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हिमालय पर निबंध Essay On Himalaya In Hindi

short Essay On Himalaya In Hindi Language हिमालय पर निबंध : नमस्कार दोस्तों आपका हार्दिक स्वागत करता हूँ. मैं पर्वतराज हिमालय बोल रहा हूँ विषय पर हिंदी में निबंध, भाषण, स्पीच अनुच्छेद पैराग्राफ दिया गया हैं. इस निबंध में हम हिमालय का इतिहास, महत्व स्थिति आदि को विस्तार से जानेगे.

हिमालय पर निबंध Essay On Himalaya In Hindi

हिमालय पर निबंध Essay On Himalaya In Hindi
यदि किसी भी भारतीय से पूछा जाए कि तुम्हें भारत पर इतना गर्व क्यों है तो बेशक उनके जवाब में भारत की प्राकृतिक विविधता का उल्लेख अवश्य ही होता है और उस प्राकृतिक विविधता में हिमालय का स्थान सर्वोपरि है. 

हमें गर्व है हिमालय पर हिमालय हमारी शान है चौकीदार है रक्षक है मनमोहक है आन और बान है इसीलिए मेरा भारत महान है हिमालय की ऐसी प्राकृतिक मनोरम सभी का वर्णन राष्ट्रकवि दिनकर जी ने कुछ इस तरह किया है.

मेरे नगपति!मेरे विशाल! साकार दिव्य गौरव विराट  पौरूष के पूंजीभूत ज्वाल मेरी जननी के हिमकीरीट मेरे भारत के दिव्य भाल मेरे नगपति मेरे विशाल.

प्राचीन काल से ही हिमालय भारतीय संस्कृति का रक्षक होने के साथ-साथ पोषक भी रहा है इसी कारण भारतीय साहित्य में हिमालय का गुणगान लगभग सभी कवियों ने किया है.

और उसके कारणों में हिमालय की अवस्थिति की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है क्योंकि यह जहां भारतीय जलवायु को प्रभावित करता है वही हिमालय से निक लने वाली नदियों तथा वनों का भारतीय अर्थव्यवस्था में भी अहम योगदान है.

हिमालय शब्द पर चर्चा करें तो यह 2 शब्दों के संयोग से बना है हिम तथा आलय हिम का अर्थ बर्फ होता है तथा आलय घर को कहते हैं इस प्रकार हिमालय शब्द का अर्थ हुआ बर्फ का घर हिमालय की उत्पत्ति सीनोजाॅइक युग में हुई.

तथा यह एक नवीन वलित पर्वत श्रंखला है पर्वत श्रंखला पर्वतों की समूह को कहते हैं जिन की उत्पत्ति एक ही काल में अथवा एक ही हलचल से हुई हो.

भारत को 6 भौतिक प्रदेशों में विभाजित किया जाता है जिसमें हिमालय एक भौतिक प्रदेश है भू वैज्ञानिकों का मानना है कि हिमालय की जगह पहले टेथिस महासागर हुआ करता था.

हिमालय की उत्पत्ति से संबंधित प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत महत्वपूर्ण जानकारी देता है हिमालय की पर्वत श्रेणियां भारत की ओर और उत्तल तथा तिब्बत की ओर अवतल है.

यह पर्वतमाला भारत के उत्तर पश्चिम से दक्षिण पूर्व की ओर फैली हुई है इसकी कुल लंबाई लगभग 2500 किलोमीटर है तथा चौड़ाई औसतन 350 किलोमीटर है जो उत्तर पश्चिम की ओर जाने पर बढ़ती है.

संपूर्ण हिमालय चित्र को प्रमुख रूप से तीन भागों में बांटा जाता है इसके अलावा हिमालय की ऊपरी भाग को ट्रांस हिमालय नाम से भी जाना जाता है इस भाग में काराकोरम लद्दाख जास्कर  पर्वत श्रेणियां स्थित है भारत की सबसे ऊंची पर्वत चोटी K2 इसी का भाग है.

हिमालय के प्रमुख तीन भागों में वृहद हिमालय है जो अधिकतर समय बर्फ से ढका रहता है तथा विश्व की अधिकांश सबसे ऊंची चोटियां इसी हिमालय में आती है इसकी औसत ऊंचाई लगभग 6000 मीटर है.

विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट जिसकी ऊंचाई 8848 मीटर है जो नेपाल में स्थित है जहां इसे सागरमाथा कहते हैं सागरमाथा का शाब्दिक अर्थ ब्रह्मांड की माता होता है.

माउंट एवरेस्ट नाम इसकी स्थिति का सर्वप्रथम पता लगाने वाले तत्कालीन भारत के महा सर्वेक्षक जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर पड़ा हिमालय के इस भाग की अन्य पर्वत चोटियों में कंचनजंगा नंगा पर्वत नंदा देवी तथा नामचा बरवा प्रमुख है.

हिमालय का दूसरा भाग आंतरिक या मध्य हिमालय के नाम से जाना जाता है इसे लघु हिमालय भी कहते हैं महान तथा लघु हिमालय के बीच कश्मीर घाटी लाहुल स्पीति तथा कुल्लू कांगड़ा की घाटियां स्थित है.

इसकी औसत ऊंचाई लगभग 4500 मीटर है इसका अधिकांश भाग भारत में है भारत के ज्यादातर हिमालय पर्यटन स्थल इसी भाग में अवस्थित है इस भाग में अल्पाइन चारागाह है जिन्हें कश्मीर में मर्ग तथा उत्तराखंड में पयार कहते हैं.

हिमालय के तीसरे भाग को शिवालिक अथवा निम्न हिमालय कहते हैं यह हिमालय का नवनिर्मित भाग है क्योंकि इसका निर्माण  नदियों द्वारा  निक्षेपित  पदार्थों से हुआ है.

शिवालिक तथा लघु हिमालय के मध्य कई घाटियां स्थित है जिसे पश्चिम में दून तथा पूर्व में द्वार कहते हैं शिवालिक हिमालय के बाद तराई क्षेत्र आता है.

इस तरह हिमालय की पर्वत श्रंखला से मिलकर बना है वर्तमान में हिमालय कुल 6 देशों नेपाल भारत भूटान तिब्बत अफगानिस्तान तथा पाकिस्तान की सीमाओं से लगा हुआ है.

हिमालय से निकलने वाली नदियों में सिंधु गंगा ब्रह्मपुत्र प्रमुख है हिमालय का संपूर्ण क्षेत्रफल लगभग 500000 वर्ग किलोमीटर है  इसमें 15000 ग्लेशियर स्थित है.

हिमालय का प्रादेशिक वर्गीकरण भी किया गया है प्रादेशिक वर्गीकरण में हिमालय को चार प्रमुख भागों में बांटा गया है पहले भाग में सिंधु व सतलज नदियों के बीच के भाग को पंजाब हिमालय नाम दिया गया है जिसकी लंबाई 560 किलोमीटर है.

दूसरे भाग में सतलज से काली नदी तक के भाग को कुमायूं हिमालय कहा गया जिसकी कुल लंबाई 320 किलो मीटर है. प्रादेशिक वर्गीकरण में हिमालय के तीसरे भाग को नेपाल हिमालय नाम से जाना जाता है.

जिसकी लंबा ई 800 किलोमीटर है तथा यह काली व तीस्ता नदियों के बीच में स्थित है चौथी भाग को असम हिमालय नाम से जाना जाता है जो तीस्ता से ब्रह्मपुत्र नदी तक फैला हुआ है जिसकी लंबाई 720 किलोमीटर है.

हिमालय का पश्चिमी भाग पामीर के पठार से मिला हुआ है जहां काराकोरम हिंदूकुश तथा कूनलुन पर्वत श्रंखला भी आकर मिलती है अगर हम बात करें हिमालय के पूर्वी भाग की तो यह भारत की पूर्वी  सीमा पर स्थित में मिशमी पटकोई बूम तथा नागा पर्वत श्रंखला से मिलती है.

हिमालय के उत्तरी भाग में ग्लेशियरों की संख्या ज्यादा है क्योंकि उस तरफ हिमालय की ढाल मंद है जबकि हिमालय का दक्षिणी भाग की ढाल तीव्र है.

हिमालय पर्वत हमारे लिए बहुउपयोगी है क्योंकि यह साइबेरिया से आने वाली ठंडी हवाओं से हमारी रक्षा करता है वही भारत में वर्षा का प्रमुख कारण भी हिमालय ही है.

दूसरी और हिमालय से निकलने वाली अधिकांश नदियां भारत के लिए सोने पर सुहागा क्योंकि इनसे कृषि उद्योग क्षेत्रों में प्रगति हुई है.

हिमालय क्षेत्रों में जलाशयों का निर्माण कर सिंचाई तथा विद्युत उत्पादन करने के साथ-साथ शुद्ध पेयजल की आपूर्ति भी की जा रही है इसके अलावा हिमालय जहां एक और जैव विविधता को बढ़ावा देने में सहायक है वही कीमती वन उत्पाद भी प्राप्त किए जा रहे हैं.

वर्तमान विश्व में जहां पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है भारत में भी पिछले कुछ वर्षों से पर्यटन क्षेत्र ने उन्नति की है हिमालय पर्यटकों का प्रमुख आकर्षक केंद्र है.

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