मेरे प्रिय खिलाडी महेंद्र सिंह धोनी पर निबंध। My Favourite Player MS Dhoni Essay in hindi: नमस्कार आपका स्वागत हैं. आज हम एम एस धोनी पर निबंध स्पीच लेख बिओग्राफी हिस्ट्री के बारे में यह निबंध बता रहे हैं.
धोनी के पिता का नाम पान सिंह था, जो मूलतः उतराखंड के अल्मोड़ा जिले के लवली गाँव के रहने वाले थे. परन्तु नौकरी के चलते उन्हें महेंद्रसिंह धोनी की मा देवकी के साथ रांची आना पड़ा. सन 1997-98 में उनका विकेटकीपर के रूप में चयन हुआ. 2001 में रेलवे के तत्कालीन डिविजन मेनेजर ने अपनी टीम के विकेटकीपर के रूप में धोनी को चुना.
उन्होंने टीसी की नौकरी भी की. अपने शुरुआत दिनों में धोनी टेनिस बॉल से आक्रामक बल्लेबाजी करते थे. इसी कारण उसे मोहल्ले में क्रेजी कहते थे. इसी कारण इन्हें अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटर बनने में अधिक समय नहीं लगा.
मात्र 23 वर्ष की आयु में उन्होंने 2004 में दिवसीय वर्ष 2005 में टेस्ट क्रिकेट में एक विकेटकीपर खिलाड़ी के रूप में अपना पहला मैच खेला. महेंद्रसिंह धोनी ने अपना पहला एकदिवसीय शत पाकिस्तान के खिलाफ लगाया, तब उन्होंने १४८ रनों की पारी खेलकर विकेटकीपर द्वारा सर्वाधिक रन बनाने का कीर्तिमान भी अपने नाम कर दिया.
शीघ्र ही धोनी ने श्रीलंका के खिलाफ 183 रनों की आतिशी पारी खेलकर अपनी प्रतिभा का परिचय दे दिया. ये दिन धोनी के करियर के लिए टर्निंग पॉइंट था जिसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. एक के बाद एक विश्व कीर्तिमान अपने नाम करते गये.
वर्ष 2007 में आयोजित वर्ल्ड टी ट्वेंटी प्रतियोगिता महेंद्रसिंह धोनी की कप्तानी में भारत ने जीती, इसके बाद अपनी सरजमी पर 2011 विश्व कप का खिताब जीतकर धोनी भारत के सबसे सफल कप्तान बन गये. न्यूजीलैंड समेत कई देशों के विदेशों दौरों पर उन्ही की धरती पर सीरिज जीतकर अपनी प्रतिभा और कुशल नेतृत्व का परिचय दिया.
माही की कप्तानी में भारत ने क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में सर्वोच्च पद हासिल किया. विश्वकप 2011 के फाइनल मैच में धोनी के नाबाद 91 रन की पारी एवं छक्के के साथ विजय के पलों को लम्बे समय तक याद रखा जाएगा. वे इस मैच के लिए मैंन ऑफ दी मैच भी चुने गये थे.
इस जीत के साथ ही भारत इंडीज और कंगारू टीम के बाद दो विश्वकप जीतने वाली तीसरी टीम बन गई. धोनी ने अपने खेल के दम पर कई उपलब्धियां हासिल की इसके लिए इन्हें सम्मानित भी किया गया. वर्ष 2008 में इन्हें प्लेयर ऑफ़ दी ईयर का सम्मान दिया गया. उस समय तक धोनी पहले भारतीय खिलाड़ी थे जिन्हें यह सम्मान मिला था.
इसी वर्ष महेंद्रसिंह धोनी को राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से नवाजा गया. सबसे पहले ड्रीम टेस्ट टीम के 11 खिलाड़ियों की टीम में धोनी को स्पीकर का दर्जा ड़ुआ गया. भारतीय क्रिकेट टीम को 1983 में कपिलदेव के नेतृत्व में और 2011 में धोनी की अगुवाई में विश्वकप खिताब जीता था. इस टूर्नामेंट में युवराज सिंह को अपने शानदार प्रदर्शन के लिए प्लेयर ऑफ़ दी टूर्नामेंट चुना गया था.
महेंद्रसिंह धोनी पहले खिलाड़ी थे जिन्हें टाइम पत्रिका ने प्रभावशाली व्यक्तियों की सूचि में शुमार किया. अपने टीम के खिलाड़ियों का मनोबल में ही क्या इनकी तकनीक की कोई बराबरी नहीं कर सकता. धोनी ने आईपीएल में तीन बार चेन्नई सुपर किंग्स को अपनी अगुवाई में विजेता बनाया.
आज के इस जमाने में क्रिकेट सर्वाधिक देखा जाने वाला खेल कहा जाता हैं. भारत को धोनी रुपी रत्न वर्ष 2004 में मिला. जिन्होंने विकेटकीपर एवं आक्रामक बल्लेबाज के रूप में जाने जाते थे. उन्होंने अपना पहला एकदिवसीय मैच बांग्लादेश के खिलाफ वर्ष 2004 में खेला तथा 2005 में श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट में डेब्यू किया था.
My Favourite Player MS Dhoni Essay in hindi
Mahendra Singh Dhoni Hindi Essay
क्रिकेट भारत में एक लोकप्रिय खिलाड़ी हैं. भारत में क्रिकेट के कई बड़े खिलाड़ी हुए मगर जब सबसे बड़े महारथियों की बात आती है जो महेंद्रसिंह धोनी का नाम सबसे पहले आता हैं. महेंद्रसिंह धोनी का जन्म 7 जुलाई 1981 को रांची झारखंड में हुआ.धोनी के पिता का नाम पान सिंह था, जो मूलतः उतराखंड के अल्मोड़ा जिले के लवली गाँव के रहने वाले थे. परन्तु नौकरी के चलते उन्हें महेंद्रसिंह धोनी की मा देवकी के साथ रांची आना पड़ा. सन 1997-98 में उनका विकेटकीपर के रूप में चयन हुआ. 2001 में रेलवे के तत्कालीन डिविजन मेनेजर ने अपनी टीम के विकेटकीपर के रूप में धोनी को चुना.
उन्होंने टीसी की नौकरी भी की. अपने शुरुआत दिनों में धोनी टेनिस बॉल से आक्रामक बल्लेबाजी करते थे. इसी कारण उसे मोहल्ले में क्रेजी कहते थे. इसी कारण इन्हें अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटर बनने में अधिक समय नहीं लगा.
मात्र 23 वर्ष की आयु में उन्होंने 2004 में दिवसीय वर्ष 2005 में टेस्ट क्रिकेट में एक विकेटकीपर खिलाड़ी के रूप में अपना पहला मैच खेला. महेंद्रसिंह धोनी ने अपना पहला एकदिवसीय शत पाकिस्तान के खिलाफ लगाया, तब उन्होंने १४८ रनों की पारी खेलकर विकेटकीपर द्वारा सर्वाधिक रन बनाने का कीर्तिमान भी अपने नाम कर दिया.
शीघ्र ही धोनी ने श्रीलंका के खिलाफ 183 रनों की आतिशी पारी खेलकर अपनी प्रतिभा का परिचय दे दिया. ये दिन धोनी के करियर के लिए टर्निंग पॉइंट था जिसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. एक के बाद एक विश्व कीर्तिमान अपने नाम करते गये.
वर्ष 2007 में आयोजित वर्ल्ड टी ट्वेंटी प्रतियोगिता महेंद्रसिंह धोनी की कप्तानी में भारत ने जीती, इसके बाद अपनी सरजमी पर 2011 विश्व कप का खिताब जीतकर धोनी भारत के सबसे सफल कप्तान बन गये. न्यूजीलैंड समेत कई देशों के विदेशों दौरों पर उन्ही की धरती पर सीरिज जीतकर अपनी प्रतिभा और कुशल नेतृत्व का परिचय दिया.
माही की कप्तानी में भारत ने क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में सर्वोच्च पद हासिल किया. विश्वकप 2011 के फाइनल मैच में धोनी के नाबाद 91 रन की पारी एवं छक्के के साथ विजय के पलों को लम्बे समय तक याद रखा जाएगा. वे इस मैच के लिए मैंन ऑफ दी मैच भी चुने गये थे.
इस जीत के साथ ही भारत इंडीज और कंगारू टीम के बाद दो विश्वकप जीतने वाली तीसरी टीम बन गई. धोनी ने अपने खेल के दम पर कई उपलब्धियां हासिल की इसके लिए इन्हें सम्मानित भी किया गया. वर्ष 2008 में इन्हें प्लेयर ऑफ़ दी ईयर का सम्मान दिया गया. उस समय तक धोनी पहले भारतीय खिलाड़ी थे जिन्हें यह सम्मान मिला था.
इसी वर्ष महेंद्रसिंह धोनी को राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से नवाजा गया. सबसे पहले ड्रीम टेस्ट टीम के 11 खिलाड़ियों की टीम में धोनी को स्पीकर का दर्जा ड़ुआ गया. भारतीय क्रिकेट टीम को 1983 में कपिलदेव के नेतृत्व में और 2011 में धोनी की अगुवाई में विश्वकप खिताब जीता था. इस टूर्नामेंट में युवराज सिंह को अपने शानदार प्रदर्शन के लिए प्लेयर ऑफ़ दी टूर्नामेंट चुना गया था.
महेंद्रसिंह धोनी पहले खिलाड़ी थे जिन्हें टाइम पत्रिका ने प्रभावशाली व्यक्तियों की सूचि में शुमार किया. अपने टीम के खिलाड़ियों का मनोबल में ही क्या इनकी तकनीक की कोई बराबरी नहीं कर सकता. धोनी ने आईपीएल में तीन बार चेन्नई सुपर किंग्स को अपनी अगुवाई में विजेता बनाया.
आज के इस जमाने में क्रिकेट सर्वाधिक देखा जाने वाला खेल कहा जाता हैं. भारत को धोनी रुपी रत्न वर्ष 2004 में मिला. जिन्होंने विकेटकीपर एवं आक्रामक बल्लेबाज के रूप में जाने जाते थे. उन्होंने अपना पहला एकदिवसीय मैच बांग्लादेश के खिलाफ वर्ष 2004 में खेला तथा 2005 में श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट में डेब्यू किया था.
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