मेरा प्रिय त्योहार होली पर निबंध Essay on My Favourite Festival Holi in Hindi Language- वैसे तो समय समय पर त्यौहार मनाए जाते है. जिसमे होली दिवाली और दशहरा काफी लोकप्रिय है. आज हम मेरे प्रिय त्यौहार होली के बारे में पढेंगे.
होली पर निबंध Essay on Holi in Hindi Language
सबसे पहले आप सभी दोस्तों को होली के इस पावन पर्व की हार्दिक बधाईयाँ और शुभकामनाएं. इस साल ये पर्व 8 मार्च को मनाई जा रही है. आप सभी इस पर्व को प्रेमभाव के साथ मनाए तथा हमारी संस्कृति का आस्तित्व बनाए रखें.
भारतवर्ष में बहुत से त्योहार मनाए जाते हैं. प्रत्येक धर्म को मानने वाले अपने अपने त्योहारों को बड़ी उमंग और प्रसन्नता के साथ मनाते हैं. इसलिए भारत को त्योहारों का देश कहते है.
होली पर 10 लाइन
1) होली हिन्दू धर्म का प्रमुख त्योहार है, जो हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है.
2) होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई और झूठ पर सच्चाई की जीत का पर्व है.
3) होली के अवसर पर रंगों से खेला जाता है. जिस कारण इसे रंगों का त्योहार भी कहा जाता है.
4) इस त्योहार से लेकर एक कथा प्रचलित है. माना जाता है, कि प्रहलाद भगवान के भक्त थे, पर उनके पिता हिरण्यकश्यप खुद को भगवान मानते थे. और अपनी पूजा के लिए सभी को उत्पीडित करते थे. पर प्रहलाद ने मना कर दिया.
5) अपने बेटे के द्वारा हिरण्यकश्यप को राजा न मानने के कारण उन्होंने प्रहलाद को मारने के लिए अनेक प्रयास किये जिसमे उन्होंने अपनी बहन होलिका को प्रहलाद के साथ आग में बैठकर मारने का प्रयास किया. हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था. पर भगवान् ने प्रहलाद को बचाकर होलिका का दहन कर दिया. उस दिन से हर वर्ष हम होलिका दहन कर होली त्योहार मनाते है.
6) होली के अवसर पर लोग नए पकवान बनाते है. नए नए कपडे पहनते है. और एक दुसरे के घर जाकर भोजन करते है. और भाईचारे की झलक का दृश्य दिखाते है.
7) होली के अवसर पर घरो में साफ सफाई की जाती है. तथा होली से कुछ दिन पहले से ही लोग होली के गीत गाते है. जिसे फागण कहा जाता है. और गेर की सहायता से फागण का गायन किया जाता है.
8) होली के त्योहार के अवसर पर सरकारी कार्यालयों में अवकाश होता है. होली के दुसरे दिन को भी होली के रूप में मानते है. जिसे खिंखारा कहा जाता है. इस दिन होलिका दहन नहीं किया जाता है, पर लोग इस दिन गेर खेलने जाते है.
9) सम्पूर्ण भारतवर्ष में होली का पर्व बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है. यह त्योहार किसानो की फसल काटने के बाद मनाया जाता है. कई लोग इसकी शुरुआत किसानो द्वारा बताते है.
10) होली का त्योहार खुशिया का त्योहार है, जो हमारे जीवन में खुशियों का संचार करता है. इसे सभी धर्म के लोग मिलकर बड़ी ख़ुशी से मानते है. जो हमारी परम्परा और संस्कृति को प्रदर्शित करती है.
हिन्दू धर्म के अनेक त्योहार है, जिसमे रक्षाबंधन, दशहरा, दीपावली और होली उनके चार प्रमुख त्योहार हैं. कहते है कि ये चारों त्योहार चारो वर्णों के आधार पर ही हैं.
रक्षाबंधन ब्राह्मणों का त्योहार हैं. दशहरा क्षत्रियों का त्योहार हैं. दीपावली वैश्यों का त्योहार हैं और होली शूद्रों का त्योहार हैं. प्रारम्भ में जो कुछ भी स्थिति रही हो परन्तु आज भारत में सभी जातियों और चार वर्णों के लोग इन सभी त्योहारों को समान रूप से हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं.
विशिष्ट त्योहार-वसंत ऋतु का सर्वप्रथम त्योहार वसंत पंचमी हैं. उसके पश्चात होली आती हैं. माघ की पूर्णिमा को होलिकारोपण होता हैं. तथा फाल्गुन मॉस की पूर्णिमा को होली मनाई जाती हैं.
उसी रात को अथवा दूसरे दिन अत्यंत शीघ्र प्रातकाल प्रत्येक गाँव तथा नगर में स्थान स्थान पर होलिका जलाई जाती हैं. इसकी आग से प्रत्येक सनातनधर्मी के घर में होलियाँ प्रज्वलित हो जाती हैं.
मनाने का तरीका-इस अवसर पर नयें पके हुए अन्न को होली की आग में भूनते हैं. और इस भूने हुए अन्न अर्थात आखतों को आपस में वितरित करते हैं.
संस्कृत भाषा में भूने हुए अधपके अन्न को होलक कहते हैं. इसी कारण इस त्योहार को होलिकाउत्सव या होली कहते हैं. कुछ लोग इस त्योहार का सम्बन्ध प्रहलाद बुआ होलिका से स्थापित करते हैं.
कुछ लोग कहते है कि इस पर्व पर आर्य लोग सामूहिक रूप से बड़े बड़े यज्ञ किया करते थे. आज जो होली जलाई जाती हैं वह इन्ही यज्ञों का रूपांतरण है. कुछ भी हो यह त्योहार बहुत प्राचीन काल से मनाया जाता हैं.
होली खेलना-होलिका दहन के उपरांत लोग धूल मिट्टी से होली खेलते हैं. यह कुप्रथा न जाने क्यों और किस प्रकार से चल पड़ी. उसके पश्चात दोपहर को रंग की होली खेली जाती हैं.
अपराह्न में स्नान, भोजन इत्यादि के पश्चात सभी लोग नवीन वस्त्र धारण करके एक दूसरे के यहाँ जाते हैं. और प्रेम से एक दूसरे से शत्रुता भुलाकर मिलते हैं और शुभकामना व्यक्त करते हैं.
उपसंहार- देश और स्थान के भेद के अनुसार भारत में इस पर्व को मनाने की विधियों में थोड़ा बहुत अंतर भी पाया जाता हैं. ब्रज में कई दिनों तक रंग की होली होती हैं. ब्रज की होली प्रसिद्ध हैं.
परन्तु किसी किसी प्रदेश में पंचमी के दिन होली खेली जाती हैं. कहीं कहीं होली के अवसर पर नहीं वरन दशहरे पर परस्पर स्नेह आलिंगन किया जाता हैं..
Essay on My Favourite Festival Holi in Hindi Language
होली भारत में मनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध त्योहार है. जो साल में फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. भारत त्योहारों का देश है जहां समय-समय पर त्योहार मनाए जाते हैं भारत में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक हिंदुओं का प्रमुख त्योहार होली भी है।
होली त्योहार हिंदुओं के चार मुख्य पर्व में से एक है यह पर्व फाल्गुन पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है के त्योहार हिंदू धर्म के लोगों द्वारा बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है.
यह पावन त्योहार सभी को हर्षित कर जाता है। हमारे देश में मनाए जाने वाले सभी त्योहार की शुरुआत किसी ना किसी घटना से हुई है इसी प्रकार होली के त्यौहार भी एक कहानी से शुरुआत होती है. होली के त्यौहार की कहानी काफी लोकप्रिय है और इसी कारण होली काफी लोकप्रिय त्योहार भी है।
होली त्योहार की शुरुआत आज जिला को सालों पहले सतयुग में होती है आइए जानते हैं क्या है होली त्यौहार की कहानी जिस कारण यह त्योहार मनाया जाता है। सतयुग के समय की बात है.
होली त्योहार की शुरुआत आज जिला को सालों पहले सतयुग में होती है आइए जानते हैं क्या है होली त्यौहार की कहानी जिस कारण यह त्योहार मनाया जाता है। सतयुग के समय की बात है.
राजा हिरण्यकश्यप आर्यावर्त राजा हुआ करता था जिसका प्रभुत्व दूर-दूर तक फैला हुआ था हिरण्यकश्यप अपने आप में अहंकारी था हिरण्यकश्यप दैत्य था जिस कारण यह देवताओं से जलता था और खुद को सबसे महान मानता था.
वह अपने राज्य के सभी लोगों को भगवान की पूजा ना करते हुए खुद की पूजा के लिए उत्पीड़ित करता था अहंकारी और खौफनाक हिरण्यकश्यप के डर के कारण उसकी संपूर्ण प्रजा हिरण्यकश्यप को भगवान का रूप मानती थी।
पर इसी बीच उसका पुत्र प्रहलाद भगवान नारद के कहने पर प्रभु श्री राम और भगवान विष्णु का परम भक्त बन जाता है और हरियाणा कश्यप को भगवान मानने की वजह भगवान विष्णु को अपना भगवान मानकर ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः का जप करते हुए अपने पिता हिरण्यकश्यप का अपमान करता है.
तथा सभी प्रजा के लोगों को भगवान की पूजा करने के लिए प्रेरित करता है। अपने अपमान को सहन नहीं कर पाने के कारण हरियाणा कश्यप अपने सुपुत्र प्रहलाद को जान से मार देने के लिए अनेक प्रयास करता है.
जिसमें वह प्रहलाद को कई बार पर्वतों से फेंकता है तो कई बार भूखे शेर के साथ पिंजरे में बंद कर देता है और कई बार भूखे सांप के साथ छोड़ देता है लेकिन कई प्रयासों के बावजूद प्रहलाद का कुछ भी नहीं बिगाड़ पाता है.
जिस कारण वह प्रहलाद को काबू में पाने के लिए अन्य रास्तों का प्रयोग भी करता है लेकिन प्रह्लाद भगवान विष्णु की भक्ति को नहीं छोड़ता है। राजा हिरण्यकश्यप की बहन होली का जैसे भगवान द्वारा वरदान दिया गया था.
कि वह आग से नहीं जलता थी इसलिए वह रोजाना अग्नि स्नान करती थी हिरण्यकश्यप को एक तरकीब सूझी और उसने प्रहलाद को होलिका के साथ आग में बिठाने का फैसला किया लेकिन वह नादान नहीं जानता था कि होलिका को केवल अकेले की अग्नि में जिंदा रहने का वरदान प्राप्त था।
यह बात हिरण्यकश्यप तथा उसकी बहन होलिका दोनों से अज्ञात थी। जिस कारण उन्होंने फैसला किया और भक्त प्रह्लाद को होलिका के साथ आग मैं बैठा दिया लेकिन भक्त पहलाद घबराने की बजाय भगवान की भक्ति में लीन रहे और देखते ही देखते होलिका आग में भस्म हो गई.
और भक्त पहलाद का बाल बांका भी नहीं हो सका और होलिका का कुछ बचा नहीं। इसलिए एक प्रसिद्ध दोहा है. ''जाको राखे साइयाँ, मारि न सक्कै कोय बाल न बाँका करि सकै, जो जग बैरी होय'' यानी जिनका रक्षा भगवान करता है. उसे पूरा संसार मिलकर भी नहीं मार सकता है. चाहे कितने भी शत्रु क्यों न बन जाए.
इस प्रकार एक दुष्ट बुआ का अंत हुआ। इस दिन के बाद से हर वर्ष भक्त प्रल्हाद की याद में अग्नि पूजन के रूप में होलिका का दहन किया जाता है और भक्त प्रह्लाद को अग्नि का देव माना जाता है ऐसे त्योहार को सत्यता का प्रतीक माना जाता है और दुष्टों का नाश माना जाता है।
कुछ मान्यतो के अनुसार होलिका की मृत्यु के पश्चात् हिरण्यकश्यप क्रोधित हो जाता है. तथा प्रह्लाद को मारने के लिए तलवार से वार करने के लिए आगे बढ़ता है. जैसे ही दुष्टराज हिरण्यकश्यप प्रहलाद को मारने के लिए आगे बढ़ता है,
इस प्रकार एक दुष्ट बुआ का अंत हुआ। इस दिन के बाद से हर वर्ष भक्त प्रल्हाद की याद में अग्नि पूजन के रूप में होलिका का दहन किया जाता है और भक्त प्रह्लाद को अग्नि का देव माना जाता है ऐसे त्योहार को सत्यता का प्रतीक माना जाता है और दुष्टों का नाश माना जाता है।
कुछ मान्यतो के अनुसार होलिका की मृत्यु के पश्चात् हिरण्यकश्यप क्रोधित हो जाता है. तथा प्रह्लाद को मारने के लिए तलवार से वार करने के लिए आगे बढ़ता है. जैसे ही दुष्टराज हिरण्यकश्यप प्रहलाद को मारने के लिए आगे बढ़ता है,
तो वह पूछता हूँ, कि तू मुझे छोड़कर भगवान का नाम जप रहा है. कहाँ है. तेरा भगवान जरा में भी देखू तो. इस कथन के बाद हिरण्यकश्यप एक दीवार को झोर से लात मारते है. तभी उसी दीवार से भगवान प्रकट होते है. तथा हिरण्यकश्यपका वध कर देते है. और इस दिन से होली का पर्व मनाया जाता है.
होली का त्यौहार सभी लोगो द्वारा मिलकर मनाया जाता है. इस दिन सभी एक दुसरे के घर जाते है. तथा नए नए पकवान बनाते है. और इस पर्व की ख़ुशी प्रकट करते है. इस पर्व की रात को होलिका का दहन किया जाता है.
होली की रात होलिका का दहन के साथ साथ इस समय फसल भी पक जाती है. इसलिए बाजरे की ओर अधिक उपज के लिए सभी लोग बाजरे की रोटी चढाते है, और कुछ लोग बाजरा चढाते है. जो परम्परागत रूप से चला आ रहा है.
इस त्यौहार पर सभी लोग रात को होलिका दहन के पश्चात कब्बडी जैसे खेल खेलते है. तथा पार्टी कर त्यौहार को सेलिब्रेट करते है. मुझे सबसे प्रिय त्यौहार होली ही लगता है. क्योकि मुझे होली के पुरे पंक्वाड़े खेलने का मौका मिलता है.
Essay 3
भारत एक ऐसा देश है. जहा अनेक सम्प्रदायों के लोग रहते है. प्राचीन समय में लोग एक दुसरे से मिलने के लिए त्यौहार मनाते थे. और कई त्यौहार धार्मिक रूप से जुड़े है.
जिसमे होली दिवाली तथा दशहरा आदि अनेक त्यौहार है. होली हिन्दू धर्म के अनुयायी का त्यौहार है.
होली का ये त्यौहार हर वर्ष फाल्गुन मॉस की अमावस्या को मनाया जाता है. ये वो समय होता है.
जब खेतो में फसल पककर तैयार हो जाती है. लोग फसलो को काटकर इस त्यौहार को मनाते है. कई मान्यताओ के अनुसार ये त्यौहार किसानो को फसल पक जाने के कारण ख़ुशी में मनाया जाता है.
इस सबसे लोकप्रिय मान्यता के अनुसार ये पर्व भक्त प्रहलाद से जुड़ा हुआ है. माना जाता है. कि हिरण्यकश्यप रावण का अवतार था, वो काफी क्रूर राजा था. वो बहुत अहंकारी था.
हिरण्यकश्यप को वरदान प्राप्त था, कि वह न रात को मरेगा न दिन को न बहार और न ही अन्दर न मानव द्वारा और म देत्य द्वारा न हथियार से और न ही हाथ से ऐसे वरदान के कारण हिरण्यकश्यप खुद को अमर समझता था.
इसलिए उसने अपनी प्रजा को अन्य भगवान् की बजाय अपनी पूजा करने के लिए आदेश दिया. पूरा साम्राज्य हिरण्यकश्यप की पूजा करने में लग गए. लेकिन कहते है.
जब दुष्ट का अंत करने हो तो देवता अवतार लेते है. इसी प्रकार हिरण्यकश्यप का वध करने के लिए भक्त प्रहलाद ने उन्ही के घर में जन्म लिया.
भक्त प्रहलाद हिरण्यकश्यप की संतान होते हुए भी भगवान की पूजा भक्ति करते थे, जो हिरण्यकश्यप को पसंद नहीं आई और उसने भक्त प्रहलाद को मारने के कई प्रयास किये. लेकिन जिसके साथ भगवन होते है.
उसका कोई कुछ भी नहीं कर सकता है. हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था, कि वह अग्नि स्नान कर सकती है. लेकिन ये जब होलिका भक्त प्रहलाद के साथ अग्नि में बैठी, जो चमत्कार ही हो गया.
होलिका आग के साथ भस्म हो गई. और प्रहलाद बच गए. इसलिए इसी दिन हम होलिका का दहन करते है. तथा प्रहलाद को बचाते है. इस पर्व को हम होली के नाम से जानते है.
होली पर का सभी को लम्बे समय से इन्तजार रहता है.इस पर्व की तैयारिया 15 दिन पूर्व कर दी जाती है. लोग घरो में साफ सफाई करते है. तथा प्रवासी लोग घर आते है.
लोग नए कपडे सिलाते है. इस पर्व का ख़ास कार्य जो हमें इस त्यौहार को ओर आकर्षित करता है. वह है. इस पर्व पर खेले जाने वाले खेल जिसमे कबड्डी प्रमुख होता है.
ये खेल पर्व से 15 दिन पूर्व शुरू कर दिया जाता है. बड़े बच्चे और बुजुर्ग भी इस पर्व की शोभा बढाने के लिए साथ में खेलते है. तथा फागण गीत गाए जाते है. लोग एक दुसरे के ऊपर रंग डालते है. तथा गैर डांस करते है.
इस पर्व को मनाने के लिए लोग सभी अपने अपने घर से एक एक लकड़ी इकट्ठा कर एक जगह पर एकत्रित करते है. सभी धान के दाने लेकर आते है. तथा होलिका का दहन किया जाता है.
और होलिका दहन में एक गीली लकड़ी को रखा जाता है. जिसे आग से बचाकर बाहर निकाल लिया जाता है. और अन्य लकडियो को होलिका मानकर जला देते है.
जो कुंवारे होते है. वे एक लकड़ी लेकर होलिका के चारो ओर चक्कर लगाते है. माना जाता है. ऐसा करने से उसकी जल्द ही शांदी हो जाती है. सभी धान को होली दहन में डाल देते है.
तथा सभी एक दुसरे को रंग लागाते है. और घरो में नए नए पकवान बनाए जाते है. सभी एक दुसरे के घर जाकर भोजन करते है. और ढेर सारी खुशिया बांटते है.
फाल्गुन पूर्णिमा की रात होली का पर्व मनाया जाता है. तथा इसके अगले दिन कुछ लोग सुबह संग लेकर सभी के घर जाते है. जिन्हें गैरिया कहा जाता है.
ये सभी को रंग से रंग देते है. तथा फागण गीत गाते है. और जिस घर में पिछली होली से इस होली के मध्य बच्चा जन्म लेता है. उस घर से विशेष रूप से कुछ राशि ली जाती है. जिसे गिगाई कहते है.
इस दिन लोग एक दुसरे के घर जाते है. तथा सभा करते है. और प्राचीन परम्पराओ के आधार पर जश्न मनाते है. वही कुछ लोग रंग लेकर सभी को रंग देते है.
इस पर्व पर कोई भी रंगहीन नहीं होता है. सभी को रंग से सजा दिया जाता है. जिसमे व्यक्ति घर तथा जानवर भी शामिल होते है. इसलिए इस पर्व को रंगों का त्यौहार कहते है.
इस पर्व पर प्रेमभाव को देखा जा सकता है. इस त्यौहार से हमें अनेक लाभ है. जिसमे सभी से मिलने का अवसर मिलता है. तथा मनोरंजन भी हो जाता है.
प्राचीन परम्पराओ के आधार पर देवी-देवताओ की पूजा भी हो जाती है. इस पर्व पर रंग के छिडकाव के साथ साथ कई बार तेज़ाब जैसी वस्तुओ का प्रयोग किया जाता है, जो हमारे लिए हानिकारक होती है.
इसलिए इस पर्व पर रंगों का प्रयोग कम करे. तथा तेजाब जैसी वस्तुओ की मिलावट न करें. इस पर्व का उदेश्य केवल मिलन तथा भाईचारा और एकता को मानकर इस पर्व को मनाए.
इस पर्व की कुछ बुराइया है. जिसे हमें खत्म करने का प्रयास करना चाहिए. तथा इस पर्व को अच्छा प्रतीक बनाना चाहिए. इस पर्व पर भेदभाव जैसी भावनाओ का त्याग कर सभी में भाईचारा तथा प्रेमभाव भरना चाहिए.
आपसी प्रेम को बढाकर बुराइयों को समाप्त करना इस त्यौहार का प्रमुख उदेश्य है. इसलिए इस पर को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक मानते है.
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