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जयशंकर प्रसाद पर निबंध | Essay on Jaishankar Prasad in Hindi

जयशंकर प्रसाद पर निबंध | Essay on Jaishankar Prasad in Hindi- नमस्कार दोस्तों आज के आर्टिकल में हम हिंदी के सच्चे और महान कवि तथा नाटककार जयशंकर प्रसाद के जीवन के बारे में विस्तार से जानेंगे.

जयशंकर प्रसाद पर निबंध | Essay on Jaishankar Prasad in Hindi

जयशंकर प्रसाद पर निबंध | Essay on Jaishankar Prasad in Hindi
हिंदी साहित्य के महान साहित्यकारों में से एक जयशंकर प्रसाद जिन्होंने अपने बचपन में ही अपने माता पिता को खो  दिया था. तथा उसके बाद उन्होंने घर पर ही रहकर हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, फारसी आदि भाषाओ का स्वाध्ययन किया.

प्रमुख छायावादी कवि जयशंकर प्रसाद जी को छायावादी युग के चार स्तम्भों में प्रमुख माना जाता है. इनकी कविताए आज विद्यालय और कॉलेज स्तर पर विद्यार्थियों को पढाई जाती है.

जयशंकर प्रसाद के बारे में 10 वाक्य

#1 जयशंकर प्रसाद का जन्म सन् 1889 में वाराणसी में हुआ।
#2 इनके पिता का नाम बाबू देवकी प्रसाद था. जो सुंघनी साहू परिवार से थे.
#3 जयशंकर प्रसाद की अंतिम कहानी कामायनी थी, जो इनकी सर्वश्रेष्ठ रचना थी.
#4 जयशंकर प्रसाद का पहला कहानी संग्रह छाया कहानी संग्रह था.

#5 जयशंकर प्रसाद का इरावती उपन्यास एक ऐसा उपन्यास था, जो अधूरा उपन्यास रहा था.
#6 इनकी तीन पत्निया थी, जो क्रमश विंध्यवासिनी देवी, सरस्वती देवी और कमला देवी थी.
#7 राज्यश्री जयशंकर जी का पहला नाटक था, जो काफी प्रसिद्द हुआ.
#8 जयशंकर प्रसाद जी के गुरु का नाम रसमय सिद्ध था, जो आदर्श व्यक्ति थे.

#9 इन्होने संस्कृत, अंग्रेजी, हिंदी, फ़ारसी और उर्दू आदि भाषाओ का अध्ययन घर पर ही किया.
#10 प्रसिद्ध कवि, नाटककार, कहानीकार, उपन्यासकार जयशंकर प्रसाद जी का देहांत 15 नवम्बर 1937 को 48 वर्ष की आयु में वाराणसी में हुआ.

छायावादी धारा के प्रमुख कवियों में से एक जयशंकर प्रसाद का जन्म 1899 को वाराणसी में हुआ। इनका बचपन अभाव में बीता इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा काशी के प्रिंस कॉलेज से की तथा घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण आठवीं तक ही शिक्षा पूर्ण कर सके।

जयशंकर प्रसाद का जन्म देवी प्रसाद तथा मुन्नी देवी के घर हुआ था इनका परिवार सुगनी साहू परिवार था।

जब देश में स्वाधीनता आंदोलन चल रहे थे उसमें भाग लिया तथा स्कूल छोड़ दिया। स्कूली शिक्षा अपूर्ण हो जाने के बाद इन्होंने अपने से अध्याय से हिंदी फारसी तथा संस्कृत भाषाओं का गहन अध्ययन किया। बाल्यावस्था से ही जयशंकर प्रसाद की लेखनी काफी प्रभावित थी।

अपने लेखन कार्य को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने अपने जीवन का लक्ष्य लेखक के रूप में मोड़ दिया। जयशंकर प्रसाद ने अनेक विधाओं में लिखने का कार्य भी किया एक कहानीकार उपन्यासकार तथा नाटककार भी थे।

इनकी प्रमुख कृतियां चित्र आधार कानन कुसुम झरना आंसू लहर और कामायनी थी जिसमें ने कामायानी कृति पर प्रसिद्ध पुरस्कार मंगला प्रसाद पुरस्कार दिया गया।

कामायनी की लोकप्रियता मैं इस लेखक को एक श्रेष्ठ लेखक की पहचान दिलाई। यह न केवल एक कवि थे बल्कि यह एक प्रसिद्ध गद्य रचनाकर भी थे जिन्होंने अजातशत्रु चंद्रगुप्त स्कंदगुप्त और ध्रुवस्वामिनी जैसे गद्य रचना का संपादन किया।

जयशंकर प्रसाद के प्रमुख उपन्यासों में कंकाल तितली और इरावती प्रमुख उपन्यास थे। इनकी आकाशदीप इंद्रजाल तथा आंधी नामक कहानी संघ काफी लोकप्रिय हुए इनका जीवन प्रकृति प्रेम देश प्रेम देश भक्ति से जुड़ा हुआ था कि माधुरी भाव के कवि थे यह इतिहास और दर्शन में हमेशा रुचि लेते थे।

हिंदी भाषा के महान कवि तथा कहानीकार जयशंकर प्रसाद का निधन 1937 को हुआ ने अनेक पुरस्कारों द्वारा सम्मानित किया गया।

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