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विज्ञापन पर निबंध | Essay on Advertisement in Hindi

विज्ञापन पर निबंध Essay on Advertisement in Hindi: आज के आर्टिकल में हम विज्ञापन की दुनिया युग के बारें में जानेगे, इस निबंध, भाषण, स्पीच, अनुच्छेद के जरिये समझने का प्रयास करेगे कि हमारे जीवन में इन विज्ञापनों का क्या महत्व और प्रभाव हैं.

Hello And Wellcome Friends, Today We Bring Essay On Advertisement In English & Hindi Language For Students Of Class 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10. Short & Long Essay Speech Paragraph On Advertisement  Essay In Hindi And English For Kids, Essay Given Blow.

नमस्कार और वेलकम दोस्तों, आज हम कक्षा 1,2,3,4,5,6,7,7,9,9,10 छात्रों के लिए अंग्रेजी और हिंदी भाषा में विज्ञापन पर निबंध लाते हैं। संक्षिप्त और लंबी निबंध भाषण अनुच्छेद पर विज्ञापन निबंध हिंदी और अंग्रेजी में बच्चों के लिए निबंध यहाँ दिया गया है।

विज्ञापन पर निबंध Advertisement Short Essay in Hindi

विज्ञापन वह प्रचार है, जो इन्टरनेट के माध्यम से किया जता है. विज्ञापन दोशब्दों क\से मिलकर बनता है, जिसका अर्थ विशिष्ट सुचना देना होता है.

विज्ञापन वस्तुओ का सबसे बड़ा प्रचार होता है. विज्ञापन के कारण आज कई नई कपनिया अपना प्रभुत्व जमा रहे है. विज्ञापन ने इन्टरनेट पर कब्जा कर लिया है.

विज्ञापन से किसी भी व्यक्ति दिल जीता जा सकता है. विज्ञापन व्यापर का सबसे बड़ा संसाधन है. आज के इन्टरनेट युग में हर एप्लीकेशन पर आपको हर वस्तुओ के विज्ञापन देखने को मिलेंगे.

विज्ञापन वस्तुओ के परिचय और उसके महत्व के बारे में बाधा चढ़ाकर बताता है. विज्ञापन के कारण ही वस्तुओ का प्रचार होता है. जिस कारण बाजारों को काफी हानि हो रही है.
 
वस्तुओ को खरीदने से पूर्व हम विज्ञापन देखते है. जो हमें वस्तु को खरीदने को ओर भी प्रेरित करता है. वस्तु को बेहतर ढंग से लोगो के सामने प्रस्तुत करने का तरीका विज्ञापन है.

विज्ञापन पर निबंध Essay on Advertisement in Hindi


आज हम जिस दुनिया में जी रहे है वह विज्ञापन की दुनिया में रसी बसी हैं. आए दिन एक नयें स्वरूप और रोचक अंदाज में विज्ञापन हमारे समक्ष प्रस्तुत करते हैं.

आम आदमी के जीवन को इन्होने प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर रही हैं. अब तो ऐसे विज्ञापन बैंक भी देने लगे है जब अविवाहित बेटे को भी उसकी माँ से दूर रहने के संदेश दे रहे हैं.

विज्ञापन का सरल सा अर्थ हैं. किसी वस्तु उत्पाद या सेवा के लिए ग्राहकों तक प्रसार करना. सम्बन्धित वस्तु को लोगों के दिलोदिमाग में आकर्षण पैदा करना विज्ञापनो का मूल उद्देश्य होता हैं.

आज के दौर में किसी कम्पनी या उत्पाद की गुणवत्ता कितनी ही बेहतर क्यों न हो उसके विक्रय के लिए विज्ञापनों का सहारा लेना ही पड़ता हैं.

हम चाहकर भी विज्ञापनों से मुक्ति नहीं पा सकते हैं. न ही इसके प्रभाव से बच सकते हैं. घर से निकलने के बाद चाहे हम किसी सड़क पर चल रहे हो या भवन में बैठे हो अथवा अपना मोबाइल देख रहे हो,

ये विज्ञापन निरंतर हमें घूरते रहते हैं. रात में तो निआन की रोशनी में इनकी चमक दमक हर किसी का ध्यान अपने और आकर्षित कर लेती हैं.

आमतौर पर एक विज्ञापन निर्माण में रचनात्मकता का बड़ा महत्व होता हैं. ऐड में इस तरह के स्लोगन एवं शब्दों का चयन किया जाता हैं, जो मानव मस्तिष्क को आसानी से अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं.

पत्र पत्रिकाओं को जब हम खोलते है तो उसके हर पेज के ऊपर नीचे रंगीन और आकर्षक विज्ञापन भरे पड़े होते हैं.

विज्ञापन को हम लुभाने वाली मायावी दुनिया या विधा का उपनाम दे सकते हैं. ये एक आम आदमी की आँख, कान और मस्तिष्क को प्रभावित करते ही हैं साथ ही इसका सबसे व्यापक असर आम आदमी की जेब पर पड़ता हैं. 
असल में यही उनका उद्देश्य भी होता हैं. एक अनुमान के मुताबिक़ भारत की कुल आय का २ से ३ प्रतिशत भाग केवल इन विज्ञापनों पर खर्च होता हैं. इससे आप अनुमान लगा सकते है कि किसी वस्तु के मूल्य में इजाफा करने वाले कितने कारक हो सकते हैं.

इन विज्ञापन के युग में तेजी से बढ़ती कीमतों पर लगाम लगानी है तो इसके लिए जरुरी हैं हम विज्ञापनों पर होने वाले खर्च को कम करे. उदाहरण के लिए यदि आप कोई ड्रिंक १०० रूपये में खरीदते है तो इसके २०-३० रूपये की अदायगी सीधे तौर पर विज्ञापन दाता कम्पनी को जाती हैं.

इस अनुमान के साथ गणित बिठा लीजिए कि विज्ञापन का असर आम आदमी के जीवन पर पड़ रहा है अथवा इसका मूल्य उत्पादक निर्माता चुकाते हैं.

एक तरफ विज्ञापन के खर्च के कारण कई वस्तुओं के दाम कई गुना तक बढ़ जाते हैं इसकी प्रत्यक्ष हानि नागरिकों की होती हैं तो इसका एक बड़ा लाभ भी हैं. प्रतिस्पर्धा बढने से बाजार में एक से अधिक ब्रांड अपनी गुणवत्ता में वृद्धि एवं लागत में कमी भी करते हैं.

साथ ही पत्र पत्रिकाएँ, टीवी, इन्टरनेट आदि पर जहाँ विज्ञापन प्रसारित होते हैं. यह उनके कमाई का मुख्य स्रोत होता हैं जिससे वे बेहद अल्प कीमत में भी अपनी सेवाएं देने में समर्थ हो पाते हैं. 

उदाहरण के लिए हमारे घरों में १५ से २० पन्ने का नित्य जो समाचार पत्र आता हैं इसकी एक प्रति के मुद्रित होने में ७ से १० रूपये का खर्च आता हैं.

मगर इनकी विज्ञापनों से बड़ी कमाई होने के बाद ये २-३ रूपये में ही इन्हें बेच देते हैं. इस तरह हम कह सकते हैं विज्ञापन से एक तरफ हानि होती हैं तो इसके फायदे भी मिलते हैं.

विज्ञापनों का एक अन्य लाभ यह भी हैं कि अक्सर बड़ी हस्तियाँ जैसे अभिताब बच्चन किसी उत्पाद का विज्ञापन करते है तो उसकी विश्वसनीयता उस उत्पाद से जुड़ जाती हैं.

ऐसे में उन्हें अपनी गुणवत्ता को बनाए रखने का दबाव निरंतर बना रहता हैं. क्योंकि यदि किसी अभिनेता अथवा प्रसिद्ध व्यक्ति द्वारा सुझाई वस्तु से किसी को हानि पहुचती है तो उन्हें बड़े अपयश का सामना भी करना पड़ता हैं.

Essay On Advertisement In English

all modern business needs advertisement. advertising has come to be accepted as art for selling goods. Advertisement means public notice, usually in a newspaper or periodical, on the radio and tv for any purpose.

such notice relates to appointment, premises to let, and sale and purchase of property and articles. businessmen advertise in the media to let the people know what products they are marketing.

The advertisement has become a necessity in these days of mass communication and strong competition. businessmen advertise their goods to boost the sale of products. every big company tries to reach the highest number of potential customers through Advertisement.

the modern world is full of Advertisement and we find them all around. however miserly a man maybe, in a moment of weakness he is tempted by an Advertisement and is led to buy one thing or another.

in Advertisement, things are made to appear so attractive that even an intelligent person is often cheated. among the leasing sights of colorful placards, a man is apt to lose his balance of judgment and he fails to assess the real value or worth of an article.


besides its uses, Advertisement has its abuses also. many Advertisements unduly exaggerate the quality of inferior goods. they are phrased in such a way that they try to deceive the general public and people are robbed of their money when they buy them.

Advertisement is sometimes used for the purpose of personal propaganda. some vain people, eager for name and fame, seek to appear in the limelight by such propaganda. moreover, Advertisement often misleads people by playing on their irrational hopes and fears or anxiety. 

lastly, huge  Advertisements in big cities and towns disfigure the streets and houses. besides this cinema posters are spreading vulgarity and crime by displaying obscene postures and daring robberies.

but in spite of these abuses, it can be denied that Advertisement has become a powerful factor in modern business. it is the soul of business. it promotes trade, develops commerce boosts sales, creates demand encourages novelties and patronizes artist.

that is why big firms spend large sums of money on it. at the same time, we should no forget that Advertisement can never be a substitute for quality. it is true to say that good products will sell even without publicity.

it is our duty to make Advertisementin this country Indian, both in idiom and expression and to achieve that end, utilize the tradition of india's indigenous art and culture as much as possible.

mobile advertisement in hindi

सभी आधुनिक व्यवसाय को विज्ञापन की आवश्यकता है। माल बेचने के लिए विज्ञापन को कला के रूप में स्वीकार किया गया है। विज्ञापन का अर्थ है सार्वजनिक सूचना, आमतौर पर किसी समाचार पत्र या समय-समय पर किसी भी उद्देश्य के लिए रेडियो और टीवी पर।


इस तरह के नोटिस का संबंध नियुक्ति, परिसर से जाने और संपत्ति और लेखों की बिक्री और खरीद से है। व्यवसायी लोगों को यह बताने के लिए मीडिया में विज्ञापन देते हैं कि वे किन उत्पादों का विपणन कर रहे हैं।

जनसंचार और मजबूत प्रतिस्पर्धा के इन दिनों में विज्ञापन एक आवश्यकता बन गया है। व्यवसायी उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए अपने माल का विज्ञापन करते हैं। हर बड़ी कंपनी विज्ञापन के माध्यम से संभावित ग्राहकों की संख्या तक पहुंचने की कोशिश करती है।

आधुनिक दुनिया विज्ञापन से भरी है और हम उन्हें चारों ओर से देखते हैं। हालाँकि, शायद एक आदमी दुखी है, कमजोरी के एक क्षण में उसे एक विज्ञापन द्वारा लुभाया जाता है और एक चीज़ या दूसरी चीज़ खरीदने के लिए प्रेरित किया जाता है।

विज्ञापन में, चीजें इतनी आकर्षक दिखाई देती हैं कि एक बुद्धिमान व्यक्ति भी अक्सर धोखा खा जाता है। रंगीन प्लेकार्ड की लीजिंग जगहों के बीच, एक आदमी अपने फैसले के संतुलन को खोने के लिए उपयुक्त है और वह एक लेख के वास्तविक मूल्य या मूल्य का आकलन करने में विफल रहता है।

विज्ञापन के कई तरीके हैं। प्रेस विज्ञापन का सबसे कुशल माध्यम है क्योंकि यह सबसे बड़े बाजार तक पहुंच सकता है। विज्ञापन के अन्य माध्यम रेडियो हैं, टी.वी. सिनेमा, हैंडबिल, इलेक्ट्रिक लाइट्स, कैलेंडर, कैटलॉग, बसों पर बोर्ड, ट्रांस, पुरस्कार और क्रॉस-वर्ल्ड पज़ल संस्करण। इन दिनों सड़क के किनारे काल्पनिक होर्डिंग्स प्रदर्शित किए जाते हैं।

इसके उपयोगों के अलावा, विज्ञापन के अपने दुरुपयोग भी हैं। कई विज्ञापन घटिया माल की गुणवत्ता को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करते हैं। उन्हें इस तरह से चित्रित किया जाता है कि वे आम जनता को धोखा देने की कोशिश करते हैं और जब लोग उन्हें खरीदते हैं तो उनका पैसा लूट लिया जाता है।

विज्ञापन का उपयोग कभी-कभी व्यक्तिगत प्रचार के उद्देश्य से किया जाता है। कुछ व्यर्थ लोग, नाम और प्रसिद्धि के लिए उत्सुक, इस तरह के प्रचार से सुर्खियों में दिखाई देते हैं। इसके अलावा, विज्ञापन अक्सर लोगों को उनकी तर्कहीन आशाओं और डर या चिंता से खेलकर गुमराह करता है।

अंत में, बड़े शहरों और कस्बों में विशाल विज्ञापन सड़कों और घरों को विस्थापित करते हैं। इसके अलावा सिनेमा के पोस्टर अश्लील पोस्ट और डकैती की घटनाओं को प्रदर्शित करके अश्लीलता और अपराध फैला रहे हैं।

लेकिन इन गालियों के बावजूद, इस बात से इनकार किया जा सकता है कि विज्ञापन आधुनिक व्यवसाय में एक शक्तिशाली कारक बन गया है। यह व्यवसाय की आत्मा है। यह व्यापार को बढ़ावा देता है, वाणिज्य को बढ़ाता है, बिक्री बढ़ाता है, मांग को प्रोत्साहित करता है और सस्ता माल कलाकार को प्रोत्साहित करता है।

यही कारण है कि बड़ी कंपनियां इस पर बड़ी रकम खर्च करती हैं। उसी समय, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि विज्ञापन कभी भी गुणवत्ता का विकल्प नहीं हो सकता है। यह कहना सही है कि अच्छा उत्पाद बिना प्रचार के भी बिकेगा।

यह हमारा कर्तव्य है कि हम इस देश को भारतीय बनाने के लिए, मुहावरे और अभिव्यक्ति दोनों में और उस अंत को प्राप्त करने के लिए, भारत की स्वदेशी कला और संस्कृति की परंपरा का यथासंभव उपयोग करें।

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