धनतेरस पर निबंध | Essay On Dhanteras in Hindi- नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत है, आज के हमारे आर्टिकल में आज के इस लेख में हम हिन्दुओ के प्रमुख त्योहार धनतेरस कब मनाया जाता है?, महत्व, इतिहास के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे.
धनतेरस पर निबंध | Essay On Dhanteras in Hindi
हिन्दू मान्यता के अनेक त्योहारों में से एक त्यौहार धनतेरस भी है, यह पर्व हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन मनाया जाता है, यह दिवाली से दो दिन पहले मनाया जाता है, अंग्रेजी कैलेंडर में यह नंवबर में मनाया जाता है.
भारतीय सनातन संस्कृति में धनतेरस को एक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है यह पर्व कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है इस त्यौहार का संबंध धन की प्राप्ति और धन्य से माना जाता है।
इस बार २०२३ में धनतेरस का पर्व शुक्रवार, 10 नवंबर को मनाया जाएगा. इसके साथ ही दिवाली के उत्सव की तैयारियां शुरू होगी. यह माँ लक्ष्मी को समर्पित तथा खरीददारी के लिए प्रसिद्ध है. इस दिन सभी लोग नई नई वस्तुओ की खरीददारी करते है.
धनतेरस का महत्व
धनतेरस अर्थात धन का त्रयोदशी इस दिन लोग को देवी माता लक्ष्मी और धन कुबेर की पूजा किया करते हैं और धन समृद्धि और खुशियों की प्राप्ति के लिए आशीर्वाद मांगते हैं यह भी मानता है कि इस दिन माता लक्ष्मी अपनी भक्तों के घरों में आकर अपार धन भेंट करते हैं ।
इस त्यौहार का विशेष महत्व माता लक्ष्मी जी से जुड़ा हुआ है धन की देवी कहीं जाने वाली लक्ष्मी मां इस दिन अपने भक्तों को आशीर्वाद देकर शुभ कार्य मंगलमय करने कामना करती है।
धनतेरस का त्यौहार सनातन धर्म की परंपरा से जुड़ा हुआ है इस पर्व को मनाने के लिए लोग अपने घरों के आसपास घरों की साफ सफाई करते हैं और यह दिवाली के त्योहार के अंतर्गत आता है जिस कारण दिवाली के लिए भी तैयारी इस दिन के साथ ही शुरू कर दी जाती है.
बाजारों में इस दिन सबसे अधिक बिक्री होती है क्योंकि इस दिन को लोग नई-नई चीज खरीदने हैं जिसमें सोने चांदी और अन्य प्रकार के आभूषणों की खरीदारी इस दिन सबसे ज्यादा की जाती है क्योंकि इस दिन को मां लक्ष्मी को समर्पित किया जाता है इस दिन नए कपड़े पहनकर नए पकवान बनाए जाते हैं तथा इस दिन को रंगीन बनाया जाता है।
पूजा
धनतेरस कैसे शुभ अवसर पर लोगों द्वारा धान की देवी मां लक्ष्मी और कुबेर की पूजा की जाती है इस दिन घरों के आसपास सफाई के साथ ही घर की मुख्य द्वार को साफ किया जाता है और सुंदर रूप से रंगोलिया बनाकर घर को सजाया जाता है मां लक्ष्मी की मूर्ति सुवर्ण और चांदी के सिक्कों के द्वारापूजा की जाती है धनतेरस के दिन लोग व्रत रखते हैं तथा सूर्यास्त के बाद मां लक्ष्मी की पूजा कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
निष्कर्ष
हर त्यौहार भारतीय समाज के लिए धन समृद्धि और खुशियों के प्रतीक के रूप में सामने आता है उन्हें में से एक धनतेरस बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार है जो समृद्धि और प्रसन्नता के प्रतीक के रूप में सामने आता है यह हमारी परंपरा मूल्य और धार्मिक आदर्श को महत्वपूर्ण बनता है।
निबंध 2 – धनतेरस उत्सव और कथा
प्रस्तावना
धनतेरस सनातन संस्कृति के प्रमुख त्योहारों में से एक है धनतेरस के त्यौहार के साथ ही महापर्व दिवाली के पांच दिवसीय कार्यक्रम की शुरुआत होती है धनतेरस मुख्यतः दिवाली के दो दिन पहले मनाया जाता है जो समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि अपने हाथों के द्वारा अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे.
पौराणिक मान्यताओं की माने तो धनतेरस का पर्व भगवान धन्वंतरि के प्रकट होने के दिन को ही धनतेरस के रूप में आज भी हम मानते हैं यह त्यौहार एक खुशी का पर्व है यह हमारे स्वास्थ्य और समृद्धि का भी पर्व है।
सनातन पौराणिक कथाओं के माने तो धनतेरस के दिन समुद्र मंथन से आयुर्वेद के जन्मदाता कहे जाने वाले भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे.
समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वंतरि के साथ मां लक्ष्मी जिसे हम धन की देवी कहते हैं उनकी उत्पत्ति भी हुई थी माता लक्ष्मी अपने हाथ में सोने के कलश के साथ अवतरित हुई थी जबकि भगवान धन्वंतरि कलश लेकर अवतरित हुए जिसके कारण अमृत का पान करके देवता अमर हो गए।
मां लक्ष्मी की पूजा का इस दिवस से विशेष लगाव है इस दिन माता लक्ष्मी जी और धन्वंतरि की पूजा की जाती है मां लक्ष्मी भाई शक और दुविधाओं से मुक्ति दिलाता है मां लक्ष्मी की आराधना से धन्य धन्य निरोगी काया दीर्घायु जैसी अनेक प्रकार के आशीर्वाद मां लक्ष्मी देती है।
ऐसे दिन घरों में साफ सफाई की जाती है घर के प्रांगण में रंगोली बनाकर घर को सजाया जाता है तथा दिए जलाकर मां लक्ष्मी का स्वागत किया जाता है मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है मां लक्ष्मी से स्वास्थ्य की कामना करते हुए पूजा की जाती है ऐसे दिन धनवंतरि की पूजा भी की जाती है साहित्य पुराणो के अनुसार भगवान धन्वंतरि भगवान विष्णु के एक अवतार थे।
ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु ने इस संसार में बढ़ती पीड़ाओं को देखते हुए धनवंतरी के रूप में चिकित्सा विज्ञान के प्रचार प्रचार के लिए इस दुनिया में अवतार लिया था इसलिए भगवान धन्वंतरि के जन्म दिवस को हम आयुर्वेदिक दिवस के रूप में भी सेलिब्रेट करते हैं।
हमारे जीवन के लिए स्वास्थ्य सबसे महत्वपूर्ण कारक है जैसा की हम जानते हैं पहला सुख निरोगी काया दूजा सुख घर में माया इसीलिए ही कहा जाता है क्योंकि हमारे लिए स्वास्थ्य सबसे महत्वपूर्ण होता है.
इसीलिए दीपावली के पर्व में धनतेरस को एक विशेष महत्व दिया जाता है और भगवान धन्वंतरि और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है जो स्वास्थ्य और धन दोनों के प्रतीक के रूप में पूजे जाते हैं इस दिन मां लक्ष्मी भगवान गणेश कुबेर और यह की पूजा भी की जाती है। कहते हैं इस दिन यह की पूजा करने से व्यक्ति अकाल मौत नहीं होती है।
धनतेरस का यह विशेष पर्व दिवाली से दो दिन पहले त्रयोदशी के दिन मनाया जाता है जो हमारे बेहतर स्वास्थ्य के आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भगवान धन्वंतरि से प्रार्थना करने के लिए मनाया जाता है।
दिवाली के अवसर पर जो सामग्री खरीदी जाती है उसमें धनतेरस के दिन ही सोने चांदी के आभूषण खरीदे जाते हैं इस दिन को खरीदारी के लिए विशेष महत्व दिया जाता है माना जाता है की मां लक्ष्मी इस दिन मेहरबान होती है इसलिए सभी साल भर से इस दिन का इंतजार कर इस दिन को खरीदारी करते हैं।
हिंदू मान्यता के अलावा जैन धर्म में भी भगवान महावीर के ध्यान योग में चले जाने के कारण इस दिन को ध्यान तेरस के रूप में भी मनाया जाता है।
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