सफलता जरुर मिली पर आर्थिक बोझ भी उठाना पड़ा.जिसके चलते भारत में इसरो (भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संघठन) की स्थापना की गई.ओर इसके बाद इसरो ने एक के बाद एक उपग्रहों को अन्तरिक्ष में छोड़ा ओर हमारे देश का नाम रोशन किया.


अन्तरिक्ष यात्रा आज के ज़माने की सबसे बड़ी यात्रा है.ये यात्रा करने के लिए कई सालो की कड़ी मेहनत करनी पड़ती है.अन्तरिक्ष यात्रा में भलेही जान को खतरा हो पर इससे हमारा ओर हमारे देश का नाम रोशन होता है.अपने अपने देश की कीर्ति के लिए अन्तरिक्ष यात्रा करनी चाहिए.यदि यात्रा नहीं कर सकें.तो भी सहायता करनी चाहिए.


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