100- 200 Words Hindi Essays 2024, Notes, Articles, Debates, Paragraphs Speech Short Nibandh Wikipedia Pdf Download, 10 line

भारत चीन संबंध पर निबंध | Essay on Indo China Relationship in Hindi

भारत चीन संबंध पर निबंध | Essay on Indo China Relationship in Hindi- नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत है, आज के आर्टिकल में हम भारत चीन संबंध तथा वर्तमान की इन दोनों देशो के संबंधो के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे.

भारत चीन संबंध पर निबंध | Essay on Indo China Relationship in Hindi

भारत और चीन जो प्रारंभिक काल में  एक दूसरे के निकट होने के बाद भी  वर्तमान तक आते-आते किस प्रकार एक दूसरे के प्रतिस्पर्धी बने शुरुआती दौर में वे कौन से मुद्दे थे जिन्होंने एक दूसरे को सहयोग प्रदान किया.

उसके बाद टकराव के क्या मुद्दे रहे और किन कारणों के कारण एक दूसरे अर्थात भारत चीन को साथ में रखना या उनसे संबंध बनाए रखना क्यों जरूरी है और विश्व राजनीति में इन देशों की क्या भूमिका रही है और इनकी मध्य प्रतिस्पर्धा बढ़ने से क्या प्रभाव विश्व  पटल पर देखने को मिल रहे हैं

भारत की स्वतंत्रता के बाद चीन को बराबरी का दर्जा देने में भारत की भूमिका अहम रही भारत पहला देश था जिसने 1949 में चीन को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दी और वह भी जब अमेरिका सीन को मान्यता देने के पक्ष में नहीं था क्योंकि चीन ने साम्यवादी विचारधारा का पक्ष लिया भारत के प्रयासों से ही चीन संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्य के रूप  में स्थापित हो  सका.

भारत और चीन के मध्य तिब्बत एक बंपर स्टेट के रूप में स्वायत्त सांस्कृतिक व राजनीतिक इकाई रहा जिस पर चीन शुरू से ही अपना दावा करता रहा है जबकि भारत का मानना है कि तिब्बत एक स्वायत्त प्रदेश है.

इसी विवाद को सुलझाने के लिए 1954 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू तथा चीनी राष्ट्रपति  चाउ एन लाइ के मध्य पंचशील का समझौता होता है.

पंचशील के सिद्धांत बोध धर्म से लिए गए हैं तिब्बत  बौद्ध धर्म को मानने वाला देश है लेकिन भारत ने तिब्बत को स्वायत्त दर्जा देने की नीति अपनाई तिब्बत में बौद्ध धर्म के अनुयायियों ने विद्रोह कर दिया उस विद्रोह को दबाने के लिए चीन ने सेना भेज दी.

 उसी समय चीन ने अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर अपना दावा प्रस्तुत किया किया तथा दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है तिब्बत में यह विद्रोह प्रचंड  पर फैला और 1959 में बौद्ध धर्म के गुरु दलाई लामा अपने 100000 अनुयायियों के साथ भारत में शरण मांगी.

भारत ने उनको इस सड़क पर शरण दी कि वे चीन विरोधी गतिविधियां नहीं चलाएंगे लेकिन सीने से भारत का षड्यंत्र करार दिया और दोनों देशों के मध्य संबंधों में टकराव पैदा हो गया जिसका परिणाम 1962 में भारत-चीन युद्ध के रूप में सामने आया सीने एक पक्षी कार्रवाई करते हुए.

 भारत के अधिकांश हिस्से पर कब्जा कर लिया और युद्ध समाप्ति के बाद भी उसने यथास्थिति को नहीं बनाया जो आज भी इन दोनों देशों के बीच टकराव का मुख्य मुद्दा है.

1962 से लेकर 1978 तक भारत और चीन के रिश्ते शत्रुता पूर्ण ही रहे इसी समय अंतराल में 1965 1971 के पाक युद्ध में चीन ने पाकिस्तान का हर प्रकार से सहयोग किया भारत के परमाणु कार्यक्रम की वीसी ने बढ़ चढ़कर निंदा की और इसे गलत बताया भारत और चीन के राजनयिक रिश्ते 1978 में पुनः बहाल किए गए.

जब अटल बिहारी वाजपेई ने विदेश मंत्री के रूप में चीन की यात्रा की परंतु यह रिश्ते केवल आर्थिक हितों को ध्यान में रखते हुए बनाए गए जबकि सीन के साथ हमारे सीमा विवाद ब्रह्मपुत्र नदी जल बंटवारे को लेकर बना हुआ है जिसके तहत चीन भारत को ब्रह्मपुत्र नदी के जल का स्तर बहाव की गति जैसी जानकारियां समय पर उपलब्ध नहीं करवाता जो मौसम खराब होने का हवाला देकर ये जानकारी नहीं देता है

 1993 में यूएसएसआर के विघटन के परिणाम स्वरूप ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न हुई कि दोनों एक दूसरे के निकट आना मजबूरी बन गई क्योंकि एक ध्रुवीय विश्व व्यवस्था पर्यावरणीय मुद्दे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छा गए थे भारत को निर्यात के लिए बाजार तथा आयात का सस्ता माल चाहिए था.

अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए एशिया में विकासशील देशों का एक मंच प्रदान करने के लिए भारत और चीन के संबंधों में एक नया दौर शुरू हुआ भारत ने चीन के साथ आर्थिक मुद्दों पर सहयोग के जरिए एशिया महाद्वीप को अलग पहचान दिलवाई दोनों देशों ने अपने विवादों को सुलझाने के लिए अलग-अलग मंच बनाए 2003 में चीन ने सिक्किम को भारत का राज्य मान लिया

नेपा क्षेत्र विवाद में चीन ने अरुणाचल प्रदेश में रहने वाले लोगों के लिए तथा कश्मीर में रहने वाले लोगों के लिए स्टेपल वीजा जारी करना प्रारंभ कर दिया जिसका भारत ने विरोध किया 2008 में इसे बंद कर दिया स्टेपल वीजा एक तरह का वह वीजा है जिसके तहत चीन ने अपने नागरिकों की तरह ही इन कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश के लोगों को वीजा प्रदान करता है.

वर्तमान में चीन और भारत को यह लगने लगा कि दोनों देश आर्थिक मोर्चे के स्तर पर एक दूसरे के सहयोग के बिना  आगे नहीं बढ़ सकते  आर्थिक विकास सतत विकास और अन्य उभरती हुई समस्याओं के साथ एक ध्रुवीय विश्व व्यवस्था को चुनौती देने के लिए दोनों देश अपनी विवाद  भुलाकर या इनका निपटारा अलग मंच पर करने पर बल दिया जाने लगा.

 इसी के तहत 2013 में भारत और चीन के मध्य सामरिक सीमा सुरक्षा समझौता हुआ इस समझौते के तहत भारत और चीन अपने सीमा विवादों को इस तरह   निपटारा करेंगे कि उन विवादों का उनके आर्थिक सांस्कृतिक और राजनीतिक रिश्तो पर ज्यादा प्रभाव ना पड़े.

पिछले वर्षों में दोनों देशों के बीच डोकलाम विवाद सामने आया डोकलाम में एक पठारी क्षेत्र है जो भूटान का ही भाग है लेकिन वह सिक्किम से लगा हुआ है इस पठारी क्षेत्र से चीन बड़े स्तर पर हाईवे निर्माण गतिविधियों को चला रहा है भारत ने इसका विरोध किया.

जिसका कारण था इस क्षेत्र से संपूर्ण पूर्वोत्तर भारत पर नियंत्रण स्थापित किया जा सकता है क्योंकि उत्तर पूर्वी भारत का गलियारा जिसे सिलीगुड़ी गलियारा  भी कहते हैं वह मात्र 24 किलोमीटर चौड़ा है इसलिए भारत ने अपने सामरिक हितों को देखते हुए चीन के समक्ष इस प्रश्न को उठाया 2017 में भारत द्वारा विरोध करने तथा अंतरराष्ट्रीय दवाब के चलते चीन ने वहां पर अपनी गतिविधियों को रोक लिया

भारत ने अपने आर्थिक हितों को पूरा करने हेतु हिंद महासागर में तकनीकी शोध कार्यों को बढ़ावा दिया है क्योंकि हिंद महासागर में भारतीय दीपों की सीमा की सुरक्षा का प्रश्न संसाधनों पर कब्जे का मुद्दा जैसे कारक हैं जो भारत के लिए हिंद महासागर की अवस्थिति तथा उस पर नियंत्रण को दर्शाता है.

भारत का 70% व्यापार हिंद महासागर से होता है इसलिए भारत की आवश्यकता है कि वह हिंद महासागर पर अपनी पकड़ मजबूत बनाएं तथा सीन के प्रभाव को कम कर सके क्योंकि पिछले कुछ समय से चीन ने हिंद महासागर पर अपना अधिकार जमाना शुरू कर दिया है.

वह चेत्रीय विकास के नाम पर भारत को घेरने की दिशा में आगे बढ़ रहा है जैसे मोतियों की माला भी कहा जाता है मोतियों की माला एक रणनीति है एक कूटनीति है चीन की वह पहल है जिसके द्वारा वह भारत को चारों तरफ से  घेरने की  नीति अपनाए हुए हैं|

एक अमेरिकी पत्रकार ने परिभाषित किया कि चीन भारत के बंदरगाहों पर कब्जा जमा कर सैनिक अड्डों के जरिए अपना नियंत्रण स्थापित करना चाहता है ऐसे ही मोतियों की माला कहते हैं.

 इसी मोतियों की माला रणनीति के तहत चीन ने श्रीलंका में हमन टोटा  पाकिस्तान में ग्वादर बंदरगाह बांग्लादेश में चटगांव बंदरगाह मालदीव में सैनिक अड्डे की स्थापना जिबूती में सैनिक अड्डे बंगाल की खाड़ी में कोको द्वीप पर  सैनिक अड्डे की स्थापना जैसे कार्यक्रमों के तहत चीन हिंद महासागर में अपना प्रभुत्व बढ़ा रहा है.

चीन विकास के नाम पर भारत की सीमा से लगा हुआ अपना आर्थिक गलियारा स्थापित किया है जो अरुणाचल से लेकर अक्साई चीन तथा पाक अधिकृत कश्मीर तक जाता है 2008 में चीन ने अपनी पनडुब्बियों को हिंद महासागर में भेज दिया था.

उसका कहना था कि समुद्री लुटेरों से क्षेत्र की सुरक्षा हेतु उसने ऐसा कदम उठाया है लेकिन हकीकत में चीन का मकसद कुछ और ही है चीन ने अपनी नौसेना के जरिए हिंद महासागर पर सैन्य आवाजाही को बनाया हुआ है उसका कहना है कि वह यह कार्य स्वतंत्र आवागमन तथा अपने दैनिक कार्य व प्रशिक्षण हेतु कर रहा है.

भारत और चीन के रास्तों में टकराव  का एक नवीन मुद्दा दक्षिण चीन सागर विवाद भी है दक्षिण चीन सागर को लेकर चीन का यह दावा है कि इस क्षेत्र में स्प्रैटली द्वीप  पारा द्वीप को चीन अपना हिस्सा मानता है.

जबकि दक्षिणी चीन सागर में मलेशिया ब्रुनेई फिलिपींस वियतनाम जैसे द्वीपीय देश स्थित है जिनका मानना है यह द्वीप सदा से स्वतंत्र थे  चीन सागर पर स्वतंत्र  आवागमन था लेकिन चीन ने यहां पर अपने सैन्य अड्डे स्थापित किए हैं.

जो इन देशों के अंतरराष्ट्रीय संबंधों को प्रत्यक्ष तौर पर प्रभावित करेंगे आसियान देशों का कुल व्यापार का दो तिहाई हिस्सा इसी समुद्री मार्ग से संपन्न होता है यदि चीन इस पर एकाधिकार कर लेता है तो भारत का आसियान देशों के साथ संबंध समाप्त होने की दिशा में या कमजोर पड़ जाते हैं.

2011 में वियतनाम में ओएनजीसी ने दो तेल उत्पादक संयंत्र स्थापित किए थे चीन ने इसका विरोध किया था लेकिन भारत ने वियतनाम से समझौता करके अपने इस उत्खनन प्रक्रिया को जारी रखा जिससे दोनों देशों के मध्य तनाव पैदा हुआ भारत का कहना था कि यह समुद्री क्षेत्र पर बने अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है यदि ऐसा रहा तो पूरे विश्व में संसाधनों पर कब्जा करने की होड़ लग जाएगी अभी भी भारत वहां पर अपना उत्खनन कार्य और प्रभावी रूप से कर रहा है.

इस प्रकार भारत और चीन के मध्य टकराव के कई बिंदु हैं इनका कारण भी है क्योंकि विश्व की सर्वाधिक जनसंख्या तथा उभरती हुई दोनों वहां शक्तियोंमें जहां एक ध्रुवीय विश्व व्यवस्था को चुनौती देने की होड़ है वही दूसरी ओर अपना आर्थिक विकास तथा  दक्षिणी एशियाई क्षेत्र में प्रभुत्व जमाने की कोशिशें  बरकरार हैं फिर भी कुछ ऐसे कारक हैं जिनके आधार पर हम यह कह सकते हैं कि वर्तमान समय में भारत और चीन दोनों एक साथ मिलकर सहयोग द्वारा कदम उठाएंगे तो ही दोनों देशों के हित में हैं.

विश्व व्यवस्था  में सत्ता के विकेंद्रीकरण हेतु चीन  तथा भारत एक सहयोगी मंच पर आने की आवश्यकता है ताकि विश्व एक ध्रुवीयता से बसा रहे पर्यावरणीय मुद्दों को लेकर भारत और चीन का एक मंच पर आना विकासशील देशों के हितों की रक्षा करने में अहम योगदान देगा इसी के साथ भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने हेतु  चीन के साथ क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देना अनिवार्य है.

हाल ही में तमिलनाडु राज्य  के मामल्लापुरम  मे संपन्न चीनी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच अनौपचारिक वार्ता का दूसरा दौर हुआ  जो भारत चीन के मध्य नए संबंधों को सकारात्मकता के साथ आगे बढ़ाने का संकेत है इस अनौपचारिक वार्ता में कुछ अहम मुद्दों पर चर्चा हुई जिनसे भारत के बढ़ते व्यापार घाटे को कम करने तथा निवेश बढ़ाने की ओर कदम बढ़ाए जा सकते हैं इसके साथ ही दोनों राष्ट्र सीमा विवादों का हल निकालने के लिए किसी संयुक्त मंच   की ओर संकेत है

चीन को अपने उत्पाद बेचने के लिए भारत जैसे बड़े बाजार की सख्त आवश्यकता है क्योंकि चीन अमेरिका को टक्कर देना चाहता है और अपने आप को महाशक्ति के तौर पर स्थापित करना चाहता है तो चीन को भारत और अन्य पड़ोसी देशों के साथ मधुर संबंध बनाए रखने होंगे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की कार्यशैली को अधिक से अधिक लोकतंत्रात्मक बनाने के लिए दोनों देशों का एक साथ आवाज उठाना भी जरूरी है.

ये भी पढ़ें
प्रिय दर्शको उम्मीद करता हूँ, आज का हमारा लेख भारत चीन संबंध पर निबंध | Essay on Indo China Relationship in Hindi आपको पसंद आया होगा, यदि लेख अच्छा लगा तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें.