100- 200 Words Hindi Essays 2024, Notes, Articles, Debates, Paragraphs Speech Short Nibandh

नेल्सन मंडेला पर निबंध | Essay on Nelson Mandela In Hindi

नेल्सन मंडेला पर निबंध | Essay on Nelson Mandela In Hindi- जिस प्रकार हमारे देश की आजादी में गांधी जी का योगदान था. उसी प्रकार अफ्रीका की आजादी में अश्वेत लोगो के लिए जंग लड़ने वाले वक्ता थे. नेल्सन मंडेला जिन्हें हम अफ़्रीकी गाँधी के नाम से जानते है. आज के आर्टिकल में हम नेल्सन मंडेला के बारे में जानेंगे.

नेल्सन मंडेला पर निबंध | Essay on Nelson Mandela In Hindi

नेल्सन मंडेला पर निबंध | Essay on Nelson Mandela In Hindi

नेल्सन मंडेला जिन्हें हम अफ्रीकी गाँधी के नाम से जानते है. भारत की आजादी में गाँधी का किरदार था, वही किरदार अफ्रीका की आजादी में मंडेला की है. जिस कारण इन्हें अफ्रीकी गाँधी कहते है.

मंडेला के योगदान को अफ्रीका कभी भूल नहीं सकता है. २७ साल तक जेल की सजा काटने वाले मंडेला ने देश में रंगभेद के भेदभाव को समाप्त कर देश के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने. तथा भेदभाव की समाप्ति की.

नेल्सन मंडेला का पूरा नाम नेल्सन रोलीह्लला मंडेला है. इनका जन्म मवेजों गाँव ट्राँस्की में 18 जुलाई, 1918 को हुआ. इनके पिता का नाम गेडला हेनरी तथा माता का नाम नेक्यूफ़ी नोसकेनी है.

मात्र बारह वर्ष की अल्पायु में नेल्सन मंडेला के पिताजी का देहांत हो गया. इन्होने अपनी शुरूआती शिक्षा क्लार्कबेरी मिशनरी स्कूल से पूर्ण की. अपनी शुरुआत शिक्षा के समय से ही मंडेला में भेदभाव का विरोध करने का जूनून था.

बालपन में मंडेला हमेशा उन बच्चो का विरोध करते थे, जो उन्हें काला मानते थे. तथा खुद को श्वेत मानकर उनके साथ भेदभाव किया करते थे. 

मंडेला को बचपन में सुनाया जाता था, कि यदि आप लोग खुले आम आजादी से घूमते ही दिखे तो भी आपको कैद किया जा सकता है.

प्रारंभिक शिक्षा में हो रही भेदभावो ने मंडेला को एक स्टूडेंट नहीं छोड़ा. इन भेदभावो ने मंडेला की मानसिकता को बदला दिया. मंडेला में स्नातक की शिक्षा के दौरान ही देश की आजादी को लेकर चर्चा किया करते थे.

हेल्डटाउन कॉलेज में मंडेला ने अपनी स्नातक तक की शिक्षा प्राप्त की. इस कॉलेज में केवल अश्वेत लोग ही शिक्षा ग्रहण करते थे. इसमे कई देशभक्तों से इनका मिलन हुआ.

मंडेला एक मध्यमवर्गीय परिवार से थे, जिस कारण परिवार वाले नहीं चाहते थे, कि मंडेला श्वेत लोगो के खिलाफ आवाज उठाए या वह क्रान्ति करे. जिस कारण उन्होंने मंडेला को कॉलेज से घर बुला लिया.

मंडेला ने शिक्षा पूर्ण करने के बाद चौकीदार की नौकरी की. पर उन्हें समय समय पर देश में हो रहे भेदभाव सता रहे थे. उन्हें कभी कभी छिडाने के लिए श्वेत लोग उन्हें कहते थे, कि अश्वेत होना एक पाप है.

नेल्सन मंडेला के जीवन और संघर्ष के बारे में निबंध 

अफ्रीका के गांधी कहे जाने वाले शान्ति के दूत नेल्सन मंडेला का जन्म 18 जुलाई 1918 को दक्षिण अफ्रीका में हुआ था. 

इनके पिता का नाम गेडला हेनरी म्फ़ाकेनिस्वा तथा माता का नाम नेक्यूफी नोसकेनी था. मंडेला के परिवार में 18 भाई बहन थे. जिसमे मंडेला तीसरे नंबर की संतान थे.

मंडेला के पिताजी हेनरी म्वेज़ो जनजाति के सरदार थे, सरदार की संतान को सामान्यतया वहा मंडेला कहा जाता है. जिस कारण नेल्सन के नाम के साथ मंडेला शब्द जुड़ा हुआ है.

बौद्धिक क्षमताओ से परिपूर्ण मंडेला की शिक्षा की शुरुआत क्लार्कबेरी मिशनरी स्कूल से हुई तथा आगे मैट्रिक तक की शिक्षा मेथोडिस्ट मिशनरी स्कूल से प्राप्त की. अपनी स्कूल की शिक्षा पूर्ण करने के बाद मंडेला ने बड़े बड़े विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की.

छोटी से आयु में मंडेला के पिता का देहांत हो गया जब मंडेला मात्र १२ वर्ष की आयु के थे. तब उनके पिता को उन्होंने खो दिया. मंडेला के पिता प्यार से हमेशा उन्हें रोलिह्लाला के नाम से पुकारते थे.

मंडेला ने जीवन काफी उतार चढ़ाव देखे. मंडेला 1941 में जोहन्सबर्ग में चले गए. उस समय अफ्रीका में रंगभेद की विकट दुविधा छाई हुई थी. मंडेला और उनके साथियों ने रंगभेद की समस्या का सामना करने के लिए संघर्ष शुरू किया.

मंडेला ३ साल बाद अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस में जुड़ गए तथा रंगभेद का विरोध करने लगे. उन्होंने कई आन्दोलन भी चलाए. जिस कारण मंडेला को काफी प्रसिद्धि मिली. ३ साल बाद १९४७ में मंडेला को कॉंग्रेस का सचिव बना दिया गया.

रंगभेद के विरोध ने मंडेला को काफी मजबूत बना दिया. उनका विरोध प्रदर्शन चलता रहा तथा श्वेत लोगो के लिए मंडेला को काबू करना जरुरी था. इसलिए मंडेला पर कई मुकदमे चलाए गए जिसमे मजदूरो को देश छोड़ने के लिए उत्साहित करना आदि.

मंडेला के लिए रचे जा रहे षड्यंत्र ने 1964 में काम किया तथा मंडेला को उम्र कैद की सजा दी गई तथा मंडेला को 1964 में राबर्ट द्वीप की जेल में डाल दिया गया था.

सजा देने पर भी मंडेला की देशभक्ति के प्रति तथा चल रहे भेदभाव की समाप्ति के प्रति कार्य करने का उत्साह बना रहा. मंडेला ने जेल में रहते हुए. अपने जीवन के बारे में अपनी आत्मकथा लिखी जिसे Long Walk to Freedom’ नाम दिया गया.

मंडेला की आत्मकथा Long Walk to Freedom काफी प्रसिद्ध हुई जो आज भी पाठ्यक्रम में जोड़ी गई है. मंडेला ने इस आत्मकथा में अपने जीवन के संघर्ष और सफलता की कहानी को प्रदर्शित किया है.

मंडेला की जेल की जिन्दगी की समाप्ति २७ साल बाद 11 फरवरी 1990 को होती है. तथा मंडेला उम्रकैद सजा काटकर एक राजनेता के रूप में उभरते है. जिन्होंने अफ्रीका को एक लोकतन्त देश बनाने का ढांचा तैयार किया.

मंडेला एक राजनेता के रूप में फिर से कांग्रेस के साथ जुड़ गए. और आगामी 1994 चुनाव में कांग्रेस को विजय बनवाया. सभी की सहमती बनी तथा अफ्रीका के इतिहास में पहली बार अश्वेत व्यक्ति मंडेला को पहला राष्ट्रपति बनाया गया.

अफ्रीका के राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने देश को लोकतंत्र बनाने के लिए 1996 में सविंधान लागू किया तथा अफ्रीका में सविंधान व्यवस्था को स्थापित किया. सविंधान के नियमो की जांच प्रक्रिया चलाई गई.

मंडेला ने राष्ट्रति के रूप में कार्य करके सभी नागरिको को अपने अधिकार दिलाए तथा सभी को जीने का हक़ दिया. मंडेला ने 1999 में कांग्रेस और राजीति से स्तीफा ले लिया. 

मंडेला ने महात्मा गांधी की विचारधारा को फोलो किया जिस कारण उन्हें अफ्रीका का गांधी कहा जाता है. इन्होने गांधीजी की तरह ही अहिंसावादी बनकर देश की समस्या का डटकर सामना किया. 

मंडेला ने अपने जीवन में तीन विवाह किये जिसमे उन्होंने अंतिम विवाह 80 वर्ष की आयु में किया. मंडेला को ६ संतान प्राप्त हुई. 

भारत के राष्ट्रपिता गांधी को कहा जाता है. उसी प्रकार अफ्रीका के गांधी मंडेला को अफ्रीका का राष्ट्रपिता कहा जाता है. इन्हें वहा मदीबा के नाम से जानते है. रंगभेद के खिलाफ जीवन अर्पण करने वाले मंडेला के जन्मदिन को एक राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाते है.

मंडेला के सराहनीय कार्य के लिए विश्वभर के देशो से सम्मान तथा पुरस्कार दिए गए जिसमे प्रमुख निम्न है.
  • नोबेल शांति पुरस्कार
  • प्रेसीडेंट मैडल ऑफ़ फ़्रीडम
  • ऑर्डर ऑफ़ लेनिन
  • भारत रत्न
  • निशान-ए–पाकिस्तान
  • शांति पुरस्कार
अफ्रीका में शांति का माहोल बनाने वाले तथा अफ्रीका को लोकतंत्र बनाने वाले मंडेला की मृत्यु 5 दिसम्बर 2013 को अपने पुरे परिवार के बीच हो जाती है. उनकी मौत का कारण फेफड़ा संक्रामक था.

ये भी पढ़ें