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आत्म सम्मान पर निबन्ध | Essay on Self Respect in Hindi

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आत्म सम्मान पर निबन्ध | Essay on Self Respect in Hindi

आत्म सम्मान पर निबन्ध | Essay on Self Respect in Hindi
सेल्फ रिस्पेक्ट अर्थात आत्म सम्मान मानव को पशुओं से अलग करती हैं. इसी भावना के चलते व्यक्ति को श्रेष्ठ होने का एहसास कराती हैं. भारतीय संस्कृति एवं हमारे अतीत में यह भावना कूट कूट कर भरी थी, मगर एक बड़े अंधकारमय दौर में भारत की जनता ने न सिर्फ आत्म सम्मान को खोया बल्कि अपने आत्म विश्वास को भी जीर्ण कर दिया.

विदेशी आक्रान्ताओं के शासन के चलते भारतीयों में हीन भावना को जन्म दिया आजादी के बाद फिर से आत्म सम्मान को जगाने का समय हैं हमें अपने विश्वास तथा सम्मान की फिर से बहाली करनी होगी तभी सही मायनों में विश्व विजयी भारत के सपने को साकार कर पाएगे.

आत्मसम्मान का जनक आत्म विश्वास को माना गया हैं. इसी के दम पर आत्म सम्मान रुपी इमारत को बनाया जा सकता हैं. अपने मन मस्तिष्क तथा ह्रदय के भावों को अभिव्यक्ति देने में तब तक समर्थ नहीं हो पाएगे जब तक हम आत्म विश्वास से रहित होंगे. आत्म विश्वास की जागृति से ही हम सम्मान की भावना को पुनर्स्थापित कर सकते हैं. 

व्यक्ति कई बार अपने झूठे आत्म सम्मान के बचाव के लिए झूठ, फरेब, चोरी आदि करने से भी नहीं चूकता वह अपनी आत्मा और सम्मान को बेच डालता हैं.

वह असल में अपनी सेल्फ रिस्पेक्ट की कद्र तो दूर वह उससे कोसो दूर चला जाता हैं. अपने आत्म सम्मान की रक्षा के लिए प्रत्येक व्यक्ति को अपनी आत्मा को निष्कलंक बनाकर उन्हें पवित्र बनाने का प्रयत्न करना चाहिए तभी सच्चे अर्थो में हम स्वाभिमानी राष्ट्र के स्वप्न को साकार कर पाएगे.

आत्म-सम्मान रुपी पावन धारा मन के दूषित भावों को मिटा देती हैं. इस पावन धारा का सानिध्य पाकर हम न सिर्फ अपने वर्तमान को स्वर्णिम बना सकते हैं बल्कि सुनहरे भविष्य का निर्माण कर सकते हैं.

हमें अपने वतन पर गर्व, अभिमान होता हैं ये भावना ही भीतर के आत्मीय सम्मान, सुख एवं शांति की भावना को जन्म देती हैं जिसके चलते हम सभी को विश्वास की निगाह से देखने लगते हैं.

एक आत्म सम्मानी व्यक्ति अपना सम्मान तो करता है साथ ही उसका हर जगह सम्मान किया जाता हैं. इसी मूल मंत्र को अपनाकर हम अपने देश की सभ्यता व संस्कृति को बचा सकते हैं. एक विद्यार्थी में आत्म सम्मान की भावना उसे सफलता की सीढियों तक पहुंचा देती हैं. 

आत्मसम्मान निबंध (200 शब्द)

आत्मसम्मान का अर्थ होता है कि व्यक्ति को स्वयं के सम्मान के साथ जिंदगी जीना। जीवन में
आत्मसम्मान का अत्यधिक महत्व होता है।

आत्मसम्मान के लिए सबसे जरूरी तत्व आत्मविश्वास होता है। जब हम अपने जीवन में आत्मविश्वास का बीज बोते हैं तो यह आगे जाकर एक बड़े वृक्ष के रूप में फैलता है जिसमें आत्मसम्मान रूप का विशाल वृक्ष बन जाता है।

आत्मसम्मान के साथ हम जीवन को अनुशासन के साथ जी सकते हैं और जीवन में छोटी-छोटी बातों पर ध्यान नहीं देते हुए निरंतर खुद को पहले से बेहतर बनाते जाते हैं और जीवन में ऊंचाइयों को छूने को प्रयासरत रहते हैं। आत्मसम्मान का बिल्कुल भी अर्थ किसी दूसरे को नीचा दिखाना या बेइज्जत करना नहीं होता है।

आत्मसम्मान एक वह स्वच्छ और निर्मल धारा है जिसके द्वारा हम हमारी सूक्ष्म बातों को और दूसरों की बुराई करने की आदत को धो डालते हैं। व्यक्ति जब आत्मसम्मान के साथ जीवन जीता है तो सदैव कर्मशील बना रहता है और समाज में अपने प्रतिष्ठा बना पाता है।

आत्मसम्मान व्यक्ति का एक आभूषण होता है। क्योंकि आत्मसम्मान एक सच्चाई का रास्ता होता है जिस पर चलने के लिए निरंतर मेहनत करनी पड़ती है और
बेईमानी से दूर रहना पड़ता है।

आत्मसम्मान निबंध (500 शब्द)

भारत अपने गौरवशाली इतिहास के लिए जाना चाहता है। हमारे इतिहास में ऐसे योद्धाओं की
कहानियां कूट-कूट कर भरी हुई है जिन्होंने अपने आत्मसम्मान के साथ समझौता ना करते हुए अपने
प्राण तक न्योछावर करने में पीछे नहीं हटे।

हम बात करें महाराणा प्रताप की तो उन्होंने आजीवन मुगलों की अधीनता स्वीकार नहीं की और पूरा जीवन संघर्ष में बिता दिया। आत्मसम्मान की रक्षा करना कोई आसान काम नहीं होता है इसके लिए सत्य के मार्ग को चुनना पड़ता है और स्वयं को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाना पड़ता है।

आजकल आत्मसम्मान का अर्थ सही से नहीं समझा जाता है। जो लोग आत्मसम्मान के लिए दूसरों को
नीचा दिखाते हैं और स्वयं को श्रेष्ठ सिद्ध करने का प्रयास करते हैं उनमें सच्चे अर्थों में आत्मविश्वास की
कमी होती है।

आत्मविश्वास ही आत्मसम्मान के लिए सबसे जरूरी चीज होती है। आत्मसम्मान दूसरों को
नीचा दिखाने और खुद को दूसरों से ऊंचा साबित करने में नहीं होता है , और न ही दूसरों से ज्यादा अमीर
बनने से होता है ।

सच्चे अर्थों में आत्मसम्मान का अर्थ बिल्कुल अलग होता है, आत्मसम्मान एक बहुमूल्य गुण होता है, जिसकी बात करना आसान होता है, लेकिन आत्मसम्मान को सही अर्थों में बनाए रखना मुश्किल होता है।

आत्मसम्मान के लिए व्यक्ति को सारी सूक्ष्म मानसिकता से ऊपर उठकर खुद को जीवन में सच्चे रास्ते पर चल कर सफल बनना होता है। अब हम बात करते हैं कि कोई व्यक्ति कैसे अपना आत्मसम्मान बना सकता है।

आत्मसम्मान के लिए सबसे पहले व्यक्ति को अपने चरित्र को उच्च बनाए रखना है । इसके लिए उसको छोटी-छोटी रूढ़िवादी बातों में अपने जीवन का समय व्यर्थ नहीं करना है, और जीवन में महान विचारों को आत्मसात करने के लिए प्रयासरत रहना है।

व्यक्ति को हर समय कर्मशील बने रहना है और दूसरों से मांगने की प्रवृत्ति को कम करना है। खुद के अंदर झांकने और खुद के चरित्र को और मजबूत बनाने के लिए प्रयासरत रहना है।
व्यक्ति को इसके लिए दृढ़ संकल्प लाना है, और जीवन की चुनौतियों से बिना घबराए दृढ़ता से सामना
करना है।

जब व्यक्ति आत्मसम्मान के साथ जीवन में आगे बढ़ता है तो इसके अनेक फायदे होते हैं। उस व्यक्ति को
देखकर समाज में सकारात्मकता बढ़ती है लोग मेहनत में विश्वास करते हैं और अपराध और बेईमानी के
कार्यों में कमी आती है।

आत्मसम्मान एक आभूषण की तरह होता है जिससे व्यक्ति की सुंदरता क‌ई गुना बढ़ जाती है। अगर कोई व्यक्ति सच्चे अर्थों में आत्मसम्मान के साथ जीवन जीता है तो उसके जीवन में सफलता के अवसर बढ़ जाते हैं और वह संतुष्ट होकर अपना जीवनयापन करता है।

बेईमानी और आत्मसम्मान के साथ समझौता करके जीवन में सफलता तो पाई जा सकती है लेकिन अपने मन की शांति और संतुष्टि कभी नहीं पाई जा सकती है।

वर्तमान समाज की यह भी सच्चाई है की लोगों में आत्मसम्मान की प्रवृति लगातार कम हो रही है और
आत्मसम्मान का अर्थ अलग समझ रहे हैं, जिससे समाज में ईर्ष्या और भ्रष्टाचार जैसे मामले बढ़ रहे हैं।
व्यक्ति को सदैव अपने आत्मसम्मान को बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए।

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