100- 200 Words Hindi Essays 2024, Notes, Articles, Debates, Paragraphs Speech Short Nibandh Wikipedia Pdf Download, 10 line

भारत-रूस सम्बन्ध पर निबंध: Indo-Russia Relations Essay in Hindi

भारत-रूस सम्बन्ध पर निबंध: Indo-Russia Relations Essay in Hindi- नमस्कार दोस्तों आपका हमारे ब्लॉग पर स्वागत है, आज के आर्टिकल में हम भारत के परम मित्र देश रूस तथा भारत के सम्बन्ध के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे.

भारत-रूस सम्बन्ध पर निबंध: Indo-Russia Relations Essay in Hindi

रूस भारत का परंपरागत मित्र रहा है शीत युद्ध के दौर में भारत का रूप से दोस्ताना व्यवहार रहा जबकि इस समय रूस सोवियत संघ का हिस्सा था जिसमें साम्यवादी शासन प्रणाली थी जबकि भारत ने लोकतंत्र को अपनाया था भारत की स्वतंत्रता के 4 महीने पहले ही सोवियत संघ ने भारत को स्वतंत्र राष्ट्र का दर्जा देखकर विश्व पटल पर भारत को नई पहचान देने में अहम भूमिका निभाई.

जब १९७१ का भारत पाकिस्तान युद्ध तीसरे विश्वयुद्ध की ओर अग्रसर हो रहा था, उस समय दुनिया की सारी बड़ी शक्तियां भारत के खिलाफ में खड़ी हो गई उस समय भारत का एकमात्र देश जिसने साथ दिया वो था, रूस.

रूस के साथ की वजह से ही अमेरिका जैसे देश पीछे हट गए तथा दुनिया की तबाही होते होते बच गई. उस विकट परिस्थिति में देश का साथ निभाने वाले देश को हम अपना सबसे परम मित्र देश मानते है. जिसके साथ आज भी हमारे अच्छे सम्बन्ध बने हुए है.

भारत ने जब गुटनिरपेक्ष आंदोलन की शुरुआत की तो अमेरिका ने उसकी निंदा की जो कि सोवियत संघ ने इसकी प्रशंसा करते हुए भारत का पक्ष लिया भारत का विरोधी देश पाकिस्तान जैसे ही अमेरिकी गुट का सदस्य बना तो भारत ने भी अपना झुकाव  सोवियत संघ की ओर  कर दिया.

सोवियत संघ ने उस दौर में कश्मीर के मुद्दे पर भारत का समर्थन किया 1955 में भिलाई मष में इस्पात संयंत्र की स्थापना करवाई कम ब्याज दर पर लंबी अवधि के लिए भारत को ऋण देने में सोवियत संघ पीछे नहीं रहा.

1971 में भारत और रूस के मध्य कालीन 20 वर्षीय रक्षा समझौता हुआ यहां भारत  के रिश्तो का    आधिकारिक तौर पर भारत के सबसे करीबी देशों में    रूस शामिल हो गया. 1971 के बाद नब्बे तक का दौर भारत रूस के संबंधों में स्वर्णिम युग के तौर पर जाना गया.

अब भारत के पास भी विश्व की बड़ी ताकत का साथ था जो सुरक्षा परिषद में भी भारत की और से प्रमुख आवाज बनकर हर मुद्दे पर भारत का साथ दिया उस समय रूस तकनीकी आर्थिक और वैश्विक स्तर पर एक बड़ी ताकत था भारत  ने गुटनिरपेक्ष होने की परवाह किए बिना अपनी मित्रता को बखूबी तरीके से निभाया.

इस दौर में भारत को तकनीकी रक्षा उपकरणों आर्थिक अनुदान परमाणु ईंधन की आपूर्ति के मामले में रूस ने सहायता मिली थी किंतु सोवियत संघ अपने आंतरिक मामलों के चलते विखंडन की ओर अग्रसर हो गया जिसके कारण भारत का 20% निर्यात गिर गया आर्थिक सहायता बंद हो गई रक्षा क्षेत्र  मे तकनीकी हथियार मिलने बंद हो गए  इन सभी वजह से भारत अपने पड़ोसी देशों और अमेरिका की ओर देखने लगा.

1997 में रूस ने चीन के साथ अपने सीमा विवाद को समाप्त कर लिया तथा शंघाई परिषद का गठन किया जिसका उद्देश्य अपने आर्थिक हितों को बढ़ाना विकासशील देशों को मजबूत बनाना था.

इस शंघाई परिषद के साथ ही रूस चीन व भारत को मिलाकर एक  गुट का निर्माण किया  कि एशिया महाद्वीप की तीनों महाशक्ति एक साथ एक मंच पर आ सके और अपने द्विपक्षीय मुद्दों को सुलझा सके तथा विश्व में बहु ध्रुवीयता का निर्माण कर सके.

सन 2000 में ब्लादीमरी पुतिन भारत की यात्रा पर आए उन्होंने अटल बिहारी वाजपेई के साथ सामरिक सुरक्षा के मुद्दों पर हस्ताक्षर किए और इस समझौते के साथ ही भारत रूस संबंधों का तीसरा दौर भी प्रारंभ हो गया.

इस दौर में भारत एक बड़े बाजार की तौर पर सामने आ चुका था उसकी परमाणु ईंधन की आवश्यकता तकनीकी ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने हेतु पुतिन ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किया जिसके तहत रक्षा उपकरणों का संयुक्त उत्पादन जिसमें सुखोई विमान ब्रह्मोस मिसाइल पनडुब्बी आदि शामिल थे.

सन 2007  में रूस के साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान के समझौते पर भी हस्ताक्षर हुए इसी दौर में 2008 में रूस के साथ 10 सूत्री समझौते हुए इन समझौतों के अंतर्गत रूस ने भारत को 2000 टन यूरेनियम देने की घोषणा की और उर्जा पाइपलाइन के जरिए भारत को तेल व गैस आपूर्ति की घोषणा भी की गई.

तथा इसी के साथ ही कश्मीर मुद्दे पर भारत का समर्थन करने आतंकवाद के मुद्दे पर  संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत का पक्ष रखने जैसी बातों पर भी भारत को रूस ने समर्थन दिया लेकिन कुछ बाधाओं के चलते इन समझौतों के क्रियान्वयन में कुछ विवाद सामने आए.

इसी समय आने देशों ने भारत को क्रायोजेनिक इंजन देने पर रोक लगा दी लेकिन रूस ने इसका हल तलाशते हुए 2014 में भारत के साथ छूट उत्पादन करते हुए क्रायोजेनिक इंजन का निर्माण कर लिया.

2014 के बाद से रूस भारत पाकिस्तान चीन अफगानिस्तान  तथा यूक्रेन के साथ अपने संबंध मजबूत बनाने की दिशा में कार्य कर रहा है रूस की उर्जा रिंग बनाने की नीति उसी का हिस्सा है  हालांकि रूस ऊर्जा के मामले में संपन्न  है.

वह इस ऊर्जा को चीन भारत यूक्रेन अफगानिस्तान को सप्लाई देकर अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना चाहता है  इसे ही  ऊर्जा  रिंग कहा जाता है क्योंकि 2014 में यूक्रेन में रूसी भाषा बोलने वाले लोगों ने वहां की सरकार के समक्ष विद्रोह कर दिया इसके बाद  चुनाव हुए  और इनमें अमेरिकी समर्थित दल की जीत हुई उसके बाद यूक्रेन में अलगाववाद की प्रवृत्ति चल रही है.

अमेरिका ने रूस पर प्रतिबंध लगा दिया इसके ऊर्जा संसाधनों को खरीदने में कटौती कर दी यूरोप के अन्य देशों ने भी ऐसा ही किया इन परिस्थितियों में रूस ने अपने नए मित्रों के रूप में अफगानिस्तान में ढांचागत विकास शुरू कर दिया पाकिस्तान को बड़े स्तर पर हथियारों की सप्लाई देना शुरू कर दिया  तथा चीन के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को मजबूत बनाया.

वर्तमान में भारत रूस के मध्य 20वां शिखर सम्मेलन हुआ जिसमें 15 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए इसमें चेन्नई से लेकर रूसी शहर  तक समुद्री मार्ग द्वारा व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ाना सैन्य उपकरणों से युक्त उत्पादन को बढ़ावा देने जैसे मुद्दों पर सहमति बनी इसके साथ ही  कुंडमकुलम जैसे अन्य परमाणु संयंत्र लगाने में सहायता करने की बात भी कही तेल व गैस की आपूर्ति करना स्थाई सदस्यता की.

भारत की दावेदारी को मजबूत करने के साथ ही कश्मीर मुद्दे पर रूस ने भारत का समर्थन किया लेकिन भारत पाकिस्तान   भारत अफगानिस्तान के रिश्ते जब तक स्थाई हुए मजबूत नहीं होते तब तक रूस अपनी उर्जा रिंग नीति को ठोस आधार नहीं दे पाएगा जिसके चलते दोनों देशों के बीच कुछ मतभेद भी बने रहने की संभावना है.

वर्तमान में दोनों देशों के बीच मनमुटाव भी है क्योंकि रूस पाकिस्तान को हथियारों की आपूर्ति कर रहा है तकनीकी सहायता दे रहा है जबकि पाकिस्तान उसका प्रयोग भारत के विरुद्ध करने कि भारत आशंका जताता है.

रूस इस बात को लेकर विरोध करता है कि भारत अमेरिका व यूरोप की तरफ अपना रुख अपना रहा है जैसे   फ्रांस से राफेल जबकि दोनों देशों के मध्य इस बात को लेकर समझौता है कि वह बहुध्रुवीय विश्व बनाएंगे

इन सभी मतभेदों के होने के बावजूद भी परंपरागत मित्र होने के नाते दोनों देश एक दूसरे की वर्तमान परिपेक्ष्य में सहायता कर सकते हैं तथा विकास के नए आयामों को छू सकते हैं दोनों देशों के मध्य विवादों को निपटाने हुए क्षेत्रीय सहयोग पर बढ़ावा देने के प्रयास किए जाने चाहिए तथा व्यापारिक मार्ग की विकास के साथ-साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर भी बल देना चाहिए.

ये भी पढ़ें
प्रिय दर्शको उम्मीद करता हूँ, आज का हमारा लेख भारत-रूस सम्बन्ध पर निबंध: Indo-Russia Relations Essay in Hindi आपको पसंद आया होगा, यदि लेख अच्छा लगा तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें.