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रबीन्द्रनाथ टैगोर पर निबंध । Essay on Rabindranath Tagore in Hindi

रबीन्द्रनाथ टैगोर पर निबंध । Essay on Rabindranath Tagore in Hindi- भारत के महान कवि देशभक्त संगीतकार कहानीकार रवीन्द्रनाथ टैगोर जिन्हें हम ठाकुर तथा गुरुदेव के नाम से जानते है. आज हम गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के बारे में विस्तार से जानकरी प्राप्त करेंगे.
रबीन्द्रनाथ टैगोर पर निबंध । Essay on Rabindranath Tagore in Hindi
रबीन्द्रनाथ टैगोर पर निबंध । Essay on Rabindranath Tagore in Hindi

रवींद्रनाथ टैगोर, जिन्हें जनसंग्रहण से "रवींद्रनाथ" के नाम से भी जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण भारतीय कवि, लेखक, और धार्मिक विचारक थे। वे भारतीय साहित्य के महान कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता भी रहे हैं। उनका जीवन और काव्य एक अद्वितीय योगदान हैं जो भारतीय साहित्य और संस्कृति के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस निबंध में, हम रवींद्रनाथ टैगोर के जीवन, काव्य, और उनके महत्व के बारे में विस्तार से जानेंगे।


रवींद्रनाथ टैगोर, जिन्हें गुरुदेव भी कहा जाता है, भारतीय साहित्य के महान कवि, लेखक, और सांत थे। उन्होंने अपने विशेष काव्य, गीत, और ग्रंथों के माध्यम से विश्व साहित्य को अमृत के समान भर दिया। उन्होंने नोबेल पुरस्कार भी जीता और उनके गीत "जन गण मन" भारतीय राष्ट्रीय गीत के रूप में मान्यता प्राप्त किया है।

रवींद्रनाथ टैगोर, जिन्हें जनसंग्रहण से "रवींद्रनाथ" के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय साहित्य के महत्वपूर्ण कवि, लेखक, संत, और विचारक थे। उन्होंने अपने जीवन के दौरान कविता, गीत, कव्यनाटक, उपन्यास, और ग्रंथ लिखे और अपने काव्य के माध्यम से साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान किया।

रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता, बंगाल (अब कोलकाता, पश्चिम बंगाल, भारत) में हुआ था। उनके पिता का नाम देवेन्द्रनाथ था, जो एक प्रमुख भारतीय साहित्यकार, धार्मिक विचारक, और संत थे। उनकी मां का नाम शरदा देवी था। रवींद्रनाथ को अपने पिता के प्रेरणा और मात्रीभाव से बहुत गहरा संबंध था, और इसने उनके लेखन की प्रेरणा को बढ़ाया।

300 शब्द निबंध

रबिन्द्रनाथ टैगोर का जन्म ब्रिटिशकालीन कोलकाता के एक धनाढ्य परिवार में हुआ था। इनके पिताजी का नाम देवेन्द्रनाथ ठाकुर थे, ये टैगोर की सबसे छोटी सन्तान थे। टैगोर फैमली के सभी लोग सुशिक्षित और कला-प्रेमी थे।
टैगोर की शुरूआती शिक्षा उनके घर पर ही संपन हुई थी। आरम्भिक शिक्षा पूरी होने के बाद ये लो की पढाई के लिए ब्रिटेन गये। तकरीबन एक साल के ब्रिटेन प्रवास के पश्चात टैगोर पुनः कलकत्ता लौट आए।
शांत एवं साहित्यिक पारिवारिक माहौल से प्रेरित होकर इन्होने बांगला में लेखन कार्य शुरू किया, इससे इन्हें शीघ्र प्रसिद्धि मिली। और इन्होने अपनी मेहनत के बल पर आगे का सफ़र जारी रखा.

रबिन्द्रनाथ टैगोर ने बांग्ला और अंग्रेजी में कई उपन्यास कविताएँ, नाटक निबंध आदि की रचना की । धीरे धीरे उनकी रचनाएं बेहद पसंद की जाने लगी। टैगोर ने भारत का राष्ट्रीय गीत वंदेमातरम् भी लिखा। इन्हें साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए नोबेल पुरस्कार भी मिला।

इनकी अनेक रचनाओं का अंग्रेजी समेत अन्य विदेशी भाषाओं में भी अनुवाद किया जा चुका हैं। टैगोर एक समाज सुधारक, साहित्यकार और शिक्षा दार्शनिक थे। आपने एक विद्यालय की स्थापना भी की, जिसे वर्तमान में विश्व भारती के नाम से जाना जाता है।

टैगोर पर निबंध 400 शब्दों में 
भारत के महान कवि रविंद्रनाथ टैगोर जिन्हें हम गुरुदेव के नाम से भी जानते हैं। यह एक कवि के साथ-साथ एक कुशल साहित्यकार, नाटककार,उपन्यासकार, दार्शनिक तथा शिक्षाविद भी थे।

रविंद्र नाथ टैगोर ने अपने कार्यों से सभी भारतीयों को गौरवान्वित किया है। गुरुदेव एशिया के पहले व्यक्ति थे, जिन्हें नोबेल पुरस्कार दिया गया था।


रविंद्र नाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को कलकत्ता में हुआ था। इनका जन्म आशु शिक्षित परिवार में हुआ उनके पिता का नाम देवेंद्र नाथ टैगोर तथा माता का नाम शारदा देवी था।


रविंद्र नाथ को बचपन में "रबी" के नाम से बुलाया जाता था। रवींद्रनाथ अपने माता-पिता की सबसे छोटी और तेहरवी संतान थे। रवींद्रनाथ पर बचपन से ही उनके परिवार का प्रेम और लगाव अधिक था।


एक शिक्षित परिवार में जन्मे टैगोर ने बचपन में ही शिक्षा ग्रहण कर ली। अपने लड़कपन से ही टैगोर लिखने के शौकीन थे, जिस कारण उन्होंने अपनी 8 वर्ष की आयु में कविताएं लिखना शुरू कर दिया। लगभग 15 वर्ष की आयु तक उन्होंने कहानियां नाटक और उपन्यास की रचना भी शुरू कर दी।


रवींद्रनाथ टैगोर एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने एक नहीं बल्कि दो-दो देश के राष्ट्रगान को लिखा है। टैगोर जी के द्वारा लिखे गए गीतों में भारत तथा बांग्लादेश का राष्ट्रगान इनकी कविताओं से लिया गया है, जो हमारे लिए बड़े ही गर्व की बात है।


रवींद्रनाथ हमेशा कविताएं लिखा करते थे उन्होंने अपने संपूर्ण जीवन में दो हजार कविताएं, 8 बड़े बड़े उपन्यास, आठ कहानी संग्रह, लगभग 2000 के तकरीबन गीत और अनेक विषयों पर निबंध लेखन का कार्य भी किया।


हमारे देश का गौरव राष्ट्रगान "वन्दे मातरम" भी रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा लिखा गया था। टैगोर जी ने अपना अधिकांश जीवन कोलकाता में ही बिताया और वहां रहकर अनेक उपलब्धियां हासिल की।


लगभग 50 वर्ष की आयु में टैगोर पहली बार इंग्लैंड के लिए गए इंग्लैंड का सफर लंबा होने के कारण टैगोर जी ने गीतांजलि का अंग्रेजी अनुवाद किया उन्होंने गीतांजलि के भाव को अपनी नोटबुक में अंग्रेजी भाषा में लिख दिया। अपने आप को व्यस्त रखने के लिए टैगोर जी ने गीतांजलि का अनुवाद किया।


जब टैगोर जी इंग्लैंड पहुंचे तो उनके दोस्तों ने गीतांजलि के अनुवाद को पढ़ने के लिए आग्रह किया और जिन जिन ने इन पुस्तक को पढ़ा उन्होंने काफी पसंद भी किया और 1912 में इसे प्रकाशित भी किया गया। संपूर्ण विश्व में इस पुस्तक की सराहना की गई। और 1 वर्ष बाद 1913 मैं टैगोर जी को नोबेल पुरस्कार से अलंकृत किया गया।


टैगोर जी ने भारत के ज्ञान को विश्व भर में फैलाया और हमारे देश को गौरव से भर दिया। आज भी हमें टैगोर जी के कार्य पर गर्व होता है। तथा हमारे देश के राष्ट्रगान की एक सुंदर मिसाल को भी हम अपना गौरव मानते हैं। जो इन्हीं की देन है।

700 शब्द Essay on Rabindranath Tagore in Hindi


रवीन्द्रनाथ टैगोर भारत के महान कवि तथा लेखको में से एक है. टैगोर को गुरुदेव के नाम से जानते है. गुरुदेव ने अपनी रचनाओ और कविताओ से विश्व में प्रसिद्ध हुए है.

रवीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म कोलकाता में 7 मई 1861 में हुआ. टैगोर के माता पिता का नाम शारदा तथा देवेन्द्रनाथ टैगोर के घर में हुआ था. टैगोर जी बचपन से ही लेखन का कार्य करते थे.

टैगोर जी बचपन में कविताएँ लिखने में निपुण थे. टैगोर ने अपनी शुरूआती शिक्षा घर से ही प्राप्त की. अपनी प्रारंभिक शिक्षा के दौरान इन्होने लेखन का कार्य शुरू किया. उच्च शिक्षा के लिए टैगोर साहब इंग्लैण्ड गए.

8 वर्ष की आयु में ही टैगोर ने कविताएँ लिखनी शुरू कर दी थी. कुछ समय इंग्लैण्ड शिक्षा प्राप्ति के बाद लेखन के कार्य को अपना करियर बनाकर वापस भारत लौटे. और रचनाए शुरू की.

रवीन्द्रनाथ केवल लेखक ही नहीं थे, वे एक कलाकार, कवि समाज सुधारक तथा महान देशभक्त थे. बचपन से ही अंग्रेजो की गुलामी टैगोर को पसंद नहीं थी. देश की आजादी उनका पहला लक्ष्य था.

देश की आजादी के लिए टैगोर ने अपने लेखन काल में राष्ट्र एकता की ओर ध्यान दिया. देश की एकता ही देश की आजादी है. इन्ही भावो के साथ रवीन्द्रनाथ ने राष्ट्रीय एकता के लिए लोगो को प्रेरित किया.

रवीन्द्रनाथ खुले आम अंग्रेजी सरकार का सामना करने की बजाय इन्होने शांतिमय ढंग से अंग्रेजो को रोंदा. इसलिए इनकी शांति के लिए पुरस्कार भी दिया गया.

रवीन्द्रनाथ ने शांति के प्रभुत्व को जमाकर अंग्रेजो के विरोध संघर्ष किया. और सभी को शिक्षा दिलाने के ,लिए शांति निकेतन नामक विश्वविद्यालय की स्थापना की.

गुरुदेव ने देश के हर नागरिक की चिंता को समझकर उनके समाधान के लिए तैयार रहे. टैगोर जी की देशभक्ति बहुत अधिक थी. लेकिन वो लम्हा जिसके लिए इन्होने संघर्ष किया. वो नहीं देख सकें.

रवीन्द्रनाथ टैगोर ने शुरूआती जीवन में ही देश की आजादी की जंग शुरू की. लेकिन जब परिणाम आया देश के लिए एकजुट होकर देश को आजाद बनाने में सक्षम हुए. उस समय गुरुदेव इस संसार में नहीं थे.

गुरुदेव ने अनेक रचनाए और कृतियाँ लिखी जिसमे कविता, उपन्यास, लघुकथा, नाटक, नृत्यनाटय, प्रबन्ध समूह, भृमणकथा, जीवनोमुलक, पत्रसाहित्य, संगीत, चित्रकला आदि सम्मलित थे.

टैगोर जी ने अनेक भाषाओ में लेखन का कार्य किया. शुरुआत में उन्होंने संस्कृत में कुछ रचनाए भी की. तथा उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना गीतांजली बंगला भाषा में लिखी गई थी.

गुरुदेव पर हमें नाज है. कि वे भारत के ही नहीं बल्कि एशिया के पहले कवि थे, जिन्हें नोबोल पुरस्कार दिया गया था. ये पुरस्कार उनकी सबसे लोकप्रिय रचना गीतांजलि पर मिला था.

गीतांजलि रचना के नामकरण से हम अनुमान लगा सकते है. कि ये कितनी महत्वपूर्ण थी. गीतांजलि का अर्थ गीतों का उपहार यानी कविताओ की भेंट है. इस रचना में 100 से अधिक कविताए लिखी गई है.

रवीन्द्रनाथ की रचनाओ की अमित छाप को देखा जा सकता है. गुरुदेव एकमात्र ऐसे कवि रहे है. जिनके लेखन से तीन देशो का राष्ट्रगान लिया गया है. जिसमे भारत का जन गन मन, बंगलादेश का राष्ट्रगान आमान सोनार बंगला भी इनकी रचना से लिया गया है.

भारत-बांग्लादेश के साथ ही श्रीलंका के राष्ट्रगान में टैगोर की झलक देखि जा सकती है. इस प्रकार टैगोर से लेखन से तीन देशो का राष्ट्र गान सम्मलित है. इस पर्व हमें गर्व है.

गुरुदेव रबिन्द्रनाथ टैगोर ने लेखन में कविताएँ, निबंध, उपन्यास तथा कहानियाँ लिखी, जिसमे-
उपन्यास- गोरा, घरे बाईरे, चोखेर बाली, नष्ठनीड़, योगायोग.

कहानी संग्रह- गल्पगुच्छ, संस्मरण- जीवनस्मृति, छेलेबेला, रूस के पत्र, कविता- गीतांजलि, सोनारतरी, भानुसिंह ठाकुरेर पदावली, मानसी, गितिमाल्य, वलाका, नाटक- रक्तकरवी, विसर्जन, डाकघर, राजा, वाल्मीकि प्रतिभा, अचलायतन, मुक्तधारा प्रमुख रचनाए थी.

हमारे देश के महान लेखक कवि साहित्यकार, समाज सुधारक, देशभक्त तथा अध्यापक आदि अनेक उपाधियो से परिपूर्ण गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर 7 अगस्त 1941 को गुलाम भारत में ही इस संसार को अलविदा कह गए.

आज भी हमें हमारे देश के इस सपूत पर नाज है. देश के ऐसे कवि देशभक्त हमारे देश का भविष्य बदल सकते है. टैगोर आज भी हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है. हमें इनका अनुसरण करना चाहिए.

रबीन्द्रनाथ टैगोर के अनमोल विचार
  1. मिट्टी से मुक्ति वृक्ष की आजादी नहीं हो सकती है.
  2. जो वृक्ष पत्तो से भरा होता है, उसमे निश्चित ही मुसबत आती है.
  3. इस जीवन में सच्चाई के लिए गलतियों का होना जरुरी है.
  4. उपदेश आसान है, उपाय की तुलना में.
  5. विनम्रता से ही हमारी महानता है.
  6. संगीत वो सुर है, जो आत्मा की मध्य दुरी को समाप्त कर देता है.
  7. यदि इस दुनिया ,में आपसी प्रेम का अभाव है, तो ये जेल से कम नहीं है.
  8. हम फुल है, हमें काँटों से घृणा नहीं करनी चाहिए.
  9. हम मिटटी की मूर्ति है. कीमत मिटटी की नहीं कर्म की होती है.
  10. महान वह होता है, जो बड़े होने के बाद भी छोटो से जुड़ा रहता है.
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