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श्रीकांत बोल्ला पर निबंध | Srikanth Bolla Essay in Hindi

श्रीकांत बोल्ला पर निबंध | Srikanth Bolla Essay in Hindi- नमस्कार साथियों स्वागत है, आपका आज के हमारे इस लेख में साथियों आज हम उस बेमिसाल हस्ती के बारे में आर्टिकल लेकर आए है, जिनकी मुरीद पूरी दुनिया हो चुकी है. श्रीकांत बोल्ला जो अपनी दृष्टिहीनता के बावजूद जीवनरूपी संसार में अपनी नौका को किस प्रकार पार लगाते है, इस लेख में जानेंगे.

श्रीकांत बोल्ला पर निबंध | Srikanth Bolla Essay in Hindi

श्रीकांत बोल्ला पर निबंध | Srikanth Bolla Essay in Hindi

दोस्तों कहते है, कुछ कर दिखाने की चाह किसी हद तक संघर्ष कराने के लिए तत्पर होती है. साथियों आज हम इस विस्तृत तथा शून्य काल में फैले इस संसार में तनिक से संघर्ष या दुःख से घबरा जाते है. तथा अपनी राह छोड़कर सरलता की तरफ बढ़ जाते है. क्यों न इन चुनौतियों का डटकर सामने करके उसे पराजय किया जाए तथा संघर्ष के बलबूते विजय पताका फहराई जाए.

वैसे कहने को हजारो उदाहरण हम अपने जीवन में देखते है, जो हमें जीवन में बुलन्दियो को छूने के लिए प्रेरणा का स्रोत बन जाते है, पर आज हम जिस शख्सियत के बारे में आपको अवगत कराने वाले है, वो अपने आप में अनूठा तथा अनुपम उदहारण है, जो अपनी समस्याओ तथा तनावों को दरकिनार कर देगा.

आज के इस प्रतिस्पर्धा के युग में ना जाने हजारो बेरोजगार अपने रोजगार ना पाने के लिए किश्मत को कोसते है. पर साथियों कहते है, यदि कुछ करने की चाह हो तो किश्मत की रेखाए बदल दी जा सकती है.

श्रीकांत बोल्ला इन सब उदाहरणों के लिए उचित और जीता-जागता नमूना है. यह एक सफल उद्यमी है, जिन्होंने अपनी नेत्रहीनता की गहरी समस्याओ को भी अपनी एक मजबूती की तरह पालकर ऊंचाईयों को छुआ है.

उद्योगपति और बोलेंट इंडस्ट्रीज के संस्थापक श्रीकांत बोल्ला का जन्म 7 जुलाई 1991 को मछलीपट्टनम शहर के सीतारमपुरम गांव में एक सामान्य परिवार में हुआ. कहते है, ये जन्मजात से ही अंधे थे. पर वे केवल आँखों से अंधे थे, उनके आतंरिक नयन चक्षु हमेशा ज्वलित रहते थे, जो उन्हें समाज द्वारा मिल रहे भेदभाव तथा पूर्वाग्रह जैसे मतभेदों में भी अपने आप के लिए जिजीविषा का कार्य करते थे.

 सामान्य परिवार में जन्म लेने वाले श्रीकांत ने बचपन से ही अंधेपन होने की चुनौतियों का सामना किया समाज में व्याप्त अवांछित अशुद्धियों के द्वारा इससे शारीरिक विकार पर मरहम की बजाय गहरी चोट की.

बढ़ाओ से निरंतर अथक लड़ने वाली श्रीकांत जी एक दृढ़ संकल्पित विद्यार्थी के रूप में उन्होंने अपनी शिक्षा प्राप्त की। श्रीकांत जी के अथक प्रयासों के कारण उन्हें भारत की सीट से कम इंस्टिट्यूट. मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) में दाखिला लेने के का सुनहरा अवसर मिला। 

अपने शैक्षिक स्तर की बलबूते श्रीकांत जी ने इस इंस्टिट्यूट में प्रवेश करने वाले प्रथम दृष्टिहीन छात्र के रूप में प्रवेश किया यह एक प्रवेश मात्र ही नहीं बल्कि समाज में व्याप्त मानदंडो और धारणाओं को चुनौती के रूप में तथा विकलांग और उनके तबके के लोगों के लिए एक प्रेरणा के रूप में एक जीता जागता उदाहरण पेश किया। 

श्रीकांत की इस अभूतपूर्व  उपलब्धि ने रूढ़िवादिता को तोड़कर समाज में उच्च स्तरीय शिक्षा प्राप्त करने के लिए विकलांग वर्ग के लिए नया रास्ता तैयार किया। 

अपनी शिक्षा उत्तीर्ण करने के बाद श्रीकांत जी न केवल खुद आत्मनिर्भर बने बल्कि उन्होंने हजारों की संख्या में विकलांगों के लिए एक बोलांट इंडस्ट्रीज की स्थापना की जो विकलांगों के लिए रोजगार के अवसर प्रदान करती है। 

श्रीकांत के निरंतर प्रयासों के परिणाम स्वरूप भारत के हजार विकलांग की श्रेणी में आने वाले युवाओं के लिए रोजगार के साधन उपलब्ध कराने के साथ ही उन्हें आत्मनिर्भर बनने के अवसर भी प्रदान कराए। उनका अभिनव दृष्टिकोण और प्रतिबद्धता व समाज सेवा की भावना लोगों के जीवन को प्रभावित और प्रेरित करती है।

श्रीकांत की बढती पहुँच तथा उपलब्धियों ने आग की तरह इनकी लोकप्रियता को बढ़ा दिया. उनकी इस सेवा को अंलकृत किया गया. बोल्ला जी को फोर्ब्स एशिया की ’30 अंडर 30′ सूचि में जगह दी गई जो उनके इस महान कार्य का उल्लेखनीय योगदान तथा महता को प्रदर्शित करती है. 

इस उपलब्धि ने श्रीकांत जी को दुनियाभर में प्रसिद्धी दिलाई. जो दुनियाभर के लिए रोल मॉडल बन गए तथा उनकी विकलांग तबके से विशेष लगाव, उनके लिए किया गया सराहनीय कार्य तथा उनके अधिकारों के लिए उनके अथक प्रयासों ने इनकी इस वर्ग की स्थिति में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की. 

श्रीकांत जी दुनियाभर में अपनी कार्यशैली तथा विशिष्टा के लिए ख्याति प्राप्त की. इन्होने प्रतिकूल परिस्थितियों में संघर्ष कर रहे लाखो युवाओ के लिए आशा की नई किरण का उदय किया है. 

श्रीकांत का अटूट विश्वास तथा लगाव उन्हें हम सब का रोल मॉडल बनाता है. एक लाचार शारीरक दशा से अपने जीवन को संवारने के साथ ही अपने जैसे देश के अनगिनत हजारो लोगो के लिए संवारक का कार्य कर रहे है.

हमेशा से ही विकलांगो तथा पिछड़े लोगो के हक़ और अधिकारों के लिए तत्पर रहते है. उनकी कार्यशैली लोगो को अपना मुरीद बनाती है. एक विकलांग के अन्दर अदम्य मानवता का विस्तार देखकर हर युवा का खून खोलता तथा समाजसेवा के लिए कुछ कल्याणकारी करने का प्रोत्साहन मिलता है.

श्रीकांत की कार्यक्षमता ने युवाओ के जीवन पर अमिट छाप छोड़ी है. हम आशा और उम्मीद करते है, कि हमेशा वे समाज सेवा तथा पिछड़े लोगो के लिए कार्य करे तथा मसीहा की तरह उनके लिए हमेशा खड़े रहे.