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किसान की आत्मकथा पर निबंध Essay On Autobiography Of Farmer In Hindi

किसान की आत्मकथा पर निबंध Essay On Autobiography Of Farmer In Hindi नमस्कार दोस्तों आज के आर्टिकल में हम ''मै अन्नदाता किसान हूँ'', की आत्मकथा को पढेंगे. इसका प्रयोग आप प्रतियोगी परीक्षाओ में कर सकते है.

किसान की आत्मकथा पर निबंध Essay On Autobiography Of Farmer In Hindi

किसान की आत्मकथा पर निबंध Essay On Autobiography Of Farmer In Hindi
मैं एक भारतीय देहाती किसान हूँ, आप मेरे संप्रदाय को फार्मर, खेतिहर, भूमिपुत्र आदि नामों से भी जानते हैं। भारत सदियो से कृषि प्रधान देश रहा हैं। यहाँ के ग्रामीण क्षेत्रों मे रहने वाले अधिकतर किसान ही होते हैं। 

मेरा और समूची किसान जाति का अतीत उतना ही पुराना हैं। जितना कि मानव जाति का हैं। हमारे पूर्वज भी किसान हुआ करते थे। मेरे अतीत किसान से जुड़ा हुआ है। इस पर मुझे गर्व है। किसानो का अतीत बहुत ही गोरवपूर्ण रहा है।

किसान बहुत ही ईमानदारी होता है। वह सुबह से लेकर शाम तक कार्य करते है। किसान को अन्न का दाता कहा जाता है। किसान गंदगी मे भी रहता है। वह स्वच्छता का महत्व नहीं समझता है।

गांवो के निवासी सबसे ज्यादा कृषि करते है। किसान को सबसे ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। किसान सबसे चार महीने तक कठोर मेहनत करता है। इन्हे सफलता तब मिलती है। जब ये अपने अनाज को मंडी मे पहुंचा देते है।

ज़्यादातर किसान कृषि अपने जीवन व्यापन करने के लिए करते है। और कई लोग व्यसाय के उद्देश्य से खेती करते है। किसान अनपढ़ होते है। तथा इन्हे खेत कि जुताई से लेकर फसल को काटने तक लगातार मेहनत करनी पड़ती है। 

भारत में लगभग 14 करोड़ कृषक परिवार हैं। इनमें से 80 प्रतिशत किसान छोटे तथा मध्यम श्रेणी के लोग हैं। जिनका व्यवसाय कृषि ही है। भारत मे अधिकांश किसानो के पास मात्र लगभग 2 हेक्टेयर भूमि होती हैं। भारत के 65% किसानो की आजीविका कृषि पर निर्भर रहती है। तथा 50% श्रम बल कृषि क्षेत्र में कार्यरत है।

किसान की आत्मकथा Autobiogrophy Of Kisan

मै भारत का किसान हूँ। मेरा व्यसाय है। कृषि, हम किसानो की स्थिति अत्यंत खराब है। उनके पास अपने जीवन व्यापन करने उपयुक्त वस्तुएँ भी नहीं है। मै एक साधारण घर मे रहता हूँ। हम अपने जीवन को आरामदायक बनाने के लिए रात-दिन मेहनत करता हूँ।

खेत मेरा जीवन है। तथा बैल मेरे मित्र खेजड़ी मेरा घर है। मौसम कितना ही खराब हो खेत में कार्य करता हूं,चाहे तेज धूप हो या कड़कड़ाती ठंड मै खुद की कोई प्रवाह नहीं करते हुए। मै हर परस्थिति मे मेहनत करता हूँ। यही मेरा कर्तव्य है।

मेरा एक ही व्यवसाय है। जो कि कृषि है। हम बहुत मेहनत करते है। जब हमारी फसल अच्छी होती है। तब हमारे परिवार का गुजारा आसानी से होता है। परंतु जब फसल खराब हो जाती है। या वर्षा न होने, आकाल पड़ने पर हमे हमारे परिवार का पालन-पोषण करना हमारे लिए बहुत बड़ी परेशानी बन जाती है। 

इस समय मे हमे ज़्यादातर समय भूखा रहना पड़ता है। हमारे लिए यही सबसे बड़ा दुख का समय होता है। प्रत्येक किसान का घर माटी का बना होता है। हमारे पास अपना अच्छा घर बनाने के लिए पैसे नहीं होते है।

हम ज़्यादातर समय बीमारियो से घिरे रहते है। हमारे पास अपना इलाज करने लिए भी पैसे नहीं होते है। हम ज्यादा ज्ञानी नहीं है। हम कभी विद्यालय मे पढ़ने नहीं गई। हमारे घरो मे बिजली की व्यवस्था नहीं है। हम अंधेरे मे अपना जीवन व्यतित करते है।

भारत देश को कृषि प्रधान देश है। क्योकि इस देश की सम्पूर्ण आय मे 70 प्रतिशत भाग कृषि से प्राप्त होता है। मेरे परिवार मे मेरे दादाजी से लेकर मेरे पिताजी सभी ही स्थिति बहुत ही नाजुक है। हमारे लिए खुद का पेट भरने का एकमात्र साधन कृषि है। जिसके दाम हर समय बढ़ते-घटते रहते है। मेरे परिवार की स्थिति बहुत नाजुक होने के कारण मे पढ़ाई भी नहीं कर सका। 

बचपन से ही मे पेरे पिताजी के कार्यो मे हाथ बटाया करता था। इसलिए मे अनपढ़ (जो पढ़ा हुआ न हो।) ही रह गया। मेरे पिताजी प्रातःकाल स लेकर शाम तक बहुत मेहनत करते थे। इसलिए मे भी उनके साथ-साथ कार्य करने लगा।

मेरे पिताजी मुझे बैलों को चारा-पानी देना और भोजन कर रात्री विश्राम आदि छोटे-छोटे काम देते थे। और वे खेत मे दिन-रात खूब मेहनत करते थे। 

मै उनके साथ कार्य करके मे भी एक मेहनती किसान बन गया था। फिर मीने भी कृषि को अपना व्यवसाय बना लिया इसी प्रकार ज़्यादातर किसानो के साथ होता है। 

मेरे लिए परस्थितिया पहले बहुत खराब थी। फिर अब भारत सरकार ने तीन नए कृषि कानून हमारे विरोध बनाए है। जिससे हमे नुकसान होगा। इसलिए हम सरकार से मांग करते है। कि जो नए कृषि कानून बनाए गए है। उन्हे बंद कर दे। 

हम किसानो के पास एकमात्र पेट भरने के साधन पर आप नए कानून लगाकर क्यो हमे शर्मिंदा कर रहे हो। हमारी योग्यता हमारे खुद का पेट भरने तक की है। तो आप हम से क्या वसूल करने के लिए नए कानून बनाकर अपना समय बर्बाद कर रहे हो।   

हम मानसून पर निर्भर होते है। हमे ज्यादा बार असफलता ही मिलती है। और कभी-कभी सफलता भी मिलती है। भारत सरकार वर्तमान मे हमारी सहायता कर रही है। हम इससे काफी खुश है।

भारत सरकार द्वारा हमे मकान,टांका तथा शौचालय बनाने के पैसे देते है। तथा हमारे घरो मे अब तो बिजली भी लगवाई जा रही है। और गैस तथा सिलेंडर का वितरण किया जा रहा है।  

हम अपने देश की सरकार को कहना चाहते है। कि वो हमारे देश मे सिंचाई कि अच्छी व्यवस्था को बनाये और हमे आकाल पड़ने पर आर्थिक सहायत प्रदान करावे। तथा हमे जरूरत पड़ने पर ऋण योजनाए चलाये जैसे हमारे देश मे लागू है। केसीसी योजना आदि।

भारत सरकार द्वारा नए तीन कृषि कानूनों को लागू कर दिया गया है। जो की किसानो के विरुद है। किसान इन तीन कानूनों को हटाना चाहते है। इसके लिए हनुमान बेनीवाल भी किसानो का साथ दे रहे है।

हनुमान बेनीवाल ने एक वीडियो मे किसानो के विरुद्ध बनाए गए कृषि कानूनों के बारे मे विस्तार से बातचीत करते नजर आए। हनुमान बेनीवाल ने कहा किसान की सहायता के लिए मै सरकार से भी लड़ूँगा और मेरे किसान भाइयो को न्याय दिलाऊँगा।

Autobiography Of Farmer In Hindi

मै अन्नदाता किसान हूँ, मेरा जीवन देश के लिए अन्न पैदा करना है. मेरी छोटी से जिंदगी में मेहनत का कोई पार नहीं है. ख़ुशी तो हमे जब मिलती है, तब मै फसल का भण्डारण करता हूँ.

लोग खेतो का महत्व केवल रहने तक ही मानते है. लेकिन ये हमारे लिए रोजगार का साधन है. खेत से ही हम अन्न पैदा करते है. तथा शहरी लोग खरीदकर खाते है.

बंजर भूमि को में अपनी मेहनत से उपजाऊ बनता हूँ. ये इतना कठिन है, जितना कठिन किसी बिगडेल बच्चे को सुधारना. लेकिन मै किसान होने के नाते अपना कर्तव्य नहीं छोडूंगा.

सुबह सूर्य उदय होने से पूर्व मुझे खेत में जाना पड़ता है. तथा रात को अँधेरा होने पर वापस आता हूँ. कभी-कभी फसल की रक्षा के लिए रात को खेत में ही विश्राम करना पड़ता है.

मै दिन भर खेत में मेहनत करता हूँ. जिस कारण बंजर भूमि में वर्षा की कारन होने वाली दर्रारो के सामान मेरे पैर फट जाते है. जिससे मुझे बहुत दर्द होता है. पर पुकार केवल भगवान ही सुनता है.

मेरे इस दुःख भरे जीवन में कभी ख़ुशी के कुछ पल तो कभी गम के पल भी आते है. जब फसल की उपज अच्छी होती है. तो हम वर्ष भर का भोजन प्राप्त कर लेते है. तथा हम अपनी मेहनत को सफल मानते है.

जब इसके विपरीत कई बार प्रकृति अपने कटाक्ष से हमें कई दुविधाए देती है. जिसमे अकाल, बाढ़, सुनामी तथा अनावृष्टि अतिवृष्टि आती है. जो हमारी फसल की बर्बादी बन जाती है.

जब साल भर की मेहनत पर प्राकृतिक आपदा पानी फेर जाती है, तो इस समय हमारे पास कोई सहारा नहीं होता है. हमें भुखमरी जीवन काटना पड़ता है. जब हम हार जाते है. तो देश की अर्थव्यवस्था भी घाट जाती है.

इस परस्थिति में किसान अपने जीवन से हार जाते है. अपने परिवार को भोजन दिलाने तथा साहुकारो को ऋण देने से असर्थ हो जाते है. इस स्थिति में किसान जीवन को समाप्त कर देता है.

पिछले कई सालो से देखा जाए तो अनेक किसान अपनी आत्महत्या कर रहे है. जिनका प्रमुख कारण उपज की कमी तथा महंगाई होती है. इसलिए किसानो की सहायता के लिए सरकार कदम उठाए.

किसान की कविता poem on Farmer

मै भारतीय किसान हूँ,
मुझे कर्ज नहीं मेहनती मर्द दो
मुझे अधिक खर्चा महंगाई मत दो
मेरी उपज मेरी मेहनत दो
मुझे भीख नहीं मुझे वाजिब कीमत दो

मुझे शर्मिंदा मत करो, मुझे अपना हक़ दो
मेरे पर मत काटो मुझे उठने की हिम्मत दो
मुझे कर्ज़ नही , मेरी मेहनत दो
मुझे नहीं जरूरत भीख की मुझे मेरा हक दो.

मै मजाक का पात्र नहीं इज्जत दो
जितना मर्जी कह दो पर इज्जत दो
मेरे जीवन को नरक मत बनाओ मुझे जीने दो
मुझे हिम्मत दो मेरी कीमत दो.

मुझे तड़पाओ मत जिंदे को न , खुशियाँ दो.
जब मै थक जाता हूँ, मुझे आराम दो.
मुझे कर्ज से बेहतर फांसी दो.
मुझे अच्छा जीवन जीने दो
मुझे मेरा हक दो.

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