100- 200 Words Hindi Essays 2024, Notes, Articles, Debates, Paragraphs Speech Short Nibandh Wikipedia Pdf Download, 10 line

केदारनाथ मंदिर पर निबंध Essay On Kedarnath Temple In Hindi

केदारनाथ मंदिर पर निबंध Essay On Kedarnath Temple In Hindi देवों के देव महादेव के धाम कैलास पर्वत के बाद केदारनाथ मुख्य मंदिर हैं. सदियों का रहस्य और इतिहास इस मंदिर में समाया हुआ हैं, सफेद बर्फ से ढके मंदिर के दर्शन के लिए हर कोई ललायित रहता हैं. इस निबंध में हम केदारनाथ धाम के बारे में विस्तार से जानेगे. 

केदारनाथ मंदिर पर निबंध Essay On Kedarnath Temple In Hindi

केदारनाथ मंदिर पर निबंध Essay On Kedarnath Temple In Hindi

केदारनाथ मंदिर का इतिहास अवस्थिति

हिन्दू धर्म के महान 12 ज्योतिर्लिंगों चारो धाम और पंच केदार में से एक हैं उत्तराखंड के रुद्रप्रताप जिले में अवस्थित लोकप्रिय केदारनाथ धाम. 

अगर शब्द विन्यास की बात की जाए तो केदारनाथ दो संस्कृत शब्दों के युग्म से बनता है केदार जिसका आशय होता है क्षेत्र अथवा भूखंड तथा दूसरे शब्द नाथ का अर्थ स्वामी से हैं. इस तरह केदारनाथ शब्द का शाब्दिक अर्थ क्षेत्र का स्वामी या नाथ होता हैं.

हिमालय की केदार चोटी पर बना यह मंदिर समुद्र तल से करीब 11,657 फीट की ऊंचाई पर हैं. धाम और इसके साथ बना तीन मन्दिरों का समूह चारो तरफ पहाड़ो से घिरा हैं. 

महीनों तक बर्फ की चादर से ढका रहने वाले इस धाम के द्वार दिवाली के दूसरे दिन ही बंद कर दिए जाते हैं. अगले 6 माह तक मन्दिर में अखंड ज्योति प्रज्वलित रहती हैं.

श्री केदारनाथ जी में अचानक बाढ़, भूस्खलन आम बात हैं सर्दियों के मौसम में बर्फ की मार के बीच सदियों से खड़े मंदिर पर सबसे अधिक प्रभाव जून 2013 में आई बाढ़ से पड़ा.

इस आकस्मिक बाढ़ ने मुख्य प्रवेश द्वार और आस पास के क्षेत्र को बर्बाद कर दिया, हालांकि मंदिर का मुख्य भाग और प्राचीन गुबंद आज भी सुरक्षित हैं.

महिमा व इतिहास Kedarnath Temple History in Hindi

मं‍दाकिनी, मधुगंगा, क्षीरगंगा, सरस्वती और स्वर्णगौरी नदियों के संगम पर बने केदारनाथ जी का धाम 85 फुट ऊंचा, 187 फुट लंबा और 80 फुट चौड़ा है. गर्भगृह मंदिर का सबसे प्राचीन हिस्सा हैं.

मंदिर के बारे में कई तथ्य ऐसे है जिन्हें जानकर दांतों तले अंगुली दबा लेगे, धरातल से हजारो फीट की ऊंचाई पर 6 फिट के चबूतरे पर 12 फीट मोटी दीवारों को भारी पत्थरों से बनाया गया हैं. 

मंदिर में उपयोग लिए गये पत्थरों को तराशना, इंटरलोकिक से एक दूसरे पत्थर को जोड़ना और खम्भों पर बनी विशालकाय छत हैरत करने वाली हैं. इसकी मजबूती ही सैकड़ो वर्षों से नदी के जल के बीच खड़े रखने में सफल हुई हैं.

इस ज्योतिर्लिंग धाम के महत्व के बारे में हिन्दुओं के कई धर्म ग्रंथों में लिखा हुआ हैं. स्कन्द पुराण में भोलेनाथ पार्वती से कहते है यह धाम उतना ही प्राचीन है जितना कि मैं. ब्रहमांड की रचना से लेकर मेरा यहाँ निवास रहा हैं. पृथ्वी लोक में यह धाम भू स्वर्ग के तुल्य बताया गया हैं.

केदारखंड में लिखा है भगवान केदारनाथ के दर्शन के बगैर बद्रीनाथ की यात्रा निष्फल हो जाती हैं इसी मान्यता के चलते श्रद्धालु बदरीधाम की यात्रा से पूर्व केदार धाम की यात्रा कर भोलेनाथ के दर्शन करते हैं.

पुराणों में वर्णित एक प्रसंग के मुताबिक़ केदार पर्वत पर नर व नारायण नाम दो तपस्वियों ने कठोर तपस्या की, उनकी कठोर तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हुए और दर्शन देकर वर के अनुसार केदार ज्योतिर्लिंग में चिर आवास का वरदान दिया. 

केदारनाथ धाम की एक कहानी पांडवों से जुड़ी हैं. जिसके अनुसार महाभारत युद्ध के पश्चात पांडव अपने भाईयों की हत्या के पाप का प्रायश्चित करना चाहते थे. भगवान शिव के दर्शन के लिए गये मगर शिव पांडवों के कृत्य से नाराज होकर अंतर्ध्यान हो गये तथा केदार श्रंग जाकर बस गये.

पांडव भी चलते चलते उनके पीछे केदार जा पहुचे, शिवजी उनसे मिलना नही चाहते थे अतः वे अपना रूप बार बार बदल रहे थे. इस बार शिवजी ने भैसे का वेश अपनाया. उधर भीम ने अपने शरीर का विराट रूप करते हुए दो पहाड़ों पर अपने पाँव फैला दिए. 

अन्य सभी पशु तो पैरो के बीच की जगह से निकल गये मगर जिस रूप में शिवजी भैसे में थे, वे जाने को राजी नहीं हुए, भीम ने बलपूर्वक भैसे को पीठ के त्रिकोणी भाग को पकड़ लिया. 

आखिर शिवजी पांडवों की भक्ति एवं संकल्प से प्रसन्न हुए और पांडवों के हत्या के पाप से मुक्त कर दिया. कहते है आप भी केदारनाथ में भैस के पीठ के पिंड के रूप में पूजा जाता हैं.

केदारनाथ मंदिर का निर्माण कब और किसने किया?

महादेव के भक्तों के लिए श्री केदारनाथ धाम से बढ़कर कोई बड़ा स्थान नहीं हैं. आज यहाँ बनें मंदिर के बारे में कोई स्पष्ट इतिहास नही है. मंदिर की स्थापना, इसके निर्माता के बारे में कोई सटीक विवरण नहीं हैं. 

6 माह बंद और 6 माह चालू रहने वाले इस मंदिर के बारे में सभी रिसर्चर एक बात पर तो एकमत हैं कि इसके मूल स्वरूप का निर्माण कई हजार वर्ष पूर्व हुआ था. इस सम्बन्ध में दो तीन मत हैं.

कहा जाता हैं कि सबसे पहले इस मन्दिर को पांडवों ने महाभारत विजय के उपरान्त बनाया था, सैकड़ों साल बाद बर्फ और वातावरणीय स्थितियों के चलते यह मन्दिर लुप्त हो गया था.

लगभग आठवीं सदी के आस पास आदि शंकराचार्य जी ने इस मन्दिर का पुनः निर्माण करवाया जो अगले करीब चार सी वर्षों तक बर्फ के पहाड़ में दबा रहा.

आधुनिक इतिहासकार इस मन्दिर को 12-13 वीं सदी का बताते हैं वही इतिहासकार शिव प्रसाद के अनुसार शैव लोग हजारों वर्षों से केदारनाथ की यात्रा करते आए हैं.

कहते है करीब हजारों वर्षों से भारत में केदारनाथ यात्रा जारी हैं. इस मन्दिर का जीर्णोद्धार अभिमन्यु के पौत्र जनमेजय ने करवाया था.

इस विषय पर केदारनाथ धाम की पूजा पाठ करने वाले पुरोहितो का पक्ष जानना भी जरूरी हैं. प्राचीन ब्राह्मण वंश से ताल्लुक रखने वाले इन पुजारियों का कहना है कि उनके पुरखे यहाँ नर और नारायण ऋषि के समय से ही ज्योतिर्लिंग की पूजा करते आ रहे हैं.

उस समय इनकी संख्या करीब साढ़े तीन सौ थी. पंडितों के इतिहास के अनुसार उन्हें इस मन्दिर के प्रबंधन का अधिकार अभिमन्यु के पुत्र जनमेजय ने दिया था और तभी से लेकर आज तक वे यात्रियों के पूजा पाठ सम्बन्धी अनुष्ठान कार्य को जारी किये हुए हैं. 

इन पुरोहितों द्वारा दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के लिए पक्की धर्मशालाएं और ठहरने की व्यवस्था की गई हैं.

केदारनाथ यात्रा और दर्शन समय

हिन्दुओं की पवित्र चार धाम की यात्रा में एक अहम धाम केदारनाथ हैं. हर साल धाम की यात्रा का आयोजन किया जाता है इस चार धाम यात्रा में बद्रीनाथ गंगोत्री और यमुनोत्री मुख्य हैं.

प्रत्येक साल मन्दिर के पाट खुलने की तिथि का ऐलान किये जाने के पश्चात ही यात्रा आरम्भ की जाती हैं. मंदिर खोलने की तिथि की गणना ऊखीमठ में स्थित ओंकारेश्वर मंदिर के पंडितों द्वारा निर्धारित की जाती हैं.

इसका सार्वजनिक ऐलान अक्षय तृतीया और महाशिवरात्रि के अवसर पर किया जाता हैं. शीत ऋतु के आगमन से पूर्व ही मंदिर द्वार बंद कर दिए जाते हैं.

केदारनाथ जी के मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए सवेरे 6 बजे खोल दिया जाता हैं. दोपहर के 3 से 5 बजे की अवधि में विशेष पूजा के पश्चात  मंदिर बंद होकर पुनः 5 बजे खुलता हैं.

रात्रि में साढ़े सात से साढ़े आठ के मध्य नियमित आरती के पश्चात मंदिर के द्वार बंद कर दिए जाते थे. सर्दी के मौसम में केदार घाटी बर्फ से ढक जाती हैं मन्दिर खोलने और बंद करने के लिए मुहूर्त निकलवाया जाता हैं. श्रद्धालुओं द्वारा मन्दिर में दान देकर रसीद भी प्राप्त करते हैं.

PM मोदी का शिव धाम से विशेष लगाव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भगवान भोलेनाथ के धाम केदारनाथ के साथ विशेष श्रद्धा जुड़ी हैं. प्रत्येक वर्ष मोदी दिवाली से एक दिन पूर्व केदारनाथ धाम यात्रा पर जाते है तथा भगवान भोलेनाथ का ध्यान लगाते हैं.

साल 2013 में आई त्रासदी के बाद यहाँ के कई स्थल तहस नहस हो गये थे, प्रधानमंत्री ने कई परियोजनाओं का लोकार्पण कर देवधाम को पुनर्जीवित किया हैं.

साल 2021 में पीएम ने अपनी यात्रा के दौरान 12 फुट ऊंची और 35 टन वजनी आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण भी किया. इस मंदिर पर मोदी का विशेष स्नेह देखा जा सकता है.

केदारनाथ होटल | kedarnath Hotels

केदारनाथ जाने वाले भक्तों के लिए ठहरने तथा खाने पीने के लिए आवश्यक सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं. यहाँ निजी होटल्स के अलावा सरकारी स्तर पर भी श्रद्धालुओं के लिए विशेष प्रबंध किये गये हैं. सरकार की ओर से दस बेड वाले कई टेंट बनाएं गये हैं जिनका प्रति व्यक्ति शुल्क बेहद अल्प रखा गया हैं.

इनके अलावा यात्री निजी होटल में भी अपनी सुविधा के अनुसार ठहर सकते हैं. बाबा के दर्शनार्थ आने वाले भक्तों का पसंदीदा समय मई से जून के मध्य का रहता हैं, इस दौरान यहाँ भीड़ भाड़ का वातावरण बन जाता हैं. कई लोग सितम्बर से अक्टूबर की समयावधि में भी आते हैं. मगर शीत ऋतू में केदारनाथ यात्रा बेहद कठिन हो जाती हैं.

ये भी पढ़ें
प्रिय दर्शको उम्मीद करता हूँ, आज का हमारा लेख केदारनाथ मंदिर पर निबंध Essay On Kedarnath Temple In Hindi आपको पसंद आया होगा, यदि लेख अच्छा लगा तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें.